आज मन धीर है, गंभीर है…… मेरी कविता…..विवेक

आज मन धीर है,

गंभीर है,

भविष्य के गर्भ में,

क्या है,

वो जानने के लिये,

अधीर है,

कोई चिंता नहीं है,

फ़िर भी,

बहुत ही बैचेन है,

जाने क्यों,

जिंदगी की धार में,

बहते हुए,

जिंदगी की धार पर,

चलते हुए,

आज मन धीर है,

गंभीर है।

10 thoughts on “आज मन धीर है, गंभीर है…… मेरी कविता…..विवेक

  1. आज मन धीर है,

    गंभीर है,

    भविष्य के गर्भ में,

    क्या है,

    वो जानने के लिये,

    अधीर है,

    यह हम गंभीरता से ही जान सकते हैं।

  2. कभी कभी ऐसा भी होता है।
    भविष्य की चिंता नही, बस चिंतन कीजिये।
    अच्छा लिखा है, इस बार गंभीर।
    कभी पधारो म्हारे देश।

  3. सही है कई बार ऐसा होता है यही वो क्षण है जब आदमी अपने आप मे लौट आता है। चिन्तन के लिये यही क्षण सुन्दर हैं शुभकामनायें

  4. कोई चिंता नहीं है,

    फ़िर भी,

    बहुत ही बैचेन है,

    जाने क्यों ?

    वाकई कई बार ऐसा होता है

  5. @ वन्दना जी – कर्ण की जीवनगाथा बीच बीच में जारी रहेगी, अभी थोड़ा अंतराल हो गया।

  6. जिंदगी की धार पर,

    चलते हुए,

    आज मन धीर है,

    गंभीर है।
    यह सब तो होता ही है जी, चलिये आप को इस सुंदर कविता के लिये बहुत बहुत बधाई

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