ग्लोबल वार्मिंग पर केवल नेपाल चिंतित है क्या… कुछ हमारा कर्त्तव्य है या नहीं… क्या हम अकेले कुछ कर सकते है….?

ग्लोबल वार्मिंग पर नेपाल के केबिनेट ने १७२०० फ़ीट ऊँचाई पर माऊँट एवरेस्ट काला पत्थर पर बैठक कर दुनिया का ध्यान अपनी और खींचा, दुनिया की सर्वोच्च शिखर चोटी के आधार शिविर के पास स्यांगबोचे में एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा पढ़ी, जिसके मुताबिक आपिनामा-गौरीशंकर क्षेत्र को नया संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया है। वहाँ पर उन्होंने संकेत दिया कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा न केवल पर्वतीय देशों और समुद्र तटों पर स्थित देशों से जुड़ा है बल्कि आम वैश्विक समस्या है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि “हम दुनिया को यह संदेश देने आये हैं कि जलवायु परिवर्तन हिमालयी पट्टी और निचले इलाकों के १.३ अरब लोगों को प्रभावित करने जा रहा है।
हिमालय के ग्लेशियर कुछ दशकों में गायब हो सकते हैं और इससे एशिया के बड़े हिस्से को सूखे का सामना करना पड़ सकता है, जहाँ लाखों लोग हिमालय से निकलने वाली नदियों के ऊपर निर्भर करते हैं।
पर हम क्या कर रहे हैं, क्या हमें ग्लोबल वार्मिंग की तनिक भी चिंता है, लोग दशकों से बोल रहे हैं कि मुंबई डूब जायेगी पर इसके लिये किसी ने क्या कभी कुछ किया नहीं… किसी की इच्छाशक्ति ही नहीं है। क्या हम अकेले कुछ कर सकते हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में कुछ मदद मिले…. ।

6 thoughts on “ग्लोबल वार्मिंग पर केवल नेपाल चिंतित है क्या… कुछ हमारा कर्त्तव्य है या नहीं… क्या हम अकेले कुछ कर सकते है….?

  1. ग्लोबल वॉर्मिंग का मुद्दा हमारे वजूद से जुड़ा मुद्दा है…लेकिन खेद है कि न तो इस पर हम ध्यान दे रहे हैं और न ही सरकार अपनी ज़िम्मेदारी समझ रही है…अगर धरती यूं ही गरम होती रही और समुद्र का जलस्तर बढ़ता रहा तो अगले सौ-डेढ़ साल में मुंबई भी समुद्र में समा सकती है…

    cजय हिंद…

Leave a Reply to खुशदीप सहगल Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *