हमारे एक परम मित्र हैं जो अब हमारे सहकर्मी भी हैं, एक दिन हम ऐसे ही अंगड़ाई ले रहे थे, तो उन्होंने कुछ इस प्रकार से कह डाला –
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
हमने झट से ये लाईनें नोट कर लीं और कहा कि इसे पूरी कविता का रुप देते हैं परंतु हम यह कार्य न कर सके…. या सोच न सके… तो आज सोचा कि अपने हिन्दी ब्लॉग मंच पर ही कविता पूरी करने के लिये देते हैं शायद इन दो अच्छी लाईनों को कुछ अच्छे या बहुत अच्छे शब्द मिल जायें।
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
जिम जाने का
बेफ़ालतू खर्चा बढ़ जाएगा…
जय हिंद…
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
लोग चिल्लर ही लुटाएंगे जानम
न गुजर बसर हो पायेगा
बहुत कुछ आगे करना होगा तुम्हें
तब पूरा ये सफ़र हो पायेगा
🙂
इस कदर मत लो यहाँ अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
यूँ भी तन्हा काटता था जिन्दगी
और कठिन अब ये सफर हो जायेगा..
🙂
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
हम भी सो गए तो
सामान तुम्हारा चोरी हो जाएगा
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
अरे तुम दो दिन से नहाये नही,
बद्बू से हमारा जीना दुभर हो जायेगा
मत लो अंगड़ाईयाँ वरना
हम पर भी असर हो जायेगा
शबे रात की बात नहीं
अब जीना दूभर हो जाएगा
यादों की फुहार पड़ी है
औ मेरा मन तर हो जाएगा
जाग रहे हैं ख्वाब तुम्हारे
अब सच बेहतर हो जाएगा
प्रेमी बोला प्रेमिका से..
जानू…
मस्त कर रही हैँ ये तनहाईयाँ
मत लो यूँ अलमस्त अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा
क्त्ल अपना ज़रूर हो जाएगा
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना
हम पर भी असर हो जायेगा
बहुत मुश्किल से
तसल्ली दी थी मन को
फिर से तर-बतर हो जायेगा
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
पराग झर जाएंगे
चमन का फूल बिखर तो जाएगा।
मत लो अंगडाईयां,
मुझ पे भी असर हो जाएगा,
पलकों पे जो अभी आया है,
वो नींद का झोंका खो जाएगा,
जो पढ जाउं तुम्हारी हसरतों को,
ये दीवाना दर-बदर हो जाएगा
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
गर थाम लो कलाईयाँ
आसान ये सफ़र हो जायेगा।
ख़त्म हों तन्हाईयाँ
मन का सहर ये शहर हो जायेगा।
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
इंडिया में यूँ भी,
छूत की बीमारियों की
फैलने की रफ़्तार
कुछ तेज ही जान पड़ती है !
मत लो अंगड़ाईयाँ
वरना हम पर भी असर हो जायेगा
ला कंबल इधर दे
वर्ना सर्दी से बुखार चढ जायेगा
रामराम.