आजकल लगभग सभी बैंकों के बचत खातों में औसत राशि रखना होती है।
पहले यह न्यूनतम राशि होती थी। पर बैंकें यह औसत राशि की गणना कैसे करती हैं, आपको यह पता है, आईये देखते हैं –
औसत राशि – एक तिमाही में आपने रोज जो भी बैलेन्स अपने बचत खाते में रखा है, उस तिमाही के बैलेन्स का औसत औसत राशि होती है।
आईये एक उदाहरण द्वारा इसे देखते हैं –
मान लीजिये कि किसी बैंक में औसत राशि बचत खाते के लिये ५००० रुपये है एक तिमाही के लिये –
जनवरी माह में –
१ जनवरी को खाते में बैलेन्स है ५००० रुपये।
५ जनवरी को सैलेरी जमा हुई २५००० रुपये तो बैलेन्स हुआ ३०००० रुपये।
१० जनवरी को खाते में से आपने २०००० रुपये निकाल लिये तो बैलेन्स हुआ १०००० रुपये।
१५ जनवरी को खाते में से फ़िर १०००० रुपये निकाल लिये तो बैलेन्स हुआ ० रुपये।
और अगर आप स्वीप इन खाते में क्या सुविधा होती है और इसे कैसे उपयोग करें देखें ।
्बहुत सुंदर जान्कारी
भाई साहेब यहीं पर इतना अच्च्छे से पढ़ रहे थे… काहे भगाया?
लो वापस यहीं आना पड़ा.. एंटी स्पाम के चक्कर में टिपण्णी करेने नहीं दे रहा…. यहीं चिपका देते है…
"अब भाग कर यहाँ आये है..
बहुत उपयोगी जानकारी.. हम अक्सर इसे आसान साधनों का उपयोग नहीं जानते हुए बैंकों का मुनाफा बढ़ा देते है..
हम भी एक पुराने खाते में मिनिनम बेलेंस मेंटेन करने के लिए ये ही तरिका अपनाते थे… "
ek achhi jankari di apne dhnywad
भैया जी , जानकारी तो बड़ी अच्छी दी, लेकिन चटकारे लेकर।
रास्ता थोडा सरल रखें तो बुजुर्गों को सुविधा रहेगी। हा हा हा !
अच्छी जानकारी . कुछ नया करने का फरमान आरबीआई ने जारी किया था एव्रेज निकालने के लिए कबसे लागू होगा .