सूर्यपुत्र महारथी दानवीर कर्ण की अद्भुत जीवन गाथा “मृत्युंजय” शिवाजी सावन्त का कालजयी उपन्यास से कुछ अंश – ३५ [युवराजों के कारनामे बताता कर्ण…]

     शाला के अन्य युवराज-शिष्यों की स्थिति इसके विपरीत थी। कृपाचार्य और द्रोणाचार्य दोनों का अत्यन्त लाड़ला था युवराज अर्जुन। वह अकेला ही क्यों प्रिय है, इसलिए युवराज दुर्योधन जान-बूझकर कोई अन्य कारण ढूँढ़कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता। उसक पर्यावसान झगड़े में होता। अपने भाई को छेड़ने के कारण भीम को क्रोध आता। अपने क्रोध को वह कभी नहीं रोक पाता था। क्रोध से होंठ चबाता हुआ वह जो मिलता उसी पर टूट पड़ता। द्रोणाचार्य के भय से झगड़े की शिकायत कोई उन तक नहीं पहुँचाता था।

   एक बार तो यह सुना गया कि वे सब लोग मिलकर वनविहार के लिए नहर के बाहर गये थे। वहाँ जब भीम सो रहा था, तब दुर्योधन ने दु:शासन की सहायता से वनलताओम से उसके हाथ-पैर कसकर बाँधे और फ़िर उसको एक सरोवर में फ़ेंक दिया था। परन्तु भीम को कुछ नहीं हुआ। कहा जाता है कि उसको जल-देवताओं ने मुक्त कर दिया था।

   मुझको इस बात पर कभी विश्वास नहीं हुआ। क्योंकि एक तो भीम को उन्होंने यदि इस प्रकार सरोवर में फ़ेंक दिया होता, तो निश्चय ही वह जीवित न रहा होता; क्योंकि सरोवर में जलदेवता नहीं होते हैं, वहाँ विशाल जबड़ोंवाले मत्स्य और क्रूर मगर होते हैं। और दूसरी बात यह कि सरोवर से बाहर आने पर तो भीम को यह पता चल ही जाता कि उसको जान से मारने का षड़यन्त्र रचा गया है। यह कार्य दुर्योधन के अतिरिक्त अन्य किसी का नहीं हो सकता है, यह जानकर उसने बाहर आते ही सबसे पहले अपनी गदा से उसका काम तमाम कर दिया होता। वह इसलिए कि भीम अपने क्रोध को कभी वश में नहीं कर पाता था। कोई कितना भी समझाता, वह उसको नहीं मानता और कोई कितनी ही सान्त्वना देता, उससे वह सन्तुष्ट नहीं हो सकता था।

    युवराजों के झगड़े निपटाते समय और उनके पुरुषार्थ का वर्णन करने में आकाश-पाताल एक करते समय भला सारथी के दो लड़कों की ओर ध्यान देने के लिए किसके पास अवकाश होता ! इस प्रकार ये छह वर्ष बीत गये। सोलह वर्ष के किशोर का बाईस वर्ष के तरुण में रुपान्तर हो गया। इच्छा होने लगी कि साहस-भरे और चुनौती देनेवाले प्रत्येक कार्य को स्वीकार किया जाये।

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  1. बहुत सुंदर लगा यह भाग भी, लेकिन आप पोस्ट की तारीख बदलना भुल गये, इस लिये आप की कल वाली पोस्ट के बाद मै यह नयी पोस्ट दिख रही है, कृप्या गल्ती सुधार ले

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