मुंबई ब्लॉगर्स मीट – रपट – १

पिछली पोस्ट जो कि आज सुबह लिखी गई थी उस पर टिप्पणियां आई कि ये थोड़ा है बहुत कुछ पढ़ना है, तो पेश है पूरी रपट—-
     जैसा कि ब्लॉगर्स मीट के आयोजन के लिये लिखी पोस्ट में लिखा था मैंने २९९ नं. बस के लास्ट स्टॉप से चाल के बीच से जाते हुए रास्ते को चुना और केवल २-३ मिनिट चलने पर सीधे त्रिमूर्ति जैन मंदिर जा पहुंचा। चाल से निकलते हुए कई घरों के सामने महिलाएँ बैठकर पापड़ की लोईयां बना रही थीं, कुछ घरों में पापड़ बिले जा रहे थे और लगभग सभी घरों के आगे बड़ी टोकरी उल्टी करके उस पर पापड़ सुखाये जा रहे थे सभी एक ही साईज के पापड़ और लगभग एक ही मोटाई के देखने से ही महसूस होता था। शायद लिज्जत पापड़ वाले वहाँ से ले जाते होंगे। पर उन महिलाओं की मेहनत  पापड़ के लिये, गृहस्थी के  बीच बहुत ही जीवटता का काम है। उन्हें क्या पता कि ये ब्लॉगर मीट क्या है और एक ब्लॉगर उनके इस पापड़ कर्म को अपने ब्लॉग पर छाप देगा। हाँ बस हम फ़ोटो नहीं खींच पाये क्योंकि मुंबई की किसी भी अनजानी चाल में मतलब जहाँ आपको कोई नहीं जानता हो ये दुस्साहास जैसा है। भले ही ये लोग वहाँ शेरों के बीच रहते हैं परंतु आदमी से डरते हैं।
     हम अपने साथ नाश्ते का सामान बिस्किट्स, चिप्स और रसगुल्ले लिये हुए थे, जो कि भली भांति कवर किया हुआ था तथा साथ ही थे सभी ब्लॉगरों के स्वागत के लिये गुलाब के फ़ूल।
    सबसे पहले मैं पहुँचा और बाहर ही बैठकर अपने ब्लॉगर बंधुओं का इंतजार करने लगा। सबसे पहले पहुँचे सतीश पंचम जी, फ़िर आये आलोक नंदन जी, तभी अविनाश वाचस्पति जी का फ़ोन आया कि हम १०-१५ मिनिट में पहुंचने वाले हैं,  अविनाश वाचस्पति जी सूरजप्रकाश जी के साथ उनकी कार में पहुंचे, फ़िर तो धीरे धीरे सभी ब्लॉगर्स आने लगे।
    हाँ इधर रुपेश श्रीवास्तव जी, फ़रहीन के साथ पनवेल से निकल चुके थे चूँकि रविवार को हार्बर  लाईन पर मेगाब्लॉक होता है, तो हमने उनसे कहा कि वाशी डिपो से सीधे बस सेवा उपलब्ध है, और वे वहाँ से सानपाड़ा तक आ गये और बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए फ़ोन आया कि हमें पहुंचने में बिलंब होगा पर आप हमारा इंतजार करियेगा, हमसे मिले बिना नहीं जाईयेगा, हमें उनकी मिलने की इच्छा शक्ति बहुत ही अच्छी लगी।
    महावीर बी सेमलानी जी भी तब तक नाश्ता लेकर आ चुके थे। मुलाकात का दौर शुरु हुआ परिचय के साथ, सबसे पहले परिचय सूरजप्रकाश जी ने दिया। वे अपना परिचय पहले ही करवा चुके थे एक अनूठे तरीके से, उन्होंने अपना परिचय का ब्रोशर सबको दे दिया जिसमें उन्होंने अपने साहित्यिक और ब्लॉगर जीवन में हुई उपलब्धियों को बताया है। और उन्होंने बताया कि वे अब तक लगभग ९०० लोगों को ब्लॉग लेखन के लिये प्रेरित कर चुके हैं। पाठकों के ऊपर उनका कहना है कि उन्होंने चार्ली चैपलिन नामक किताब का हिन्दी अनुवाद किया तो उसकी ५०० प्रतियां भी नहीं बिकीं पर जैसे वह प्रति ब्लॉग के माध्यम से रचनाकार पर उपलब्ध करवाई गई लगभग ६००० लोगों ने वहाँ से डाउनलोड की है, ब्लॉग के माध्यम से लेखक पूरी दुनिया से जुड़ चुका है और पाठकों की त्वरित प्रतिक्रिया भी मिल जाती है। वहीं उन्होंने प्रोज़.कॉम के बारे में भी बताया कि वहाँ ब्लॉगर ट्रांसलेटर की सेवाएँ दे सकते हैं। और बताया कि २५० से ज्यादा भाषाएँ अब यूनिकोड में उपलब्ध हैं जो कि इंटरनेट पर भाषायी क्रांति है।
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    विमल वर्मा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे ठुमरी ब्लॉग लिखते हैं और अपने मनपसंद के गाने वहाँ अपने पाठकों को सुनवाते हैं।
   अजय कुमार जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉगजगत में विमल वर्मा जी लेकर आये और वे गठरी नाम का ब्लॉग चलाते हैं। उन्हें ब्लॉग जगत के बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा और वे इसी सितंबर से ब्लॉग जगत में आये हैं।
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विमल वर्मा जी और अजय कुमार जी
   शमा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे अकेली लगभग १६ ब्लॉगों की मालकिन हैं और सामुदायिक ब्लॉग अलग। जिनमें कुछ हैं बागवानी, संस्मरण, गृहसज्जा, धरोहर, एक सवाल तुम करो…।  शमा जी ब्लॉगर मिलने के लिये मुंबई में रुकी हुई थीं, उनका शुक्रवार दोपहर को फ़ोन आया था कि वे भी इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहती हैं। सभी ब्लॉगर्स को यह जानकर प्रसन्नता हुई के वे पूना की ब्लॉगर हैं ।
    रश्मि रविजा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे भी ब्लॉग जगत में अभी सितंबर से ही हैं और अपना ब्लॉग मन का पाखी के नाम से लिख रही हैं।
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विवेक रस्तोगी, अजय कुमार जी, शशि सिंह जी और महावीर बी. सेमलानी जी
    फ़िर मैंने अपना परिचय दिया कि मेरा उपनाम कल्पतरु अपने कालेज के जमाने में रखा था अब इसी नाम से ब्लॉग लिख रहा हूँ और तब कविता लिखने का बहुत शौक था, चूँकि शुरु से ही हिन्दी और संस्कृत साहित्य से लगाव है, व आई.टी. में होने के कारण शुरु से ही हिन्दी कम्प्यूटर पर लिखने की रुचि रही, पहले डोस पर अक्षर में लिखते थे, फ़िर कृतिदेव फ़ोंट में और बहुत सारी टेक्नालाजी जो तेजी से बदलती रही अब यूनिकोड में लेखन जारी है। चिंता यह है कि सभी केवल साहित्य और अपने बारे में लिख रहे हैं, पर ब्लॉगर अपने जिस कार्य में विशिष्ट हैं और दुनिया उसके बारे में नहीं जानती है, ऐसे जानकारीपरक ब्लॉगों की बहुत कमी है, मैंने एक ब्लॉग बनाया था बैंकज्ञान, उस पर बहुत कम पाठक संख्या के चलते लिखने में रुचि नहीं बनी। इसी तरह से सभी लोग अपने अपने पेशे से संबंधित कुछ सार्थक लेख लिखें तो यह निश्चित ही शिक्षा का साधन भी बनेगा।
     चूँकि रपट लम्बी होती दिख रही है इसलिये इसका बाकी का भाग आप बाद में पढ़ सकते हैं।

20 thoughts on “मुंबई ब्लॉगर्स मीट – रपट – १

  1. ऊपर हेडिंग में जब मैं लिखा देखता हूँ " ब्लोगर मीट " तो किसी कसाई की वह दुकान मेरी आँखों के आगे तैरने लगती है, जिसमे खाल निकली एक बकरे की बौडी लटकी होती है और नीचे कसाई एक बड़े फरासे से उसकी आत्मा के टुकड़े-टुकड़े कर रहा होता है 🙂 खैर, बढ़िया प्रस्तुति रस्तोगी साहब !

  2. बड़ी बारीकियों से छोटी छोटी चीज़ों का भी वर्णन किया है…अच्छा लिखा है,आपने

  3. हाँ ये ठीक है… 🙂 फ़िर भी अभी बहुत कुछ बचा है… जब तक रसगुल्ले खत्म न हों, सुनाते रहिए…

  4. बहुत सलीके से सुन्दर विवरण दिया है.
    मेरा मुम्बई प्रवास १८.१२.२००९ से २४.१२.२००९ तक रहेगा. मिलने का मन हो तो मेरे से सम्पर्क कर सकते है. मेरा ब्लोग है –

    http://hariprasadsharma.blogspot.com/

    सम्पर्क 09001896079

  5. हाँ ये ठीक है… 🙂 फ़िर भी अभी बहुत कुछ बचा है… जब तक रसगुल्ले खत्म न हों, सुनाते रहिए…

  6. अच्छा अच्छा पूरी हो गई कैसे जी …अभी तो प्लेट के आईटम को गुल कर गए आप..रिपोर्ट पढ के मजा आ रहा है ….हम तो शुरू की किस्तों से ही आनंद उठा रहे हैं …और आगे भी उठाना है अभी
    ..जारी रहे

  7. विवेक जी, गौदियाल साहब की बात पर गौर फरमाएं।
    मुझे भी यही लगा।
    क्यों न इसे ब्लोगर मिलन कहा जाए।
    वैसे पढ़कर रस आ रहा है। जारी रखिये।

  8. बधाई ! आपने समस्त ब्लोग जगत को मुम्बई ब्लोगर मीट के बारे मे समुचीत जानकारी प्रदान की .
    हम आगे भी यही उम्मीद करते है की जल्द से जल्द एक और ब्लोगर मीट की रुप रेखा तैयार करे.

  9. हम तो लौटते समय आलोक नंदन जी के साथ इस चाल के बीच से गये थे, तीन मिनट में ही नेशनल पार्क एरिया से सीधे सडक पर पहुँच गये थे और आश्चर्य कर रहे थे कि यह रस्ता भी है जो सीधे नेशनल पार्क के काफी अंदर बस तीन मिनट में पहुँचा रहा था।
    अच्छी रिपोर्टिंग ।

  10. विवेक जी बहुत बेहतर ढंग से रिपोर्ट पेश की, पर आपके और महावीर जी के सार्थक प्रयास से ये मिलन हो पाया,भाई हमारी भी बधाई स्वीकार करें…..जो लोग नहीं आये थे उन्हें अगली बार ज़रूर इकट्ठा किया जाएगा….और एक बात, राज सिंह जी पान लेकर आये थे वो लौटते समय मुंह में धीरे धीरे धुल रहा था…आनन्द आ गया …..उम्दा मीठे पान का शुक्रिया।

  11. आप की रिपोर्ट पढ़ने के बाद लग रहा है कि हम ने न आ कर गलती की, लेकिन कोई बात नहीं हम आप की रिपोर्ट में ही सबसे मिलने का आनंद ले रहे हैं। आशा है कि ये आयोजन बार बार होगें और ब्लोगर मीट बम्बई ब्लोगर एसोसिएशन/क्लब में बदल जायेगी

  12. रिपोर्ट काफी रोचक लग रही है….
    आगे भी कुछ है देखा है…
    तो अब उसपर जाते हैं..

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