वैसे तो हम रह रहे हैं मुंबई में परंतु फ़िर भी कोई चीज लेनी होती है तो पहली कोशिश यही होती है कि उज्जैन से मँगवा लें, और अगर हम न जा पायें तो भी कोई सामान लाने की कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि हमारे उज्जैन के मित्र आते जाते रहते हैं, तो आराम से अपना सामान आ जाता है, वैसे तो मुंबई से सामान लेने में कोई परेशानी नहीं है परंतु पहली बात बस यही मन में आती है कि यहाँ हर चीज बहुत महँगी है, जबकि अपने उज्जैन में सस्ती।
बस इसीलिये अपने बेटे के लिये पहले सोच रहे थे कि अपना लेपटॉप उसे देकर अपने लिये नया लेपटॉप ले लेंगे पर फ़िर परिवार वाले और मित्रगण बोले कि यह तो बड़ी अच्छी बात है पर अभी बेटा छोटा है इसलिये लेपटॉप देना ठीक नहीं, वैसे ही वह बहुत बड़ा इंजीनियर है। क्योंकि उसके लिये कोई भी खिलौना लेकर आओ तो सबसे पहले पलटकर कितने स्क्रू लगे हैं, और वो किधर से खुल सकता है यही देखता है। तो लेपटॉप का भी तिया पाँचा कर डालेगा इससे अच्छा है कि अपना लेपटॉप अपने पास रखो और उसे नया संगणक दिलवा दो।
फ़िर हमने संगणक की पड़ताल की, कि सस्ता कौन सा पड़ेगा तो हमारे बेटे को तो केवल पढ़ाई और गेम्स के लिये संगणक चाहिये था, इसलिये हमने अपने परम मित्र अंकल चित्तरंजन से मशविरा किया, ये हमारे मित्र हैं परंतु हम इन्हें अंकल ही बोलते हैं। वे बोले कि कॉन्फ़िगरेशन मैं बता देता हूँ आप वहीं से ले लो य फ़िर यहाँ से हम भी भेज सकते हैं, यहाँ पर भाव पता किये तो जो भाव हमें उज्जैन से अंकल ने दिये थे उससे कम से कम २५% ज्यादा भाव यहाँ मिल रहा था, तो आखिरकार हमने सोचा कि अब तो उज्जैन से ही मँगवाते हैं। तो बस हमने उन्हें बोल दिया और आज हमारे बेटे के लिये नया संगणक आ गया।
कल शाम को उज्जैन से हमारे मित्र नितिन अपने परिवार के साथ मुंबई आ रहे थे तो हमने उनके साथ बुलवा लिया और यहाँ पर बोरिवली जाकर अवन्तिका एक्सप्रेस से ले लिया। घर आकर सबसे पहले हमने संगणक को खोला और दर्शन किये कि हाँ कैसा दिखता है, जल्दी ही फ़ोटू भी डालेंगे।
वैसे हम उज्जैन से आमतौर पर नमकीन, अचार इत्यादि मंगवाते ही रहते हैं। क्योंकि हमें तो बस उज्जैन की नमकीन ही अच्छी लगती है, और कभी इंदौर से कोई मित्र आ रहा होता है तो प्याज के सेंव मँगा लेते हैं। आखिरकार अपना स्वाद तो वहीं का है, तो फ़िर कुछ भी हो अपने को तो बस उज्जैन की ही चीज अच्छी लगती है।
नए संगणक की बधाई विवेक जी
इस हिन्दी ब्लॉग जगत में बहुत दिनों बाद, कोई ऐसा दिखा जो संगणक शब्द का उपयोग कर रहा 🙂
आपसी बातचीत में अपने मित्रों के बीच कहीं 'कम्प्यूटर' बोल दूँ तो वे पलट कर पूछ लेते हैं कि तबियत ठीक है ना?
बी एस पाबला
बेटे को बधाई…हम भी कनाडा में रहते हुए नमकीन के लिए उज्जैन, इन्दोर, और रतलाम पर ही सहारा लिए हुए हैं..आते जाते मित्र भर कर लिए आते हैं.. 🙂
Bahut badhiya vivekji…..Sanganak(computer) se jyada indore jyada achcha laga.
विवेक भाई,
पीसी मंगाने के बाद मेरी ताजा पोस्ट के मक्खन की तरह कहीं बिल गेट्स को ख़त तो नहीं लिख रहे हैं…
जय हिंद…
बधाई इसके लिए.
नए संगणक के लिए आपको और आपके पुत्र को बहुत बधाई !!
भैया जी, संगणक की तो बधाई।
लेकिन कहीं इस पर राज़ ठाकरे को आपत्ति न होने लगे।
देख लीजिये , मुंबई में रहते हैं आप।
संगणक की तो बधाई। बेटे को भी बधाई
वाह बन्धु वाह! सिर्फ उज्जैन और नमकीन पढकर आपके ब्लॉग पर आया! हम लोग थाईलैण्ड में रहते थे तब उज्जैन के जैन नमकीन भण्डार से सालभर के लिए नमकीन ले जाते थे. अब मुम्बई में रहते हुए उज्जैन आने-जाने वाले मित्रों को कष्ट देते रहते हैं. मालवा के सेंव, पोहे, जलेबी आदि का जवाब नहीं!
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बहुत बहुत बधाई हो विवेक जी, नये संगणक को घर लाने पर……….
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काम कि बात तो छूट गई कि पडा कित्ने का:))?