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आसुस का ऑल इन वन पीसी और ईबुक दोनों ही अच्छी लग रही हैं

    मैंने अपना पहला लेपटॉप लगभग 8 वर्ष पहले अमेरिका से मँगवाया था, फिर मुझे ऑफिस से लेपटॉप मिल गया तो हमारे लेपटॉप को बेटेलाल ने हथिया लिया और उस लेपटॉप की जो ऐसी तैसी करी है, कि उसका पहले तो कीबोर्ड तोड़ा, तभी बैटरी ने भी दम तोड़ दिया, और थोड़े दिनों बाद लेपटॉप की स्क्रीन भी मोड़ मोड़ कर उसकी स्क्रीन से भी दिखना बंद हो गया। अब वह लेपटॉप केवल डेस्कटॉप बन कर रह गया है, हमने स्क्रीन का आऊटपुट पुराने रखे मॉनिटर पर कर दिया और वायरलैस कीबोर्ड माउस अलग से दे दिया। अब लगभग एक वर्ष से हमारे बेटेलाल इसका ही उपयोग कर रहे हैं, जब हम उपयोग करते हैं तो लगता है कि अब नया ले ही लेना चाहिये, पर अब लेपटॉप नहीं डेस्कटॉप ।
    डेस्कटॉप वह भी ऐसा कि जिसमें सीपीयू न हो, केवल मॉनीटर हो और सारी सुविधाएँ जैसे कि 3.0 यू.एस.बी.,

लेपटॉप का डेस्कटॉपी जुगाड़

एच.डी.एम.आई. जिससे में अपने टीवी पर आराम से फिल्म देख सकूँ। स्कीन बड़ी हो कम से कम 21 इंच, टच सुविधा के साथ होनी चाहिये, उसमें अपने आप में ही बैटरी बैकअप हो, जिससे बिजली न होने पर कम से कम में काम तो कर सकूँगा। कैमरा हो, जिससे मैं जब भी बाहर होता हूँ तो मैं परिवार के साथ वीडियो चैट कर सकूँ, खुद में ही स्पीकर भी हों, और कीबोर्ड, माऊस अलग से लगा सकें। टच वाले सारे गेम्स खेले जा सकें और मोबाईल जैसा ही ऊँगलियों से पिक्चर कम या ज्यादा कर सकूँ। 3डी गेम्स खेल सकूँ, तो ये सब खासियत मुझे मिली

ASUS All In One PC ET2040 में, जिसमें ये सारी सुविधाएँ बेहतरीन तरीके से उपलब्ध हैं। इसकी एक खासियत यह अच्छी है कि इसमें पहली बार गैस्चर क्न्ट्रोल उपलब्ध है। तो मैं इस डेस्कटाप की स्कीन को किचन में गैस प्लैटफॉर्म के नीचे रखने की जगह बना सकता हूँ, जिससे हमारी श्रीमतीजी खाना बनाते समय किचन में भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगी, फिर वह यूट्यूब पर वीडियो देखना हो या फिर इंटरनेट सर्फ करना हो।

    जब मैं लंबे सफर पर जाता हूँ तो पढ़ने के लिये टेबलेट या किताब अपने पास रखता हूँ, पर लेपटॉप की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है, तो फिर एयरपोर्ट पर चार्जिंग के लिये प्वाईंट ढ़ूँढ़ने में अच्छी खासी मशक्कत हो जाती है, उसके लिये एक ऐसे छोटे से लेपटॉप की जरूरत महसूस होती थी जिसमें कि बैटरी बैकअप जबरदस्त हो और बिल्कुल पतला, छोटा से हो, ज्यादा  हार्डडिस्क न भी हो तो भी चलेगा। जब मैंने ASUS EeeBook X205TA देखा तो लगा वाह यही तो मैं ढ़ूँढ़ रहा था, इसमें 32 जीबी की स्टेट हार्डडिस्क है और 128 जीबी तक का बाहर से एस.डी. कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। 29.4 सेंटीमीटर की स्क्रीन लिखने के लिये बहुत होती है, और एयर क्रॉफ्ट की सीच के लिये उपयुक्त भी होती है।
    मैं जल्दी ही ASUS EeeBook X205TA and ASUS All In One PC ET2040 अपने उपयोग के लिये लेने की सोच रहा हूँ।

 

आधुनिक संचार क्रांति एवं संचार के नए आयाम, इंटरनेट, ई-मेल, डॉट कॉम (वेबसाइट) – निबंध

    प्रगति कि पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गये हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएँ, सभी आराम प्रदान करते हैं। आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम संचार क्षेत्र में उठाए गये हैं। अनेक नये स्रोत, नए साधन और नई सुविधाएँ प्राप्त कर ली गई हैं जो हमें आधुनिकता के दौर में काफ़ी ऊपर ले जाकर खड़ा करता है। ऐसे ही संचार साधनों में आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट।
    यूँ तो इसकी शुरुआत १९६९ में एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसीज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकरी संस्थाओं के लिये किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को वैसी आपात स्थिती में भी बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फ़ल हो जाएँ। १९७१ तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था। १९७२ में शुरूआत हुई ई-मेल अर्थात इलेक्ट्रोनिक मेल की जिसने संचार जगत में क्रांति ला दी।
    इंटरनेट प्रणाली में प्रॉटोकॉल एवं एफ़. टी.पी. (फ़ाईल ट्रांस्फ़र प्रॉटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट प्रयोगकर्ता किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फ़ाइलें डाउनलोड कर सकता है। १९७३ में ट्रांसमीशन कंट्रोल प्रॉटोकॉल जिसे इंटरनेट प्रॉटोकॉल को डिजाइन किया गया। १९८३ तक यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया।
    मोन्ट्रीयल के पीटर ड्यूस ने पहली बार १९८९ में मैक-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयोग किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉर्पोरेशन के बिड्स्टर क्रहले ने एक दूसरा इंडेक्सिंग सिस्सड वाइड एरिया इन्फ़ोर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फ़ॉर पार्टिकल फ़िजिक्स के बर्नर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिये एक नई तकनीक विकसित की जिसे वर्ल्ड-वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टैक्सट पर आधारित होता है जो किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेन्ट को दूसरे को जोड़ता है। यह काम हाइपर-लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर-लिंक विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफ़िक्स को कहते हैं।
    धीरे धीरे इंटरनेट के क्षेत्र में कई विकास हुए। १९९४ में नेटस्केप कॉम्यूनिकेशन और १९९५ में माइक्रोसॉफ़्ट के ब्राउजर बाजार में उपलब्ध हो गए जिससे इंटरनेट का प्रयोग काफ़ी आसान हो गया। १९९६ तक इंटरनेट की लोकप्रियता काफ़ी बढ़ गई। लगभग ४.५ करोड़ लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग करना शुरू कर दिया। इनमें सार्वाधिक संख्या अमेरिका (३ करोड़) की थी, यूरोप से ९० लाख और ६० लाख एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रों से था।
    ई-कॉम की अवधारणा काफ़ी तेजी से फ़ैलती गई। संचार माध्य के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावलियाँ जैसे ई-मेल, वेबसाईट (डॉट कॉम), वायरस आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहे। समय के साथ साथ कई समस्याएँ भी आईं जैसे Y2K वर्ष २००० में आई और उससे सॉफ़्टवेयर्स में कई तरह के बदलाव करने पड़े । कई नये वायरस समय-समय पर दुनिया के लाखों कम्प्यूटरों को प्रभावित करते रहे। इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा। भारत भी अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता रहा है।

नये प्रकार के वायरस से सावधान (Alert from new type of Virus)

अभी पिछले ५-६ दिनों से बहुत परेशान था, कोई वायरस नेटवर्क से हमारे ऑफ़िशियल लेपटॉप में घुस गया था और यह वायरस तनिक आधुनिक किस्म का था, हमने सीमेन्टिक एन्टीवायरस को अपडेट किया और फ़िर निकालने की कोशिश की। बड़ी देर लगभग सारी फ़ाईल ढूँढ़ने के बाद केवल दो फ़ाईलें इन्फ़ेक्टेड बतायीं वे हमने हटा दीं।
पर थोड़ी देर बाद ही हमारी आई.टी. टीम से फ़ोन आया कि हमारे लेपटॉप में वाईरस निवास कर रहा है तो उसे हटाना होगा, हमने बताया कि हमने यह प्रक्रिया अपनाई है, तो उन्हें उसके स्क्रीनशॉट्स भी दे दिये परंतु पता चला कि वाईरस महाशय अभी भी लेपटॉप में निवास कर रहे थे। फ़िर उन्होंने कुछ टूल्स हमारे लेपटॉप पर संस्थापित किये और उन्होंने भरपूर कोशिश की, सारी कूकीस, कैच फ़ाईल्स, टेम्परेरी इंटरनेट फ़ाईल्स भी हटा दी। परंतु कुछ भी नहीं हुआ, इसमें शक यह था कि यह वाईरस या तो स्क्रीनशॉट्स लेकर कहीं भेज रहा है या फ़िर लेपटॉप से डाटा को किसी गुप्त एफ़टीपी के जरिये कहीं भेज रहा है।
अंतत: निर्णय लिया गया कि लेपटॉप को रिईमेज किया जाये और हमें कहा गया कि अपना सारा डाटा सुरक्षित कर लीजिये, हमने फ़टाफ़ट कर लिया और अंतत: रिईमेज ही करना पड़ा। अब इस वायरस से मुक्ति पा चुके हैं, परंतु हमें यह पता चला है कि यह वाईरस तेजी से कंप्यूटरों को निशाना बना रहा है और यह वायरस नेटवर्क के जरिये फ़ैलता है।
जीटॉक ऑन था तो यह वाईरस अपने आप जितने भी संपर्क सामने स्क्रीन पर होते हैं उन्हें मैसेज अपने आप भेज देता है और मैसेज विन्डो को अपने आप बंद भी कर देता है। कहीं ना कहीं मैमोरी भी खाता ही होगा, क्योंकि हमें इसके बाद से अपना लेपटॉप धीमा होने का अहसास हुआ था।
अगर आपको भी इस प्रकार के मैसेज जीटॉक पर या कहीं और से आयें तो सावधान उस पर गलती से भी क्लिक ना करें, नहीं तो अपना सिस्टम फ़ोर्मेट करने को तैयार रहें। क्योंकि अभी तक इसका कोई एन्टी डोज नहीं आया है।
कुछ इस तरह के मैसेज यह भेजता है –

माई फ़ाई वाई फ़ाई राऊटर डाटा कार्ड के लिये बेहतरीन उत्पाद (MiFi H1 wifi Router for Data Card review – an ultimate product)

बहुत दिनों से कोई ऐसा वाई फ़ाई राऊटर ढूँढ़ रहे थे जिससे हम अपने घर की वाई फ़ाई वाले लेपटॉप और गेजेट्स को जोड़ सकें। समस्या छोटी सी थी अगर हम फ़िक्सड लाईन का उपयोग कर रहे होते तो कोई भी वाई फ़ाई राऊटर लगा कर अपनी समस्या का समाधान कर सकते थे। और जिस घर में हम रहते हैं वहाँ कोई भी फ़िक्स्ड लाईन वाला कनेक्शन नहीं था, हमने एयरटेल और बीएसएनएल सबके दरवाजे खट खटखटाये पर कुछ नहीं हुआ तो हमने अलग से बाजार से डाटा कार्ड खरीद लिया जिसमें ताला भी नहीं लगा था जी हाँ अनलॉक्ड हुवाई का डाटा कार्ड जिसमें कोई सी भी सिम लगा सकते हैं, पहले टाटा डोकोमो की ३जी सर्विसेस का उपयोग कर रहे थे, परंतु डोकोमो में नेट की रफ़्तार लगातार नहीं मिलती थी, बहुत समस्या होती थी।
wifi router for data cardwifi router
परंतु बीएसएनएल ने यह समस्या खत्म कर दी, बीएसएनएल की ३जी सेवाएँ जबरदस्त हैं, अब डाटा कार्ड से तेज गति के इंटरनेट की समस्या का समाधान तो हो गया परंतु अब डाटा कार्ड से एक समय में एक ही लेपटॉप चल पाता था और जो अन्य गेजेट्स हैं उसमें डाटा कार्ड लग नहीं सकता था, उसमें वाई फ़ाई से ही इंटरनेट का उपयोग किया जा सकता था।
तब ढूँढ़ शुरू हुई एक ऐसे वाई-फ़ाई राऊटर की जो कि डाटा कार्ड के साथ उपयोग में ला सकें, जिससे सारे गेजेट्स को भी इंटरनेट से जोड़ा जा सके। बैंगलोर की ही एक कंपनी ने ऐसा एक राऊटर बनाया था, परंतु उनके राऊटर का दाम लगभग ४,५०० रूपये था, जो कि हमें बहुत ज्यादा लग रहा था, और उसमें बैटरी भी नहीं थी, हमेशा पॉवर की जरूरत होती है।
कुछ दिनों पहले से ऑनलाईन साईटों पर इस तरह का वाई फ़ाई राऊटर की ढ़ूँढ़ शुरू की और पिछले सप्ताह ईबे पर माईफ़ाई का एच १ उत्पाद मिला, और वहाँ एक ऑक्शन चल रहा था जिसमें आखिरी ऑक्शन १६२० रूपये का था और अगला ऑक्शन हम १७२० रूपये का कर सकते थे, तो हमने ऑक्शन में बोली लगा दी १७२० रूपये की, चार घंटे बाद ही ऑक्शन खत्म होनी थी और हमारे पास ईमेल आ गया कि यह उत्पाद आपका हो गया, और ईबे से बिल भी आ गया। हमने भी फ़टाफ़ट भुगतान करने की सोची तभी याद आया कि ईबे से अभी दीवाली पर ही एक १५० रूपये का कुपन आया था, उसका भी उपयोग कर लिया जाये। इस प्रकार हमें यह वाई फ़ाई राऊटर मात्र १५७० रूपये का पड़ा ।
अब इसकी विशेषताओं की बात की जाये ।
हमने अपना डाटा कार्ड जैसे ही इस वाई फ़ाई राऊटर में लगाया १ मिनिट से भी कम समय में ऑटो डायल होकर इंटरनेट से जुड़ गया । फ़िर निर्देशिका में दिये गये ब्यौरे के अनुसार पहले तो एडमिन का पासवर्ड बदला और फ़िर वाई फ़ाई राऊटर को WEP Pass Phrase स्थापित किया। इसमें मोबाईल की तरह लीथियम बैटरी है जिसका बैटरी बैकअप ३-४ घंटे का है। घर में तो बढ़िया काम कर ही रहा है और साथ ही कहीं भी ले जा सकते हैं और कहीं भी हॉट स्पॉट के जैसा उपयोग कर सकते हैं। इसकी चार्जिंग यूएसबी से दी गई है और अलग से एसी एडॉप्टर भी लग सकते हैं। लैन / वैन के लिये भी एक RJ45 कनेक्टर भी दिया है। यह अधिकतम १५० एमबीपीएस तक की रफ़्तार तक का समर्थन देती है। इससे लगभग २० वाई फ़ाई वाले गजेट्स को जोड़ा जा सकता है।
इसका कुछ जानकारियाँ देखिये –
– Model: MIFI-H1
– Portable mini 3G WIFI Gateway USB modem
– Compatible with HSDPA/HSUPA/W-CDMA 1X/EVDO/TD-SCDMA (Work with an external 3G USB adapter)
– Supports WIFI speed rate up to 150Mbps
– Supports 3G, ADSL and dynamic IP
– Support IEEE 802.11b/g/n
– Shares a single IP address with up to 20 users
– Supports the high-speed gateway
– Simple handling and management over web interface
– Security through WEP, WPA and built-in firewall
– Powered by rechargeable 1500mAh battery
– Working time per charged: about 3~4 hours
उत्पाद बहुत बढ़िया है, इंटरनेट की रफ़्तार बराबर है, कहीं कोई समस्या नहीं है।

पासवर्ड को की-लोगर्स से कैसे बचायें… (How to safe your passwords from Key-Loggers)

पासवर्ड की कड़ी को पढ़ने के लिये यह लेख भी पढ़ें – आसानी से पासवर्ड कैसे बनायें, क्या रखें पासवर्ड (Simple Password!!, How to create Password)

kloggers की-लोगर्स शब्द शायद सबने पहले सुना होगा, की-लोगर्स एक छोटा सा गोपनीय प्रोग्राम होता है जो कि ओपरेटिंग सिस्टम शुरु होते ही अपने आप एक्टिव हो जाता है और वह ना तो ट्रे में दिखता है और ना ही टॉस्क मैनेजर में दिखता है। keyloggers लॉग देखने के लिये उसी प्रोग्राम में गोपनीय की-कॉम्बीनेशन बताना पड़ता है और उन्हीं की (keys) के संयोजन को दबाने पर की-लोगर्स अपने लॉग स्क्रीन दिखाता है। जैसे Ctrl+Shft+k, Shift+Alt+d

की-लोगर्स का उपयोग बहुत सारे लोगों द्वारा किया जाता है और अलग अलग तरीके से इसका उपयोग किया जाता है, जहाँ इसका उपयोग अच्छे कार्यों के लिये भी किया जाता है तो कहीं इसके द्वारा रिकार्ड की गई लॉग्स से दुरुपयोग भी किया जाता है।

जब भी किसी नये कंप्यूटर पर कुछ काम करें, तो सावधानी बरतें कि आप अपने ईमेल एकाऊँट में लॉगिन न करें, अपने बैंक एकाऊँट में लॉगिन न करें। जो भी पासवर्ड आप टाईप करेंगे वह की-लोगर्स में लॉग हो जायेगा और वह व्यक्ति आपकी गोपनीय  जानकारियों के बारे में जान सकता है और नुकसान भी पहुँचा सकता है, फ़िर वह व्यक्तिगत तौर पर हो या वित्तीय तौर पर, पर नुक्सान तो नुक्सान ही होता है।

Virtual Keyboard    की-लॉगर्स से बचने के लिये बैंको के लॉगिन पेज पर वर्चुअल कीबोर्ड रहता है, उसका उपयोग करें।  यहाँ पर आपको दो नये बटन (Keys) मिलेंगे होवरिंग और शफ़ल, इनका भी भरपूर उपयोग करें, कोई भले ही आपकी स्क्रीन पर नजर रखे हुए हो आपके पासवर्ड के लिये परंतु इस तकनीक का उपयोग करने से आप अपने बैंक एकाऊँट का पासवर्ड बचाने में सुरक्षित रहेंगे।

OnScreen Keyboard

वैसे ही विन्डोज में ऑन-स्क्रीन कीबोर्ड का भी उपयोग कर सकते हैं, जो कि आपको Run में OSK (OnScreen Keyboard) कमांड से मिल जाता है।

माऊस के मूवमेंट्स को की-लोगर्स पकड़ नहीं पाते हैं, इसलिये ऊपर बताये गये दोनों की-बोर्ड सुरक्षित हैं।

की-लोगर्स का उपयोग अभिभावक कर सकते हैं, कि उनके बच्चे कौन सी वेबसाईट पर जा रहे हैं, अगर उनके ईमेल का पासवर्ड उन्हें नहीं बता रखा हो तो उन पर नजर रखने के लिये उनके पासवर्ड पाने के लिये भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

आसानी से पासवर्ड कैसे बनायें, क्या रखें पासवर्ड (Simple Password!!, How to create Password)

पासवर्ड १     पासवर्ड Password आज कंप्यूटर की दुनिया में सुरक्षा का पर्याय है और यह एक ऐसे अनदेखे ताले की चाबी  है जो कि बिना शब्दों के जाल के नहीं खुल सकता है, अगर यह कूटशब्द किसी को पता चल जाये तो पता नहीं क्या क्या हो जाये। बैंकों में बड़ी बड़ी डकैतियाँ हो जायें, निजी डाटा चोरी हो जाये और भी बहुत कुछ हो सकता है। हमें पता होना चाहिये कि पासवर्ड कैसे बनायें।

    सभी लोग कंप्यूटर का उपयोग करते हैं, और वर्षों से कर रहे हैं, परंतु कभी आपने अपने  पासवर्ड पर ध्यान दिया है, यह पता होना जितना उपयोगी है उतना ही लोगों को आलस्य वाला कार्य लगता है। हम तो पासवर्ड बिल्कुल साधारण रखते हैं जिससे याद करने में भी आसानी हो और पासवर्ड अंकन करने में भी और वैसे भी कौन हमारे पासवर्ड को तोड़ना चाहेगा, हमारे पासवर्ड को तोड़ भी लिया तो क्या होगा वगैरह वगैरह।

    अगर ऊपर कहीं गईं बातें, लगे कि यह तो हमारे लिये कहा जा रहा है तो आपको तुरंत पासवर्ड बदलने की जरुरत है।

     साधारणतया: पासवर्ड क्या रखा जाता है, माता,पिता,पत्नी,पति,बच्चे का पासवर्ड ३नाम, घर के पालतू पशुओं के नाम, गाड़ी का ब्रांड या नंबर, मोबाईल नंबर फ़ोन नंबर, ईष्ट देवता देवी का नाम या पसंदीदा अभिनेता अभिनेत्री का नाम। यह सारे शब्द और नंबर ऐसे हैं जो कि हमें याद नहीं रखना पड़ते हैं, और यह हमारे जहन में हमेशा रहते हैं, तो मानव मन हमेशा ऐसे ही शब्दों से पासवर्ड बनाता है। ऐसे पासवर्डों को तोड़ना बहुत मुश्किल नहीं होता और उनके लिये तो बिल्कुल भी नहीं जो कि आपके करीबी हैं, और एक बात बता दूँ कि करीबी लोग ही सबसे ज्यादा पासवर्ड चुराने की कोशिश करते हैं, और आपकी निजी गोपनीय जानकारी को पढ़ना चाहते हैं, उसमें वे एक अलग ही तरह का आनंद महसूस करते हैं।

फ़िर पासवर्ड कैसे बनाया जाये ?

    एक अच्छा पासवर्ड कम से कम आठ 8 अक्षरों का होना चाहिये जिसमें नंबर, कैपिटल लैटर और स्पेशल अक्षरों को शामिल करना चाहिये। अगर नाम पासवर्ड में हैं तो देखिये कि कौन से अक्षर को आप स्पेशल अक्षर में बदल सकते हैं या नंबर में बदल सकते हैं, अगर नहीं हो रहा है तो पासवर्ड के पहले या आखिरी में जन्मदिन की तारीख और शिफ़्ट के साथ उसी तारीख का स्पेशल अक्षर को भी पासवर्ड में इस्तेमाल कर सकते हैं।

पासवर्ड जितना जटिल होगा उतना ही सुरक्षित होगा।

उदाहरण देखिये –

शब्द जिसका पासवर्ड बनाना है पासवर्ड
Vivek v!V9k
Praveen Pr@v99n
Abhishek @6h!sh9k
Om Namah Shivay (Zero)0Mn@m@hsh!v@7
Bangalore b@n8@l0(Zero)r9

    इस प्रकार साधारण शब्दों से भी जटिल पासवर्ड बना सकते हैं, और एक बार आप इस प्रकार के पासवर्ड का उपयोग करना शुरु करेंगे तो फ़िर यह धीरे धीरे आपको आसान लगने लगेगा।

पासवर्ड के बारे और जानकारी आगे की पोस्ट में पढ़ियेगा –

पासवर्ड को की-लोगर्स से कैसे बचायें… (How to safe your passwords from Key-Loggers)

लेपटॉप में कम्पेटिबल बैटरी याने कि असली जैसी भी उपलब्ध (Compatible Battery for Laptops)

 सोनी वायो   मेरे पास सोनी वायो का VGN-CRN506E क्रोकोडायल कवर का विशेष संस्करण का लेपटॉप है, और इसे उपयोग करते हुए मुझे लगभग ढ़ाई साल हो गये हैं। पहले बैटरी का बैकअप २-३  घंटे मिलता था, फ़िर धीरे धीरे बैटरी बैकअप कम होता गया। आखिरी बार साँस लेने के पहले करीबन १५ मिनिट का बैकअप रह गया था, फ़िर बैटरी नमस्ते हो गई। बैटरी को लेपटॉप ने डिटेक्ट करना ही बंद कर दिया।

    मुंबई में बिजली की समस्या थी ही नहीं तो बैटरी नहीं होना अखर भी नहीं रहा था। और करीबन ६-८ महीने ऐसे ही निकाल दिये अब बैंगलूरू में आये तो यहाँ बिजली रानी लुकाछिपी खेलती पाई गईं, और कुछ भी काम करो अचानक कभी भी बिजली गायब, बहुत गुस्सा आता था, और पठन लेखन का मन का जो वेग होता था वह अचानक ठंडा पड़ जाता था।

    बैटरी की बहुत सख्त जरूरत महसूस होने लगी, पर जब हमने सोनी वायो के उपभोक्ता सेवा पर पूछा कि बैटरी कितने की है, पता चला कि बैटरी लगभग 9,990 रुपये की है, तो हमनेलेपकेयर बैटरी इतने रुपये बैटरी पर खर्च न करने का फ़ैसला लिया। इससे अच्छा तो नेटबुक खरीद लेंगे जो कि 15-19 हजार रुपये में उपलब्ध है। और ऐसे ही एक दिन मन के वेग का सत्यानाश हुआ तो हम तत्काल उठ पहुँचे हायपर सिटी नेटबुक देखने के लिये और मन में यह भी था कि फ़िर यह लेपटॉप फ़ालतू हो जायेगा, घर में इलेक्ट्रॉनिक कचरा जमा करना शुरु। (घर के पास मॉल होने के यही नुक्सान हैं, कभी भी मुँह उठाओ पहुँच लो )

    नेटबुक लेनेवो की पसंद भी आ रही थी, जो कि हमारे लायक सारे काम कर सकती थी। फ़िर एकाएक हमने सेल्समैन से पूछ लिया कि बैटरी खराब हो गई तो क्या होगा, तो कहते हैं न कि बिन माँगे भगवान मिल जाते हैं, बस भगवान मिल गये, उसने कहा कि आजकल कंपेटिबल बैटरी आने लगी है तो वह बारह से चौदह सौ रुपये तक मिल जायेगी। हमारे दिमाग की बत्ती एकदम जल उठी, फ़िर हमने पूछा कि क्या हमारे सोनी वायो की बैटरी भी मिल जायेगी तो उसने झट से कहा कि हाँ वह भी मिल जायेगी एस.पी. रोड पर मार्केट के पास।

    बस फ़िर क्या था हमने जस्ट-डॉयल जस्ट डॉयल को फ़ोन किया और लेपटॉप बैटरी के डीलरों के फ़ोन  नंबर लिये और फ़ोन खटाखटाना शुरु किये, तो पता चला कि बैंगलोर में सोनी की बैटरी ही नहीं है और जो मोडल की बैटरी हमें चाहिये उसका स्टॉक ही नहीं है। २-३ जगह मिली भी तो भाव बहुत ज्यादा बताये गये, हमने उज्जैन अपने मित्र को फ़ोन करके बाजार भाव पता लगा लिया था कि 3,200 रुपये की बैटरी मिलेगी और यहाँ बैंगलोर में तो लोग लूटने में लगे हैं 4,000 रुपये से कम तो कोई मान ही नहीं रहा था। खैर जैसे तैसे हमें 3,200 रुपये की बैटरी मिल गई और साथ ही एक् वर्ष की रिप्लेसमेंट वारंटी भी ।

    कंपेटिबल बैटरी लेपकेयर  lapcare  की ली, जिस पर एक वर्ष की रिप्लेसमेंट वारंटी है और अभी यह बैटरी लगभग  दो घंटे का बैकअप दे रही है। और ओरिजिनल बैटरी लगभग ३ घंटे का बैकअप देती है और वारंटी भी एक वर्ष की है तो इस लिहाज से हम फ़ायदे में रहे। ओरिजिनल की कीमत में तो हम अगले दो वर्ष और नई कंपेटिबल बैटरी खरीद सकते हैं।

वो पोर्नसाईट का एड्रेस बता ना.. (How to open porn site ..?)

    मैं कम्प्यूटर क्षैत्र में पिछले १४ वर्षों से जुड़ा हुआ हूँ और लगभग पिछले १२ वर्षों से इंटरनेट का उपयोग कर रहा हूँ। जब हमने इंटरनेट का उपयोग करना शुरु किया था तब यह विलासिता की चीज समझी जाती थी, क्योंकि उज्जैन में डायल अप नहीं था और इंदौर से एस.टी.डी. पर डायल अप करना पड़ता था।

    मैं बहुत पहले से इंटरनेट का उपयोग कर रहा हूँ इसलिये मेरे मित्र जो कि इस क्षैत्र में नहीं थे, उन्हें लगता था कि हम कम्प्यूटर में महारथी हैं, खैर थे भी, अच्छी अच्छी समस्याओं को सुलझा देते थे, पुराने लोग अभी भी बहुत अच्छॆ से जानते हैं, और उसी के बल पर आज हम अपने कैरियर को बना पाये हैं।

    नंगी वाली साईट के कुछ वाक्ये मेरे साथ हुए, होते रहे, लोगों की माँग होती थी कि पोर्नसाईट बताओ, कि तुम कम्प्यूटर के जानकार हो तो बताओ, जैसा कि मैंने बताया है उस समय विलासिता की चीज होती थी इंटरनेट,

१.

एक सी.ए. जो कि व्यावहारिक मित्र थे, हमें अपने कार्यालय बुलाया कि कुछ काम है, हम भी पहुँच गये शाम के समय, उनके एक और मित्र बैठे हुए थे जिनके कारण शायद हमें वहाँ बुलाया गया था, उनको जानकारी थी कि नेट पर बहुत सारी पोर्नसाईट हैं पर उस पर जाते कैसे हैं, वह पता नहीं था, हमें अपनी समस्या की जानकारी दी गई। और सबसे बड़ी बात उन लोगों को कम्प्यूटर भी चलाना नहीं आता था।

हम सन्न !!, क्योंकि इस मामले में तो अपने को कोई अनुभव ही नहीं था, और याहू (उस समय इसी सर्च इंजिन का उपयोग करते थे, गूगल तो बाद में आया) पर लगे पोर्न शब्दों (sex) की बौछार करने, जो कुछ आता उन्हें साईट ओपन करके बताते जाते। और अपने ऊपर शर्मिदा भी होते जाते, खैर उन्हें भी लग गया कि पोर्न साईट खोलना कोई हँसी मजाक नहीं है। तो हमें विदा कर दिया गया और धन्यवाद दिया गया कि आपने फ़िर भी बहुत दर्शन करवा दिया।

२.

दीवाली पर उज्जैन अपने घर गये हुए थे तभी एक बहुत पुराने मित्र का फ़ोन आया, हमने सोचा दीवाली की बधाई का फ़ोन होगा, परंतु जब बात की तो पता चला कि उनको पोर्नसाईट देखनी है, और पता नहीं है कि कैसे देखते हैं।

हमने उनको बोला कि भई गूगल करो sex शब्द् को, तो बहुत कुछ मसाला मिल जायेगा, और कोई विशेष साईट का तो हमको पता नहीं है क्योंकि हमें कभी इन साईट से पाला नहीं पड़ा है। तो हमारे मित्र बिफ़र उठे अरे क्या इत्ते सालों से तुम कम्प्यूटर में हो और इतना भी नहीं पता है, तो हमने उनको समझाने की कोशिश की, यहाँ बहुत सारी विधाएँ होती हैं, और पोर्नसाईट भी एक विधा है, जिसमें हम पारंगत नहीं हैं। यहाँ हमारे मित्र को हमें गूगल की स्पैलिंग भी बताना पड़ी।

खैर अपना काम न बनते देख हमारे मित्र ने अपनी मित्रता वाले अच्छे अच्छे उच्चारणों से नवाजा, अब ठहरे लंगोटिया यार तो हम कुछ बोल भी नहीं सकते।

    वाकये तो और भी हुए परंतु सभी को लिखना थोड़ा ठीक नहीं होगा, ये दो मुझे याद आये तो लिख दिये, क्योंकि पहली और आखिरी घटना कभी भूले से नहीं भूलती।

    जो लोग कम्प्यूटर का उपयोग नहीं जानते हैं, और मानवीय मन है जो विपरीत लिंग के आकर्षण में बंधा होता है। जब वे बारबार मीडिया में इस बात को पढ़ते हैं कि नेट पर बहुत पोर्न साईट हैं और सबकुछ आलू जैसा मिल रहा है। तो बस उनके मन की जिज्ञासा बड़ना स्वाभाविक हैं, और वे शर्म के कारण हर किसी से पूछ नहीं सकते, तो जो बहुत करीबी मित्र होते हैं, उनसे ही पूछने की हिम्मत कर पाते हैं।

    फ़िर सबकी अपनी अपनी रुचि होती है, और पोर्नसाईट का कोई हमसे आज भी पूछे तो हम किसी साईट का नाम नहीं बता सकते, लगता है कि एक दो साईट का पता करना ही होगा नहीं तो मित्रों द्वारा ऐसे ही गलियाते रहेंगे।

आज हमारे बेटे के लिये नया संगणक (PC) आ गया, आज तक केवल नमकीन, अचार ही उज्जैन से मंगाते थे पर आज संगणक भी वहीं से मँगवा लिया।

वैसे तो हम रह रहे हैं मुंबई में परंतु फ़िर भी कोई चीज लेनी होती है तो पहली कोशिश यही होती है कि उज्जैन से मँगवा लें, और अगर हम न जा पायें तो भी कोई सामान लाने की कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि हमारे उज्जैन के मित्र आते जाते रहते हैं, तो आराम से अपना सामान आ जाता है, वैसे तो मुंबई से सामान लेने में कोई परेशानी नहीं है परंतु पहली बात बस यही मन में आती है कि यहाँ हर चीज बहुत महँगी है, जबकि अपने उज्जैन में सस्ती।

बस इसीलिये अपने बेटे के लिये पहले सोच रहे थे कि अपना लेपटॉप उसे देकर अपने लिये नया लेपटॉप ले लेंगे पर फ़िर परिवार वाले और मित्रगण बोले कि यह तो बड़ी अच्छी बात है पर अभी बेटा छोटा है इसलिये लेपटॉप देना ठीक नहीं, वैसे ही वह बहुत बड़ा इंजीनियर है। क्योंकि उसके लिये कोई भी खिलौना लेकर आओ तो सबसे पहले पलटकर कितने स्क्रू लगे हैं, और वो किधर से खुल सकता है यही देखता है। तो लेपटॉप का भी तिया पाँचा कर डालेगा इससे अच्छा है कि अपना लेपटॉप अपने पास रखो और उसे नया संगणक दिलवा दो।

फ़िर हमने संगणक की पड़ताल की, कि सस्ता कौन सा पड़ेगा तो हमारे बेटे को तो केवल पढ़ाई और गेम्स के लिये संगणक चाहिये था, इसलिये हमने अपने परम मित्र अंकल चित्तरंजन से मशविरा किया, ये हमारे मित्र हैं परंतु हम इन्हें अंकल ही बोलते हैं। वे बोले कि कॉन्फ़िगरेशन मैं बता देता हूँ आप वहीं से ले लो य फ़िर यहाँ से हम भी भेज सकते हैं, यहाँ पर भाव पता किये तो जो भाव हमें उज्जैन से अंकल ने दिये थे उससे कम से कम २५% ज्यादा भाव यहाँ मिल रहा था, तो आखिरकार हमने सोचा कि अब तो उज्जैन से ही मँगवाते हैं। तो बस हमने उन्हें बोल दिया और आज हमारे बेटे के लिये नया संगणक आ गया।

कल शाम को उज्जैन से हमारे मित्र नितिन अपने परिवार के साथ मुंबई आ रहे थे तो हमने उनके साथ बुलवा लिया और यहाँ पर बोरिवली जाकर अवन्तिका एक्सप्रेस से ले लिया। घर आकर सबसे पहले हमने संगणक को खोला और दर्शन किये कि हाँ कैसा दिखता है, जल्दी ही फ़ोटू भी डालेंगे।

वैसे हम उज्जैन से आमतौर पर नमकीन, अचार इत्यादि मंगवाते ही रहते हैं। क्योंकि हमें तो बस उज्जैन की नमकीन ही अच्छी लगती है, और कभी इंदौर से कोई मित्र आ रहा होता है तो प्याज के सेंव मँगा लेते हैं। आखिरकार अपना स्वाद तो वहीं का है, तो फ़िर कुछ भी हो अपने को तो बस उज्जैन की ही चीज अच्छी लगती है।

कम्प्यूटर पर पासवर्ड कैसे छुपाएँ, कीबोर्ड से लिखते समय । कोई देख नहीं पाये कि आप अपने मोनिटर पर क्या कर रहें और क्या सर्फ़िंग कर रहे हैं और ताऊ….

कम्प्यूटर पर पासवर्ड कैसे छुपाएँ, कीबोर्ड से लिखते समय ।

कोई देख नहीं पाये कि आप अपने मोनिटर पर क्या कर रहें और क्या सर्फ़िंग कर रहे हैं।

और ये सबसे उम्दा….

और ये सब ताऊ से देखते न बना और आँखें बंद कर लीं –