चैन्नई मरीना बीच पैदल ही नाप दिया…

    अभी परसों की ही बात है शाम को जरा जल्दी होटल आ गये तो सोचा चलो मरीना बीच ही घूम आते हैं, अपने होटल पर रेसेप्शन पर पूछा कि मरीना बीच किधर है और कितनी दूर है, तो जबाब मिला यहाँ से सीधा रोड मरीना बीच को ही जाता है, पर लगभग ३ किलोमीटर है, हमने कहा फ़िर तो पैदल ही जा सकते हैं, तो रेसेप्शनिस्ट हमारा मुँह देखने लगा कि इतनी दूर पैदल ही जा रहे हैं। हमने कहा अरे भई हमें आदत है हम निकल लेंगे पैदल ही।

    पैदल ही निकल लिये और पैदल जाने का एक और मकसद था कि कोई और खाने के लिये अच्छा सा रेस्त्रां मिल जाये, तो हमें फ़िर पास में ही सरवाना भवन मिल गया जो कि शायद चैन्नई का सबसे बड़ा उनका रेस्त्रां है। खैर करीबन आधे घंटे में हम मरीना बीच पहुंच गये, इतना बड़ा और लंबा मरीना बीच हम बहुत दिनों बाद देख रहे थे, मुंबई में तो जुहु बीच बहुत ही छोटा लगता है इसके सामने।

    समुद्र का पानी हमारे पास हिलोरे मारता हुआ आ रहा था, और हम भी रेत में नंगे पैर अपने सेंडल हाथ में लिये घूम रहे थे, बहुत मजा आ रहा था, ठंडी हवा थी, और लहरों का शोर।

    बहुत सारे स्टाल लगे हुए थे जिसमें कुछ पर मुंबई चाट और कुछ पर चैन्नई चाट लिखा था, पर हमारा वहाँ कुछ खाने का मन नहीं था तो वापिस हम चल दिये अमरावती रेस्त्रां के लिये, जहाँ फ़िर हमने वही आन्ध्रा स्टाईल चावल की थाली खाई। कुछ भी कहिये मन नहीं भरा वह थाली खाकर, अभी फ़िर खाने की तमन्ना है।

    अब किसी दिन फ़ुरसत से शाम के समय मरीना बीच जायेंगे और फ़िर शाम के समय के दीदार की बातें बतायेंगे।

7 thoughts on “चैन्नई मरीना बीच पैदल ही नाप दिया…

  1. विवेक भाई,
    सुना है चेन्नै में शिवाजीराव गायकवाड़ को भगवान की तरह पूजा जाता है…चक्कर में पड़ गए न कौन
    शिवाजी गायकवाड़…भाईजी वो हैं अपने रजनीकांत…बस कंडक्टर से सुपरस्टार तक का सफर पूरा करने के बाद अब राजनीति की नाव पर सवार होने के लिए तैयार…विवेक भाई वहां रजनीकांत के लिए लोगों की दीवानगी का पता लगाकर एक पोस्ट ज़रूर लिखिएगा…

    जय हिंद…

  2. मुझे अपनी यात्रा याद आ गयी -पहली बार समुद्र वही देखा था -आप राजनीति की पदयात्राओं का वहीं लगे हाथ पूर्वाभ्यास कर डालिए

  3. बहुत सुंदर यात्रा, तीन किलो मीटर गाये ओर फ़िर वापिस तो वीच पर फ़िर कितना घुमे सब मिला कर १०, १२ किलो मीटर वाह वाह भूख खुब लगी होगी ओर नींद भी खुब आई होगी
    आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामना

  4. @राज जी,
    बहुत भूख लगी थी, क्योंकि बहुत दिनों बाद नंगे पैर भी चले थे, और नंगे पैर चलने का सुकुन ही कुछ और होता है, फ़िर दबा के सरवाना भवन में पंजाबी थाली खायी।

Leave a Reply to खुशदीप सहगल Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *