@ सभी ब्लॉगर्स (जिन्होंने टिप्पणी दी है और नहीं भी दी है, जिन्होंने पिछले पोस्ट के शेर के फ़ोटो देखे हैं या नहीं देखे हैं ) , नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग – ये तो सब मीडिया का पब्लिसिटी स्टंट है। कुछ नहीं होने वाला है, जो मार रहा है उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है और जो मर रहा है वो तो मर ही रहा है। हम और आप केवल शीर्षक में १४११ जोड़कर उनका मजाक ही उड़ा रहे हैं, और मीडिया पब्लिसिटी के बहकावे में आ जाते हैं। क्या है हमारी जिम्मेदारी, जिनकी जिम्मेदारी है वो लोग बाघ को बचाने के लिये कितनी जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं मतलब सरकार और उसके मुलाजिम।
हम और आप लोग कैसे इस १४११ पर लेख, आलेख, निबंध लिखकर बाघों को बचा लेंगे, क्या बाघ इन आलेखों को पढ़ने आयेगा, नहीं भई बाघ नहीं आने वाला है, ये तो सरेआम केवल एक शोशेबाजी हो रही है, कि किसी भी चीज को कैसे हाईप दिया जाता है, जबरदस्त तरीके से कैम्पेनिंग कैसे किया जाता है ये तो इन मीडिया और राजनीतिक पार्टियों से पूछें।
बेचारे स्कूल वाले तो १४११ बाघ को बचाओ के नाम पर बच्चों से क्या क्या नहीं करवायेंगे। परंतु वो बच्चे और वे स्कूल वालों का क्या कोई संबंध है, इन बाघों को बचाने में, नहीं, बिल्कुल भी नहीं।
जब कोई भी चीज खत्म होने की अग्रसर होती है तब किसी को कोई चिंता नहीं होती है, सब बहुत ही लापरवाही से लेते हैं, और जब खत्म होने को आ जाती है जैसे कि ताजा उदाहरण १४११ बाघ बचे हैं, तब सब लोग चिल्लाते हैं, जैसे जनता जिम्मेदार है इस सबके लिये, अरे हर पाँच साल में जो हमारे दरवाजे पर वोट की भीख माँगने आता है, उसको हम क्यों भीख देने के लिये उदार हो जाते हैं, जब वो सरकार में रहकर अच्छे से काम ही नहीं कर रहा है। ये लोग कभी खत्म नहीं होंगे ये तो अमरबेल जैसे बड़ते ही चले जायेगे इन लोगों की संख्या हरपल १४११ बड़ती रहेगी। पर इन बाघों का क्या..
देखिये बुद्धूबक्से पर नायक, नायिकाएँ, खिलाड़ी और विशिष्ट लोग ओह माफ़ कीजियेगा अतिविशिष्ट लोग १४११ बाघ को बचाने के लिये टीशर्ट पहने कर डॉयलाग मार रहे हैं, कि मैं कितना महान प्रयास कर रहा हूँ, आप भी इस महान प्रयास में मेरा साथ दें, अरे इन लोगों ने कभी ये भी जानने की कोशिश की है कि ये १४११ बाघ रहते कहाँ हैं, और क्यों इनकी संख्या १४११ रह गई है।
क्या हम इन १४११ बाघों के ऊपर लिखने से, बोलने से इन १४११ बाघों को बचाने में सफ़ल होंगे और इनकी संख्या बड़ा पायेंगे क्या गारंटी है कि हम इन १४११ बाघों को भी बचा पायेंगे, थोड़े सालों बाद फ़िर मीडिया केवल राग अलापेगा कि बाघ प्रजाति लुप्त हो गई और इन १४११ बाघों की कहानी बन जायेगी। कि आमजन ने क्या क्या नहीं किया था इन १४११ बाघों के लिये…
सोचिये और बताईये क्या हम १४११ बाघों के लिये क्या वाकई कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो इनकी रक्षा करे…?
"सही लिखा आपने विवेकजी,हमारी दुआए बाघों के साथ है……"
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
सही में अब १४११ हैं भी कि १४१० बचे, कौन जाने…
ईमेल से प्राप्त संजीव वर्मा सलिल जी की टिप्पणी –
"नहीं जानता बाघ यह, आदम कितना घाघ.
स्वार्थ साधता नित्य ही, हर मर्यादा लांघ.. "
क्या विडम्बना है ………. इंसान बाघों से बचे … या बाघ इंसानों से ………
NICE
विवेक जी , बाघों कों लेकर आप की चिंता की मै कद्र करता हू. और मै आपके समर्थन में हू. रही बात बाघों कि तो यह चिंता की बात है बाघ अब कुछ गिनती के ही बचे है. उनके प्रजनन की और सरकार एवं वन विभाग कों खासा ध्यान देना चाहिए. तभी सख्या में बढोतरी होगी. अगर उनकी प्रजनन सुरक्षा बढाई जाए तो एक साल में उनकी सख्याओ में २० प्रतिशत का इजाफा संभव है.
सही आवाज़.
बच सकते है यह सब बाघ, सिर्फ़ कानून सख्त हो, जो भी इन जगंली जानवरो का शिकार करे उसे जंगल मे खडा कर के गोली मार दी जाये…. बस ओर कोई तरीका नही… बाकी सब बकवास है, अब चहे वो काले हिरन का शिकारी हो या वाघ का, चाहे नेता हो या अभिनेता या आम चोर सब के लिये एक कानून… डीशू…….
बात तो आप सही कह रहे हैं भाई जी।
इसलिए हम तो खाली हाँ में हाँ मिला रहे हैं।
सच कह रहे हैं अप मीडिया हाईप से शायद कुछ naheen होने वाला है
१४११ बाघों के लिये मैं भी बनियान पहन कर बोलने को तैयार बैठा हूं…कोई आए तो सही
मदारियों और जमूरों के देश में ड्रामा हमेशा से होता रहा है, एक ये भी चालू हो गया.
पहले बेटियां बचाओ, इंसान बचाओ, इंसानियत बचाओ तब शेर भालू बचाने की फिक्र करो.
अब टीवी पर आने लगा विज्ञापन, और शुरू हो गईं प्रतियोगिताएं तो हम भी चालू हो गए. अभी पूछा जाए कि जिस बाघ की संख्या पर चर्चा हो रही है उस प्रजाति का नाम क्या है तो सब बगलें झांकेंगे.
मुद्दे पर काम कोई नहीं चाहता बस ड्रामा करवा लो.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
Bahut bhadiya post likhi hai aapne.
Saadar