पिछले महीने हम तिरुपति बालाजी दर्शन करके आये थे तो बालाजी को अपने बाल दे आये थे, और तब से हमने सोचा कि अब बस ऐसे ही रहेंगे मतलब गंजे याने कि टकले। पहले कुछ अजीब सा लगा पर अब सब साधारण सा लगने लगा है।
जब हम वापिस मुंबई आये और अपने पास वाले ए.सी. सैलून में गये और बोले कि जरा हेड क्लीन शेव कर दीजिये पहले तो सैलून वाला हमें प्रश्न भरी दृष्टि से देखता रहा फ़िर वापिस से उसने पूछा कि क्या करना है तो हम शुद्ध हिन्दी में बोले “टकली करनी है, याने कि हेड क्लीन शेव”।
वो अपना सिर खुजाते हुए अपने सैलून के मालिक से मुखतिब हुआ और आँखों में ही उससे पूछा कि क्या अजीब ग्राहक है और कैसे इन भाईसाहब की टकली करुँ। तो वह खुद आ गया और फ़िर हमारे सिर पर पहले तो पानी का स्प्रे किया और फ़िर जिलेट का फ़ोम हाथ में लेकर पूरे सिर पर लगा दिया और फ़िर उस्तरे में नया आधा ब्लेड लगाकर पूरे सिर की शेव करना शुरु कर दिया, एक बार और यही प्रक्रिया दोहराई गई, फ़िर आफ़्टर शेव लगाया तो थोड़ी से जलन हुई पर अच्छा लगा। उसी समय हमारी ही बगल में एक मोटे से थुलथुल से नौजवान जो कि लगभग ४० वर्ष के होंगे, हमारे टकलापुराण को देख रहे थे और अपनी भैया वाली भाषा में बोले भाई साहब आपको देखकर हमें भी इन्सपीरेशन मिल रही है कि कम बाल होने पर बालों को सँवारने से अच्छा है कि उन्हें गायब ही कर दिया जाये।
कोई जान पहचान वाला मिले तो वो पूछते ही रह जायें “आल इज वेल”, तो हम कहते कि जी हाँ आल इज वेल, यह तो हमारी नयी हेयर स्टाईल है। तो अब तक हम तीन बार सैलून पर टकलापुराण करवा चुके हैं और गंजे होने के फ़ायदे पर विश्लेषण बता रहे हैं –
- १. १. रोज सुबह उठने के बाद १० मिनिट की बचत, क्योंकि जब सोकर उठते हैं तो हमेशा बाल बेतरतीब ही रहते थे और सुबह की सैर पर जाने के पहले बाल धोकर फ़िर सुखाकर अच्छे से कंघी करना पड़ते थे।
२.
- २. २. नहाते समय शैम्पू की बचत और नहाने के बाद बाल सुखाने का समय, तेल की बचत और कंघी न करना। इन सबका समय हुआ लगभग १५ मिनिट।
- .३ ३. फ़िर दिनभर २-४ बार कंघी करना और बालों के प्रति चिंतित रहना कि कैसे हो रहे हैं, लगभग १० मिनिट की बचत।
- ४. ४. शाम को घर पहुँचकर वापिस से बालों को सँवारने का समय लगभग ५ मिनिट।
- ५. ५. हर १५-२० दिन में बालों को रंग करना क्योंकि बाल सफ़ेद हो गये हैं, बचत लगभग १ घंटा ।
तो तो आप ही बताईये कुल मिलाकर अगर टकले रहकर ४० मिनिट की बचत होती है तो कैसा है, आप भी इस बात पर ध्यान दीजिये और अपने अनुभव बताईये।
आप हमें चिढा रहे हैं या बता रहे हैं?? वैसे अभी तक तो मेरी शादी भी नहीं हुई है, आपकी हो गई है इसीलिए ऐसा लिख रहे हैं.. 🙁
और पता भी नहीं चलता कि मुंह कहां तक धोना है
टकले से कोई पंगा नही लेता जी, बगल से निकल जते है लोग,
एलर्जी का हमला कम होता है टकले को, मेरे सर पर बाल तो बहुत होते है, लेकिन मै उन्हे ३ मिली मीटर से ज्यादा नही बढने देता
गिरीश जी की बात को मानें तो टकल होने से साबुन का खर्चा बढ़ जायेगा। पता ही न चलेगा कहां तक लगायें।
अब बचत-वचत के बारे मे तो नही जानता मगर आपको ये नया हेयर स्टाईल सूट कर रहा है।सालों पुराने शाकाल की याद ताज़ा कर दी आपने।हा हा हा हा हा।भगवान बालाजी के दर्शन के बाद हम भी टकले हुये थे,देखते हैं अब कब बुलाते है गोविंदा।
ब्लॉगिंग से गुस्सा हो कर बीबी बाल भी खींच सकती है, वो बचत बोनस में. 🙂
इस टकला पुराण में यह भी तो जोड़िए-
बीबी /प्रेमिका को अधर सुख देने का एक विस्तृत मैदान मिला जाता है .
नगई लुच्चई करने पर बाल खीचे जाने का खतरा नहीं है -जैसे ब्रितानी स्किन हेड्स गुंडे मव्वाली
खेल के मैदान में बालीबाल आदि की अच्छी पुशिंग आदि आदि ….
कई लडकियां भी इस स्टाईल को पसंद करती हैं -रायशुमारी भी करा सकते हैं!
बहुत अच्छा, अब ये जो समय बच रहा हैं इससे बच्चो के साथ बिताएं
और साथ में अपनी टकली पर तबला भी बजवाये, आनंद हो
मजा आ गया
inspiration to mila lekin PD ki baat se jyada sehmat hu 😉
baat to badhiya hi lagi magar kyaa karen bhooton ke baal to lahraate hi acchhe lagte hain….afsos…..!!
कम बालों के लिए एक गंवई कहावत है .. थोडे तेल में चिकन चाकन, गर्दन मोटा होय, पकड सके ना कोई .. तकले होने पर तो फायदे दुगुने हो जाएंगे !!
अब तो शीघ्र ही यह फैशन हो जायेगा ।
ये फैशन तो यहाँ कनाडा में आलरेडी आकर अब जा रहा है……
are sahab bina doosra paksh dekhe yani parinaam dekhe ye puraan kaise poora hoga.. zara sardiyon me poochhiye bechare takle ka kya haal hota hai.. 🙂