ऑनसाईट जाने की खुशी, परिवार की April 9, 2010Uncategorizedईमेल, बोल वचनVivek Rastogi Share this... Facebook Pinterest Twitter Linkedin Whatsapp
हा हा हा इसमें कोई बुराई नहीं है जी ऐसा इलाहाबाद में भी होता था २० साल पहले 🙂 अगर कोई उच्च शिक्षा के लिएय विधेश जा रहा हो तो परिवार वाले पूरी शहर में पम्पलेट बाट देते थे 🙂 अब भी होता है क्या ऐसा ? Reply
खुशियाँ प्रकट करने का अपना अपना तरीका है और सम्मान योग्य है ! कौन सी ख़ुशी किसको कितना आनंदित करेगी इसे व्यक्ति विशेष ही समझ सकता है ! बढ़िया पोस्ट ! Reply
मसला समझ नहीं आया!
अगर आप सॉफ़्टवेयर कंपनी में होते तो शायद एकदम समझ जाते 🙂
विवेक जी मेरे भी कुछ पल्ले नहीं पड़ा कुछ स्पस्ट करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
.).)
हा हा हा
इसमें कोई बुराई नहीं है जी
ऐसा इलाहाबाद में भी होता था २० साल पहले 🙂
अगर कोई उच्च शिक्षा के लिएय विधेश जा रहा हो तो परिवार वाले पूरी शहर में पम्पलेट बाट देते थे 🙂
अब भी होता है क्या ऐसा ?
खुशियाँ प्रकट करने का अपना अपना तरीका है और सम्मान योग्य है ! कौन सी ख़ुशी किसको कितना आनंदित करेगी इसे व्यक्ति विशेष ही समझ सकता है !
बढ़िया पोस्ट !