ठीक इसी पोज़ में हमने भी फोटो खिंचवाई थी, कंधे पर फ़ुटबाल रखकर… तब हम स्नातक कर रहे थे. 🙂 पर बचपने की इच्छा पूरी करने का समय तभी मिला….जीवन की भागम-भाग में कभी फुटबाल खेलने का भी समय नहीं मिला.
पहलवान जी नमस्कार, भाई थोडी कसरत करो , ओर वजन ऊठाओ डोले ओर बडे हो, ओर खुब खेलो फ़ुट्बाल, ओर पहली फ़ोटो मे हाथ थोडे पीछे होते तो तुमहारे डोले ओर भी ज्यादा चमकते, शावशा यार नाम तो बताया नही तुम ने… पहलवान जी?
नन्द से स्वामी नित्या नंद ही हमें याद आते हैं…….
हाँ याद आया हम भी तो नंद न हैं……
पता नहीं हम क्या करेंगे. 🙂
ठीक इसी पोज़ में हमने भी फोटो खिंचवाई थी, कंधे पर फ़ुटबाल रखकर…
तब हम स्नातक कर रहे थे. 🙂
पर बचपने की इच्छा पूरी करने का समय तभी मिला….जीवन की भागम-भाग में कभी फुटबाल खेलने का भी समय नहीं मिला.
छोटे पहलवान सीरियस लग रहे हैं ।
बहुत बढ़िया. डोल्ले-शोल्ले यूं ही बना कर रखने चाहिये 🙂
ये तो पक्के पहलवान लग रहे हैं -आशीष !
पहलवानों की पहलवानी बनी रहे
सुभ आशीष
यशस्वी और भीमवत हों,आपके चिरंजीवी को हमारी शुभकामनायें.
छोटे पहलवान कि क्या बात है.. और ये किताब का अन्ग्रेजी वर्जन हमारे पास है – the autobiography of a yogi..
वही किताब है न?
@पंकजी जी – बिल्कुल यह वही किताब है । अब हम तो ठहर हिन्दी वाले ना 🙂
पहलवान जी नमस्कार, भाई थोडी कसरत करो , ओर वजन ऊठाओ डोले ओर बडे हो, ओर खुब खेलो फ़ुट्बाल, ओर पहली फ़ोटो मे हाथ थोडे पीछे होते तो तुमहारे डोले ओर भी ज्यादा चमकते, शावशा यार नाम तो बताया नही तुम ने… पहलवान जी?
पहलवान साब को ढेर सारा आशिष।विवेक भाई पहलवान को फ़ुटबाल के साथ-साथ बास्केट-बाल भी खेलने दें अच्छा खेल है और इसमे कसरत भी भरपुर होती है।
पूत के पाँव तो पालने में ही नज़र आते है.. स्पोर्ट्स मैन बनेगा.. 🙂
छोटे पहलवान सीरियस लग रहे हैं ।