२ सेव और ३ सेव कितना होता है ५ सेव, और दूसरा अध्यापक उनको शिक्षा देता है ४ केला और १ केला ५ केला होता है, अभी दोनों गणित सिखा रहे हैं, दोनों में कोई अंतर है, तो एक कहेगा नहीं कोई अंतर नहीं है, दोनों बराबर सिखा रहे हैं, दूसरा कहेगा नहीं बहुत बड़ा अंतर है ये तो सेव है, और ये तो केला है। तो केला और सेव को लेकर झगड़ा शुरु !!! और मूल सिद्धांत जो गणित सीखना है वो रह गया । तो उसी प्रकार भक्ति में भी कई बार मूल सिद्धांत को छोड़कर किस प्रकार से उस गणित को समझाना है इस मसले को लेकर मतभेद उत्पन्न हो जाता है। तो इसीलिये सर्वप्रथम दृष्टि यह है कि दूसरों में दोष देखना ।
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सही कहा सर जी , दूसरों में दोष देखना
एक आग्रह भी है कि आपका ब्लॉग पहले तो खुलता ही नहीं खुलता भी है तो बहुत देर से , कुछ उपाय करे !
देखिये जर क्रोम में बराबर खुलता है। नहीं तो फ़िर तकनीकी रुप से कुछ फ़ेरबदल करते हैं।
बड़ी बात बड़े सरल शब्दों में । वाह ।
इ गणित तो मेरी समझ में कभी न आयी.
बिल्कुल सटीक बात कही आपने!!
क्या कह दिया है तुमने ओ हमनाम !