वो पितृत्व का मेरा अहसास, अनमोल पल मेरी जिंदगी का…

    हरेक पिता के जीवन में पहला पल ऐसा आता है जो कि पिता को पितृत्व का अहसास दिलाता है और वो होता है बच्चे का परिवार में आगमन। क्या आपको याद नहीं आता ?

    मेरे जीवन का वो पल पितृत्व का मैं कभी भूल नहीं सकता, सुबह दस बजे का समय था, मेरी श्रीमती जी आपरेशन थियेटर में थीं, प्राकृतिक प्रसव नहीं था हमें दोनों याने कि जच्चा और बच्चा की चिंता थी।

    थोड़ी देर बाद ही डॉक्टर साहब दौड़े हुए खुद खबर देने आये और गले लगकर बधाई दी “जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है”, वो पल मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पल बन गया। उस पल मैं पिता बन चुका था और अचानक ही अपने आप बड़े होने का अहसास होने लगा था, कि अब मैं बाप बन चुका हूँ। अचानक ही जिम्मेदारी का अहसास होने लगा था, कि अभी तक मैं केवल पत्नी की ही जिम्मेदारी थी अब ब्च्चे की भी है। मैंने डॉक्टर से एक बार भी यह नहीं पूछा कि लड़का है या लड़की, लिंग का कोई माइना नहीं होता पिता के लिये, पिता के लिये तो बच्चा एक अनमोल रतन होता है।

    उस पल मेरे आँखों में अचानक ही आँसू आ गये और लगा कि पूरी दुनिया में पटाखे फ़ूट रहे हैं, मेरी खुशी के लिये। मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था, और अपनी खुशी को व्यक्त भी नहीं कर पा रहा था।

    थोड़ी देर बाद जब मेरे पापा मम्मी आये तो मैंने उन्हें बताया कि “पापा मैं पापा बन गया”, और अश्रुधारा थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। जिंदगी में इतनी खुशी और पितृत्व का अहसास पहली बार था।

    जिंदगी के उस अनमोल पल को मैं कभी नहीं भुला सकता, आखिर मेरे “पितृत्व” का पल था वह ।

11 thoughts on “वो पितृत्व का मेरा अहसास, अनमोल पल मेरी जिंदगी का…

  1. यार रस्तोगी साहब, बड़े ही भावुक दिल के इंसान हो आप तो 🙂 खैर, छोडिये मजाक कर रहा था , यादे ताजा करने के लिए आपका शुक्रिया !

  2. पितृत्व के अहसास को बहुत सुन्दर ढंग से शब्दों में बाँधा है…जीवंत हो गया वह क्षण हमारे सामने भी.

  3. आप ने बिलकुल सही लिखा… ऎसा ही होता है, मेरे पहले बच्चे के लिये मेरी बीबी तीन दिन तडफ़ती रही थी, मै ऊपर से तो उसे होस्स्ला देता था लेकिन अंदर से डरा हुआ था, ओर जब बाप बना ओर सब ठीक रहा तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था, फ़िर दुसरी बार सब कुछ सही हुया

  4. पंकज उपाध्याय जी की टिप्पणी

    " I am thinking about my father… I can feel the feeling of fatherhood though I am not a father yet .. its such a lovely feeling na.. to see your creation as you have written some piece of code or you have written some nice poem.. "

  5. जिंदगी के उस अनमोल पल को मैं कभी नहीं भुला सकता, आखिर मेरे “पितृत्व” का पल था वह .. मातृत्‍व का ऐसा ही सुखद अहसास मुझे भी हो चुका है .. अपनी भावनाओं को शब्‍दों में बखूबी अभिव्‍यक्ति दी है आपने !!

  6. विवेक जी बिलकुल यही भाव मेरे थे ….यादों के वातायन में ले गए मुझको आप !

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