Monthly Archives: May 2010

जब बेटा अपने माता पिता को अपने साथ गाँव से शहर ले जाने की जिद करता है, तो पिता के शब्द अपने बेटे के लिये – डॉ. राम कुमार त्रिपाठी कृत “शिखंडी का युद्ध” कहानी “वानप्रस्थ”

पिछले दिनों जब हम उज्जैन प्रवास पर थे तब हमने डॉ. राम कुमार त्रिपाठी कृत “शिखंडी का युद्ध” पढ़ी थी जिसकी एक कहानी “वानप्रस्थ” से ये कुछ शब्दजाल बहुत ही अच्छे लगे। और मन को छू गये।
जब बेटा अपने माता पिता को अपने साथ गाँव से शहर ले जाने की जिद करता है, तो पिता के शब्द अपने बेटे के लिये –
थोड़ी देर बाद माँ के आंसू कम हुए तो बोली, ’बेटे, तुम्हें कैसे समझाऊँ अपने भीतर की बात। तुम्हारे पिताजी ही तुम्हें अच्छी तरह समझा सकते हैं। उनकी बातें तो पूरी तरह से मैं नहीं समझती, लेकिन इतनी जरुर समझती हूँ कि तुमसे वे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, मुझ से कहीं अधिक क्योंकि वे हमेशा मुझे समझाते रहते हैं कि
“अगर हम लोगों का लगाया हुआ वृक्ष आज इतना बड़ा हो गया है कि अपना फ़ल खिलाकर अनेकों को तृप्त कर सकता है, अपनी छाया में अनेकों को विश्राम दे सकता है, तो क्या हम लोगों को उस पेड़ से चिपके रहना चाहिये ? कदापि नहीं ? उचित तो यही होगा कि हर क्षण हर घड़ी उसकी रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिये ताकि उसकी डाली पर किसी दुष्ट की कुल्हाड़ी न चले और उसकी छाया घट न जाए। हम लोग तो अब चौथेपन में आ चुके हैं। अभी का जीवन वानप्रस्थ की तरह व्यतीत करना चाहिए था, अत: जंगल न सही घर ही में रहना है, किंतु एकाकी। अपने लगाये पेड़ से दूर। उसकी छाया से दूर ताकि जीवन के अंतिम क्षणों में उसकी हल्की छाया भी कल्पतरु की छाया लगे, हल्का स्पर्श भी अमृत-सा लगे और उसकी तना का रंचमात्र आलिंगन भी अनंत ब्रह्मांड का आलिंगन बन जाये।”

मुंबई ब्लॉगर्स मीट २५ अप्रैल २०१० – सबकुछ एक ही किश्त में, सबकी शिकायत के मद्देनजर.

मुंबई ब्लॉगर्स मीट हुई थी पिछले रविवार २५ अप्रैल २०१० को पर विवरण हम आज लिख पा रहे हैं, वैसे तो विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, जादू जी और हम अपनी एक तुरत फ़ुरत पोस्ट तो लिख ही चुके थे।
ब्लॉगर्स मीटिंग शाम ४ से ७ बजे तक एक स्कूल में रखी गई थी, और मीटिंग को ऊर्जावान बनाने का काम किया था विभा रानी जी, बोधिसत्व जी और आभा जी ने।
हम बिल्कुल ३.४५ दोपहर को अपने घर से निकले क्योंकि जहाँ मीटिंग थी वहाँ का रास्ता केवल हमारे लिये १० मिनिट का था, जब हम ब्लॉगर मीटिंग स्थल पर पहुँचे तो पाया कि जैसे ही हम ऑटो से उतर रहे हैं, विमल कुमार जी अपनी बाईक खड़ी करके हेलमेट उतार रहे थे और वही पहचान गये अरे भई क्या हालचाल हैं, पिछली मुंबई ब्लॉगर्स मीट में विमल कुमार जी से हमारी पहली मुलाकात हुई थी।
फ़िर मुलाकात हुई विभा रानी जी से और उनकी बिटिया कोशी से, कोशी भी ब्लॉगर हैं। विभा रानी जी से हमारा पहली बार परिचय हुआ, विमल कुमार जी ने बताया कि आपके ब्लॉग छम्मकछल्लोकहिस को अभी अवार्ड मिला है। हमने उन्हें बधाई दी।
इतने में ही बोधिसत्व जी और आभा जी भी आ गये, फ़िर हम बोधिसत्व जी और विमल कुमार जी थोड़ा पास ही घूमने चल दिये, तो आप दोनों के इलाहबादी किस्से सुनकर हम चकित हो रहे थे और मन ही मन उनके किस्से सुनकर आनंद भी आ रहा था, और कभी ऐसा लगा ही नहीं कि हम पहली या दूसरी बार मिल रहे हैं।
जब तक हम पहुँचे वापिस स्कूल की कक्षा में जहाँ कि ब्लॉगर्स मीट होनी निश्चित थी, तब तक अनिल रघुराज जी भी आ चुके थे, अनिल रघुराज जी से भी हमारी पहली मुलाकात थी। तभी बोधिसत्व जी के पास फ़ोन आया अभय तिवारी जी का, बस थोड़ी देर में ही अभय तिवारी जी भी आ गये। फ़िर आये अनिता कुमार जी और घुघुती बासुती जी, वैसे तो अनिता कुमार जी से चैट होती रहती है पर साक्षात दर्शन पाकर अच्छा लगा। इतने में रश्मि रविजा जी भी आ गईं, फ़िर आज राज सिंह जी और फ़िर ब्लॉगर फ़ैमिली जी हाँ यूनुस खान, ममता और जादू जी।
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विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी
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विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी
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विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी, अनिल रघुराज जी, अनीता कुमार जी
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अनिल रघुराज जी, अनीता कुमार जी
परिचय का दौर शुरु हुआ, विभा रानी जी ने अपना परिचय दिया उन्होंने बताया कि उनका एक ब्लॉग है बच्चों की कविताओं का जो कि हमें भी बहुत अच्छा लगा।
फ़िर परिचय हुआ हमारा याने कि विवेक रस्तोगी कल्पतरु का तो हमने बताया कि कुछ आध्यात्म पर लिखते हैं और कुछ वित्तीय और कुछ हल्के फ़ुल्के चिठ्ठे।
आभा मिश्रा जी ने अपने ब्लॉग अपना घर के बारे में बताया कि जो भी कुछ लिखने को होता है वह इस ब्लॉग पर लिखती हैं।
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आभा मिश्रा जी
रश्मि रविजा जी ने बताया कि वे दो ब्लॉग लिखती हैं जिसमें एक कहानियों के लिये समर्पित है और दूसरे पर जो भी इच्छा होती है लिखती हैं।
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घुघुती बासुती जी ने अपने ब्लॉग का परिचय दिया और बताया कि कैसे अपने मानस स्तर के लोगों से मेलजोल हुआ। ब्लॉग जगत में आकर सामाजिक वर्जनाओं के बीच अपनी पहचान बनाकर आज वे बहुत खुश हैं, आज उनको लोग उनके खुद की वजह से जानते हैं जो कि केवल उनकी अपनी पहचान हैं, और लोग मिलने के लिये ढूँढ़ते हुए घर तक पहुँच जाते हैं। घुघुती बासुती जी ने फ़ोटो लेने का मना कर दिया था तो हमने उनकी इच्छा का पूरा सम्मान किया और आशा है कि पूरा ब्लॉगजगत इस सम्मान को बनाये रखेगा।
अनीता कुमार जी ने अपने ब्लॉग लेखन की शुरुआत अपने एक लेख से की थी जो लिखा तो किसी के कहने पर था पर उन्हें वह लेख पसंद नहीं आया तो अपना ब्लॉग बनाकर उन्होंने पोस्ट बना दी।
फ़िर यूनुस खान जी के ब्लॉग से आजकल वे वाद्ययंत्रों के बारे में सीख रही हैं, और उन्हीं के कारण गानों में ज्यादा रुचि जागृत हुई, कि गानों के साथ कौन से साज बज रहे हैं ये भी जानने को और सीखने को मिला।
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राज सिंह जी
राज सिंह जी अपना ब्लॉग चलाते हैं राजसिंहासन और वे एक फ़िल्म बना रहे हैं जो कि अगले २६ जनवरी को प्रदर्शित करने की इच्छा रखते हैं, आपने अपनी फ़िल्म के बारे में जानकारियाँ दी।
अनिल रघुराज जी ने अपने ब्लॉग के बारे में बताया और अपने नये वित्तीय हिन्दी पोर्टल अर्थकाम.कॉम [… क्योंकि जानकारी ही पैसा है!] के बारे में बताया कि भारत में धन का उपयोग कैसे करना है उसके जागृति नहीं है और वे अपना योगदान राष्ट्र को इस पोर्टल के माध्यम से दे रहे हैं।
ममता जी ने जादू और अपना परिचय दिया कि वे जादू के साथ इतनी व्यस्त रहती हैं कि जादू का ब्लॉग ही अब उनका ब्लॉग हो चला है, पर फ़िर भी कोशिश रहती है कि अपने ब्लॉग पर कुछ न कुछ पोस्ट करती रहें और नियमित रहें।
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जादू जी, ममता जी
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राज सिंह जी, अनिल रघुराज जी, जादू जी, ममता जी
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यूनुस खान जी, विमल कुमार जी
यूनुस खान जी ने अपने ब्लॉग के बारे में बताया रेडियोवाणी संगीत को समर्पित उनका ब्लॉग है और अभी हाल ही में तीन वर्ष पूर्ण किये हैं और अब वे वाद्ययंत्रों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
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अभय तिवारी जी और यूनुस खान जी
अभय तिवारी जी और बोधिसत्व जी ने अपने परिचय में ब्लॉग से संबंधित जानकारी दी और साथ में खानपान का दौर भी चलता रहा।
विमल कुमार जी ने बताया कि जो गाना उन्हें लगता है कि इस गाने में कुछ विशेष है या यह गाना सबको सुनाना चाहिये बस अपने ब्लॉग के माध्यम से सुना देते हैं।
वैसे तो रश्मि रविजा जी [मुंबई ब्लॉगर्स मिले कुछ ऐसे, बहुत पुरानी पहचान हो जैसे], अनीता कुमार जी [ ब्लोगर मीट और आलसीराम], जादू जी[‘जादू’ की पहली ब्‍लॉगर्स-मीट ] और विभा रानी जी [ मुंबई ब्लॉगर्स मीट- बोलती तस्वीरें!] ने मुंबई ब्लॉगर मीट पर विस्तार से चर्चा कर दी है उस विस्तार से चर्चा करना मेरे लिये अब मुश्किल हो रहा है क्योंकि समय ज्यादा बीत चुका है और बिल्कुल गजनी स्टाईल में अपने को शार्ट टर्म मेमोरी लोस हो गया है।
पंकज उपाध्याय जी और महावीर सेमलानी जी से हमारी बात हुई थी परंतु आप दोनों ब्लॉगर्स मुंबई के बाहर थे। नीरज गोस्वामी जी से क्षमा चाहेंगे कि हम जान बूझकर नहीं भूले थे, पर ये सबक था हमारे लिये कि अब नहीं भूलेंगे। देवकुमार झा जी आपका भी स्वागत है, मुंबई ब्लॉगर बिरादरी में, आगे से ध्यान रखेंगे । सतीश पंचम जी का जौनपुर जाने का कार्यक्रम निश्चित था, इसलिये वे भी सम्मिलित नहीं हो पाये।
और अंत में एक बात पहली बार हमने बिना किस्त के ये इतनी लंबी पोस्ट लगाई है, सब टिप्पणी पढ़कर हाँफ़ रहे हों परंतु आशा है कि  फ़ोटो देखकर सबकी थकान मिट गई होगी।

उज्जैन की प्रसिद्ध चीजों के बारे में, हमारे मित्र “बल्लू” का एस.एम.एस

हमारे प्रिय मित्र ने एक एस.एम.एस. भेजा था जिसमें उज्जैन की वो लगभग सारी चीजें हैं जिससे हरेक उज्जैनवासी का लगाव हो न हो पर हमारे मित्र मंडल का लगाव बहुत है आप भी पढ़िये उज्जैन की प्रसिद्ध चीजों के बारे में, और यकीन मानिये अगर आप उज्जैन में रहते हैं और नीचे लिखी एक भी चीज को नहीं जानते हैं तो निकल पड़ें, और ढूँढें, और सूचि को पूरा करें –

हमारे मित्र बल्लू का एस.एम.एस. बल्लू हम मित्र को प्यार से बोलते हैं ।

वो महाकालेश्वर का मंदिर
वो टेकड़ी की चढ़ाई
वो भोलागुरु के गुलाबजामुन
वो टॉप एन टाऊन की आईसक्रीम
वो क्षीरसागर स्टेडियम के मैच
वो विक्रमवाटिका की हरियाली
वो जैन की कचौरी
वो पेटिस लक्ष्मी बेकरी वाला
वो नरेन्द्र टाकीज की मूवीज
वो श्री की फ़ेक्टरी
वो शहनाई की शादियाँ
वो गंगा बेकरी के पेस्ट्री
वो बस स्टैंड का पोहा
वो मद्रासी का डोसा
वो आनंद की चाट
वो ओम विलास का समोसा
वो इस्कॉन की रौनक
वो सर्राफ़े की गलियाँ
वो ऐरोड्रम का सन्नाटा
वो राजकुमार की दाल
वो मामा की दुकान का पान
वो बल्लू की दोस्ती
यही सब तो है हमारे उज्जैन की शान