बारबार मेरे स्वप्न में
वही नदी क्यों आती है
जो मुझे बुलाती है
कहती है कि आओ जैसे तुम पहले
मेरे पास आकर बैठते थे
वैसे ही पाँव डालकर बैठो,
अब तो तुम
समुंदर के पास हो
है बहुत विशाल
पर मुझे बताओ
कि कितनी बार उसने तुम्हें
अपने पास बैठने दिया
जैसे मैंने ??
यह रचना बहुत खूबसूरत लगी. नयी सोच से जन्मी – बहुत बढ़िया. खिंच कर आ गया
वाह!
गज़ब भई….अब तो किताब निकालने की तैयारी की जाये!!
खूबसूरत,भावप्रवण कविता ,बधाई
वही नदी उन्मुक्तता की, आनन्द की मेरे घर से भी बह कर गयी थी। आपको मिल जाये तो वापस आ जाने का संदेश दे दीजियेगा।
सुन्दर रचना.
nadi hi saagar tak le jati hai, us chhuan ko jo machalte pairon se us tak pahunchti hai, tabhi to nadi bulati hai , sapne mein bhi wo lamha de jati hai
अच्छा है भाई …..
behad gahan bhaav……………behad sundar prastuti.
इसका प्रतीकात्मक अर्थ आपको एक ही शखस बता सकता है -अनुराग शर्मा -स्मार्ट इन्डियन !
नदी बताती है …समंदर के गुरुर को …
नदी है एक ईकाई , अपने आप में विशिष्ट …
समंदर में कितनी नदियों का संगम …
इसलिए ही नदी बुलाती होगी सपने में …!