तुम कहाँ कहाँ से आती हो
कभी मेरे लेपटॉप के कीबोर्ड से
कभी मेरे उदात्त्त मन से
कभी दुखभरे दिल से
कभी उमंग भरे मन से
कभी मेरी अलमारी के अंदर से
कभी मेरे तकिये के नीचे से
कभी मेरे बेटे के जबां से
कभी बारिश की बूँदों से
कभी ठंडे पानी से नहाते हुए
कभी सोते समय कभी उठते समय
कभी डोर से उतरती हुई
कभी डोर से चढ़ती हुई
पर जब तुम आती हो
तो ऐ “कविता”
सबके होश उड़ाती आती हो।
ये भी आई और होश उड़ा गई!!
जहां से भी आती है ,अच्छी लगती है ।
कितना चाहती है आपको, हर जगह आ जाती है। वाह।
वाकई होश उड़ा देती है……….
सच होश उडा दिये।
विवेक जी, बहुत मासूम सवाल है।
………….
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
बड़े-बड़े ब्लॉगर छक गये इस बार।
यह कोई रचना तो नही होगी, जरुर सुंदर सी कविता होगी 🙂 बहुत सुंदर लगा आप का ऎसे लिखना
ये कविता कौन हैं? 😀
घुघूती बासूती