आज सुबह घूमने के दौरान कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं, घूमते हुए एक वृद्ध सज्जन के पास से निकले तो उनके जेब में रखे मोबाईल से गाना बज रहा था “मधुबन में राधिका नाचे रे, गिरधर की मुरलिया बाजे रे…”, हमें अपने घर की याद आ गई, क्योंकि हमारे पापा और मम्मी जी को भी यह गाना बहुत पसंद है, और मुझे भी, शास्त्रीय संगीत पर आधारित (मेरे ज्ञान के अनुसार) गाना लाजबाब है।
कोहिनूर (1960) फ़िल्म के इस गाने का लुत्फ़ उठाईये –
मेरा भी पसंदीदा!!
बहुत बढ़िया क्लासिकल सोंग है ।
अपनी पसंद का भी ।
बहुत सुन्दर गीत है।
शुक्रिया सर…ये गाना बहुत अच्छा लगता है मुझे..सुबह सुबह ये गाना सुन दिल खुश हो गया 🙂
सचमुच लाजवाब करने वाला गीत है, सुनवाने का शुक्रिया।
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पाँच मुँह वाले नाग देखा है?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
इस तरह के सुंदर भाव वाले गीत अब कम ही सुनने को मिलते हैं।