प्रात:भ्रमण के दौरान “मधुबन में राधिका नाचे रे, गिरधर की मुरलिया बाजे रे…”

    आज सुबह घूमने के दौरान कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं, घूमते हुए एक वृद्ध सज्जन के पास से निकले तो उनके जेब में रखे मोबाईल से गाना बज रहा था “मधुबन में राधिका नाचे रे, गिरधर की मुरलिया बाजे रे…”, हमें अपने घर की याद आ गई, क्योंकि हमारे पापा और मम्मी जी को भी यह गाना बहुत पसंद है, और मुझे भी, शास्त्रीय संगीत पर आधारित (मेरे ज्ञान के अनुसार) गाना लाजबाब है।

कोहिनूर (1960) फ़िल्म के इस  गाने का लुत्फ़ उठाईये –

6 thoughts on “प्रात:भ्रमण के दौरान “मधुबन में राधिका नाचे रे, गिरधर की मुरलिया बाजे रे…”

  1. शुक्रिया सर…ये गाना बहुत अच्छा लगता है मुझे..सुबह सुबह ये गाना सुन दिल खुश हो गया 🙂

Leave a Reply to सतीश पंचम Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *