जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे.. मेरी पसंद… विवेक रस्तोगी

पिछली पोस्ट पर “यादों के मौसम” का “तुझसे बिछुड़कर जिंदा है, जान बहुत शर्मिंदा है” ये गीत सुनवाया था, तब श्री पंकज सुबीर जी ने “जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे..” की फ़रमाईश की तो आज सुनिये यह गाना –

6 thoughts on “जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे.. मेरी पसंद… विवेक रस्तोगी

  1. वाह यार मजा आ गया……….बड़े दिन बाद सुना ..पिछला गाना नहीं सुना था…वो भी सुन लिया। धन्यवाद

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