देखना है रक्त की विजय !!! … मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

विषादित जीवन

विषादों से ग्रसित जीवन,

रुधिर के थक्के

जीवन में जमते हुए,

खुली हवा की घुटन,

थक्के के पीछे

नलियों में, धमनियों में,

धक्के मारता हुआ

रुधिर,

थक्के के

निकलने का इंतजार,

खौलता हुआ रक्त,

और

विषादित जीवनमंच,

रेखाएँ खिंचती हुई

हटती हुईं,

जाल बुनता हुआ,

गहराता हुआ,

ठहरा सा

गुमसुम रक्त शिराओं में,

विषादों से लड़ता हुआ,

देखना है

रक्त की विजय !!!

6 thoughts on “देखना है रक्त की विजय !!! … मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

  1. काफी खूबसूरत प्रतिमानों का इस्तेमाल दिखा कविता में.. रक्त और थक्के को जीवन और उसकी उलझनों से जोड़ना सुन्दर प्रयोग लगा.. आभार और बधाई.

  2. .
    गुमसुम रक्त शिराओं में,

    विषादों से लड़ता हुआ,

    देखना है

    रक्त की विजय !!

    वाह !…क्या लिखते है आप !…अद्भुत !
    .

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