कॉलेज में दाखिला लिया था, और कुछ ही दिनों में पता चला कि एन.सी.सी या एन.एस.एस. में से कुछ एक लेना होता है, शुरु से ही हमें सेना अपनी ओर आकर्षित करती थी, बस तो यही आकर्षण हमें एन.सी.सी. की ओर खींचकर ले गया।
अपना नाम हमने एन.सी.सी (नेशनल कैडेट कोर) में लिखवाया और फ़िर हमारे एन.सी.सी. वाले सर ने एन.सी.सी. रुम में बुलाया कि अपनी एन.सी.सी. की ड्रेस ले जाओ, हम भी पहुँच गये एन.सी.सी. रुम में अपने नाप की ड्रेस लेने के लिये। वहाँ जाकर देखा तो पता चला कि लड़कों की भीड़ टूटी पड़ी है। समझ ही नहीं आ रहा था कि इतनी भीड़ में कैसे अपने नाप के कपड़ों का चुनाव करें।
लोहे की अलमारियों में से नई पैंट और शर्ट रखी हुई थीं, जिन पर साईज भी केवल एस, एम और एल लिखा हुआ था, समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन से साईज का कपड़ा अपने को सही आयेगा। फ़िर थोड़ा सा बेशरम बनकर वहीं पर शर्ट और पैंट पहनकर देख ही लिये, फ़िर नई जुराबें और मिलिट्री वाले एंकल शूज, टोपी और कुछ एसेसरीज।
एंकल शूज के नीचे तले में घोड़े की नाल लगवानी थी, जिससे कदमताल अच्छा होता था और जूते घिस भी नहीं पाते थे। जब ये शूज पहनकर चलते थे तो खटखट की अलग ही आवाज होती थी।
कॉलेज के मैदान में सप्ताह में दो बार परेड होती थी, गुरुवार और शुक्रवार शाम ४ बजे से ६ बजे तक। चार बजे पहुँचने के बाद सबसे पहले हाजिरी होती थी, फ़िर एन.सी.सी. गीत (हम सब भारतीय हैं) और फ़िर मैदान के ५-६ चक्कर हवलदार दौड़वाते थे, कसम से ५-६ चक्कर में दम निकल जाता था और फ़िर उसके बाद ड्रिल या कुछ और ट्रेनिंग।
इंतजार होता था शाम छ: बजे का, जब परेड का समापन होता था तब मिलता था नाश्ता दो समोसे या कचोरी और मिठाई के पीस। कभी वहीं खा लेते थे तो कभी अपने साथ रखकर घर पर लाकर आराम से खाते थे।
एन.सी.सी. की वर्दी पहनने से ऐसा लगता था कि मैं भारत माता का सिपाही हूँ और मेरा जन्म सार्थक हो गया और अपने आप पर गर्व महसूस होता।
तो आप एन सी सी कैडेट भी रह चुके हैं क्या बात है -हैट्स आफ !
हमारे ज़माने में एन सी सी में दाखिला लेना जरूरी होता था…स्कूल के आखरी सालों और कालेज के शुरू के सालों में खूब परेड की है और थ्री नॉट थ्री रायफल से निशाने साधे हैं…वो भी क्या दिन थे…वाह.
नीरज
हमें कभी मौका नहीं मिला की एन सी सी के कैडेट बने…:(
आपकी ये लाइन छु गयी..
"एन.सी.सी. की वर्दी पहनने से ऐसा लगता था कि मैं भारत माता का सिपाही हूँ और मेरा जन्म सार्थक हो गया और अपने आप पर गर्व महसूस होता।"
हम भी गुजरे है इस एन सी सी से ओर फ़िर होम गार्ड से भी, बहुत सुंदर यादे जुडी है इन सब से, बहुत अच्छा लगा यह सब यादे आप की कलम से पढ कर धन्यवाद
हमने भी ज्वाइन किया था, अपने दिन याद आ गये।