अर..रे आओ ना ! क्यों इतनी दूरी तुमने बना रखी है… मेरी कविता .. विवेक रस्तोगी

अर..रे

आओ ना ! क्यों इतनी दूरी तुमने बना रखी है.

 

हाँ तुम्हें पाने के लिये बहुत जतन करना पड़ेंगे

हाँ बहुत श्रम करना पड़ेंगे

करेंगे ना !

 

तुम्हें पाने के लिये दुनिया जहान से लड़ना पड़ेगा

शायद युद्ध भी करना पड़ेगा

करेंगे ना !

 

लड़ेंगे मरेंगे पर तुम्हें पाकर ही रहेंगे

तुम कितनी भी दूरी बनाओ, हम पास आकर ही रहेंगे..

15 thoughts on “अर..रे आओ ना ! क्यों इतनी दूरी तुमने बना रखी है… मेरी कविता .. विवेक रस्तोगी

  1. होंगे कामयाब…
    होंगे कामयाब…

    एक दिन

    ओहो मन में है विश्वास…. पूरा है विश्वास
    हम होंगे कामयाब एक दिन.

    (और कुछ लिखें की इत्ता काफ़ी है विवेक भाई)

  2. न न …कुछ मत करिये यूँ ही आ जायेंगे टहलते हुए किसी दिन..कल्पनाओं के वॄक्ष पर भी…कोई गीत गाने…

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