गुस्सा होना स्वाभाविक है, जब आपको तत्काल कहीं जाना हो और टिकट न मिले, तो तत्काल का सहारा लेते हैं, रेल्वे ने यह सुविधा आईआरसीटीसी के द्वारा भी दे रखी है, परंतु ८ बजे सुबह जैसे ही तत्काल आरक्षण खुलता है वैसे ही इस वेबसाईट की बैंड बज जाती है, सर्विस अन- अवेलेबल का मैसेज इनकी वेबसाईट पर मुँह चिढ़ाने लगता है।
कई बार तो बैंक से कई बार पैमेन्ट हो जाने के बाद भी टिकट नहीं मिल पाता है क्योंकि पैमेन्ट गेटवे से वापिस साईट पर आने पर ट्राफ़िक ही इतना होता है कि टिकट हो ही नहीं पाता है, वैसे अगर टिकट नहीं हुआ और बैंक से पैसे कट गये तो १-२ दिन में पैसे वापिस आ जाते हैं, परंतु समस्या यह है कि ऑनलाईन टिकट मिलना बहुत ही मुश्किल होता है।
सुबह ८ बजे से ८.४५ – ९.०० बजे तक तो वेबसाईट पर इतना ट्राफ़िक होता है कि टिकट तभी हो सकता है जब आपकी किस्मत बुलंद हो। वैसे आज किस्मत हमारी भी बुलंद थी जो टिकट हो गया वरना तो हमेशा से खराब है, इसके लिये पहले भी जाने कितनी बार रेल्वे को कोस चुके हैं।
करीबन २ महीने पहले से एजेन्टों के लिये व्यवस्था शुरु की गई कि वे लोग जिस दिन तत्काल खुलता है उस दिन ९ बजे से टिकट करवा सकेंगे याने कि सुबह ८ से ९ बजे तक केवल आमजनता ही करवा पायेगी, परंतु इनकी इतनी मिलीभगत है कि जब सीजन होता है तब इनके सर्वर ही डाऊन हो जाते हैं, न घर बैठे आप साईट से टिकट कर सकते हैं और न ही टिकट खिड़की से, पर जैसे ही ९ बजते हैं, स्थिती सुधर जाती है, ये सब धांधली नहीं तो और क्या है।
टिकट खिडकी पर जाकर टिकट करवाना मतलब कि अपने ३-४ घंटे स्वाहा करना। सुबह ४ बजे से लाईन में लगो, तब भी गारंटी नहीं है कि टिकट कन्फ़र्म मिल ही जायेगा, लोग तो रात से ही अपना बिस्तर लेकर टिकट खिड़की पर नंबर के लिये लग जाते हैं, और टिकट खिड़की वाला बाबू अपने मनमर्जी से टिकट करेगा, उसका प्रिंटर बंद है तो परेशानी, उसके पास खुल्ले न हो तो और परेशानी, जब तक कि पहले वाले यात्री को रवाना नहीं करेगा, अगले यात्री की आरक्षण पर्ची नहीं लेगा, और जब तक कि ये सब नाटक होगा, बेचारा अगला यात्री उसको कोसता रहेगा क्योंकि तब तक उसे कन्फ़र्म टिकट नहीं वेटिंग का टिकट मिलेगा।
क्या इतना बड़ा सरकारी तंत्र रेल्वे अपना आई.टी. इंफ़्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं कर सकता है, या उसके जानकारों की कमी है रेल्वे के पास, तो रेल्वे आऊटसोर्स कर ले, कम से कम अच्छी सुविधा तो मिल पायेगी।
जिन गाडियों में भीड हुआ करती हैं .. उसमें सामान्य या तत्काल कोई भी टिकट लेना बहुत मुश्किल हो जाता है .. जैसा कि सुनने में आया है .. 8 बजे से 9 बजे के मध्य एजेंटों को भी सर्विस नहीं मिल पाती .. तत्काल के टिकट सिर्फ काउंटर पर ही मिल सकते है !!
६० साल तो हो गए सुधार करते करते पर भारतीय रेल वही के वहीँ हैं ढांक के पांत ही साबित हो रही है…. आभार
टिकट की इतनी माँग IRCTC का सर्वर भी नहीं झेल पाता है।
भईया मैंने तो कई बार झेला है IRCTC को और तत्काल में टिकेट कटवाने के झंझट को..सुबह के ८.१५ बजते बजते तत्काल कोटा खत्म हो जाता है और वेटिंग शुरू हो जाती है.
और IRCTC से तत्काल का टिकट कटवाना तो भूल ही जाईये…मैं तो अब कभी IRCTC के भरोसे बैठता ही नहीं….
सर्विस अन- अवेलेबल के मेसेज से तो अब अपनी पहचान सी हो गयी है…जब भी जरुरत हो और रेलवे पोर्टल लोगिन करता हूँ तो यही मेसेज से अपना स्वागत होता है…
सही में कभी कभी बहुत ज्यादा गुस्सा आता है इन सब चीज़ पे…
कभी तत्काल टिकट का तो अनुभव नहीं है लेकिन आरक्षण तो आईआरसीटीसी से ही कराती हूँ। मुझे तो कोई तकलीफ नहीं हुई। इतना आराम लग रहा है कि घर बैठे ही फटाफट आरक्षण हो जाता है।
जा चुके है सब और वही खामोशी छायी है,
पसरा है हर ओर सन्नाटा, तन्हाई मुस्कुराई है,
छूट चुकी है रेल ,
चंद लम्हों की तो बात थी,
क्या रौनक थी यहॉं,
जैसे सजी कोई महफिल खास थी,
अजनबी थे चेहरे सारे,
फिर भी उनसे मुलाक़ात थी,
भेजी थी किसी ने अपनाइयत,
सलाम मे वो क्या बात थी,
एक पल थे आप जैसे क़ौसर,
अब बची अकेली रात थी,
चलो अब लौट चलें यहॉं से,
छूट चुकी है रेल
ये अब गुज़री बात थी,
उङते काग़ज़, करते बयान्,
इनकी भी किसी से
दो पल पहले मुलाक़ात थी,
बढ़ चले क़दम,
कनारे उन पटरियों
कहानी जिनके रोज़ ये साथ थी,
फिर आएगी दूजी रेल,
फिर चीरेगी ये सन्नाटा
जैसे जिन्दगी से फिर मुलाक़ात थी,
फिर लौटेंगे और,
भारी क़दमों से,जैसे
कोई गहरी सी बात थी,
छूट चुकी है रेल,
अब सिर्फ काली स्याहा रात थी |
I ho
अरे यह कया सिस्टम की टिकट कही ओर भ्गतान कही ओर… यह क्योनही ऎसा करते कि पहले टिकट ओ कॆ करो फ़िर भुगतान करो, बस फ़िर आप को मेल से टिकट आ जाये, हमारे यहां तो यही सिस्टम है, हां सुबह सुबह शायद ट्रेफ़िक ज्यादा होता होगा तो इन्हे ज्यादा लिंक देने चाहिये या बडा सर्वर लगाना चाहिये,
मुझे इन का लिंक चाहिये, मै यहां से ट्राई कर के देखता हुं
http://www.irctc.co.in/
कुछ समय पहले आईआरसीटीसी के मुख्यालय में छापा पड़ा था और रेल्वे ने कई काम उससे छीन लिए । जैसा की इस देश का नियम है भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं होती।दलाल से पीछा छुड़ाने यह सिस्टम बनाया गया था अब दोहरी दलाली( आईआरसीटीसी और दलाल) दें तो कन्फ़र्म टिकट मिलेगा ।
कुछ लोगों का कहना है की विदेशों में इंटरनेट के स्पीड ज्यादा होने से वहाँ लोग जल्दी पहुँच जाते हैं और दलालों ने विदेशों में अपने आदमी बैठा रखे हैं ।
राज जी अपना अनुभव बताइएगा