पानी याने कि जल हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, पानी अगर समाज में सौहार्द और समृद्धि लाता है तो उसके उलट याने कि पानी न होने की दशा में पानी समाज का सौहार्द बिगाड़ता भी है और रही बात समृद्धि की तो बिना सौहार्द किसी समाज में समृद्धि नहीं आ सकती।
जीवित प्राणियों की संख्या धरती पर दिनबदिन बड़ती ही जा रही है और साथ ही पानी की खपत भी, हम पानी की खपत करने में हमेशा से आगे रहे हैं परंतु पानी को बचाने में या पानी को कैसे पैदा किया जाये उसके लिये प्रयत्नशील नहीं हैं। अगर हम लोग इस दिशा में प्रयत्नशील नहीं हुए तो जिस भयावह स्थिती का सामना करना पड़ेगा वह कोई सोच भी न पायेगा।
आज अगर लूट भौतिकतावादी वस्तुओं की है जो कि विलासिता की श्रेणी में आती हैं, अगर हम लोग पानी को बचाने में सफ़ल नहीं हुए तो पानी भी जल्दी ही विलासिता की श्रेणी में शुमार हो जायेगा। सब कहते हैं, नारा लगाते हैं “जल ही जीवन है”, “जल बिन सब सून”, “जल अनमोल है”। परंतु उपयोग करते समय शायद यह सब भूल जाते हैं और अपने अहम को संतुष्ट करने के लिये पानी का दुरुपयोग करते हैं।
अपनी इच्छाशक्ति की कमी के चलते हुए ही हम पानी के दुरुपयोग को रोक नहीं पा रहे हैं, अगर आज भी ईमानदारी से जल के क्षरण को रोक लें । प्रण करें कि जितना पानी हम रोज उपयोग कर रहे हैं, उसे अनमोल मानते हुए बचायें और पूरे समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। जितना पानी का उपयोग आज कर रहे हैं, कोशिश करें कि उसका आधा पानी में ही अपनी सारी गतिविधियों को समाप्त कर लिया जाये।
नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब पानी के लिये तरसना होगा और ये पानी की टंकियां और पानी के पाईप हमारी धरोहर होंगी, हमारी आगे की पीढ़ियाँ पानी के उपयोग से वंचित हों। आज हमारे लिये उस भयावह स्थिती का अंदाजा लगाना बहुत ही कठिन है, क्योंकि हमारे पास पानी है। उस समय हो सकता है कि पानी केवल आर्थिक रुप से संपन्न लोगों की बपौती बनकर रह जाये और वे पानी को बेचकर उसके बल पर ही आर्थिक रुप से संपन्न हों, जैसे रेगिस्तान में पानी के कुओं से पानी बिकता है वैसे ही इस शहरी सभ्यता में भी पानी बिकने लगे। जो कि मानव सभ्यता के लिये बहुत बड़ा सदमा होगा।
कुछ न पूछिये हाहाकार शुरू हो गया है !
बहुत जरुरी संदेश.
On the lighter side:
हमने तो खुद भी इस दिशा में योगदान शुरु कर दिया है. सोडा मिलाने लगे पानी के बदले. रोज शाम समझो दो गिलास पानी का योगदान है.
जागरुक नागरिक का कर्तव्य निभा रहे हैं और क्या!
दूरदर्शिता की कमी के करण ये हाल है .. बढिया संदेश दिया आपने !!
बहुत हे सामयिक पोस्ट है
बात एकदम सही है लेकिन चेतना नहीं जग रही है.
बात एकदम सही है लेकिन चेतना नहीं जग रही है.
अब अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा…..
दरअसल समस्या यही है कि जल बिन सब सून जानते हुए भी हम इसे व्यर्थ करते है.. खुद पर कंट्रोल करना ही समस्या का निराकरण है.. पानी बचाने से ज्यादा ज़रूरी है पानी व्यर्थ नहीं करना..
एक ज्वलंत समस्या से हमें रू-ब-रू कराता एक बेहतरीन पोस्ट।
पानी की कमी हमारी बेवकुफ़ियो के कारण आयेगी, यह संकट हमारी ही बेवकुफ़ियो का फ़ल होगा, ओर भारत के सिवा इतना गहरा संकट कही ओर नही होगा, जी अफ़्रिका के देशो को छोड कर
अगर अब भी नही चेते तो भगवान भी माफ़ नही करेगा.
आपसे सहमत हूं. पानी का महत्व हमें अपने बच्चों को भी सिखाना होगा कि कल उन्हीं की थाती है.
पानी तो पहले ही २०० ग्राम के पाउचिज में बिकने लगा है ।
ऊपर से ये ४५ डिग्री तापमान !
हाहाकार मचने वाला है ।
बहुत सुन्दर और समसामयिक विषय पर है आपकी यह रचना । एक भू-वैज्ञानिक होने के नाते मुझे अच्छी तरह पता है कि पानी कितना आवश्यक है समस्त चराचर के प्राणियों के लिए । यूँ ही जल को जीवन नहीं कहा गया है । हमे पानी का सही ढंग से इस्तमाल करना होगा ताकि इसकी बचत हो सके । भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या है आबादी । ऐसी बात नहीं कि भारत में संसाधन की कमी है । पर आबादी इतनी ज्यादा है और इतनी तेजी से बढ़ रही है की ये संसाधन भी कम पढ़ जाता है । जल संरक्षण के लिए न तो केवल जल बल्कि आबादी की तरफ भी ध्यान देना आवश्यक है ।
सामयिक उद्गार ।
बहुत ही जरूरी पोस्ट.