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बैंगलोर का भारी पानी और बिना मतलब का एक्वागार्ड (Hard Water and Aquaguard Fail…)

बैंगलोर में आकर बहुत सारा सामान्य ज्ञान बढ़ा, जिसमें से एक है हार्ड वाटर याने कि भारी पानी।
    मुंबई से बैंगलोर शिफ़्ट होने के बाद अपना एक्वागार्ड लगवाने का समय नहीं मिल पाया, एक प्लंबर को बुलाकर एक्वागार्ड संस्थापित तो करवा लिया, परंतु मुंबई से परिवहन के दौरान उसमें कुछ समस्या हो गई थी इसलिये वह शुरु ही नहीं हो रहा था। एक्वागार्ड के ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन लगाकर अपनी शिकायत भी दर्ज करवाई, जब ७ दिन तक एक्वागार्ड वाला नहीं आया तो वापिस से उनको फ़ोन करके कहा कि बैंगलोर में क्या सारी कंपनियाँ ऐसी ही हैं, जो कि अपने ग्राहकों का ध्यान नहीं रखती हैं। तो हमें कहा गया कि ठीक करने वाला बंदा २ दिन में पहुँच जायेगा। खैर हम तो एक्वागार्ड की घटिया सेवा से परेशान हो चुके थे।
    इसी दौरान एक सुबह एक्वागार्ड बेचने वाले ने हमारे घर पर दस्तक दी, तो हमने पहले पूछा कि ठीक करने आये हो, उसने जबाब दिया “नहीं”, हम तो बेचने आये हैं, पहले तो हमने जबरदस्त फ़टकार लगाई कि क्या ग्राहकों को सेवाएँ देते हो, ७ दिन पूरे होने के बाबजूद अभी तक कोई ठीक करने नहीं आया, क्या बकबास कंपनी है, और भी बहुत कुछ उसे गरिया दिया।
    पर वह भी पक्का बेचनेवाला था, बोला कि अगर आप इजाजत दें तो मैं आपके यहाँ का पानी जाँच लूँ, मैंने कहा कि चलो भई देख लो, क्योंकि हमने भी सुना था कि यहाँ बैंगलोर का पानी भारी है। उसने जाँच की और हमें बताया कि देखिये ४८५ है और बिसलरी का ७२, पीने लायक पानी होता है ५०-१०० अब क्या मानदण्ड होता है, पता नहीं । उससे हमने पूछा कि भारी पानी पीने से क्या नुक्सान होता है वह हमें बता नहीं पाया पर बोला कि RO वाला मॉडल आपको खरीदना होगा तभी यह भारी पानी पीने लायक होगा, हमने कहा अभी तो हम बिसलरी पी रहे हैं, पर जल्दी ही कुछ तो लेना ही होगा अगर हमारा साधारण एक्वागार्ड काम नहीं आयेगा।
    उस समय हमारे पास इंटरनेट था नहीं, और ऑफ़िस में थोड़ा बहुत पढ़ा तो सब सिर के ऊपर से निकल गया, तो पास के एक मॉल में गये जहाँ Water purifier के सभी कंपनियों के उत्पाद थे, हमने पहले उससे कहा कि पहले हमें जानकारी दीजिये कि भारी पानी से क्या होता है, तो वह भी हमें केवल इतना ही बता पाया कि जब बहुत प्यास लगती है तभी पी पायेंगे, ज्यादा पानी पीने की इच्छा नहीं होगी। नुक्सान कुछ भी नहीं है। हमें वहाँ व्हर्लपूल कंपनी का RO वाला उत्पाद अच्छा लगा, और हम तय कर चुके हैं कि एक्वागार्ड जैसी घटिया ग्राहक सेवा देने वाली कंपनी से तो उनका उत्पाद नहीं खरीदेंगे वह भी कम से कम बैंगलोर में तो बिल्कुल नहीं।
    अगर आप में से किसी के पास इस बारे में जानकारी हो तो लिंक साझा करें या फ़िर टिप्पणी में ज्ञान प्रदान करें, तो हम नया RO Water Purifier ले पायें।
१. भारी पानी के नुक्सान क्या हैं ?
२. RO वाला कौन सा Water purifier लें ?
३. भारी पानी के उपचार के और कौन से तरीके हैं ?

पानी की विकराल समस्या और व्यक्तिगत रुप से पहल जरुरी, प्रतिबद्धता दिखाना पड़ेगी

    पानी याने कि जल हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, पानी अगर समाज में सौहार्द और समृद्धि लाता है तो उसके उलट याने कि पानी न होने की दशा में पानी समाज का सौहार्द बिगाड़ता भी है और रही बात समृद्धि की तो बिना सौहार्द किसी समाज में समृद्धि नहीं आ सकती।

    जीवित प्राणियों की संख्या धरती पर दिनबदिन बड़ती ही जा रही है और साथ ही पानी की खपत भी, हम पानी की खपत करने में हमेशा से आगे रहे हैं परंतु पानी को बचाने में या पानी को कैसे पैदा किया जाये उसके लिये प्रयत्नशील नहीं हैं। अगर हम लोग इस दिशा में प्रयत्नशील नहीं हुए तो जिस भयावह स्थिती का सामना करना पड़ेगा वह कोई सोच भी न पायेगा।

    आज अगर लूट भौतिकतावादी वस्तुओं की है जो कि विलासिता की श्रेणी में आती हैं, अगर हम लोग पानी को बचाने में सफ़ल नहीं हुए तो पानी भी जल्दी ही विलासिता की श्रेणी में शुमार हो जायेगा। सब कहते हैं, नारा लगाते हैं जल ही जीवन है, जल बिन सब सून, जल अनमोल है। परंतु उपयोग करते समय शायद यह सब भूल जाते हैं और अपने अहम को संतुष्ट करने के लिये पानी का दुरुपयोग करते हैं।

    अपनी इच्छाशक्ति की कमी के चलते हुए ही हम पानी के दुरुपयोग को रोक नहीं पा रहे हैं, अगर आज भी ईमानदारी से जल के क्षरण को रोक लें । प्रण करें कि जितना पानी हम रोज उपयोग कर रहे हैं, उसे अनमोल मानते हुए बचायें और पूरे समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। जितना पानी का उपयोग आज कर रहे हैं, कोशिश करें कि उसका आधा पानी में ही अपनी सारी गतिविधियों को समाप्त कर लिया जाये।

    नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब पानी के लिये तरसना होगा और ये पानी की टंकियां और पानी के पाईप हमारी धरोहर होंगी, हमारी आगे की पीढ़ियाँ पानी के उपयोग से वंचित हों। आज हमारे लिये उस भयावह स्थिती का अंदाजा लगाना बहुत ही कठिन है, क्योंकि हमारे पास पानी है। उस समय हो सकता है कि पानी केवल आर्थिक रुप से संपन्न लोगों की बपौती बनकर रह जाये और वे पानी को बेचकर उसके बल पर ही आर्थिक रुप से संपन्न हों, जैसे रेगिस्तान में पानी के कुओं से पानी बिकता है वैसे ही इस शहरी सभ्यता में भी पानी बिकने लगे। जो कि मानव सभ्यता के लिये बहुत बड़ा सदमा होगा।

झमाझम बरसात मुंबई में और आखिरी जलप्रदाय नलों के द्वारा उज्जैन में।

अभी तीन-चार दिनों से मुंबई में झमाझम बरसात हो रही है और कल से ज्यादा झमाझम बरसात हो रही है तो इसके कारण ट्रैफ़िक का बुरा हाल है, जगह जगह पानी भरा हुआ है सड़क पर भी और रेल्वे ट्रेक पर भी। चलो मन को तसल्ली हुई कि इस साल का मानसून आखिरकार आ ही गया।

आज सुबह ही उज्जैन अपने घर पर बात हुई, आज मेरे माताजी पिताजी की शादी की ३५ वीं सालगिरह है तो पहले तो हमने उन्हें शुभकामनाएँ दी फ़िर वो बोले कि १ घंटे बाद बात करेंगे क्योंकि आज आखिरी बार नल से जलप्रदाय हो रहा है। नगरनिगम ने कहा है कि पानी खत्म हो गया है और अब केवल टेंकरों के द्वारा जलप्रदाय किया जायेगा। महाकाल की नगरी में जल की भीषण त्रासदी है और यह केवल इस वर्ष नहीं है यह लगभग पिछले ६-७ वर्षों से है।

पानी की समस्या से निपटने के लिये कुछ उपाय भी किये गये हैं और नागरिक जागरुक भी हो गये हैं। सरकार ने ट्य़ूबवेल खोदने पर रोक हटा ली और कहा कि कालोनी के १५-२० घरों के समूह बनाकर आप अपना एक ट्यूबवेल खुदवा लीजिये और पानी को आपस में उपयोग में ले लीजिये, इस तरह पानी की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा तो मिला क्योंकि सबके निजी जलस्त्रोत सूख चुके थे या सूखने की कगार पर थे। लेकिन इन सबके पीछे एक गंभीर बात ओर है कि जलस्तर इतना नीचा जा चुका है उसे वापिस अपने पुराने स्तर पर आने में कितना समय लगेगा कह नहीं सकते। अभी जो ट्यूबवेल खुदा था उसमें जल आया लगभग ९६२ ft. पर। सबने वाटर हारवेस्टिंग अपने घर पर स्थापित करवा लिया है जिससे जलस्तर में सुधार आये। उज्जैन में भी पिछले तीने दिनों से रात को आधे घंटे बरसात हो रही है, महाकाल से विनती है कि इस बार सिंहस्थ जैसा पानी बरसा दें।

हम तो बचपन से ही इस समस्या से निपटते रहे हैं इसलिये हमारी आदत में शामिल हो गया है, कम पानी खर्च करना।