Monthly Archives: November 2010

आखिर हिन्दी ब्लॉगर वोट देने में इतने कंजूस क्यों हैं ?

   मैंने इंडिब्लॉगर में अपनी दो पोस्टें लगायी हैं, और सभी पाठकों और ब्लॉगरों से निवेदन किया था कि कृप्या पोस्ट पर वोटिंग करें, पर हमारे हिन्दी ब्लॉगर बहुत ही कंजूस हैं।

    अगर पोस्ट पसंद नहीं आई तो कम से कम टिप्पणी करके ये तो बता दीजिये कि भई आपकी पोस्ट अच्छी नहीं है, जरा अच्छा लिखिये, और यह प्रतियोगिता के काबिल नहीं है, आपने क्यों प्रतियोगिता में भाग लिया, इसलिये हमने वोटिंग नहीं की।

    हिन्दी ब्लॉग जगत से निवेदन है कि देखिये हमारी दो प्रविष्टियाँ हमने इंडिब्लॉगर “टाटा डोकोमो ३जी लाईफ़ प्रतियोगिता” में दी हैं, अगर आपको पसंद आती हैं तो इनको प्रमोट कीजिये, इस प्रतियोगिता में कुल ९५ प्रविष्टियाँ हैं, और हिन्दी ब्लॉग जगत से केवल ३ प्रविष्टियाँ हैं, जिसमें से दो मेरी हैं।

    यहाँ पर जिसको ज्यादा वोट होंगे उसके जीतने के ज्यादा अवसर होंगे। हिन्दी को आगे बढ़ाईये और हमारी दोनों प्रविष्टियों पर पसंद के चटके लगाईये। हर इंडिब्लॉगर सदस्य हर प्रविष्टी को दो वोट दे सकता है, मतलब कि दो बार प्रमोट कर सकता है।

    निम्न दो प्रविष्टियों हमने सम्मिलित की हैं, इन पर चटका लगाकर प्रविष्टी पढ़कर दो दो चटके लगाईये।

प्यार में बहुत उपयोगी है ३ जी तकनीक (Use of 3G Technology in Love..)

पति की मुसीबत ३ जी तकनीक से (Problems of Husband by 3 G Technology)

शायद हमारी बात झूठी हो जाये कि हिन्दी ब्लॉगर वोट देने में कंजूस हैं !

हम विरोध करने से पीछे क्यों हटते जा रहे हैं ?

    आज सुबह से बहुत सारी पोस्टें पढ़ीं, जिसमॆं सुरेश चिपलूनकर जी की पोस्ट ने बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर दिया। क्यों हम लोग विरोध करने से पीछे हटते जा रहे हैं ?

    यहाँ मैं केवल किसी एक मुद्दे के विरोध की बात नहीं कर रहा हूँ, यहाँ मैं बात कर रहा हूँ हर विरोध की, चाहे वह कहीं पर भी हो, गलत बात का विरोध, घर में, बाहर, कार्य स्थान पर कहीं पर भी ! क्यों ?

    मानसिकता क्यों ऐसी होती जा रही है कि हमें क्या करना है, जो हो रहा है होने दो, विरोध दर्ज करवाने से भी क्या होगा, वगैराह वगैराह, क्या यही हमारी भारतीय संस्कृति रही है !!

    या यह प्रवृत्ति हम धीरे धीरे पश्चिमी सभ्यता से उधार लेकर अपने जीवन में पूरी तरह से उतार चुके हैं, मन उद्वेलित है, कुछ समझ नहीं आ रहा है।

यह पोस्ट शायद १ नवंबर को लिखी थी, पर व्यस्तता और कुछ आलस्य के कारण छाप नहीं पाया।

बेटे की जन्मदिन की बातें.. मेरी यादें… विवेक रस्तोगी

17102010(063)     आज हमारे बेटे हर्षवर्धन रस्तोगी का जन्मदिन है, आज हमारे बेटेलाल ६ वर्ष के हो चुके हैं, समय कितनी जल्दी बीत जाता है, पता ही नहीं चलता है। आज से ठीक ६ वर्ष पूर्व सुबह १० बजे शल्य चिकित्सक ने शल्यकक्ष से बाहर आकर हमें बेटे के होने पर बधाई दी थी, और जच्चा और बच्चा स्वस्थ होने की सूचना दी थी।

    जन्म से ठीक दो दिन पूर्व हम अपने चिकित्सक के पास गये थे तो उन्होनें बताया कि बच्चे के साथ गर्भ में कुछ समस्या है और सामान्य रुप से बच्चा बाहर नहीं आ पायेगा, इसलिये जच्चा और बच्चा के लिये शल्यक्रिया ही ठीक है, और हमारे चिकित्सक ने बोला कि अगर चाहिये तो किसी और चिकित्सक के पास भी दिखा सकते हैं और दूसरा मत भी ले सकते हैं, तो हमने दूसरा मत एक और स्त्री विशेषज्ञ से लिया और सारे रिपोर्ट्स दिखाये, तो उन्होंने भी शल्य क्रिया ही ठीक बताई।

    यह तय हो चुका था कि आने वाले बच्चे का जन्म शल्यक्रिया के द्वारा ही उचित तरीका है, तो हमने अपने ज्योतिष दोस्त से सही जन्म समय पूछा, तो उन्होंने बोला कि ४ नवंबर को गुरु पुष्य नक्षत्र है, और सुबह का समय दिया। हमने एकदम अपने चिकित्सक के पास आकर ४ नवंबर को सुबह शल्यक्रिया करने के लिये आरक्षित कर लिया।

    ज्योतिष दोस्त का कहना था कि हम सारी ग्रह स्थितियों के अच्छे या अनुरुप होने तक रुक नहीं सकते हैं, तो जो भी जल्दी से जल्दी अच्छी मुहुर्त मिलता है उसी मुहुर्त पर केक कटवा लीजिये (शल्यक्रिया करवा लीजिये)।

    सुबह ६ बजे चिकित्सक ने अपने निजी चिकित्सालय में बुलवा भेजा था, और निर्देश भी दिये थे कि क्या खाना है कब खाना है, कौन सी दवाई लेनी है वगैराह वगैराह। सुबह ५ बजे  हम उठे कि जल्दी से नहा लेते हैं और तैयार होकर पूजा करने के बाद चिकित्सालय जायेंगे। तभी पास के घर से विलाप की आवाजें आने लगीं, पास के घर में आंटी जी का देहान्त हो गया था, हम लोग जल्दी से जल्दी घर से निकलकर चिकित्सालय जाने के लिये तैयार होने लगे। और मन में यह भी आया कि देखिये “प्रकृति का नियम कि एक तरफ़ एक जिंदगी पूरी हो गई और दूसरी तरफ़ एक नई जिंदगी इस दुनिया में आने वाली है।” कितना अनोखा नियम भगवान ने बनाया हुआ है, शायद इसीलिये कि अपने जीवन में सभी परोपकार की भावना से जियें पर इंसान सब भूलकर भौतिक कार्यकलापों में लिप्त रहते हैं। आप लोग भी सोच रहे होंगे कि कहाँ मैं प्रवचन देने लग गया।

    सुबह हम बिल्कुल समय पर ६ बजे चिकित्सालय पहुँच गये और वहाँ उपस्थित कर्मचारियों ने अपना कार्य शुरु कर दिया, जो भी इंजेक्शन और दवाईयाँ देनी थीं, दे दी गईं, बिल्कुल उसी समय तक शल्यकक्ष में ३ शल्यक्रिया हो चुकी थीं, और फ़िर हमारा नंबर आया तो एक चिकित्सक ने हमसे आकर बोला कि एक घंटे बाद शल्यक्रिया के लिये लेते हैं, १० बज रहे थे, हमारे मुहुर्त का समय हो रहा था, तो जिन चिकित्सक को हम दिखाते थे उन्हें कहा कि एक घंटॆ बाद का समय दिया जा रहा  है, और हमने तो समय दो दिन पहले ही आरक्षित करवा लिया था। तब वही चिकित्सक अपने साथ शल्यकक्ष में ले गयीं और उन चिकित्सक को बोलीं कि “इनका मुहुर्त समय है, और अभी ही शल्यक्रिया करनी है”।”, बस फ़िर क्या था, १० मिनिट बाद ही हमें शल्य चिकित्सक ने बताया कि बच्चा हो गया है और जच्चा बच्चा दोनों सकुशल हैं, पिता बनने की खुशी में कब हमारे आँख भर आयीं, पता ही नहीं चला, तभी पापा आ गये तो मैंने रुँधे गले से कहा “पापा मैं पापा बन गया।”

   जब जच्चा और बच्चा को बाहर लाया गया, तो मेरी घरवाली याने कि जच्चा कि आँखों में भी खुशी के आँसू थे, अपनी इतनी बड़ी शल्यक्रिया होने के बाबजूद उफ़्फ़ तक नहीं की, तब से तो मेरी नारी के लिये श्रद्धा और भी बढ़ गई।

    मेरा बच्चा मेरी गोद में था, जब अपने निजी कक्ष में पहुँचे तब पता चला कि लड़का है, उसके पहले मैंने जानने की कोशिश ही नहीं की थी, कि लड़का है या लड़की। बस बच्चे की चाहत थी, कि अच्छॆ से स्वस्थ हो।

    तो ये थी मेरे बेटे हर्ष के जन्मदिन की बातें, और फ़िर तो बधाई देने वालों का, मिलने वालों का तांता लगा हुआ था, और मैं खुद के लिये एक अजब सी अनुभूति महसूस कर रहा था।

दीवाली आते ही ए.टी.एम. खाली… क्या आर.बी.आई. को ए.टी.एम. के लिये नियम निर्देशिका नहीं बनानी चाहिये।

    out of service atm दीवाली का त्यौहार शुरु हो चुका है, और खरीदारी का दौर शुरु हो चुका है, वैसे तो प्लास्टिक करंसी का ज्यादा उपयोग हो रहा है पर बहुत सारे लोग क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से भुगतान नहीं लेते और बहुत सारे उपभोक्ता कार्ड का उपयोग करने से डरते हैं, इसलिये वे लोग नकद व्यवहार ही करते हैं।

    नकद व्यवहार के लिये उपभोक्ता ए.टी.एम. पर ज्यादा निर्भर है, क्योंकि आजकल अगर बैंक में जाकर पैसे निकालना हो तो ज्यादा समय लगता है, और ए.टी.एम. से बहुत ही कम। बैंक में जाकर नकद निकालने का समय १०-१५ मिनिट हो सकता है, और फ़िर चेकबुक साथ में ले जाना होती है, पर ए.टी.एम में अपना कार्ड स्वाईप किया और अपना कूटशब्द डालते ही नकद आपके हाथ में होता है।

    मंदी के बाद की यह पहली दीवाली है लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं, बाजार सजे हुए हैं और लोगों के चेहरे पर खुशी है। अक्सर देखा जा रहा है कि त्यौहार के समय ए.टी.एम. नकदी की समस्या से झूझ रहे होते हैं। ए.टी.एम. के बाहर एक बोर्ड लगा दिया जाता है “ए.टी.एम. अस्थायी तौर पर बंद है”, पर इसका कोई कारण नहीं लिखा होता है।

    जैसे बैंकों के लिये नकद संबंधी नियम हैं, या बैंके नकद कम न पड़े इसका ध्यान रखती हैं, तो उन्हें ए.टी.एम. का भी नकद प्रबंधन अच्छे से करना चाहिये। इसके लिये आर.बी.आई. को नियम निर्देशिका बनाना चाहिये कि नकद के अभाव में ए.टी.एम. बंद ना हों, नकद प्रवाह के लिये किसी को जिम्मेदार बनाना ही चाहिये, जिससे आम जनता को तकलीफ़ नहीं हो।

मेरे बेटे हर्ष का ब्लॉग आज से शुरु किया है।

 

    आज से मेरे बेटे हर्ष ने ब्लॉगिंग शुरु की है, हर्ष के ब्लॉग पर आप यहाँ चटका लगाकर जा सकते हैं। वैसे तो तकनीकी रुप से अभी मैं ही उसकी सहायता कर रहा हूँ, पर पोस्ट में जो भी लिखा है, वह उसने अपने आप लिखा है और अपनी मनमर्जी से लिखा है, मैंने उसकी फ़ार्मेटिंग करने में मदद की है।
   अब उसे धीरे धीरे तकनीकी चीजें भी सिखा दूँगा, जैसे कि ब्लॉग पर लॉगिन कैसे करें फ़िर नयी पोस्ट कैसे लिखें या पुरानी पोस्ट कैसे एडिट करें इत्यादि। मेरा बेटा अभी केवल ६ वर्ष का ४ नवंबर को होगा, परंतु ब्लॉगिंग शुरु करवाने के पीछे मेरा उद्देश्य छिपा है, उसकी लेखन क्षमता को उभारने के लिये, जो गप्पें या बातें वह सोचता है करता है वह खुद ही लिखे, जिससे उसे पता चले कि क्या सही है क्या गलत है, ब्लॉगिंग से उसकी सृजन क्षमता में भी विस्तार होगा और वह अपनी उम्र के बच्चों में थोड़ा अलग भी होगा।
आज जब हर्ष ने अपनी पहली पोस्ट लिखी तो उसके बाद उसकी खुशी देखते ही बनती थी, बार बार मुझे बोल रहा था “थैंक्यू डैडी, ब्लॉग के लिये, आज मैंने अपनी पहली पोस्ट लिखी है, मैंने अपना परिचय खुद लिखा, वाऊ डैडी”।
पहली पोस्ट लिखने के बाद वह अपने कार्टून, गेम्स, फ़िल्मों ….. और भी बहुत कुछ के बारे में लिखने को लालायित है, मैंने समझाया कि रोज एक टॉपिक पर कुछ लाईन लिखो और पोस्ट करो, कभी अपने होमवर्क के बारे में भी बताओ अपनी एक्टिविटीस के बारे में भी बताओ, अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताओ, आपने क्या पढ़ा वह भी बताओ। जो भी सबको बताने की इच्छा हो वह बताओ।
ब्लॉग लेखन से हर्ष के अंदर आत्मविश्वास आयेगा, कम्यूनिकेशन अच्छे से कर पायेगा और लिखने के लिये बहुत कुछ ठीक से करेगा।
अब मैं धीरे धीरे हर्ष को ब्लॉग के बारे में तकनीकी जानकारी भी देना शुरु करूँगा, जिससे वह स्वतंत्र रुप से लेखन कर पाये, हाँ उसका मेल बॉक्स और ब्लॉग मेरी कड़ी निगरानी में रहेगा।

 

३ जी तकनीकी पर मेरी लिखी हुई पोस्टों पर भी वोट दें

 

 

http://www.indiblogger.in/indipost.php?post=37482 [प्यार में बहुत उपयोगी है ३ जी तकनीक 
(Use of 3G Technology inLove..)]

 

http://www.indiblogger.in/indipost.php?post=37472 [पति की मुसीबत ३ जी तकनीक से(Problems of Husband by 3 G Technology)]