तुम कभी
गुलाब होती थीं
तुम कभी
नरम दिल होती थी
तुम कभी
बहुत प्यारी होती थी
तुम कभी
जन्नत होती थी
तुम कभी
खुशियों का खजाना होती थी
तुम कभी
शीतल होती थी
तुम कभी
कुछ और ही होती थी
तुम अभी भी
कभी जैसी ही हो
बस वैसी ही रहना और
आगे भी
तुम कभी, तुम अभी ही रहना।
वाह! क्या बात है.
कोई शक… अरे ऐसे ही रहेंगे आप सब,हम सब..
हृदय हिलोरें ले बैठा अब।
बहुत खूब, शानदार अभिव्यक्ति
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सच्चाई से कही गयी, दिल की बात अच्छी लगी| बधाई,
वाह! बहुत खूब.
bahut khoob…lekin yaad rakhiye…parivartan shaswat satye hai.
छाई हो तुम ही तुम ……तुम कभी ….तुम अभी ….
प्रेम की मीठी पहेली ……!
होती होगी तुम कभी
नितान्त मेरी।
किन्तु हालत
यह है अब
कि तुम कैसी थी,
यह बताना पड रहा है
सारे जमाने
के सामने।