आज एक मेल पढ़ रहा था तो उसमें एक लिंक थी – MS-DOS is 30 Years old today. हम तो डॉस वाले जमाने से ही कम्पयूटर सीखे हुए हैं, इसलिये इस खबर की ओर ध्यान आकर्षित हो गया।
आज से तीस वर्ष पहले २७ जुलाई, १९८१ को माइक्रोसॉफ़्ट ने QDOS के राईट्स २५,००० डॉलर में सिएटल कम्प्यूटर प्रोडक्ट्स से खरीदे थे। नहीं तो QDOS को 86-DOS के नाम से जाना जाता था, सिएटल कम्प्यूटर प्रोडक्ट्स ने इसका अभिकल्पन इन्टेल के 8086 प्रोसेसर के लिये किया था।
हमने MS-DOS के 5.0 वर्शन से सीखना शुरू किया था, फ़िर ६.२ वर्शन सीखा, जिसकी command.com 54,645 बाईट्स की होती थी, और अगर command.com फ़ाईल का साईज बदल गया तो इसका मतलब कि DOS की सीडी में वाईरस आ गया है। काली स्क्रीन का फ़ोटो देखकर पुराने लोगों को पुराने दिन याद आ जायेंगे।
उस समय जितने भी सॉफ़्टवेयर सीखे थे बहुतों को तो वर्षों से उपयोग नहीं किया परंतु अगर आज भी मिल जाते हैं तो देखकर बहुत खुशी होती है, और उनके कमांड तो ढूँढ़ने भी नहीं पड़ते वो तो ऐसे याद हैं जैसे कि हमारी साँसों में घुल गये हैं।
वर्डस्टॉर, लोटस १२३, डीबेस, फ़ॉक्स प्रो, अक्षर और भी बहुत सारे सॉफ़्टवेयर थे। खैर आज कम्प्यूटर चलाने के लिये कोई कमांड याद नहीं रखना पड़ता है, सब माऊस से मजे में हो जाता है। अगले तीस वर्षों में कम्प्यूटिंग का विकास देखने लायक होगा।
बढ़िया जानकारी.
गुजरा जमाना याद दिला दिया आपने। हमारे बी॰ऍससी॰ (कम्प्यूटर विज्ञान) के दौरान कॉलेज की कम्प्यूटर लैब में नॉवेल नेटवेयर द्वारा नेटवर्किंग थी तथा डॉस वातावरण में काम होता था। विभिन्न किताबों से डॉस कमाण्ड खोज-खोजकर (नेट उस समय सुलभ न था) लाना और ट्राइ करना हमारा प्रिय शगल था। टच टाइपिंग सीखने के बाद डॉस पर काम करने का मजा और बढ़ गया था।
पास्कल, फोरट्रान, कोबोल, बेसिक जैसी प्रोग्रामिंग भाषायें डॉस वातावरण में ही सीखी थी। डीबेस भी पढ़ा था, सिलेबस में वर्डस्टार और लोटस भी थे पर कभी न ढंग से पढ़ाये गये न पढ़े गये, बहुत ज्यादा कमाण्ड्स थी, बस पेपर के लिये कुछ रट ली थीं। यूनिक्स भी थोड़ी पढ़ी थी पर कभी उपयोग में न लेने से याद नहीं रही।
आज भी कई कामों के लिये हम डॉस प्रॉम्प्ट का उपयोग कर ही लेते हैं। बहुत सी कमाण्ड अब भी याद हैं। डॉस से तो यादें जुड़ी हैं।
सही बात है, कई डास कमांड दिमाग में बस यूं ही सट जाती हैं. आज भी MS Word जैसे प्रोग्रामों मे कई लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए भी माउस उठाए घूमते देखता हूं तो कोफ़्त होती है, झट से लगता हैं कि ये ^a ^b ^u ^i ^y ^l ^i ^e ^j ^r ^c ^v ^s … जैसी छोटी-छोटी कमांड तो प्रयोग कर ही सकते हैं
30 साल में न जाने कितनी उन्नति कर ली है हमने, आश्चर्यजनक।
DOS को हैप्पी बर्थ डे तो बोलना चाहिये न! बोले देते हैं वाया विवेक रस्तोगी। 🙂