बिहार की लिट्ठी ऑन व्हील्स बैंगलोर में (Littionwheels.com in Bangalore)

पिछले ४ दिनों से यहीं घर के पास एक नई प्रकार की खाने की चीज दिखी जो कि दक्षिण भारत की नहीं थी, यह थी बिहार की लिट्ठी चोखा। दाम भी कम और चीज भी बेहतरीन, लिट्ठी हमने पहली बार पटना में फ़्रेजर रोड पर कहीं खाई थी, हमें तो वही स्वाद लगा। अब बैंगलोर में अगर बिहारी स्वाद मिल रहा हो तो और क्या चाहिये, आज दोपहर का भोजन बनी यही लिट्ठी चोखा, लिट्ठी छोला और लिट्ठी चना, लेने गये थे एक प्लेट दाल बाटी परंतु दाल खत्म हो गई तो हमने कहा बाकी का सब बाँध दो 🙂
खास बात कि पूरी योजनाबद्ध तरीके से इसकी शुरूआत की गई है और फ़ेसबुक, ट्विटर और वेबसाईट बनाई गई है।
litti
उम्मीद है कि कुछ और भी चीजें इसी तरह से खाने को मिलें जैसे कि पोहे जलेबी ।

25 thoughts on “बिहार की लिट्ठी ऑन व्हील्स बैंगलोर में (Littionwheels.com in Bangalore)

  1. लिट्टी उस मोटी रोटी को कहते हैं जो आग में सेंक कर बनाई जाती है। लेकिन अब सुविधा संपन्न इसे पकौड़ी की तरह तल के छान देते हैं। गरीबों की लिट्टी नहीं रह गई अब यह।

    अकेली बिहार की नहीं, लिट्टी चोखा तो बनारस की भी शान है।

    1. यह हमें आज पता चला कि बनारस में भी लिट्ठी खाई जाती है, आजकल वैसे भी गरीबों का खाना फ़ैशनेबल हो चला है ।

    1. जी हाँ बिल्कुल बनाया जा सकता है, हम भी आजकल बाटी माइक्रोवेव में ही बनाते हैं।

    1. एकता के लिये भी और जो लोग अपनी जड़ों को छोड़ आये हैं, उन्हें भी स्वाद मिल रहा है।

    1. लिट्ठी के बारे में हमारे जानकारी शून्य है, पर हाँ बाटी और बाफ़ले में थोड़ी जानकारी रखते हैं, उसके बारे में विस्तार से लिखते हैं।

  2. विवेक भाई….. लिट्टी चोखा का ज़ितना तारीफ़ किया जाए कम…. हम तो कहते हैं भाई हर शहर मिलना चाहिए…
    पिज़्ज़ा और बर्गर पर बैन…
    लिट्टी चोखा से लडाओ नैन….

    बोले तो जय बिहार, जय पुर्वांचल….

    1. बिल्कुल सही देव भाई, पिज्जा और बर्गर से बेहतरीन और फ़ायदे वाली चीज भी है ।

  3. विवेक जी, बाटी और बाफला तो राजस्‍थान का ही है इसलिए इसके बारे में तो पूरी जानकारी है।

    1. अजितजी, बाटी और बाफ़ला हमारे यहाँ मालवा में भी बहुत प्रसिद्ध है, और लिट्ठी हमारे लिये भी नया व्यंजन है।

  4. पौष्टिकता, स्‍वाद और कीमत के मामले में हमारे देशी व्‍यंजन किसी से भी प्रतियोगिता कर सकते हैं। आवश्‍यकता है इनके समुचित 'पेकेजिंग', विपणन और प्रचार की।

    1. जी हाँ बिल्कुल सही, देशी व्यंजन जैसे हम मालवा का पोहा जलेबी बहुत ज्यादा याद करते हैं ।

  5. विवेक भाई,​
    ​दिल्ली में नवंबर में ट्रेड फेयर में लिट्टी चोखा खाया था…शायद तीस रुपये की प्लेट थी…स्वाद तो शायद बनाने वाले की कमी थी लेकिन पेट ज़रूर भर गया था…​
    ​​
    ​जय हिंद…

    1. यहाँ पर भी लगभग भाव उतना ही है, परंतु स्वाद बिल्कुल असल बिहार वाला है ।

    1. जब व्यंजन आराम से उपलब्ध हों तो लोकप्रिय होना ही है, और जो घर छोड़कर इतना दूर आते हैं, वे बहुत अच्छॆ से ये बात जानते हैं।

  6. मैं बैंगलोर आ जाऊं क्या? ज्वाइंट वेंचर चालु करते हैं पोहा जलेबी का 🙂

Leave a Reply to P.N. Subramanian Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *