दिवास्वप्न बुरा या अच्छा … मेरी कविता .. विवेक रस्तोगी

एक दिवास्वपन आया मुझे

एक दिन..

श्री भगवान ने आशीर्वाद दिया,

सारे अच्छे लोग देवता रूपी

और

उनके पास हथियार भी वही,

सारे बुरे लोग राक्षस रूपी

और

उनके पास हथियार भी वही

समस्या यह हो गई

कि

देवता लोग कम

और

राक्षस ज्यादा हो गये

तब

श्री भगवान वापिस आये

और

देवता की परिभाषा ठीक की

फ़िर

देवता ज्यादा हो गये

और

राक्षस कम हो गये,

देवताओं ने राक्षसों पर कहर ढ़ाया

और

देवताओं का वास हो गया

फ़िर

कुछ देवता परेशान हो गये

क्योंकि

राक्षस गायब हो गये

तो

कुछ फ़िर से राक्षस बन गये।

12 thoughts on “दिवास्वप्न बुरा या अच्छा … मेरी कविता .. विवेक रस्तोगी

    1. क्या करें इनके बिना दुनिया चलना भी मुश्किल है, ऐसा कोई युग भी तो याद नहीं आता जब राक्षस न हों ।

    1. कल्पनाएँ भी कह सकते हैं । पर कही ना कहीं हम इससे प्रभावित तो हैं ।

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