जीवन निर्जीव था, बिल्कुल रेगिस्तान जैसा जहाँ आँधियाँ तो आती थीं, बबंडर तो आते थे, परंतु केवल रेत के, जहाँ कोई दूसरा उन उड़ती हुई रेत को नहीं देख पाता था, बस अकेला यह निर्जीव उन रेत के रेलों के बीच इधर से उधर बहता रहता था। ये रेत और रेगिस्तान बहुत लंपट होते हैं, जब कभी सोचने में आता कि शायद यहाँ जल होता पर मृगतृष्णा उन सपनों को साकार होने के पहले ही कहीं किसी दूर देस में विलीन कर देती। ये अंधड़ भी उन मृगतृष्णाओं से मिले हुए थे।
तभी कहीं से मेरी जिंदगी में एक सावन की फ़ुहार, बसंत की बयार आई, जहाँ मैं अपने ऊपर बीते हुए उन अंधड़ों के प्रकोप को भूल गया, केवल हर तरफ़ चारों ओर जीवन में स्नेहिल प्रेम की झिलमिल बारिश थी, कहीं पीले रंग के कहीं लाल रंग के कहीं ओर भी चटक रंग के फ़ूल कहीं से मेरी जिंदगी में प्रवेश कर चुके थे।
आज ठीक १२ बरस हो गये हैं तुम्हें मेरी जिंदगी में आकर, और तुमने मेरे मन के रेगिस्तान को जो उपवन का रूप दिया है, वह मेरे लिये बहुत है, आज ही के दिन मेरी जिंदगी का नया चेप्टर शुरू हुआ था जिसकी शुरूआत तुमने की थी जिससे मैंने अपनी जिंदगी में एकदम कई नये रंगों का आना देखा, मेरी जिंदगी में १२ वर्ष पहले अचानक ही बसंत आ गया था जो कि कहीं बसंत पंचमी के आसपास था।
अपने यहॉं बासी दशहरा और बासी ईद की अवधारणा भी है। इसी तर्ज पर, एक दिन देर से ही सही, बधाइयॉं, अभिनन्दन और शुभ-कामनाऍं स्वीकारें।
चिर जीवो,जोरी जुरै, स्नेह होत गम्भीर।
रस्तोगी से ईर्ष्या, पर जोड़ी से नेह |
वर्षों यूँ ही बरसता, रहे प्यार का मेह |
रहे प्यार का मेह, देह दोनों की सेहत |
बनी रहे हे ईश, बरक्कत फलती मेहनत |
सुखी रहे सन्तान, युगल की जय जय होगी |
नजर नहीं लग जाय, लगा टीका रस्तोगी ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
वाह.. बधाई भैया.. 🙂
आपको ढेरों बधाईयाँ..जीवन आनन्दमय हो।
वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई !
बधाई … शादी के सफल १२ वर्षों की बधाई …
अरे भैया जी एक ठो फोटो भी तो साँटे होते पोस्ट मे … खैर … हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !
आज की ब्लॉग बुलेटिन १९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें – ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
बधाई एवं शुभकामनाएं…
सादर
अनु
बधाई और बहुत बहुत शुभकामनायें विवेक भाई