यही विश्वयुद्ध की शुरुआत है, इस पर हमने फ़ेसबुक पर एक स्टेटस डाला था जिसमें बताया गया था कि जर्मनी ने चीन को 130 बिलियन पौंड का बिल कोरोना वायरस के लिये भेजा है, जिससे बीजिंग में सरसराहट शुरू हो गई है। ख़बर की लिंक यह रही –
इस पर फ़ेसबुक मित्रों के कमेंट जिनमें से अधिकतर पुरातनकालीन हिन्दी ब्लॉगर हैं –
Anshu Mali Rastogi हां, जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि युद्ध की संभावना बन रही है। अमेरिका भी चीन के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। चीन ने अपना नुकसान जो किया सो किया पर पूरी दुनिया का बड़ी मात्रा में नुकसान किया है।
Vivek Rastogi Anshu Mali Rastogi अपन कब बिल भेजेंगे, पता नहीं, भेजेंगे कि भी नहीं, यह भी पता नहीं
Anshu Mali Rastogi समय ही बताएगा कि आगे हम क्या करेंगे। करेंगे भी कि नहीं या भक्ति में ही तल्लीन रहेंगे।
Kajal Kumar Anshu Mali Rastogi अमेरिका, केवल छोटे-मोटे देशों पर ही हमला करता है बड़े देशों पर हमला करने की उसकी औकात नहीं है. वरना वह USSR के ख़िलाफ़ केवल cold War में ही न बना रहता. चीन-सागर पर कब्जा कर चुका है, अमेरिका कुछ ना कर सका. एक कृत्रिम टापू भी बना लिया अमेरिका वहां भी कुछ नहीं कर सका. केवल व्यापारिक प्रतिबंध की बात कर सकता है, लेकिन उस पर भी इसे डर है क्योंकि चीन के पास अमेरिका के इतने ट्रेजरी बांड है कि वह, किसी भी दिन चाहे तो अमरीका की अर्थव्यवस्था को गिरा सकता है
Vivek Rastogi Kajal Kumar चीन ने बहुत सशक्त रणनीति बनाई है, आसपास के गरीब देशों को लोन दे देकर, बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करवा दिया, चीन को पता था कि यर गरीब देश पैसा नहीं चुका पायेंगे, बिल्कुल पुराने लाला की तर्ज पर अब को सबको अपने हाथ की कठपुतली बनायेगा।
Anshu Mali Rastogi वैसे, काजल भाई मुझे ये सारा मामला अर्थव्यवस्था पर आधिपत्य या एकाधिकार का ही अधिक लगता है। आप देख रहे होंगे, चीन इस मामले में खुद को बड़ी आसानी से बचा ले जाना चाह रहा है। खुद बेचारा बन अमेरिका ही नहीं पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बेशक, कोरोना में उसकी ही भूमिका है पर बिल्ली के गले में घण्टी बांधे कौन।
रही बात भारत की तो यहां कोई उम्मीद करना बेईमानी ही होगा।
क्या बोलते हो।
Anshu Mali Rastogi आप सही कह रहे हो विवेक भाई।
Vivek Rastogi Anshu Mali Rastogi अब अमेरिका अकेला नहीं है, यह बात चीन को भी अच्छे से समझ में आ रही है, इसलिये अब चीन क्या करता है, वह देखना जरूरी है।
Anshu Mali Rastogi माना कि अमेरिका अकेला नहीं है पर मुझे लगता है अन्य देश अभी युद्ध को टालना ही बेहतर समझेंगे। क्योंकि अभी उनके लिए अपने नागरिकों की जान बचाना प्राथमिकता में होगा। बाद में देखा जाएगा कि क्या करना है। पर चीन को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान झेलना होगा, ऐसी संभावना कम ही लगती है। चीन बड़ा निर्दयी मुल्क है।
Vivek Rastogi Anshu Mali Rastogi बात आपकी सही है, अभी प्राथमिकता अपने नागरिकों को बचाने की है, पर इसका बहुत बड़ा नुक्सान चीन को किसी न किसी रूप में भुगतना ही होगा, अभी ऐसा भी लगता है कि विश्व की चौधराहट अमेरिका के हाथ से निकल सकती है और उस चौधराहट को या तो चीन ही हथियायेगा या फिर यूरोप के कुछ देश मिलकर विश्व चलायेंगे, एशिया के किसी मुल्क में चौधराहट करने का दमखम है नहीं।
Anshu Mali Rastogi सही। वैसे, ये मौका अभी भारत के हाथ में भी है कि वो चीन और अमेरिका को मात दे दे। पर यहां समस्या वही है कि बातें ऊंची-ऊंची और जमीनी हकीकत भिन्न। अमेरिका की चौधराहट तो ध्वस्त होनी ही थी- बहाना कोरोना बन गया। रही बात यूरोप या एशिया के देशों की तो अभी वक्त लगेगा लंबा। अमेरिका के बाद चीन ही है। हम विरोध चाहे चीन का कितना ही कर लें किंतु उसके प्रति निर्भरता से मुंह न मोड़ पाएंगे। महामारी के निपटते ही हम अपने-अपने खोलों में वापस लौट आएंगे।
Vivek Rastogi Anshu Mali Rastogi हमारे यहाँ जितने भी वीर हैं वे फेसबुक और ट्विटर वीर हैं, कामधंधे में इन्नोवेशन करने की कह दो तो नानी मर जाती है, सब केवल शब्दों के महारथी हैं, कितने लोगों ने अपनी खुद की प्राइवेट लेब खोलकर कोविड वायरस की दवाई बनाने की शुरूआत की, अनपढ़ों गँवारों के बस की बात नहीं, बस ये लोग केवल गरिया सकते हैं। काम धाम इनको कुछ करना नहीं है, इनके बूते पर भारत क्या खाक चौधराहट करेगा, रात दिन मेहनत करना होगी, वो भी फेसबुक और ट्विटर पर नहीं, जमीनी हकीकत पर, अगर भारत की आधी जनता भी जी जान से जुट जाये और केंद्रीय नेतृत्व असरकारक हो, तो हम चौधराहट के लिये अग्रसर हो सकते हैं। पैसा कमाना वो भी बाहर के देशों से बच्चों का हँसी खेल नहीं है।
Anshu Mali Rastogi आपसे सहमत हूं।
हमारे यहां लोगों के साथ खुशफहमी यह है कि वे 24X7 किसी न किसी दल, नेता और संगठन की भक्ति में लीन रहते हैं। ऐसे में उनसे किसी ऊंचे या गंभीर काम की अपेक्षा करना बेमानी ही है।
Vijender Masijeevi चीन को दुनिया का तब्लीगी जमात बनाने की कोशिश है- इस्लामोफोबिया की तर्ज पर एक सिनो फोबिया भी चल रहा है। ऐसे किसी युद्ध, भले ही वह केवल आभासी, आर्थिक और वाक युद्ध भर हो, के दूरगामी बुरे प्रभाव होंगे।
Neeraj Rohilla Vijender Masijeevi चीन इतना भी मासूम नहीं है, इससे छोटी घटनाओ पर संग्राम हो चुके हैं। वैसे पूरी दुनिया सिवा चीन पर खिसिया जाने के अलावा फिलहाल तो कुछ और नहीं कर पायेगी लेकिन इसका लॉन्ग टर्म नुकसान चीन को जरूर होगा। हां, मैन्युफैक्चरिंग अभी भी चीन में ही रहेगी
Ashutosh Pandit Vijender Masijeevi चीन की और जमात की कोई तुलना नहीं है दोनों के एजेंडा बिलकुल भिन्न है
Ashwin Joshi Agar ye world War 3 nahi he to bhi.।।।।।। This is the base ground या फिर कहे तो भूमिका जरूर है।।।।
अगर आपके भी कुछ कमेंट हों तो बताइयेगा हम यहीं जोड़ देंगे।
विश्व युद्ध का तो पता नहीं…
किन्तु अभी तो पूरा विश्व
कोरोना ये युद्ध कर रहा है।
भविष्य पूरी तरह निर्भर करेगा कोराना की महामारी के बाद की स्थिति पर। अमेरिका तो गयो, बाकी यूरोप के देश भी अपनी साख बचाले तो गनीमत है। मुझे तो लगता है कमोवेश चीन बेहतर स्थिति में होगा।
दूरगामी परिणाम चीन के लिए अच्छे नहीं होंगे. हाल फ़िलहाल तो जो है सो है.
बढ़िया चर्चा — देखते हैं क्या होता है ?
विश्वयुद्ध में परिणत हो ही जाये कौन जाने ? वैसे चीन से शुरू हुआ और विश्व को अपनी चपेट में ले लिया । सब कोरोना से लड़ रहे हैं यही विश्व युद्ध है , जबकि भारत की छोड़ दें तो चिन के आँकड़े सबसे कम हैं ।
यह कहना बहुत कठिन है अभी के समय में.
ऐसा तो लग ही रहा है की विश्वयुद्ध की शुरुआत चीन ही करेगा
सही बात है ऐसा हो सकता है
मुझे भी ऐसा ही लगता है
बहुत बढ़िया website है जो हिंदी में ऐसी जानकारी देती है, चीन को रोकना ज़रूरी है
हो सकता है चीन से हो…क्योंकि वही सबको लूट रहा है और दादागिरी कर रहा है