ओहो ब्लॉगवाणी बंद हो गया पर हमारी क्या गलती थी….

                   आज सुबह उठकर ब्लॉगवाणी साईट खोली, नये हिन्दी चिट्ठे पढ़ने के लिये पर ये क्या ये तो अलविदा का सन्देश ब्लॉगवाणी के तंत्रजाल पर। कल ही किसी महाशय की पोस्ट पढ़ी थी जिसमें ब्लॉगवाणी  की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाये गये थे, पोस्ट पढ़कर बुरा तो लगा कि इन महाशय को शायद ब्लॉगवाणी का हिन्दी चिट्ठों के प्रति योगदान पता नहीं होगा इसलिए यह उसके और उसके पीछे जुड़ी टीम की मेहनत को नजर अंदाज कर रहे हैं। ब्लॉगवाणी साईट के मालिकों ने कभी भी इसका उपयोग अपने व्यावसायिक गतिविधियों के लिये नहीं किया, केवल हिन्दी के प्रति प्रेम और हिन्दी के प्रति सम्मान और जन जन ब्लॉगरों के बीच में से एक लेखक का निकालना ही उनका यह हिन्दी एग्रीगेटर चलाने का उद्देश्य था। पर कुछ नासमझ हमारे ही भाई बंद लोग उनकी गतिविधियों के पीछे पड़ गये जैसे वे उनके घर की मुर्गी हो जिसे कुछ भी बोल सकते हों या उनका चिट्ठे को कुछ व्यावसायिक नुकसान हो रहा हो।
                अब इन नासमझ लोगों को क्या कहें कि वाणी से कुछ भी किया जा सकता है अगर मीठी होगी तो सब आपके पास आयेंगे और बुरी होगी तो सब दूर भागेंगे। केवल शब्द की जादूगरी से बनती हुई बात को बनाया जा सकता है और बिगाड़ा भी जा सकता है। मेरा ब्लॉगवाणी के संचालकों से विनम्र निवेदन है कि इन जैसे ब्लॉगरों को नजरअंदाज कर अपने हिन्दी के प्रति प्रेम और सम्मान को बनाये रखें और इस बेहतरीन हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर को शुरु कर इसे इतिहास का पन्ना न बनने दें।

alvidablogvaani

17 thoughts on “ओहो ब्लॉगवाणी बंद हो गया पर हमारी क्या गलती थी….

  1. आदरणीय मैथिली जी और प्रिय सिरिल ,
    आपको विजयदशमी की बधाई और ढेरो शुभकामनाएं ! मैं यह क्या देख रहा हूँ ? ब्लागवाणी को बंद कर दिया आपने ? विजयदशमी पर आपने यह कैसा उपहार दिया है ! मैं तो स्तब्ध हूँ ! क्या इस निर्णय के लिए यही सबसे उपयुक्त समय था ! विजयदशमी असत्य पर सत्य के विजय का पर्व है -आसुरी प्रवृत्तियों पर देवत्व के अधिपत्य के विजयोल्लास का पर्व ! यही हमारी सनातन सोच है ,जीवन दर्शन है ! ऐसे समय इस तरह की क्लैव्यता ? कभी राम रावण से पराजित भी हुआ है ? यह आस्था और जीवन के प्रति आशा और विश्वास के हमारे जीवन मूल्यों के सर्वथा विपरीत है कि प्रतिगामी शक्तियां अट्ठहास करने लग जायं और सात्विक वृत्तियाँ नेपथ्य में चली जायं ! और वह भी आज के दिन -विजय दशमी के दिन ही ?
    आपसे आग्रह है कि सनातन भारतीय चिंतन परम्परा के अनुरूप ही ब्लागवाणी को आज विजयदशमी के दिन फिर से प्रकाशित करें ! सत्यमेव जयते नान्रितम के आप्त चिंतन को आलोकित करें !

    अगर आप ऐसा नहीं करते तो हिन्दी ब्लागजगत की विजयदशमी कैसे मनेगी ? ब्लागवाणी के अनन्य मित्रों ,प्रशंसकों को आप आज के दिन यही उपहार दे रहे हैं -वे क्या अपने को पराजित और अपमानित महसूस करें? नहीं नहीं आज के दिन तो यह निर्णय बिलकुल उचित नहीं है ! ऐसा न करें कि राम पर रावण की विजय का उद्घोष हो ?पुनर्विचार भी न करें, ब्लागवाणी के तुरीन से तत्काल शर संधान कर असत्य और अन्याय के रावण का वध करे -प्रतिगामी शक्तियों को पराभूत करें! हम आपका आह्वान करते हैं !

  2. सबसे पहलं आपकी ही पोस्‍ट पढी फिर ब्‍लागवाणी देखी। मन धक से रह गया। मैंने तो अभी कुछ ही दिनों से इसके माध्‍यम से पोस्‍ट पढना शुरू किया था। सच में बहुत कमी अनुभव होगी। लेकिन शायद ब्‍लागवाणी की टीम का गुस्‍सा कुछ दिनों में ही शान्‍त हो जाए।

  3. अफसोसजनक हादसा।

    ब्लॉगिंग को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाता है तो यह स्वतंत्रता हर क्षेत्र में होती है, फिर चाहे वह समाज सेवा हो या व्यवसाय।

    यह ब्लॉगवाणी का अपना निर्णय था, शायद कुछ और बेहतर कर गुजरने के लिए।

    अब तक ब्लॉगवाणी से मिला दुलार याद आता रहेगा। भविष्य की योजनाओं हेतु शुभकामनाएँ

    अफसोसजनक हादसा।

    ब्लॉगिंग को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाता है तो यह स्वतंत्रता हर क्षेत्र में होती है, फिर चाहे वह समाज सेवा हो या व्यवसाय।

    यह ब्लॉगवाणी का अपना निर्णय था, शायद कुछ और बेहतर कर गुजरने के लिए।

    अब तक ब्लॉगवाणी से मिला दुलार याद आता रहेगा। भविष्य की योजनाओं हेतु शुभकामनाएँ

    बी एस पाबला

  4. सुबह चाय पीते समय अखबार की आदत जैसे ही कम्प्यूटर खोलते ही ब्लॉगवाणी ओपन करने की आदत सी हो गई है। अब क्या करें?

    हमने तो सोचा था कि भविष्य में ब्लॉगवाणी पसंद अंग्रेजी डिग जैसे ही हिन्दी ब्लोग की लोकप्रियता का मानदंड बन जाएगी परः

    मेरे मन कछु और है कर्ता के कछु और ….

    Man supposes God disposes …..

  5. -दुखद फैसला..ब्लॉगवाणी से निवेदन है कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे क्योंकि ये अग्रीग्रेटर तो हिंदी ब्लॉग्गिंग की बैसाखी हैं..एक ब्लोग्वानी दूसरा चिट्ठाजगत..एक बैसाखी रही नहीं अब देखते हैं कितनी दूर तक हिंदी ब्लॉग्गिंग लडखडा कर चल पाती है?
    -किसी ने सही कहा है ' मुफ्त सेवाओ का उपयोग करना भी एक कला है..'
    और अनुपस्थिति में ही किसी वस्तु की महत्ता का अहसास होता है..

  6. .
    .
    .
    मैं सहमत हूं सभी टिप्पणीकारों की भावना से…

    लगाये गये आरोप गलत थे तथा आरोप लगाने वाले के तकनीक के प्रति अज्ञान को जाहिर करते थे।

    "ब्लागवाणी चलाना हमारी मजबूरी कभी न थी बल्कि इस पर कार्य करना नित्य एक खुशी थी. पिछले दो सालों में बहुत से नये अनुभव हुए, मित्र भी मिले. उन सबको सहेज लिया है, लेकिन अब शायद आगे चलने का वक्त है. तो फिर अब हम कुछ ऐसा करना चाहेंगे जिससे फिर से हमें मानसिक और आत्मिक शांति मिले."

    यहां पर यह भी कहूंगा कि मात्र हिन्दी के प्रति प्यार के चलते मिशनरी भावना के चलते यदि ब्लॉगवाणी जैसे प्रयास होते हैं तो किसी के लिये भी लम्बे समय तक उसे चलाना मुश्किल होगा, जेबें चाहे कितनी गहरी हों…

    हिन्दी ब्लॉग जगत अभी अपने शैशव में है पर यह अपार संभावनाओं युक्त युवा होगा इसमें किसी को किंचित भी संदेह नहीं होना चाहिये…यह एक बड़ा बाजार भी होगा…और फिर…एक प्रॉफिटेबल हिन्दी एग्रीगेटर जो प्रोफेशनली चले…शीघ्र ही होगा हम हिन्दी वालों के पास

    अलविदा ब्लॉगवाणी! दो वर्ष का यह साथ बेहद फलदायी रहा…
    ब्लॉगवाणी के संचालकों को उनके सुखद भविष्य हेतु शुभकानायें…

  7. प्रवीण जी आप कह रहे हैं कि लगाये गये आरोप गलत थे तथा आरोप लगाने वाले के तकनीक के प्रति अज्ञान को जाहिर करते थे।
    तो साबित कीजिये इसे। देखियेगा,कहीं अलबेला खत्री जैसों को कुछ कहने जैसा न हो जाये। ब्लॉगवाणी का विवाद इतिहास भी छान लीजियेगा पुराने ब्लॉगरों से। ब्लॉगवाणी का बंद होना कुछ अरसा पहले से ही तय था।
    मैं सोचता था कि मैं ही मूरख हूँ 🙂

  8. @ जी के अवधिया
    चाय भी छोड़ दीजिए
    इसका एकमात्र हल यही है
    पर आप यह हल चला पायेंगे

    ब्‍लॉगवाणी का खोना
    खोए का स्‍वाद भी जाता रहा।

  9. ब्लागवाणी का बंद होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. संचालक गण कृपया अपने फैसले पर पुनर्विचार करें.

  10. आदरणीय मैथिली जी और प्रिय सिरिल जी नमस्कार, भाई अगर किसी एक दो ने बकवास कर दी, तो इस का मतलब यह तो नही सारी कलास को ही सजा दो…. हम सभी बहुत उदास है, ओर आप को कोई हक नही बिना बात सब के दिल दुखाओ, लोट आओ भाई, ओर हमे हमारा ब्लांग बाणी लोटा दो… सभी बहुत दुखी है, उदास है. लोट आओ … आप की इंतजार मै हम सब.

    आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.

  11. ब्लॉगवाणी का जाना बेहद दुखद एवं अफसोसजनक.
    हिन्दी ब्लॉगजगत के लिए यह एक बहुत निराशाजनक दिन है.
    संचालकों से पुनर्विचार की अपील!

    विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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