आखिरी बात हमेशा अपने वित्तीय निर्णय लेने के पहले अपने जीवनसाथी को अपने निर्णय के बारे में जरूर बतायें, कम से कम इस बहाने घरवाली को हमारे वित्तीय निर्णयों का आधारभूत कारण पता रहता है और उनके संज्ञान में भी रहता है, इससे शायद उनको भी अपने मित्रमंडली में मदद देने में आसानी हो। जीवन और निवेश सरल बनायें, दोनों सुखमय होंगे।
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हम स्वभाव से ही तामसी होते जा रहे हैं..
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ॥ १० ॥ अध्याय १७
अर्थात – खाने से तीन घंटे पूर्व पकाया गया, स्वादहीन, वियोजित एवं सड़ा, जूठा तथा अस्पृश्य वस्तुओं से युक्त भोजन उन लोगों को प्रिय होता है, जो तामसी होते हैं ।
आहार का उद्देश्य आयु को बढ़ाना, मस्तिष्क को शुद्ध करना तथा शरीर को शक्ति पहुँचाना है, प्राचीन काल में विद्वान पुरुष ऐसा भोजन चुनते थे, जो स्वास्थ्य तथा आयु को बढ़ाने वाला हो, यथा दूध के व्यंजन, चीनी, चावल, गेंहूँ, फ़ल तथा तरकारियाँ । ये भोजन सतोगुणी व्यक्तियों को अत्यन्त प्रिय होते हैं। ये सारे भोजन स्वभाव से ही शुद्ध हैं ।
आजकल हम दोपहर का टिफ़िन ले जाते हैं, जो कि वाकई तीन घंटे से ज्यादा हमें रखना पड़ता है और वह बासी हो गया होता है, सब्जी का रस सूख गया होता है, दाल बासी हो गई होती है । अब हम स्वभाव से ही तामसी होते जा रहे हैं, कहने को भले ही मजबूरी हो परंतु सत्य तो यही है।
हमारा जीवन जीने का स्तर अब तामसी हो चला है, जहाँ हमें अपना समय चुनने की आजादी नहीं है और वैसे ही बच्चों को भी हम आदत डाल रहे हैं, जैसे बच्चों को सुबह आठ बजे स्कूल जाना होता है और उनका भोजन का समय १२ बजे दोपहर का होता है तो वे कम से कम ४-५ घंटे बासी खाना खाते हैं, यह बचपन से ही तामसी प्रवृत्ति की और धकेलने की कवायद है। बच्चों को स्कूल में ही ताजा खाना पका पकाया दिया जाना चाहिये। जिस प्रकार पूर्व में आश्रम में शिष्यों को ताजा आहार मिलता था।
अगर हमारे पुरातन ग्रंथों में कोई बात लिखी गई है तो उसके पीछे जरूर कोई ना कोई वैज्ञानिक मत है, बस जरूरत है हमें समझने की ।
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कम उम्र में मानसिक तनाव के कारण बड़ रहीं शारीरिक समस्याएँ
इस भागती दौड़ती दुनिया में तनाव बड़ता ही जा रहा है, कुछ शारीरिक समस्याएँ वर्षों पहले कुछ उम्र के बाद होती थीं याने कि लगभग ५० वर्ष के बाद होती थीं । अब वे शारीरिक समस्याएँ तेजी से कम उम्र की अवस्था में होने लगी हैं।
सब कहते हैं कि स्वस्थ्य जीवन जीना चाहिये, सबकी इच्छा स्वस्थ्य जीवन जीने की होती है, परंतु या तो समय पास ना होने की लाचारी होती है या फ़िर आराम तलबी के कारण पसीना नहीं बहाने देने की लाचारी होती है।
ये शारीरिक समस्याएँ मानसिक तनाव की वजह से घर कर रही हैं, आजकल नौकरी में इतना तनाव होता है कि व्यक्ति पल पल केवल अपनी व्यवसायिक समस्याओं को निपटाने में ही दिमाग में उलझा होता है, और इसी उलझन में उधेड़बुन में कब यह तनाव उसके शरीर को लक्ष्य करने लगता है, उसे पता ही नहीं चलता है।
दो तीन दिन पहले ही पता चला कि लगभग ४० वर्षीय एक सहकर्मी को पहले दिल में ब्लॉकेज की समस्या हुई और फ़िर वे कोमा में चले गये और अगले ही दिन वे नहीं बचे। इस व्यवसायिक तनाव के कारण सीधे दिल पर भार पड़ रहा है। सहकर्मी की मौत से हृदय विचलित हो गया है।
ऐसे ही कुछ महीनों पूर्व एक आई.टी. कंपनी के २९ वर्षीय कर्मचारी भी तनाव का शिकार हो चुके हैं। भारत की नंबर १ सॉफ़्टवेयर उत्पाद कंपनी में कार्य करने वाले इस २९ वर्षीय युवा को तो दिल का दौरा मोटर साईकिल से अपने ऑफ़िस जाते वक्त ही पड़ गया। और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
हमें तो तनाव के कारण गई जिंदगियों में कुछ की ही जानकारी है, कुछ जिंदगियाँ जो कि मौत से गले मिल लेती हैं और उनके बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलता है। शायद कंपनियों में तनाव कम करना होगा या फ़िर तनाव को कैसे व्यवस्थित किया जाये और कैसे खत्म किया जाये, इसके बारे में जागरूकता फ़ैलानी होगी।
हमारे विद्यालयों और महाविदयालयों में बच्चों को केवल शिक्षा दी जाती है, पर शायद यही वे जगहें हैं जहाँ बच्चों को मानसिक स्तर पर मजबूत किया जा सकता है और जो लोग अब कार्य कर रहे हैं, उन्हें नियमित वर्कशाप लगाकर मानसिक स्तर पर मजबूत किया जाना चाहिये। जिससे कंपनियों को अच्छे मानसिक मजबूती वाले लोग तो मिलेंगे ही, साथ ही कंपनी की श्रम उत्पादकता भी बढ़ेगी।
नोट : – चित्र गूगल से साभार।
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कैलोरी वजन और व्यायाम जलाओ जलाओ कैलोरी जलाओ.. (Burn Calorie, weight and exercise..)
वजन कम करना भी एक टेढ़ी खीर है, और अब तो यह एक व्यवसाय बन गया है। जिस चौराहे पर देखो उधर वजन कम करने का और कमर कम करने का विज्ञापन दिखाई देता है। विज्ञापन देखकर वजन कम करने के लिये प्रेरित तो होते हैं, परंतु जब वजन कम करने के लिये पसीना बहाना होता है तो अच्छे अच्छों को नानी याद आ जाती है।
१५ मिनिट का व्यायाम भी १५ घंटे के बराबर लगता है, वह एक घंटा बहुत ही मुश्किल से बीतता है, फ़िर हाथ पैरों में जो ऐंठन और दर्द होता है, उसका तो पूछना ही क्या । वजन कम करने के लिये आत्मप्रेरित होना होता है, जब शरीर व्यायाम करता है तो सारे शरीर में खून का प्रवाह ठीक होने लगता है और दिमाग के स्नायु भी अच्छे से कार्य करने लगती हैं। मानसिक उत्पादन बड़ता है और व्यक्ति को भी अच्छा लगता है।
आज सुबह ही प्रवचन (कहाँ से और किस से ना पूछें तो मेहरबानी होगी) में सुन रहे थे कि एक घंटे में धीमी गति से अगर ३.२ कि.मी. चला जाये तो २०० कैलोरी जलती है और अगर तीव्र गति से चला जाये तो ११०० कैलोरी जलती है, एक किलो वजन कम करने के लिये लगभग ८३०० कैलोरी जलाना पड़ती हैं। तो हमने भी झट से एक्सेल में गणना की तो लगा कि बहुत मेहनत का कार्य है यह भी !
धीमी गति से चलने पर | तीव्र गति से चलने पर | |
1 किलो कम करने के लिये कैलोरी | 8300 | 8300 |
1 घंटे में जली कैलोरी | 200 | 1100 |
कुल घंटे एक किलो कम करने के लिये | 41.5 | 7.545454545 |
अब गणना तो कर ली है, सोचते हैं कि खाने में कभी ध्यान नहीं देते हैं, और खाते समय कैलोरी गणना को पाप मानते हैं। जैसे कॉफ़ी पीते हैं तो एक कप में २०० कैलोरी होती है, यह कैलोरी तो कॉफ़ी की होती है और शक्कर की अलग, ऐसे ही चाय की। बिस्किट्स और चिप्स की भी कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं। मिठाई और नमकीन की कैलोरी भी बहुत ज्यादा होती हैं। मैगी, कोल्डड्रिंक्स, मक्खन, चीज में भी भरपूर कैलोरी होती हैं। इसलिये अब कैलोरी का भी ध्यान रखना होगा।
अभी तक जबान के स्वाद के लिये खाते थे, अब कैलोरी खायेंगे और कैलोरी ही निकालेंगे। सुना है ग्रीन टी, गरम पानी, कच्ची सब्जियाँ, उबली सब्जियाँ कम कैलोरी और कैलोरी का नाश करने वाली होती हैं, परंतु बिना स्वाद कैसे यह सब जबान के रास्ते उदर तक पहुँचेगी। खाना भरपूर खाना चाहिये, क्योंकि डायटिंग से कुछ होने वाला नहीं हैं। जरूरत है अपनी खाई गई कैलोरी को जलाने की और अगर उससे ज्यादा जलायेंगे तो थोड़ा वजन भी कम होगा, आगे आगे देखते हैं कि कितनी कैलोरी खा पाते हैं और कितनी जला पाते हैं।