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सुपर शूज़ की लड़ाई में Nike आगे बढ़ी

सुपर शूज़ की लड़ाई में Nike आगे बढ़ी, और किप्टम ने Nike के डेव 163 प्रोटोटाइप पहनकर दौड़ते हुए मैराथन विश्व रिकॉर्ड तोड़ा।

अभी दो सप्ताह पहले, दौड़ की दुनिया में तब हड़कंप मच गया जब टाइगस्ट असेफा ने बर्लिन मैराथन में 2:11:53 के समय में महिला मैराथन विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। असेफा ने हाल ही में जारी एडिडास सुपर शू, एडिज़ेरो एडिओस इवो प्रो 1 पहनकर यह मैराथन दौड़ी थी। और उसके बाद असेफ़ा को गर्व से जूते को अपने सिर के ऊपर उठाते हुए और फिनिश लाइन पर चूमते हुए भी देखा गया था।

रेस से पहले उन्होंने कहा, ‘यह अब तक का सबसे हल्का रेसिंग जूता है जो मैंने पहना है।’ ‘उसे पहनकर दौड़ना एक अद्भुत अनुभव है – जैसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया।’

लेकिन अब, ठीक दो हफ्ते बाद, नाइकी ने पलटवार किया है। इस वीकेंड शिकागो मैराथन में, केल्विन किप्टम ने 2:00:35 टाइमिंग में पुरुषों के मैराथन रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

इन सुपर शूज में कार्बन की एक परत लगा दी गई है, जिससे ये शूज बेहद हल्के हो गये हैं और इसकी शुरुआत nike ने की थी, जिसे बाद में सभी कम्पनियों ने अपना लिया।

परेशानी, शेयर बाजार कमाई और सीखने की चाहत

आज बड़ी परेशानी हुई, ऑफिस का लेपटॉप अचानक ही क्रेश हो गया, मतलब कि लेपटॉप चार्ज ही नहीं हो रहा था और कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट बनाने थे, जिस पर एक बड़ी मीटिंग शेड्यूल थी। डॉक्यूमेंट में आलमोस्ट सारी चीजें अपडेट कर चुके थे, और onedrive पर सिंक हो गई, यह एक बढ़िया बात रही। हमने क्रेश होने के बाद मोबाइल पर onedrive डाऊनलोड करा और अपने सहकर्मियों को शेयर कर दिया। जिससे फायदा यह हुआ कि मीटिंग री शेड्यूल नहीं करना पड़ी। हाँ अपने बॉस को जरूर अपडेट कर दिया था और कंपनी के IS टीम के साथ टिकट खोला और फिर पता चला कि वे कुछ नहीं कर सकते, लेपटॉप अभी वारंटी में है तो लेपटॉप कंपनी से टिकट ओपन किया गया और अब वो हमारे घर पर आकर कुछ पार्ट बदलेगा।

बाद में लेपटॉप कंपनी वालों का फोन आया, और उन्होंने बताया कि हम मोबाईल के सी टाइप चार्जर से भी चार्ज करके देख सकते हैं, हमने मोबाईल के चार्जर से चार्ज करके देखा तो थोड़ा बहुत चार्ज हो गया। पर चार्जिंग बहुत ही धीमी हो रही है। अब लेपटॉप कम्पनी वाला परसों आयेगा और लेपटॉप का चार्जिंग पोर्ट बदलेगा। तब तक मोबाईल के चार्जर से ही काम चलाना पड़ेगा। लेपटॉप का सी टाइप चार्जर मिल जाये, इसका जुगाड़ भी जारी है। वहीं अगर यह काम नहीं हुआ तो कंपनी डॉकिंग स्टेशन भेजेगी।

पर एक छोटी सी चीज खराब होने से बहुत ही समस्या हो जाती है, और दिनभर का शेड्यूल बिगड़ जाता है, बहुत सारा काम था, पर दिमाग में काम की बजाय यही चल रहा था कि अब काम कैसे चलेगा। ऐसी परेशानियों को झेलना मुश्किल होता है।

वहीं परसों मंथली एक्सपायरी है और एक डील गलत होने से अपना 4% का प्रॉफिट चला गया, फिर भी 1% प्रॉफिट इस महीने का रहेगा। अब शेयर बाजार में यह सब तो चलता ही रहता है। अब vix जब थोड़ी ज्यादा होगी तो ऑप्शन की प्रीमियम भी ज्यादा बेचने को मिलेगी। फेसबुक पर एक मित्र ने अपनी पोस्ट में ऑप्शन बेचने का लिखा था, हमने उनकी पोस्ट पर कमेंट किया कि You are on right track, just use 3 months support and resistance and sell strangle for safe side, vix is important factor. No need to learn from anywhere, just do your paper trade. And soon you will be able to earn minimum 3 to 6% monthly on your capital with risk management.

अब उनको सीखने में मदद भी कर रहा हूँ, देखते हैं कि हम कितना सिखा पाते हैं और वे कितना सीख पाते हैं। मुझे ऐसे लोग पसंद आते हैं जो सीखने की कोशिश करते हैं, न कि टिप्स के पीछे भागते हैं। कल ही एक मित्र को कह रहा था कि कोई अगर 10 लाख से यह काम शुरू करे तो 30 हजार रुपये हर महीने के आराम से रिस्क मैनेज करके कमा सकता है, बस सीखना पड़ेगा और बाजार स्व कमाने की जल्दीबाजी न करे। वहीं इससे ज्यादा कमाई का सोचा तो रिस्क मैनेज नहीं कर पायेंगे। साल का 40% रिटर्न अपने कैपिटल पर बहुत बढ़िया होता है। पर पब्लिक को तो रातों रात अमीर बनना होता है, और फिर शेयर बाजार को सट्टा बाजार कहते हैं, उन पर तरस आता है।

पुराना मोबाईल कैसे बेचें, अब एक्सचेंज बंद है।

इस बार के अमेजन प्राइम डे में बेटेलाल के लिए नया फोन तो ले लिया। पुराने फोन के साथ एक्सचेंज ऑफर उपलब्ध तो थे, परंतु जब पेमेंट पेज पर आते थे तो लिखा हुआ आता था कि यह फोन बिना एक्सचेंज के आपके पिनकोड पर उपलब्ध है, मतलब कि बेंगलुरु में एक्सचेंज उपलब्ध नहीं था।

फिर हमने अमेजन कस्टमर केयर पर बात करी, पर समस्या का हल नहीं निकला, उन्होंने कहा कि यह कूरियर की प्रॉब्लम है। कूरियर वाले एक्सचेंज को सपोर्ट नहीं कर रहे है। हमने कई और पिन कोड पर एक्सचेंज के साथ डिलीवरी करने का ट्राई किया, तो लगभग सब जगह वही मैसेज हमें दिखाई दिया।

फोन लेना जरूरी था तो हमने ले लिया। फिर उसके बाद हम यह सोचने लगे अब इस पुराने फोन को कैसे ठिकाने लगाया जाए, क्योंकि कुछ ही दिनों में वह बेकार हो जाता फोन 6 वर्ष पुराना हो चुका था और बॉडी तथा स्क्रीन में थोड़ा डैमेज भी था।

इंटरनेट पर घूमते हुए हमें रिसाइकल डिवाइस कंपनी का पता चला और हमने ऑनलाइन पुराने फोन के डिटेल डाल दिये, जिसमें कि हमारे पुराने फोन की कीमत लगभग ₹3100 दिखा रहा था और अमेजॉन वाउचर लेने पर 10% एक्स्ट्रा दे रहा था तो लगभग हमें ₹3400 का एस्टीमेट मिला।

आज रीसाइकिल डिवाइस (recycledevice) से उनका बंदा आया और फोन चेक करने के बाद हमें बताया की बॉडी ज्यादा ही डैमेज है, इसके लिए हम टोटल ₹3000 दे पाएंगे हमने तत्काल ही हाँ कर दी और उन्होंने हमारा आधार कार्ड लिया और आधार कार्ड का ओटीपी भेजकर आधार कार्ड से वेरीफाई किया। हमने पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो तब वे बोले रेगुलेटरी अथॉरिटी का नया फरमान है कि एक्सचेंज के समय ओरिजिनल मोबाइल का डब्बा, चार्जर मोबाइल के साथ लेना जरूरी है। यह कदम इसलिए है इससे चोरी का मोबाइल एक्सचेंज में नहीं जा सकेगा साथ ही सेकंड हैंड मार्केट में चोरी का मोबाइल कोई खरीद नहीं पाएगा।

तब हमें ध्यान आया कि फ्लिपकार्ट ने अब ओरिजिनल मोबाइल के डब्बे के साथ चार्जर भी लेना शुरू कर दिया है इसके बिना वह एक्सचेंज नहीं लेते।

हमने उनसे पूछा आप इस मोबाइल का आखिर करोगे क्या? तो वह बोले इसके अंदर के पार्ट्स जो सही सलामत हैं उसकी वैल्यू बहुत ज्यादा है, इसलिए हमें इसमें भी बहुत फायदा है।

वर्डस्टार

पाइरेसी के बिना कोई सॉफ़्टवेयर प्रसिद्ध नहीं हुआ

आज सुबह अपने मैक पर कमांड स्पेस दबाकर विनवर्ड लिखकर खोलने की कोशिश कर रहा था, पर सजेशन में आया हुआ बिना देखे ही क्लिक कर दिया। वर्डस्टार का विकिपीडिया पेज खुल गया। वर्डस्टार का नाम देखते ही अपने वो पुराने दिन याद आ गये जब हमने कंप्यूटर सीखा था और वर्डस्टार, लोटस 123 और डीबेस पर अपनी मास्टरी थी। मुझे लगता है कि हम लोग तकनीक के युग में बहुत पीछे रहे। और एक बात कि पाइरेसी के बिना कोई सॉफ़्टवेयर प्रसिद्ध नहीं हुआ, अगर सबको सॉफ़्टवेयर लाइसेंस ख़रीदना होता तो, शायद ही भारत में लोग कंप्यूटर की तरफ़ आकर्षित होते।

सॉफ़्टवेयर व हार्डवेयर कंपनियाँ यह जानती थीं कि हार्डवेयर में पाइरेसी नहीं की जा सकती, परंतु अगर सॉफ़्टवेयर पाइरेसी नहीं करने दी गई तो हार्डवेयर याने कि कंप्यूटर भी नहीं बिकेगा। उस समय कंप्यूटर ख़रीदने पर सॉफ़्टवेयर इंस्टाल करने के लिये बक़ायदा सूचि बनाकर दी जाती थी। कंप्यूटर बेचने वाला सारे सॉफ़्टवेयर व अपनी तरफ़ से भी कुछ पाइरेटेड सॉफ़्टवेयर डालकर दे देते थे। मेरा पहला पीसी 486 dx 2 था और सीखना 286, 386 से शुरू किया था।

वर्डप्रोसेसर में उस समय वर्डस्टॉर, वर्डपरफेक्ट अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे, वहीं डाटाबेस के लिये डीबेस, प्रोग्रामिंग के लिये भी डीबेस, बेसिक, सी, सी प्लस प्लस थे और स्प्रेडशीट के लिये लोटस १२३ एकमात्र बेताज बादशाह था। ये सब प्रोग्राम अधिकतर पाइरेटेड ही मिलते थे, ख़रीदना कोई नहीं चाहता था, क्योंकि इनकी क़ीमत बहुत ज़्यादा थी या फिर ये सब आउटडेटेड हो चुके थे, और अमेरिका में उस समय कुछ नया चल रहा होता था, जो भारत में आने में बहुत समय लगता था, वर्डस्टार अमेरिका में लगभग 1984 में ख़त्म होने की कगार पर था वहीं भारत में वर्ष 2000 तक तो मैंने ही लोगों को उपयोग करते देखा है, यह पहला ऐसा वर्ड प्रोसेसर था जिसने कंपनी को एक साल में ही मिलियन डॉलर कंपनी बना दिया था, ढ़लान इसलिये शुरू हुआ कि यह लेजर प्रिंटर को सपोर्ट नहीं करता था।

सॉफ़्टवेयर की दुनिया में वर्डस्टार पाइरेसी में अव्वल नंबर पर रहा है, शायद माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस उसके बाद हो, माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस भी केवल इसलिये ही पापुलर है कि बिल गेट्स ने शुरुआत में पाइरेसी पर कंट्रोल नहीं किया, शायद उनका मक़सद यह था कि पहले ये तीसरी दुनिया के लोग सीखें और काम करना शुरू करें, क्योंकि लाइसेंस है या नहीं, ढूँढना कोई बहुत आसान काम नहीं था।

कहीं न कहीं सॉफ़्टवेयर कंपनियों की तरफ़ से भी पाइरेसी के लिये ढ़ील थी और दूसरा वे जानते थे कि पाइरेसी वर्जन उपयोग करने वाले लोगों को ढूँढना और फिर उन पर कार्यवाही करना बेहद दुश्कर कार्य है। आज कोई भी नया सॉफ़्टवेयर तभी प्रसिद्ध होता है जब वह फ़्री में उपलब्ध हो या फिर पाइरेसी के साथ उपलब्ध हो।

ब्लॉग लेखन के लिये मेकबुक एयर लेपटॉप को चुनने की प्रक्रिया

ब्लॉग लिखते हुए १२ वर्ष से ज्यादा हो गये, परंतु अब मेकबुक एयर खरीदा है, शुरूआत में मेरे पास डेस्कटॉप था, फिर मेरा पहला लेपटॉप सोनी वायो था, और उसके बाद लेनेवो का लेपटॉप, जिसे अभी लगभग ३ वर्ष ही हुए हैं। लेनेवो के लेपटॉप में ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं है, अभी तक चल रहा था, विन्डोज १० का कोई एक अपडेट २३ महीने पहले आया, जिसके कारण मेरा लेपटॉप हैंग होने लग गया। क्योंकि मेरे लेपटॉप में ४ जीबी रैम और ५०० जीबी की हार्डडिस्क है, तो पता चला कि कोई प्रोसेस ही ज्यादा मैमोरी ले रही है और इसके कारण हमारा लेपटॉप बहुत धीमा चल रहा है। तब तक मैं वीडियो भी केमेस्टेशिया पर बनाता था। जो कि विन्डोज के लिये एक बेहतरीन उपलब्ध सॉफ्टवेयर है।

लाईनिक्स मैं हालांकि बहुत वर्षों से उपयोग कर रहा हूँ, परंतु वीडियो बनाने के लिये लाईनिक्स का उपयोग करने की शुरूआत मैंने अभी पहली बार की, सबसे पहले उबन्टू 16.04 LTE का इंस्टालर डाऊनलोड किया जो कि पेनड्राईव पर लोड करके, पेनड्राईव से बूट किया और फिर उबन्टू संस्थापित किया। Ubuntu 16.04 तक मिनिमाईज, मैक्जिमाईज और क्लोज का बटन उल्टे हाथ की तरफ था, जिससे विन्डोज को उपयोग करने वाले लोगों के लिये बहुत परेशानी थी। २४ दिन बाद ही Ubuntu 18.04 LTE के अपग्रे़ड उपलब्ध होने का मैसेज आया। हमने हाथों हाथ अपग्रेड कर लिया, यहाँ Ubuntu ने विन्डोज वाले लोगों के लिये मिनिमाईज, मैक्जिमाईज और क्लोज का बटन सीधे हाथ की ओर दे दिया, तो अब सबसे ब़ड़ी परेशानी खत्म हो चुकी थी।

अब विन्डोज १० केवल हमारे लिये प्रिंट निकालने के लिये ही काम आने लगा, वह भी कई बार रिस्टार्ट करने के बाद, हमने अपने लेपटॉप का १८० जीबी लाईनिक्स को दिया और बाकी का विन्डोज के पास ही रहने दिया, लाईनिक्स ने ऑटोमेटिक प्रिंटर तो संस्थापित कर लिया, परंतु प्रिंट नहीं निकला, प्रिंट निकालने की समस्या खड़ी हो गई, बहुत बार गूगल किया और प्रिंटर संस्थापित किया, परंतु सफलता नहीं मिली। टर्मिनल में कमांड लिखने में बहुत परेशानी होती है, परंतु हमें उतनी परेशानी महसूस नहीं होती है। हमने बहुत कोशिश की, परंतु कुछ हुआ नहीं। उल्टा गड़बड़ ये हो गई कि लेपटॉप का माइक और स्पीकर चलना बंद हो गया।

वीडियो रिकार्डिंग के लिये हम लाईनिक्स में काजम Kazam का उपयोग करते हैं, जो कि सीधे ही .mp4 फार्मेट में वीडियो फाईल सेव कर देता है, और वीडियो की रेन्डरिंग भी नहीं करनी पड़ती। इसी से ही स्क्रीनशॉट भी ले सकते हैं, या फिर Screenshot सॉफ्टवेयर का उपयोग भी किया जा सकता है। अब बहुत परेशना की बात हो गई थी, क्योंकि हमारा फाईनेंशियल बकवास यूट्यूब चैनल है और इस चैनल पर हम हर सप्ताह २ वीडियो डालते हैं, एक रविवार को और एक बुधवार को। लेपटॉप बहुत भारी भी है, साथ ही बैटरी लाईफ भी कम है। हमने बहुत शोध किये और अंतत: पाया कि हमारी सारी समस्याओं का एक ही समाधान है, कि हम या तो लाईनिक्स बेस्ड लेपटॉप पर शिफ्ट हो जायें या फिर एप्पल के मेकबुक एयर पर। इस लेपटॉप में एक और समस्या हुई कि स्क्रीन पर ब्लैक डॉट्स आ गये हैं, तो स्क्रीन ज्यादा दिन नहीं चलेगी, और न ही यह लेपटॉप एक्सचेंज में जायेगा, क्योंकि यह फिजिकल डैमेज माना जाता है।

लाईनिक्स के लेपटॉप भी SSD HDD के साथ 42 हजार के आसपास पड़ रहा था, और उसकी बैटरी लाईफ भी कम थी, ज्यादा से ज्यादा ३४ घंटे, परंतु वहीं मैक एयर की बैटरी लाईफ १२ घंटे और वजन १ किलो कम याने कि १.३९ किेलो, जबकि लाईनिक्स वाले लेपटॉप का वजन २.६ किलो। फेसबुक पर स्टेटस डालकर अपने मित्रों से राय ले ली गई, और जीत मैकबुक एयर की ही हुई, क्योंकि मैकबुक की लाईफ भी अच्छी है, और हमारे सारे काम भी हो जायेंगे, तो फ्लिपकार्ट पर आखिरी दिन की सैल में हमने मैकबुक एयर खरीद लिया, एप्पल स्टोर पर ६३ हजार का था, और फ्लिपकार्ट पर ५५ हजार का और क्रेडिट कार्ड का १०% इंस्टेंट डिस्काऊँट मिलाकर हमें लगभग ५१ हजार का पड़ा, अभी लेपटॉप को आने में २ सप्ताह हैं। फ्लिपकार्ट की डिलिवरी बहुत देरी से होती है, पर और कोई चारा ही नहीं था। अब हमारा मैकबुक एयर आ जाये, फिर हम उसके अनुभव भी साझा करेंगे।

रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।

रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।

ऐसी 5 चीजें जिनका उपयोग हम रोज करते हैं, हमें उनका उपयोग बंद कर देना चाहिये।

  1. प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच – अभी तक प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि समुद्र में प्राप्त 80 प्रतिशत कबाड़ा प्लास्टिक का होता है, जिसमें प्लास्टिक स्ट्रॉ भी शामिल है। प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह काँच की स्ट्रॉ का उपयोग करें, काँच की स्ट्रॉ खरीदें, उपयोग करें, धोयें और वापिस से उपयोग करें, इससे आप कार्बन फुटप्रिट्स में को कम करने में मदद ही करेंगे। साथ ही अपने घर में बड़े लोगों को समझायें कि मसालदानी वगैराह में प्लास्टिक की चम्मच की जगह, लकड़ी की चम्मच का उपयोग करें, लकड़ी की चम्मच ज्यादा दिन भी चलेगी।

    प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच
    प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच

  2. माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट या त्वचा की रक्षा करने वाले उत्पाद – अधिकतर टूथपेस्ट वाली कंपनियाँ अपनी पैकिंग में माईक्रोबीड्स वाले ऐसे तत्वों का उपयोग करती हैं जिन्हें प्राकृतिक तरीके से नहीं सड़ाया जा सकता या नष्ट नहीं किया जा सकता है। इससे ही लगभग 8 टन कचरा समुद्र में पहुँचता है। इस तरह के उत्पाद को खरीदने के पहले उनकी सामग्री को पढ़ लें और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद ही उपयोग करें।

    माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट
    माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट

  3. स्टीरोफोम उत्पाद – पॉलीस्टीरीन से बनने वाले ये उत्पाद, पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक जो का नॉन बॉयोडिग्रेडेबल है और उसके स्वास्थ्य पर नुक्सान ज्यादा हैं। स्टीरोफोम आधारित उत्पाद कटोरी, प्लेटों का उपयोग हम लोग अपनी पार्टियों में करते हैं। इसकी जगह हमें पर्यावरण अनुकूल उत्पादों याने कि बाँस, पेड़ की छाल या फिर पत्तों का उपयोग करना चाहिये।

    स्टीरोफोम
    स्टीरोफोम

  4. लकड़ी की चॉपस्टिक – खाना खाने के आनंद के लिये हम लोग लकड़ी की चॉपस्टिक का उपयोग करते हैं, परंतु हर साल लगभग 5.70 करोड़ (ग्रीनपीस के अनुसार आँकड़े) चॉप्स्टिक का उपयोग किया जाता है, सोचिये कि कितने सारे पेड़ इसके लिये काटने पड़ते हैं। इन चॉप्सिटकों का उपयोग न करें और इसकी जगह स्टील के काँटे या चम्मच का ही उपयोग करें।

    लकड़ी की चॉपस्टिक
    लकड़ी की चॉपस्टिक

  5. पॉलीथीन के थैले – प्लास्टिक के ये थैले नष्ट नहीं होते हैं, उनको ऐसे ही कचरे के साथ कचरा क्षैत्र में जमीन में दबा दिया जाता है और जब कचरे को नष्ट करने के लिये जलाया जाता है तो इससे जहरीली गैसें निकलती हैं और जो कि प्रदूषण भी बड़ाती हैं। कपड़े या जूट का थैला खरीदें जिसे कि बार बार उपयोग किया जा सके और प्लॉस्टिक थैले के लिये मना कर दें। इससे कम से कम थोड़ी बहुत तो हमारे फेफड़ों और धरती को राहत मिलेगी।

    पॉलीथीन के थैले
    पॉलीथीन के थैले

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चीनी समान का बहिष्कार

भारतियों पहले कामचोरी छोड़ो, काम करना सीखो और घर में अपने समान के लिये इतनी जगह बनाओ, सस्ती चीजों को उपलब्ध करवाओ, ये चीनी समान का बहिष्कार करने से कुछ नहीं होगा, चीन नहीं तो कोरिया या फिर कहीं और का समान खरीदोगे।

चाईना के समान का बहिष्कार करने वालों पहले यह सुनिश्चित करो कि भारत की तकनीक की रीढ़ चीन समान पर न हो, बताओ कि कौन सी चीज मैक इन इंडिया है –

  1. राऊटर
    2. मोडेम
    3. लेन केबल
    4. एडाप्टर
    5. डिश
    6. मोबाईल
    7. मोबाईल टॉवर में लगने वाला समान
    8. कैमरे
    9. द्रोन

और भी बहुत कुछ समान होगा। घर पर उपयोग किये जा रहे समान –

  1. टीवी
    2. फ्रिज
    3. वाशिंग मशीन
    4. लेपटॉप
    5. मोडेम
    6. मोबाईल
    7. गेम्स (सोनी, माइक्रोसॉफ्ट)
    8. कार में लगने वाले समान
    9. बाईक में लगने वाले समान
    10. किचन में बहुत से समान

महफूज भाई का कहना है कि –

ज़र्रे ज़र्रे में इंडिया के चाइना है…

काजल कुमार जी का कहना है –

मैं तो सभी पर Made in India लिख कर ही प्रयोग करता हूं जी

हमने लिखा –

हम use in india करते हैं जी

दिवांशु निगम लिखते हैं –

जिसके ऑप्शन इंडिया में उपलब्ध हैं, उसमें तो करना शुरू करें , बाकी भी होगा । धीरे धीरे ही होगा ।

दूसरी बात, आज के युग में कोई देश अकेले सब कुछ नहीं बना सकता । एक दुसरे पर निर्भरता रहती ही है । चीन की भी है पर उसे झटका लगना ज़रूरी है ।

यहाँ तो बड़ी मुश्किल से कुछ मिलता है जो मेड इन चीन ना हो , पर कोशिश कर रहे हैं । अगर हम थोड़ा भी कर पाए तो बहुत होगा ।

बाकी सब कुछ इंडिया में बनने का वेट करते रहे तो शायद अगले कई सदियों तक करेंगे ।

अपने अपने सोचने का तरीका है । बीते दिनों रविश कुमार मेरी जैसी सोच वालों को महामूरख कह दिए । शायद वो महात्मा गांधी को भी कह देते जब तक पूरे देश में पहनने के बराबर खादी ना बना पाओ तब तक विदेशी कपड़ों का बहिष्कार मत करो ।

मजेदार बात ये भी है कि बात बात पर पतंजलि प्रोडक्ट्स का विरोध करने वाले भी आजकल यही ज्ञान दे रहे हैं । सब माया है

और इस पर हमने प्रतिक्रिया दी –

कृप्या ऑप्शन बतायें, हम तो कोशिश हमेशा करते हैं कि भारतीय कंपनियों के ही उत्पाद खरीदें, पर धीरे धीरे लगभग सभी जगहों पर विदेशी कंपनियों का कब्जा होता जो रहा है, यहाँ तक कि मॉल में खरीदने की जगह हम सामान छोटी दुकान से खरीदने शुरू कर दिये, परंतु यह भी दीगर बात है कि हम अमेजन के डिस्काऊँट को इग्नोर तो नहीं कर सकते तो जो भी पैक आईटम हैं वो ग्रोसरी अमेजन से ही मँगाते हैं। हमारी देशी कंपनी फ्लिपकार्ट ग्रोसरी वाले मामले में फेल हो गई और उन्होंने ग्रोसरी स्टोर बंद ही कर दिया।

पतंजलि के उत्पाद ही सबसे पहले अमेजन पर खाली होते हैं, तो इससे भी पता चलता है कि पतंजलि के उत्पादों की माँग बहुत ही ज्यादा है।

पतंजलि के आऊटलेट्स पर उनके खुद के उत्पाद उपलब्ध नहीं हैं, बहुत मारामारी है, हम नवदर्शनम का आटा खाते हैं, सबसे बढ़िया आटा है, परंतु यहाँ उपलब्धता की बहुत मारा मारी है। केवल मेक इन इंडिया से कुछ नहीं होगा, उसकी सप्लाय भी अच्छी करना होगी और इसके लिये सरकार को ही कोई अच्छा इनिशियेटिव लेना चाहिये।

कमल शर्मा जी का कहना है –

चीन को झटका देने के लिए पहले देश में अच्‍छी क्‍वॉलिटी की चीजें बनाओ और वह भी सस्‍ते प्राइस पर। भारतीय कंपनियों ने सदैव लूटा। स्‍कूटर तक लड़की के जन्‍म लेने के समय बुक करवाना पडता था और शादी के समय मिल पाता था। तत्‍काल चाहिए तो कंपनियां ही लूटती थी। यह तो एक उदाहरण मात्र है। पी वी नरसिंहाराव ने अर्थव्‍यवस्‍था को खोला और विदेश से कंपनियां भारत आई तो क्‍या स्‍कूटर और क्‍या कार..सब कुछ धड़ाधड मिलने लगा और देसी कंपनियों एंटी डम्पिंग से लेकर विदेशी कंपनियों को भगाने की गुहार लगाती है। कामचोर कर्मचारी निजीकरण से डरते हैं और निजी वाले विदेशी से।

रिलायंस जिओ का टेलीकॉम युद्ध

आज सुबह रिलायंस जिओ के प्लॉन समाचार पत्र में पढ़े तो देखकर ही दिमाग चकरघिन्नी हो गया। अब लगा कि रिलायंस जिओ, आईडिया एयरटेल की दुकानों पर भारी पड़ने वाला है, और रिलायंस जिओ का टेलीकॉम युद्ध शुरू हो गया है जो बाकी के सभी ऑपरेटर्स को बहुत भारी पड़ने वाला है, क्योंकि जिओ का सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर नया है और उनकी कॉस्ट कम है, और बाकी के लोग हाथी हो चुके हैं। यहाँ तक कि इनके प्लॉन से अब ब्रॉडबैंड कंपनियों तक की बैंड बजने की उम्मीद है।

परसों ही ऑफिस के केन्टीन में लाईन से बैठे मोबाईल ऑपरेटर्स के डेस्कों पर गया और पूछने लगा कि अभी जो प्लॉन है, उससे मेरा काम नहीं चल रहा है। ज्यादा वाला प्लॉन बता दो, जिसमें लोकल और एस.टी.डी. दोनों ज्यादा हों, डाटा जितना है उतना ही चलेगा।

पहली डेस्क वोदाफोन जो अभी मेरा नेटवर्क ऑपरेटर है –

उनके प्लॉन देखे, तो कोई प्लॉन जमा ही नहीं, कहीं न कहीं कोई न कोई ट्रिक, ज्यादा कॉल्स तो डाटा प्लॉन में कमी, और डाटा ज्यादा तो कॉल में कमी। हमने कहा यार तुम लोग तो लूटने में ही लगे हो, और कितना निचोड़ोगे जनता को, Continue reading रिलायंस जिओ का टेलीकॉम युद्ध

डाटसन रेडी गो

डाटसन मेरी पुरानी यादों में है, जब मैं अपने बचपन के दिन याद करता हूँ तो डाटसन का नाम मेरे जहन में आता है जैसे कि कारों में कभी एम्बेसेडर नाम होता था। डाटसन तब बदला जब इसे निसान ने खरीदा और भारत में आने का फैसला किया। डाटसन कार अपनी विलासितापूर्ण कारों के लिये जाना माना नाम था और आज भी जाना जाता है।

हमेशा ही जब भी कम दामों के सेगमेंट में कोई भी कार बाजार में लांच होती है तो मेरे लिये हमेशा ही यह देखने का आकर्षण होता है कि इस नयी कार में ऐसा कौन सा फीचर है जो मेरी कार में नहीं है, और इसी तरह से हम कारों के बारे में जानते हैं और नयी तकनीकों को बेहतरीन तरीके से जान पाते हैं। जब मैंने कार ली थी तब भी मैंने डाटसन लेने की सोची थी, परंतु उस समय कुछ और समस्याओं के चलते में डाटसन की कार नहीं खरीद पाया था।

जब मैंने डाटसन की रेडी गो के बारे में देखा और जाना तो पाया कि कई मायनों में रेडी गो डाटसन की कार अपने आप में इस सेगमेंट में कई कारों को पीछे छोड़ती है। डाटसन रेडी गो कार अपने आप में इस सेगमेंट में पहली कार है जो कि कॉम्पेक्ट अर्बन क्रॉस और हैचबैक दोनों ही विशेषताओं के साथ उपलब्ध करवाई गयी है। डाटसन रेडी गो कार 2.5 लाख से 3.5 लाख के अलग अलग दामों में अलग अलग वेरियेंट में उपलब्ध है।

डाटसन रेडी गो 0.8 लीटर इंजिन, 3 सिलेंडर में है जो कि ईंधन भी कम खाता है और 5 गीयर हैं।

हाई ग्राऊँड क्लियरेन्स –

डाटसन रेडी गो का हाई ग्राऊँड क्लियरेन्स कार को बड़े स्पीड ब्रेकर्स और कच्ची सड़को पर चलना आसान बनाते हैं, कई जगह सड़के के किनारे थोड़े ऊँचे होते हैं जिससे कार में साईड में नीचे की तरफ नुक्सान हो जाता है या तो डैंट पड़ जाता है या फिर स्क्रेच पड़ जाते हैं, तो हाई ग्राऊँड क्लियरेन्स से कार को विशेष सुरक्षा मिलती है।

ड्राईव कम्पयूटर –

लगातार कार के कम्प्यूटर में औसत ईंधन खपत बताता रहता है, कितने किलोमीटर चलने के बाद ईँधन भरवाना पड़ेगा और कितना ईँधन बचा है, यह सब लगातार आँखों के सामने दिखता रहता है।

शिफ्ट इंडिकेटर –

हमेशा ही कार में गियर बदलने के लिये संशय ही रहता है, तो यहाँ कम्प्यूटर ड्राईवर की सहायता के लिये है जिससे कि ड्राईवर को हमेशा ही पता रहेगा कि कब गियर बदलना है, कम्प्यूटर गियर बदलने के लिये ड्राईवर को इंडिकेट कर देता है।

एक और खास विशेषता कार में होनी चाहिये वातानुकुलन याने की ए.सी., ए.सी. को पूरी कार को ठंडा करने की क्षमता रखना चाहिये। मैं हमेशा ही कार के सारे काँच बंद कर हमेशा ही ए.सी. चालू करके कार चलाता हूँ, कई कारों में ए.सी. को ज्यादा पर चलाना पड़ता है तभी कार में बैठी पीछे सीट की सवारी को हवा पहुँच पाती है, परंतु डाटसन रेडी गो में यह ध्यान रखा गया है कि 50 प्रतिशत हवा पीछे सीट पर बैठी सवारी को मिले इसके लिये 89सीसी के कम्प्रेशर का उपयोग किया गया है।

जैसा कि पहले बताया भारत में यह पहली अर्बन क्रॉसओवर कार है तो मुझे यह जानने की और ज्यादा इच्छा है कि यह कार हमें और क्या क्या सुविधाएँ देती है। और उम्मीद करते हैं कि जल्दी ही एक टेस्ट ड्राईव हमें लेने को मिलेगी।

 

Fun. Freedom. Confidence. The ultimate Urban Cross – Datsun redi-GO – the capability of a crossover with the convenience of a hatchback.

हॉर्लिक्स में मौजूद माईक्रो न्यूट्रिशियन

हम हमेशा ही ब्लॉगर मीट के लिये तैयार रहते हैं, इंडीब्लॉगर मीट के तीन चार दिन पहले ही पता चला कि रविवार को विवांता ताज, जो कि महात्मा गाँधी सड़क पर है, रखा गया है। अभी बेटेलाल के विद्यालय की गर्मियों की छुट्टियों के कारण वे भी इस ब्लॉगर मीट में जाने को तैयार थे। हम दोनों ब्लॉगर चल पड़े, ब्लॉगर मीट के लिये घर से, और बिल्कुल समय से 4 बजे पहुँच भी गये।

हॉर्लिक्स ने यह ब्लॉगर मीट इंडीब्लॉगर के साथ रखी थी, जिसका नाम था The Horlicks Immunity Indiblogger Meet और जिसका हैशटैग #Immunity4Growth रखा गया था। जैसे ही हम मीटिंग में पहुँचे तो हमें अनूप और रैने से मिलने का अवसर मिला और जाने पहचाने पुराने ब्लॉगर, जो कि ब्लॉग में और ब्लॉगर मीट में मिलते ही रहते हैं। Continue reading हॉर्लिक्स में मौजूद माईक्रो न्यूट्रिशियन