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हॉर्लिक्स में मौजूद माईक्रो न्यूट्रिशियन

हम हमेशा ही ब्लॉगर मीट के लिये तैयार रहते हैं, इंडीब्लॉगर मीट के तीन चार दिन पहले ही पता चला कि रविवार को विवांता ताज, जो कि महात्मा गाँधी सड़क पर है, रखा गया है। अभी बेटेलाल के विद्यालय की गर्मियों की छुट्टियों के कारण वे भी इस ब्लॉगर मीट में जाने को तैयार थे। हम दोनों ब्लॉगर चल पड़े, ब्लॉगर मीट के लिये घर से, और बिल्कुल समय से 4 बजे पहुँच भी गये।

हॉर्लिक्स ने यह ब्लॉगर मीट इंडीब्लॉगर के साथ रखी थी, जिसका नाम था The Horlicks Immunity Indiblogger Meet और जिसका हैशटैग #Immunity4Growth रखा गया था। जैसे ही हम मीटिंग में पहुँचे तो हमें अनूप और रैने से मिलने का अवसर मिला और जाने पहचाने पुराने ब्लॉगर, जो कि ब्लॉग में और ब्लॉगर मीट में मिलते ही रहते हैं। Continue reading हॉर्लिक्स में मौजूद माईक्रो न्यूट्रिशियन

ब्लॉगिंग में ५ वर्ष पूरे अब आगे… कुछ यादें…कुछ बातें… विवेक रस्तोगी

    आज से ठीक ५ साल पहले  मैंने अपना ब्लॉग बनाया था और आज ही के दिन पहली पोस्ट दोपहर २.२२ पर “छाप”  प्रकाशित की थी, हालांकि उस पर एक भी टिप्पणी नहीं आयी, फ़िर एक माह बाद जुलाई में एक और पोस्ट लिखी “नया चिठ्ठाकार” जिस पर आये ४ टिप्पणी, जिनमें देबाशीष और अनूप शुक्ला जी प्रमुख थे, एक स्पाम टिप्पणी भी थी, वह आज तक वहीं है क्योंकि उस समय हमें स्पाम क्या होता है पता नहीं था 🙂

   फ़िर नारद, अक्षरग्राम शुरु हुए, शायद आज के नये हिन्दी ब्लॉगरों ने जीतू भाई की पुरानी पोस्टें नहीं पढ़ी होंगी अगर पढ़ेंगे तो आज भी तब तक हँसेंगे कि पेट में बल ने पढ़ जायें, छोटी छोटी बातों को इतने रसीले और चुटीले तरीके से लिखा है कि बस !!

    उस समय के कुछ चिठ्ठाकारों में कुछ नाम ओर याद हैं, ईस्वामी, मिर्चीसेठ, रमन कौल, संजय बेंगाणी, उड़नतश्तरी, अनुनाद सिंह, उनमुक्त, रवि रतलामी। और भी बहुत सारे नाम होंगे जो मुझे याद नहीं हैं, पर लगभग सभी का सहयोग रहा है इस सफ़र में और मार्गदर्शन भी मिला।

    अभी तक कुल ५३५ पोस्टें लिख चुके हैं, हालांकि पोस्टों की रफ़्तार पिछले वर्ष से बढ़ी है, और उम्मीद है कि आगे भी कुछ सार्थक ही लिख पायेंगे।

    मैंने अपने लिये जो विषय चुने हैं, वे हैं वित्तीय उत्पाद पर लेखन, वित्तीय प्रबंधन पर लेखन, बीमा क्षैत्र पर लेखन जिन विषयों पर उनके विशेषज्ञों को भी लिखने में संकोच होता है वह भी हिन्दी में, तो मैंने एक छोटी सी कोशिश शुरु की है, इसमें मेरी सराहना की है कमल शर्मा जी ने, मेरे लेखों को मोलतोल.इन के खास फ़ीचर में स्थान देकर।

    इस ५ वर्ष के सफ़र में तकनीक और ब्लॉगरों को बदलते देखा है, पहले जब २००५ में मैंने हिन्दी चिठ्ठाकारी शुरु की थी, मुझे थोड़ा सा याद है कि मैं शायद ८० वाँ हिन्दी ब्लॉगर था, वो भी इसलिये कि उस समय शुरुआती दौर में माइक्रोसॉफ़्ट ने शुरुआती १०० हिन्दी ब्लॉगरों की एक सूची अपने अंतर्जाल पर लगायी थी, अब वह लिंक मेरे पास नहीं है, गुम गया है अगर किसी के पास हो तो जरुर बताइयेगा। मुझे अच्छा लगता था कि अब अंतर्जाल पर हिन्दी भी शुरु हो चुकी है और जल्दी ही अपना पराक्रम दिखायेगी, हमारे भारत के लोगों के लिये संगणक एक साधारण माध्यम हो जायेगा, क्योंकि अंग्रेजी सबकी कमजोरी है। परंतु यह हिन्दी आंदोलन इतनी तेजी से नहीं चला और न ही अंतर्जाल कंपनियों ने हिन्दी को इतना महत्व दिया पर अब भारतीय उपभोक्ताओं को रिझाने के लिये हिन्दी की दिशा में कार्य शुरु किया गया है, या यूँ कहें बहुत अच्छा काम हुआ है।

    पहले कृतिदेव फ़ोंट में हिन्दी में लिखते थे फ़िर ब्लॉगर.कॉम पर आकर उसे कॉपी पेस्ट करते थे, इंटरनेट कनेक्शन ब्रॉडबेन्ड होना तो सपने जैसा ही था, एक पोस्ट को छापने में कई बार तो १ घंटा तक लग जाता था। अब पिछले २ वर्षों से हम हिन्दी लिखने के लिये बाराह का उपयोग करते हैं, फ़ोनोटिक कीबोर्ड स्टाईल में। पहले जब हमने लिखना शुरु किया था तो संगणक पर सीधा लिखना संभव नहीं हो पाता था, पहले कागज पर लिखते थे फ़िर संगणक पर टंकण करते थे, पर अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं, अब तो जैसे विचार आते हैं वैसे ही संगणक पर सीधे लिखते जाते हैं, और छाप देते हैं। अब कागज पर लिखने में परेशानी लगती है, क्योंकि उसमें अपने वाक्यों को सफ़ाई से सुधारने की सुविधा नहीं है, पर संगणक में कभी काट-पीट नहीं होती, हमेशा साफ़ सुथरा लिखा हुआ दिखाई देता है।

    इतने समय अंतराल में केवल यही सीखा है कि अपने लिये लिखो जैसे अपनी डायरी में लिखते हो, अब अपने पाठकों के लिये भी लिखो जो चिठ्ठे पर भ्रमण करने आते हैं। अब देखते हैं कि यह चिठ्ठाकारी का सफ़र कब तक अनवरत जारी होगा।

“चिठ्ठाकारी चलती रहे” [Happy Blogging]

एक मुलाकात अलबेला खत्री जी के साथ मुंबई में

Albela Khatri & Vivek Rastogi    यह चेहरा आपने बुद्धु बक्से पर कई बार देखा होगा अरे मेरा नहीं जो मेरे साथ हैं, ये हैं अलबेला खत्री जी, प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि और हास्य इंटरटेन्मेन्ट व्यक्तित्व।

Albela Khatri & Vivek Rastogi Mumbai प्लेट की तरफ़ मत देखिये उसका माल तो हम हजम कर चुके हैं। 🙂

    अलबेला जी से बहुत सारी बातें हुईं, भाषा के उपयोग पर भी बहुत सी चर्चा हुई, अगर आज के साहित्यकार आज से ६० वर्ष पहले उपयोग होने वाली हिन्दी लिखेंगे तो शायद ही आज की पीढ़ी पढ़ना पसंद करेगी और अगर करेंगे भी तो कुछ चुनिंदा लोग।

    भाषा वह होनी चाहिये जो कि सबको आसानी से समझ में आ जाये । भाषा ज्यादा क्लिष्ट होने पर पाठक या श्रोता कम या गायब हो जाते हैं।

    वहीं पर हमारी मुलाकात हुई शंभू शिखर जी से भी वे भी हिन्दी ब्लॉगर हैं और लॉफ़्टर ३ में आ चुके हैं।

    जितनी देर हम अलबेला जी के साथ रहे मुंबई में बारिश पुरजोर बरस रही थी, बाहर मुंबईवासी बारिश से तरबतर हो रहे थे और हम ब्लॉगरस में। साथ ही फ़ोन पर हमारी बात हुई पाबला जी से, और वे भी हमारी मुलाकात का हिस्सा बने।

मेरा नया चिठ्ठा blog.co.in पर और मेरी परेशानी

मैंने अपना नया चिठ्ठा blog.co.in पर http://bankgyan.blog.co.in एड्रेस पर बनाया है क्योंकि यहां पर कमाई की कुछ उम्मीद है वह भी भारत की मुद्रा में, जैसा कि ब्लोग के शीर्ष पेज पर जानकारी दी गई है।

मेरे इस ब्लोग पर बैंकों के बारे में छोटी बड़ी जानकारियां होंगी। सभी को किसी न किसी तरह की परेशानी का सामना बैंक में करना पड़ता है, मेरा यह प्रयास है कि इससे वह कम से कम बैंको एवं उपभोक्ताओं के अधिकारों से परिचित हों।
मेरी परेशानी –
मैंने अपना नया चिठ्ठा चिठ्ठाजगत और ब्लोगवाणी पर लिंक के लिये भेजा था, जिसमें से चिठ्ठाजगत से तो ईमेल आ गया, पर ब्लोगवाणी के ईमेल का इंतजार है।
चिठ्ठाजगत से ईमेल में ३ तरह से अधिकृत करने की प्रक्रिया दी गई है, जिसमें पहली प्रक्रिया से में चिठ्ठे को चिठ्ठाजगर पर दिखा तो पाया पर html कोड मेरी पोस्ट के साथ दिख रहा है।
दूसरी प्रक्रिया में साईड बार में विजेड पर ये लिक लगाना है पर blog.co.in पर शायद यह सुविधा नहीं है अगर किसी ब्लोगर को पता हो तो कृप्या मार्गदर्शन करें।
तीसरी प्रक्रिया में चिठ्ठे के html में कोड पेस्ट करना है पर blog.co.in पर कैसे करेंगे, यह पता नहीं लग पाया, अगर किसी ब्लोगर को पता हो तो कृप्या मार्गदर्शन करें।
या फ़िर मैं इसे blogger.com पर ले आऊँ, बताएँ।