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ब्लॉगिंग के ९ वें वर्ष में प्रवेश..

आज दोपहर २.२२ समय को हमें ब्लॉग लिखते हुए ८ वर्ष पूर्ण हो जायेंगे और सफ़लता पूर्वक ९ वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। इन ८ वर्षों में बहुत से अच्छे दोस्त ब्लॉगिंग के कारण मिले हैं, केवल ब्लॉगिंग के कारण ही लगभग हर शहर में कहने के लिये अपनी पहचान है।

४-५ वर्ष पहले जब मुंबई में थे तब बहुत से ब्लॉगरों से मिलना हुआ फ़िर बैंगलोर के ब्लॉगरों से भी मिलना हुआ ।

बीते वर्षों में हमने कविताएँ, संस्मरण, आलोचनाएँ, जीवन के अनुभव, विचार, वित्त विषय पर लेखन ऐसी बहुत सारे विविध विषयों पर लेखन सतत जारी रहा। कभी लेखन में विराम लग जाता तो कभी लेखन क्रम में चलता रहता।

आज लगता है वाकई क्या हम अच्छा लिखते हैं, जो इतने सारे लोग पढ़ रहे हैं या केवल मजबूरी में पढ़ रहे हैं। सोचते हैं कि अब कुछ जरूरी चीजें जो छूट गई हैं, उन पर ध्यान दिया जाये, ब्लॉगिंग और फ़ेसबुक से थोड़ा किनारा किया जाये।

जुहु गोविंदा रेस्त्रां, समुद्र का किनारा, अमिताभ का घर और बुलेट ।

    सुबह मित्र को फ़ोन किया कि इस सप्ताहांत का क्या कार्यक्रम है, उनसे मैं शायद ३ वर्षों बाद मिल रहा था और ये मित्र मेरे आध्यात्मिक जीवन में बहुत महत्व रखते हैं। ये आध्यात्म को इतने गहरे से समझना और किसी और की जरूरत को समझने वाले मैंने वाकई बहुत ही कम लोग देखे हैं। उन्होंने कहा कि मैं ऑफ़िस से सीधा आपको लेने आ रहा हूँ फ़िर जुहु इस्कॉन स्थित गोविंदा रेस्त्रां में आज दोपहर का भोजन ग्रहण किया जायेगा।

    दोपहर में बिल्कुल समय पर हमारे मित्र हमें लेने आ गये और फ़िर amitabhहम चल दिये जुहु, एक सिग्नल पर हमारे मित्र ने बताया कि यह सामने जो घर है युगपुरूष अमिताभ बच्चन का घर है, तो सहसा ही अमिताभ का चेहरा आँखों के सामने घूम गया और अभी हाल ही में आई फ़िल्म बॉम्बे टॉकीज के अमिताभ बच्चन के ऊपर फ़िल्माये गये दृश्य याद हो आये। फ़िर लगा व्यक्ति कितना भी सफ़ल हो, परंतु रहना तो उसे धरती पर ही है और रहना भी घर में ही है, बस वह जिन ऐश्वर्य का सुख भोग सकता है वह हर कोई नहीं भोग सकता ।

  iskcon-juhu-govindas-01  गलियों में से होते हुए हम गोविंदा रेस्त्रां की तरफ़ बड़ रहे थे, इतने में तेज बारिश आ गई, मौसम खुला हुआ था, तेज धूप निकली हुई थी। मुंबई में यही खासियत है कब बारिश आ जाये कोई भरोसा नहीं। हम गोविंदा रेस्त्रां पहुँच चुके थे, वहाँ दरवाजे पर हमारी और समान की सुरक्षा जाँच हुई और हम रेस्त्रां में दाखिल हुए, संगमरमर की सीढ़ियों से होते हुए एक विशाल हॉल में आये जहँ  बैठने के लिये सोफ़े लगे हुए थे, जिनसे यह प्रतीत होता था, कि यहाँ पर प्रतीक्षारत लोगों को बैठाया जाता है, जब रेस्त्रां में जगह नहीं होती होगी। यहाँ दोपहर का भोजन ३.३० तक होता है।

    रेस्त्रां अंदर से बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित था और बहुत सारे लोग govinda-sभोजन से तृप्त हो रहे थे। यहाँ पर खाना बफ़ेट होता है, विभिन्न प्रकार के सलाद, पकोड़े, चाट  पनीर की सब्जियाँ, रोटी, चावल, रायता और मिठाईयाँ उपलब्ध थीं। खाना बहुत ही स्वादिष्ट था, साथ में फ़लों का रस, केहरी पना और मठ्ठा भी परोसा जा रहा था। खाने के बाद में आइसक्रीम का प्रबंध भी था। और इस सबके लिये एक व्यक्ति के खाने का खर्च ३५०/- खाने के हिसाब से हमें ठीक लगा । हालांकि अगर आजकल के आधुनिक बफ़ेट रेस्त्रां में और महँगा होता है परंतु यहाँ खाने का स्वाद, गुणवत्ता एवं इतने प्रकार की खाद्य पदार्थ के सामने  आधुनिक रेस्त्रां का टिकना मुश्किल है। खैर यह तो अपनी अपनी पसंद है।

    भोजन से तृप्त होकर हम बाहर निकले और हमारे मित्र ने पूछा कि जुहु बीच चलोगे, हमने कहा बिल्कुल चलो हमें लहरों की आवाज सुनने का सुखद आनंद लेना है, मचलती और वेगों से आती लहरों को देखना है, वहाँ से पैदल ही हम जुहु बीच की और चल दिये मुश्किल से ५ मिनिट में हम जुहु बीच पर थे, प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य को मानव किस तरह से नष्ट करता है, जुहु बीच इसका जीवंत उदाहरण है, बीच पर जहाँ तक देखो वहाँ तक कचरा और पोलिथीन बिखरे पड़े थे। जोड़े कहीं ना कहीं एकांत ढूँढ़ रहे थे। बहुत से युगल हाथों में हाथ डाल बीच पर समुद्र के किनारे टहल रहे थे। जो पहली बार आये थे समुद्र देखने वे और कुछ मनमौजी लोग समुद्र के पानी में भीगने गये हुए थे। पता नहीं इतने गंदे पानी में कैसे भीग सकते हैं, अगर समुद्र का पानी साफ़ हो तो नहाने का अपना अलग मजा है। बीच पर समुद्र के पास शांति से थोड़ा समय बिताने के बाद वापस जाना निश्चय किया गया।

    समय साथ में बिताना था, तो हम मित्र के फ़्लेट में उनके साथ ही चल दिये, खाने के बाद का नशा अब चेहरों पर दिखने लगा था, सोचा थोड़ा लोट लगा ली जाये और फ़िर बातें की जायेंगी, खैर बातें तो जारी ही थीं। थोड़ी देर आराम करने के बाद अचानक ही एक मित्र के बारे में बात होने लगीं, वे भी पास ही में रहते थे। उनसे फ़ोन पर बात की गई और उनके यहाँ जाने का निश्चय किया गया। हमारे मित्र ने हमसे कहा Bulletआप अब हमारी बुलेट से चलो, और आप ही बुलेट चलाओ। हमने कहा कि हमने तो वर्षों पहले बुलेट चलाई थी, तो पता नहीं चला पायेंगे या नहीं। हमारे मित्र बोले आप चिंता मत करो, आराम से चला पाओगे। हमने भी बुलेट की सवारी की और देखा कि बुलेट में भी बहुत सारे आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध करवा दी गई हैं। अब केवल बटन दबाने पर भी बुलेट शुरू हो जाती है और बुलेट की आवाज मन को सुहाती है। बुलेट की सवारी राजा सवारी कहलाती है। आदमी बुलेट पर ही असली जवाँ मर्द दिखता है, लोग उसी की और देखते हैं, बहुत सारे बदलाव बुलेट चलाने के दौरान महसूस हुए, पर वर्षों बाद ऐसा लगा कि वाकई बुलेट ही असली दोपहिया सवारी है।

    अपने दूसरे मित्र के घर पहुँचे जो हमारे पारिवारिक मित्र हैं, वहाँ बातों का जो दौर चला, समय का पता ही नहीं चला, हमने मित्रों से विदा ली, हमारे मित्र ने कहा इधर ही रुक जाओ, हमने कहा, नहीं हम जहाँ रुके हैं वह भी पास ही है तो हम वहीं जाते हैं। (जब हम खाना खाने के बाद मित्र के घर लोटने पहुँचे तो देखा कि उनके यहाँ गद्दे नहीं हैं, वे तो चटाई पर ही सोते हैं, वे पक्के भक्त आदमी हैं, हमारी परेशानी को समझ उन्होंने हमारे लिये उनके पास रखी रजाई को चटाई पर बिछाकर थोड़ा गद्देदार बनाने का प्रयास किया, हम भी लोट लिये, परंतु आरामतलब शरीर १० मिनिट से ज्यादा नहीं लेट सका) और हमने उनसे कहा कि कामना तो गद्दे पर सोने की ही है, इसलिये भी जाना ही चाहिये।

    इस प्रकार अपने मित्रों से मिलकर उनके साथ समय बिताकर आत्मा तृप्त हो गई।

जीवन की कठिनाइयों में परिवार का साथी बीमा

    जीवन बहुत कठिन है और जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ पल familyपल पर आपका इंतजार करती हैं, जिससे जूझते हुए हम जीवन को सुखद एवं सफ़ल बनाते हैं। जीवन में कई आपातकाल भी आते हैं, जहाँ ना अपने काम आते हैं और ना ही पराये काम आते हैं। इसके लिये हमें खुद ही तैयारी करनी पड़ती है, सोचना पड़ता है, योजना बनानी पड़ती है।

    मनुष्य के जीवन के आपातकाल कौन से होते हैं, आपातकाल मुख्यत:money उसे कह सकते हैं, जब आप वाकई कठिनाई में हों और कोई रास्ता ना सूझ रहा हो और उस समय अपना / पराया कोई सहायता नहीं करने आता । सुख में तो सभी आपके साथ हैं परंतु दुख में कोई दूर दूर तक नहीं दिखता ।

जीवन की सबसे ज्यादा कठिनाई के क्षण होते हैं –

insurance१. मौत

२. बीमारी

३. दुर्घटना

    इन तीनों ही स्थिति में परिवार टूट जाता है और कहीं ना कहीं सहारा ढूँढ़ता है, और इन तीनों से परिवार को केवल बीमा से सुरक्षित किया जा सकता है ।

१. मौत

 

२. बीमारी

 

३. दुर्घटना

सावधि जीवन बीमा (Term Insurance)

Mediclaim Insurance / Critical Insurance

Personal Accidental Insurance

   इस प्रकार उपरोक्त कठिनाइयों से बीमा द्वारा परिवार को सुरक्षित किया जा सकता है। एवं साथ में परिवार को आपातकाल के लिये इनका उपयोग भी बताना चाहिये। जिससे परिवार बीमे का सही उपयोग कर पाये और उस आपातकाल वाले कठिन क्षणों में बीमे से उसे साहस बँधे, क्योंकि अधिकतर आपातकाल में धन की कमी बहुत महसूस होती है और आजकल महँगाई सर चढ़कर बोल रही है।

शिक्षा काल की दोस्ती भविष्य में..

    गुरू द्रोण और द्रुपद दोनों ने एक साथ महर्षि अग्निवेश के आश्रम में धनुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की, तब दोनों अच्छे मित्र हुए..

    उस समय द्रुपद ने द्रोण से कहा था .. “प्रिय द्रोण, तुम मेरे अत्यंत प्रिय मित्र हो, जब मैं आने पिता की राजगद्दी पर बैठूंगा, उस समय मेरे राज्य का तुम भी उपभोग करना । मेरे भोग, वैभव और सुख सब पर तुम्हारा अधिकार होगा।”

    धनहीन अवस्था में द्रोण जब द्रुपद के पास मदद की आस लेकर गये तब द्रुपद राजगद्दी पर आसीन हो चुके थे, तब द्रुपद ने द्रोण से घृणापूर्वक कहा “आश्रम का जीवन समाप्त हो चुका। गुरू आश्रम में बहुत विद्यार्थी साथ रहते, खेलते और शिक्षा प्राप्त करते हैं। मगर दरिद्र धनवान का, मूर्ख विद्वान का और कायर शूरवीर का मित्र नहीं हो सकता ।”

    उपरोक्त कथा से दोस्ती के एक और रूप का पता चलता है । जिसमें दोस्ती नाम मात्र की नहीं है, दोस्त जो राजा बन चुका है उसका घमंड दिखाई पड़ता है। और इस तरह की दोस्ती आजकल बहुतायत में देखी जा सकती है, खासकर पढ़े लिये नौजवान पीढ़ी में ।

    दोस्ती के ऐसे रूप युग युग से देखने में आ रहे हैं, आज भी देखने में आते हैं, दोस्ती जो शिक्षा के काल में पल्लवित होती है वह धीरे धीरे भौतिक वस्तुओं और पद की भेंट चढ़ जाती है। यहाँ दोस्ती केवल तभी रह सकती है जबकि मित्रों के बीच आपस में बहुत प्रेम हो, भौतिक वस्तुओं और पद की लालसा ना हो। आपस का फ़ायदा एक अलग बात है, परामर्श भी एक अलग बात है, परंतु केवल फ़ायदे के लिये मित्रता बनाये रखना शायद बहुत दुष्कर होता है।

    हमारे आज भी ऐसे मित्र हैं जो बचपन से हैं और इन सब चीजों से दूर हैं, इसे खुशनसीबी ही कही जायेगी। आज भी उनके बीच जाकर मन प्रसन्न हो जाता है। दोस्ती निभाना बहुत कठिन और तोड़ना बहुत आसान होता है।

    दोस्तों में आपस में जो तालमेल होता है वह शायद ही कहीं देखने को मिलता है, दोस्तों को हमारी अधिकतर गुप्त बातें पता होती हैं, हमारे सुख दुख में सबसे पहले दोस्त ही खड़े होते हैं, रिश्तेदार बाद में आते हैं।

    जो द्रुपद जैसे दोस्त होते हैं ऐसे लोगों का वाकई में दोस्त ना होना अच्छा है। परंतु कुछ बहुत अच्छे दोस्ती के उदाहरण भी हैं जैसे कृष्ण और सुदामा । कृष्ण जी ने खुद अपने हाथों से सुदामा जी के पैर धोये थे और इतना सम्मान दिया कि सुदामा व्याकुल हो उठे थे।

बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड माइक्रो निवेश सुविधा (Without PAN !!! Invest in Micro Investment Facility)

    बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड में निवेश करना बहुत मुश्किल है, वह भी जब से नियामक ने KYC के नियम म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये लागू कर दिये हैं, तब २०११ में नियामक ने म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये जिन लोगों के पास पेन कार्ड नहीं थे उन लोगों के लिये नियामक ने माइक्रो निवेश सुविधा उपलब्ध करवाई ।

    अभी हाल ही में रिलायंस म्यूचयल फ़ंड ने भी माइक्रो निवेश सुविधा (Micro Investment Facility) उपलब्ध करवाई है, जो कि बाजार में १४ जून से आम निवेशक के लिये उपलब्ध है।

     माइक्रो निवेश सुविधा के तहत निवेशक वर्षभर में ज्यादा से ज्यादा केवल ५०,००० रूपये का निवेश कर सकता है, फ़िर भले ही वह निवेश सिप (SIP – Systematic Investment Plan) या फ़िर एक मुश्त (LumpSum Investment) हो, पर कुल मिलाकर दोनों या एक निवेश ५०,००० रूपयों से ज्यादा नहीं होना चाहिये। और यह ५०,००० रूपये अप्रैल से मार्च के मध्य ही निवेशित होने चाहिये, याने कि अगर किसी को अपना निवेश जारी करना है तो उसे वित्तीय वर्ष का पालन करना होगा ।

    इस सुविधा को केवल वही निवेशक ले सकेगा जिसके पास अधिकृत रूप से पेन कार्ड नहीं है, और अगर अगर निवेशक उस वित्तीय वर्ष के मध्य में इस योजना से निकास करता है तो वह उस ५०,००० रूपये की लिमिट में नहीं आयेगा।

    यह सुविधा केवल व्यक्तिगत, एन आर आई, अल्पवयस्क संरक्षक के साथ, एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय एवं संयुक्त खाते को उपलब्ध है। पहले खातेधारी के पास पेन कार्ड नहीं होना आवश्यक शर्त है । अन्य श्रेणियाँ जैसे PIO, HUF, QFI, Non-Individuals इस सुविधा का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

म्यूचल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ? (Mutual Funds DOS and DON’TS)

    माइक्रो निवेश सुविधा में निवेश करने के लिये निवेशक को निम्न दस्तावेज निवेशक सुविधा केन्द्र पर जमा करने होंगे –

१. साधारण आवेदन पत्र

२. PAN Exempt KYC Reference No (PEKRN) acknowledgement issued by KRA. For more details click here

    यहाँ निवेशक को ध्यान रखना चाहिये कि वह एक वित्तीय वर्ष में केवल ५० हजार रूपये ही निवेश कर सकता है।

micro investment facility

    ऊपर दिये गये उदाहरण में एक्स महाशय एकमुश्त और सिप के जरिये एक वित्तीय वर्ष में जो निवेश कर रहे हैं, वह ५०,००० रूपये से कम है इसलिये यह वैधानिक है, परंतु वाय महोदय का निवेश एक वित्तीय वर्ष में ५०,००० रूपयों से ज्यादा हो रहा है इसलिये इनका आवेदन पत्र ही अस्वीकार कर दिया जायेगा।

और उसका घर का सपना, सपना ही रह गया

     एक किस्सा बताते हैं, एक बार नौकरीशुदा आदमी ने सोचा चलो अपने गृहनगर में नये फ़्लैट बन रहे हैं, और अपनी पहुँच में हैं तो क्यों ना उसमें एक फ़्लैट ले लिया जाये, पता लगाया गया बंदा भारत के दूसरे कोने में रहता था, उसने अपने पापा को कहा कि आप इसके बारे में पता कीजिये, पापा ने कहा कि उसका एक दलाल है जो कि अपने वो किराने वाली दुकान वाले का भाई ही है, और वह कह रहा है कि १० लाख में मिल जायेगा, और पूरे १० लाख पर लोन भी हो जायेगा और उसने १ बीएचके ५०,००० रूपये देकर पापा के मार्फ़त फ़्लैट बुक करवा लिया ।

सपनोम का घर

     जब वह बंदा एक महीने बाद अपने गृहनगर गया तो जब उसने दलाल और बिल्डर से बात की तो पता चला कि लोन तो केवल ७.६५ लाख पर ही होगा, बाकी तो ब्लैक में देना है, मतलब कि लगभग २.३५ लाख जेब से लगाने होंगे, बंदे ने कहा कि मेरे पास तो केवल १० लाख का २०% याने कि २ लाख रूपये हैं, और एक पैसा ऊपर देने के लिये नहीं है, और आपने बुक करवाते समय पूरी जानकारी नहीं दी। तो बिल्डर और दलाल दोनों ने कहा कि आप चिंता मत करो आपको २.३५ लाख का पर्सनल लोन दिलवा देंगे, बंदे ने कहा भई गृहऋण का ब्याज होता है १० % और पर्सनल लोन का ब्याज होता है १५-१६%, ये ऊपर का ५-६% कौन भुगतने वाला है, मैं तो यह ऊपर का ब्याज नहीं दूँगा, तो दलाल और बिल्डर दोनों भड़क गये कि एक तो हम आपको ऋण दिलवा रहे हैं और आप नाटक कर रहे हैं ।

सपनो का घरहोमलोन

     उस बंदे की अपने गृहनगर में बहुत सी बैंकों में अच्छी पहचान भी थी और बैंक वालों से दोस्ती भी थी, जब वह अपने बैंक के मैनेजर दोस्तों से मिला तो पता चला कि अभी तक इस बिल्डर को किसी भी राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक ने एनओसी नहीं दी है, और उन्होंने बताया कि बिल्डर ऐसे ही प्रोजेक्ट के नाम पर पैसा बाजार से उठाते हैं और बैंक से ऋण दिलवा कर लोगों को फ़ँसवा देते हैं, फ़िर २-३ फ़्लोर बनाकर बिल्डिंग बनाना बंद कर देते हैं और अधिकतर ऋण की किश्तें जो कि बैंक से उन्हें लेनी होती हैं, वे इस प्रकार रखते हैं कि २-३ फ़्लोर तक ही उनके पास सारी रकम आ जाये। एक बार सारी रकम आ जाती है तो ये लोग भाग लेते हैं और जनता को अच्छा खासा चूना लगा देते हैं। इस तरह के बहुत सारे केस हो चुके हैं, और जनता को पता ही नहीं चल पाता है।

     मैनेजर मित्र की बातें अक्षरश: सत्य थीं, क्योंकि बैंक से ऋण लेने का फ़्लो बिल्डर ने दिया था वह बिल्कुल वैसा ही था केवल २ फ़्लोर बनने के पहले ही वह सारा पैसा बैंक से लेता, और भाग लेता ।

     अब उस बंदे ने निश्चय किया कि वह इस फ़्लैट को नहीं लेगा और अपने पैसे उन्हें वापिस करने के लिये कहेगा जो कि उसने बुकिंग के नाम पर दिये थे, परंतु उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया और कहा कि आप अपनी तरफ़ से कैंसिल कर रहे हैं, इसलिये एक भी पैसा वापिस नहीं मिला । हालांकि उस बंदे के भी अच्छे कॉन्टेक्ट्स थे परंतु उसने सोचा कि यह केस लीगल तरीके से ही लड़ा जाये, क्योंकि उसके अभिभावक उसके गृहनगर में अकेले रहते थे।

     तब उसने अपने कुछ ब्लॉगर मित्रों की सहायता से मार्गदर्शन प्राप्त किया और बिल्डर और दलाल की शिकायत कलेक्टर और एस.पी. ऑफ़िस में की, जब वह बंदा कलेक्टर से मिलने गया तो कलेक्टर ने कहा कि अगर हमें भी आज फ़्लैट खरीदना है तो ब्लैक में पैसा देना ही होगा, बंदे को कलेक्टर की बात सुनकर बहुत आघात लगा। फ़िर भी वह कलेक्टर और एसपी ऑफ़िस में अपने आवेदन पर आवक लेकर आ गया और फ़िर वह तो वापिस अपनी नौकरी के लिये चला गया, उसने अपने पापा को फ़िर एक सप्ताह बाद कहा कि फ़िर से उसी आवेदन की फ़ोटोकॉपी करवाकर उस पर फ़िर से आवक ले आये और उस पर लिख दे Reminder 1 फ़िर Reminder 2 भी भिजवाया और एक सप्ताह बाद ही तहसीलदार की कोर्ट से नोटिस आ गया।

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     तहसीलदार की कोर्ट में वादी तरफ़ से कोई उपस्थित नहीं हुआ परंतु दलाल खुद से आगे होकर आया और कहा कोर्ट के बाहर ही सैटलमेंट कर लेते हैं, और आधे रूपये में कोर्ट के बाहर सैटलमेंट कर लिया, वह भी इसलिये कि अभिभावकों को परेशानी होती। नहीं तो उसे उसके पूरे पैसे वापिस जरूर मिल जाते, परंतु कुछ चीजें होती हैं जो पैसे से बढ़ कर होती हैं।

     उस बंदे ने २५ हजार केवल यह समझकर सीखने के लिये खर्च कर दिये कि फ़्लैट लेने के पहले क्या चीजें जरूरी हैं और जरूरी चीजें पहले ही पता कर ली जायें, जब पैसा एक नंबर में कमाया जाता है तो फ़िर २ नंबर में क्यों दिया जाये। खैर उसका घर का सपना, सपना ही रह गया ।

एक और क्रेडिट कार्ड (One More Credit Card)

    हमने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) लगभग ६ वर्ष पहले उपयोग करना शुरू किया था, तब हमें ज्यादा जानकारी नहीं थी सैलेरी बैंक अकाँऊट (Salary Account) ने हमें क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के लिये कहा तो हमने भी ले लिया।  क्रेडिट कार्ड (Credit Card) लेने के पहले इसके उपयोग और जीवनक्रम की पूर्ण जानकारी ले ली गई, उसका फ़ायदा यह है कि आज तक हमने लेटफ़ीस (Late Fees) और किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क (Extra Charges on Credit Card) किसी भी क्रेडिटकार्ड (Credit Card) बैंक को नहीं दिया है।
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    क्रेडिटकार्ड की सबसे अच्छी सुविधा यह लगती है कि आप बैंक के धन को ५० दिन तक उपयोग में ला सकते हैं और आखिरी दिन के एक दिन पहले का बैंक के अपने अकाऊँट से ऑटो डेबिट सुविधा से जोड़ दें तो आपको ध्यान भी नहीं रखना होगा कि क्रेडिट कार्ड के भुगतान की आखिरी दिनांक क्या है । नहीं तो लेट होने पर क्रेडिट कार्ड बैंकों की ब्याज दर ३२ से ४८ प्रतिशत सालाना तक होती हैं, इसलिये हमेशा खरीददारी करते समय याद रखें कि आपको इस खरीद का भुगतान आज अपनी जेब से नहीं परंतु आज से ५० दिन बाद या उस क्रेडिट कार्ड के बिल के जीवनक्रम के अनुसार करना ही है।
    क्रेडिटकार्ड की क्रेडिट की लिमिट अधिकतर मासिक आय पर निर्भर करती है, हमने तो सबसे कम लिमिट करवा रखी है क्योंकि अधिक लिमिट मतलब अधिक खतरा.. खतरा खरीददारी से नहीं.. खतरा धोखे से चोरी से.. जितनी कम क्रेडिटकार्ड की लिमिट होगी उतनी ही कम जिम्मेदारी अपने ऊपर होगी।
    बीच में पिछले वर्ष एक क्रेडिटकार्ड बैंक ने फ़ोन करके कहा कि पहला वर्ष यह कार्ड मुफ़्त है और अगर आपको अच्छा लगे इसके फ़ीचर अच्छे लगें तो आप इसे ९९९ रूपये में नवीनीकरण करवा सकते हैं। हमने कार्ड ले लिया तो हमारा पुराना कार्ड का उपयोग बंद हो गया, केवल उस कार्ड का उपयोग पेट्रोल भरवाने तक ही सीमित रह गया और सारे लेने देन व्यवहार इस नये क्रेडिट कार्ड पर आ गये, इसका एक फ़ीचर जो हमें बेहद पसंद है वह है ५% कैश बैक। याने कि निर्धारित दुकानों से एक हजार के ऊपर खरीदारी करने पर ५% कैश बैक मिल जाता है, हमें यह कार्ड बहुत अच्छा लगा, और हमने इस वर्श इसका नवीनीकरण भी करवा लिया ।
    अभी पिछले महीने फ़िर एक क्रेडिट कार्ड कंपनी से फ़ोन आया कि यह आपके कंपनी के कर्मचारियों के लिये विशेष ऑफ़र है और लाईफ़ टाईम फ़्री कार्ड है, इसमें आपको हर १०० रूपये की खरीदारी पर १ रिवार्ड पाईंट मिलेगा जिसकी कीमत ७५ पैसे होगी उसे आप कैश में भी उपयोग कर सकते हैं या फ़िर जेपी एयर माईल्स खरीद सकते हैं । हमने फ़िर से सोचा और उनको मना कर दिया कि हमारे पास पहले से ही अच्छा कार्ड है और अब एक और कार्ड लेने का बिल्कुल मन नहीं है, परंतु कार्ड बेचने वाले भी बिल्कुल निपुण होते हैं, उन्होंने कहा “सर, इसमें मूवी भी एक पर एक टिकट फ़्री है”, हमने कहा “पर एक टिकट के पैसे तो देने ही पड़ेंगे ना !!, और हम मूवी नहीं देखते”, तो थकहार कर  कहा कि “आप देख लो थोड़े दिन उपयोग करके, फ़िर अच्छा नहीं लगे तो सरेंडर कर देना”, हमने फ़िर से सोचा और देखा कि शायद कहीं फ़ायदा है, तो यह कार्ड भी ले लिया।
    अब क्रेडिट कार्ड का बिल देखते हैं तो बिल की रकम कुछ ज्यादा ही लगती है परंतु जब एक एक ट्रांजेक्शन देखते हैं, तो पता चलता है कि फ़ालतू का खर्च कुछ भी नहीं है जिसे अगले महीने से ना किया जाये । हाँ यह है कि अब हम नकद में बहुत ही कम ट्रांजेक्शन करते हैं। अब नये कार्ड का उपयोग करके देखा जायेगा, कि वाकई कितना फ़ायदा होता है।

निवेशको के हित में सेबी और AMFI का EUIN

    सेबी के परिपत्र CIR/IMD/DF/21/2012 दिनांक १२ सितंबर २०१२ के अनुसार एवं AMFI के विभिन्न दिशानिर्देशों के अनुसार अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते समय निवेशक को आवेदन पत्र / ट्रांजेक्शन रिक्वेस्ट पर Employee Unique Identification Number (EUIN) और डिस्ट्रीब्यूटर एवं सबडिस्ट्रीब्यूटर का AMFI Registration Number (“ARN”) क होना सुनिश्चित कर लेना चाहिये।

    EUIN को लागू करने का उद्देश्य है कि निवेशक के हित की रक्षा करना, यह म्यूचयल फ़ंड के गलत जानकारी देकर बेचने पर पर रोक लगाने के लिये कारगार कदम होगा, EUIN से किस व्यक्ति ने म्यूचयल फ़ंड उत्पाद निवेशक को बेचा है, उसकी जानकारी दर्ज हो जायेगी और निवेशक की शिकायत की स्थिती में किस कर्मचारी ने उत्पाद बेचा था, पता लग सकेगा।

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    EUIN ७ नंबर का एक विशिष्ट नंबर होगा, जो कि AMFI द्वारा दिया जायेगा, और यह उन हरेक संबंधित कर्मचारी / रिलेशनशिप मैनेजर / सैल्स वाले के लिये दिया जायेगा, जो भी निवेशक से म्यूचयल फ़ंड उत्पाद को बेचने की बातें करते हैं / बेचते हैं । EUIN का होना अब जरूरी हो गया है, जब भी निवेशक म्यूचयल फ़ंड उत्पाद खरीदें, हमेशा EUIN का ध्यान रखें।

    निवेशकों को नया आवेदन पत्र का उपयोग करना चाहिये जिस पर ARN Code / Sub Brocker ARN Code / EUIN, Sub broker code (as allotted by ARN holder) उपलब्ध हो। नये आवेदन पत्र अगर आपके ब्रोकर के पास उपलब्ध नहीं हैं तो आप उन्हें कहिये कि म्यूच्यल फ़ंड की वेबसाईट पर उपलब्ध हैं, वहाँ से प्रिंट निकाल लें।

EUIN के बारे में मुख्य बातें –

१. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUIN होना चाहिये –

Purchases, Switches, and for Fresh Registrations of SIP / STP / Trigger STP / Dividend Transfer Plan.

२. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUNI की जरूरत नहीं है –

Ongoing SIP/ STP / SWP / STP Triggers (registered prior to June 1, 2013), Dividend Reinvestments, Bonus Units, Redemption, SWP Registration, Zero Balance Folio creation and installments under Dividend Transfer Plans .

३. उपरोक्त १ नंबर में बताये गये ट्रांजेक्शन EUIN के लिये १ जून २०१३ से प्रभावकारी हैं, जिसमें किसी भी मोड से ट्रांजेक्शन किया गया हो केवल निम्न प्रकार के ट्रांजेक्शनों को छोड़कर, जिनके लिये यह १ अगस्त २०१३ से प्रभावकारी होगा –

  • Mobile / SMS based transactions.
  • Transactions received through the Stock Exchange Platform.

अगर इसके बारे में और ज्यादा जानकारी चाहिये तो आप अपनी म्यूचयल फ़ंड कंपनी की वेबसाईट और उनके टोलफ़्री नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।

NRN की Infosys में दूसरी पारी

    अभी कुछ दिनों पहले मुंबई आने के पहले एक दिन के लिये बैंगलोर में था तब नारायण मूर्ती जी को जिन्होंने बहुत करीब से देखा था, उनसे मुलाकात हुई, हालांकि यह मुलाकात व्यक्तिगत नहीं व्यावसायिक थी । उन्होंने बताया कि वे NRN को भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि उनकी किसी से भी तुलना करना, अपमान करने जैसा है, किसी भी व्यक्ति द्वारा डेढ़ लाख कर्मियों में अपने खुद के गुणों को पोषित करना और उनके ऊपर कंपनी चलाना आज के इस युग में बहुत ही कठिन है, परंतु NRN ने करके बताया । उनकी बातों में ही समझ में आया कि वे नारायण मूर्ती जी को छोटे नाम NRN से बात कर रहे हैं ।

NRN

    उन्होंने बताया कि जब NRN ने सेवानिवृत्ति ली थी, उस समय बोर्ड मीटिंग में उन्होंने मुख्य रूप से तीन बातें कहीं थीं –

१. सेवानिवृत्ति की आयु ६५ होनी चाहिये और इसके बाद कोई भी व्यक्ति इन्फ़ोसिस में कार्य नहीं करना चाहिये, हालांकि बोर्ड ने NRN पर ७० वर्ष तक की उम्र के लिये काम करने के लिये दवाब बनाया था।

२. NRN ने कहा कि वे कामथ को अपनी जगह लेकर आ रहे हैं और वे उनसे भी ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे, उन्हें कामथ से कई उम्मीदें हैं और इन्फ़ोसिस को कामथ एक नई दिशा देंगे और नई ऊर्जा के साथ कंपनी बाजार का प्रतिनिधित्व करेगी ।

३. इन्फ़ोसिस को कतई पारिवारिक कंपनी नहीं बनने देंगे और मैं अपने परिवार के किसी भी सदस्य को इन्फ़ोसिस में आने के लिये प्रेरित नहीं करूँगा।

     अब जब बोर्ड ने नया प्रस्ताव लाकर NRN को वापिस Infosys में बुलाया है, कि Infosys को NRN की बहुत जरूरत है तो NRN मना नहीं कर सके, कौन अपने सीचें हुए पौधे को जो बड़ा होकर विशाल वृक्ष बन चुका है, उसे सूख जाने देगा । मैं कुछ बोल ही रहा था तो उन्होंने टोक दिया और कहा कि ना हम NRN के खिलाफ़ कुछ बोलते हैं, ना बोल सकते हैं और ना ही हम दूसरों को इसके लिये बढ़ावा देंगे ।

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     फ़िर उन्होंने बोलना शुरू किया कि एक तरह से NRN का वापिस Infosys आना डेढ़ लाख कर्मियों के लिये बहुत अच्छा है, परंतु NRN के खुद के लिये वाकई बहुत कठिन होगा क्योंकि जो तीन बातें उन्होंने खुलेआम कहीं थीं और वे लगभग हर जगह दस्तावेजों में उपलब्ध हैं, अगर वे ही अपने पुराने ईमेल देखेंगे तो शायद उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। जो तीन बातें उन्होंने कहीं थीं, वे तीनों ही NRN के लिये उलट पड़ीं, हालांकि NRN इन सबसे इतने ऊपर हैं कि कोई शायद ही कभी कुछ उन्हें कहेगा परंतु  NRN बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहे होंगे, हालांकि बाजार का रूख भी अभी साफ़ नहीं है कि NRN की Infosys में वापसी को बाजार कैसे लेगा, NRN आज बाजार के ब्रांड हैं, उनके दम पर ही Infosys इतना बड़ी कंपनी  बन पायी है। परंतु फ़िर भी जो भी NRN अब करना चाहते होंगे वह योजना अब आकार नहीं ले पायेगी क्योंकि उनके द्वारा उपजाया हुआ पौधा जो विशाल वृक्ष बन चुका है उन्हें बुला रहा है।

     अब NRN को Infosys में अंतरिम विश्लेषण के बाद ढूँढ़ना होगा कि उनके दिये हुए मूल्यों में कितनी हानि हुई है और उन मूल्यों को कंपनी में वापिस से स्थापित करने के लिये कितना समय लगेगा, यह तो आगे वक्त ही बतायेगा । Infosys में कितना इन्टर्नल डेमेज हुआ है यह भी वक्त के साथ पता चलेगा, बाजार भी NRN और Infosys को कैसे देखेगा और अब Infosys कैसे वापिस से नई ऊँचाईयों पर पहुँचेगी, यह भी भविष्य के गर्भ में है।

     हमारी NRN और Infosys दोनों को भविष्य के लिये मंगलकामनाएँ हैं, यही वह कंपनी है जिसने भारत में तकनीक के नये युग की शुरूआत की थी ।

*फ़ोटो इकोनोमिक टाइम्स एवं इंडिया आजतक से साभार लिया गया है ।

बैंगलोर से मुंबई ..

    सुबह जल्दी की फ़्लाईट हो तो सारी दिनचर्या अस्तव्यस्त हो जाती है, एक दिन पहले सारा समान पैक करा, टिकट भी एयर इंडिया में मिला था तो समान भी केवल १५ किलो, पहले तो सारा समान पैक कर लिया गया और फ़िर तोला गया पता चला कि २१ किलो हो गया है, फ़िर एक और बैग किया गया, जिसमें चेक इन वाले बैग से केबिन में ले जाने वाले बैग में शिफ़्ट किया गया, फ़िर देखा कि ७ किलो ले जा सकते हैं, अभी तो और भी समान रख सकते हैं, तो १ किलो नमकीन मिठाई और रख ली, अब इलाहाबाद की नमकीन और दिल्ली की मिठाई की बात ही कुछ और होती है । इतनी सारी मशक्क्त करने में देर रात हो गई, निश्चय किया गया कि सुबह केवल महत्वपूर्ण दैनिक कार्यक्रम करके हवाई अड्डे निकल लेंगे और मुंबई पहुँच कर बाकी के कार्यक्रम सम्पन्न किये जायेंगे।

    सुबह ४ बजे उठे कार्यक्रम निपटाकर  तुरत फ़ुरत तैयार हुए टैक्सी भी आ चुकी थी, समान टैक्सी के हवाले कर हम पीछे सीट पर धँस लिये और फ़िर से हम नींद के आगोश में जाने को तैयार थे क्योंकि अभी हवाई अड्डे पहुँचने में भी कम से कम १ घंटा लगना था ।

    लगभग १ घंटे बाद हम हवाई अड्डे पर पहुँचे, हमने पहले ही वेब चेक इन कर लिया था और बोर्डिंग पास हमने प्रिंट निकाल लिया था कि समय की बचत हो सके, जब एयर इंडिया के काऊँटर पर पहुँचे तो पता चला कि केवल समान चेक इन करने की सुविधा का काऊँटर आज उपलब्ध नहीं है, तो हमें फ़िर लाईन में लगना पड़ा, हमने सोचा कि चलो लाईन छोटी है, पर फ़िर भी समय हो रहा था और अभी सुरक्षा जाँच से भी निकलना था । खैर जल्दी ही नंबर आया और चेक इन करके हम सुरक्षा जाँच के लिये निकल लिये । सुरक्षा जाँच में हमारा बैग रोक लिया गया, और फ़िर खाने के समान की पता नहीं कौन कौन सी मशीन से तलाशी ली गई, तब तक बोर्डिंग का समय निकला जा रहा था, फ़िर दौड़ लगानी पड़ी.. खैर समय से क्राफ़्ट में पहुँच गये और केबिन में सामान रखने की जगह भी मिल गई, कई बार देरी हो जाने पर सामान केबिन में रखने की जगह मिलना मुश्किल हो जाता है।

    एयर इंडिया में युवा पीढ़ी को सेवा करते देख बहुत अच्छा लगा, क्योंकि पता नहीं अपने को अब जेट की सुविधाएँ अच्छी नहीं लगतीं, जेट वाले हरेक चीज को टालते रहते हैं । सुबह बैंगलोर से बहुत सारी फ़्लाईट अलग अलग शहरों को जाती हैं, तो एयर पोर्ट पर बहुत भीड़ हो जाती है, और अधिकतर अपने व्यापार या नौकरी के सिलसिले वाले ही होते हैं, जिससे दिन भर वे दूसरे शहर में जाकर कार्य कर सकें । कुछ लोग सूटेड बुटेड थे कुछ लोग हमारे जैसे जींस टीशर्ट में, परंतु सभी अपने अपने कार्यों में व्यस्त, कुछ ना कुछ लेपटॉप पर या कॉपी पर लेखन जारी था, किसी के एक्सेल शीट खुली थी, किसी का वर्ड डॉक्यूमेंट खुला था, कोई प्रेजेन्टेशन को आखिरी रूप दे रहा था, यह दुनिया बहुत तेजी से बदलती जा रही है।

    उड़ान शुरू हुई और हिन्दी में उद्घोषणा सुनकर मन प्रसन्नता से भर जाता है, केवल विमान का कप्तान अंग्रेजी में ही बात करता है उसे शायद हिन्दी बोलने की अनुमति नहीं होती होगी। नाश्ते की खुश्बू नथुनों में समाने लगी थी, परंतु कुछ भी तरह की खुश्बू थीं किसी की परफ़्यूम की और किसी की सुबह कार्यक्रम ना करके आने की चुगली करने वाली खुश्बू ।

    मुंबई पहुँचे कन्वेयर बेल्ट पर समान बहुत देरी से आया, तो अहसास हुआ कि अपन सरकारी हवाई सुविधा का लाभ ले रहे हैं, इसलिये इंतजार तो करना ही होगा, वहीं पास वाले कन्वेयर बेल्ट पर दूसरे विमान का स्टॉफ़ भी अपने समान का इंतजार करते हुए खीज रहा था ।

    मुंबई में हवाई अड्डे पर बहुत लूट है, पास में जाने का भी टैक्सी इतने पैसे वसूलती हैं कि सुनकर ही हालत खराब हो जाये, हम समान के साथ सीधे सड़क पर आये और ऑटो जो पहले से ही खड़े थे, उनसे पूछा तो कहते हैं कि हमारे गंतव्य तक जाने के ३५० रूपये लगेंगे, हमने कहा भई मीटर से चलो, मुश्किल से १०० रूपये लगते हैं, पर वे तैयार नहीं हुए और हमे कहने लगे कि अरे साहब हमें ये पुलिस वालों को १०० रूपया हर ट्रिप का देना पड़ता है, क्योंकि हम यहाँ देर से खड़े हैं, नहीं तो ये हमें यहाँ खड़े नहीं होने देंगे । हमने कहा हम मुंबई में नये नहीं हैं, इसलिये तुमसे लुटने वाले नहीं हैं, एक काम करो थाने चलते हैं और तुम्हारी शिकायत करते हैं,  तो उन्हीं ऑटो वाले ने दूसरी ऑटो रोकी और मीटर से बैठा दिया ।

    काफ़ी दिनों बाद मुंबई की सड़क पर ऑटो की सवारी के मजे ले रहा था, बहुत अच्छा लग रहा था, ऑटो वाला भी गजब की रफ़्तार में चलाये जा रहा था, टैक्सी में जा सकते थे परंतु ऑटो का अपना अलग ही मजा है और आखिर ढ़ाई साल बाद मुंबई में आना हुआ था तो सबसे पहले ऑटो में ही बैठे । ऑटोवाले की बातें, आसपास की चिल्लपों अच्छी लग रही थी, शायद इसलिये भी कि बहुत दिनों बाद ये सब सुनी थीं।

    गंतव्य पर पहुँचे और तैयार होकर अपने ऑफ़िस के लिये निकल पड़े, जैसे ही बाहर निकले मुंबई में होने का अहसास हो गया, पूरी शर्ट पसीने से तरबतर हो गई थी, दो वर्षों से ज्यादा समय से बैंगलोर में हूँ तो कभी इतनी पसीने की आदत भी नहीं रही, बैंगलोर तो पूर्ण प्राकृतिक वातानुकुलित शहर है। अब मुंबई में मुबई के रहना का अहसास जो हुआ है,  उसमें अपने आप को ढ़ालना होगा, आगे के थोड़े दिनों के लिये।