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हम भाड़ की जनरेशन और आज की ग्रिल की जनरेशन

हम अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं तो हमें भाड़ का महत्व पता है, और तभी भाड़ की बहुत सी कहावतें भी याद आती हैं। भाड़ में बहुत सी चीजें पकाई जाती हैं, जिन्हें हम खाने के काम में लेते हैं, और हमारे लिये वे ही व्यंजन था, जैसे भाड़ के चने, भाड़ के आलू। ये भी कहा जा सकता है कि ये गँवई शौक थे जो कि ठंड के मौसम में बड़े काम आते थे। हमारी जनरेशन और हमसे पहले वाली याने पिताजी, दादाजी वाली जनरेशन भाड़ की थी। जैसे भाड़ में पकने में समय लगता था, उसी के कारण शायद यह कहावत बनी होगी कि भाड़ में जाओ। जो भाड़ के कारीगर होते थे याने कि जो भाड़ में भूनते थे, वे कहलाते थे भड़बुजे, आजकल न भाड़ है न भड़बुजे।

एक कहावत और याद आती है एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, खैर इसका मतलब नि:संदेह ही यह रहा होगा कि एक अकेला व्यक्ति कभी क्रांति नहीं ला सकता है, क्योंकि एक अकेला क्या एक हजार चने भी होंगे तो वे भी भाड़ नहीं फोड़ पायेंगे। वैसे तो भाड़ में केवल चने ही नहीं और भी अनाज को पकाया जाता था, भाड़ के पके अनाज का स्वाद बिल्कुल अलग ही होता है, जो बिना चखे नहीं जाना जा सकता है।

वैसे ही आजकल की जनरेशन है जो केवल ग्रिल ही पसंद करती है, कोई चीज हो बस ग्रिल कर दो। परंतु समस्या यह है कि ग्रिल में अधिकतर माँस को ही पकाया जाता है या फिर आलू, पनीर। और कुछ ग्रिल हो नहीं सकता है, कोई और अनाज ग्रिल हो नहीं सकता, क्योंकि ग्रिल और भाड़ दोनों की बनावट ही अलग है, कार्य पद्धति भी बिल्कुल अलग है। यह तुरत फुरत वाला काम है।

भाड़ के लिये ज्यादा जगह चाहिये, पर ग्रिल तो एक तसले में भी बनाया जा सकता है। हमारी जनरेशन ने शायद धरती पर जितनी खाली जगह और प्राकृतिक स्त्रोत देखे हैं, उतने हमारी आने वाली जनरेशन नहीं देख पायेगी। इसी कारण से सारी चीजें सिकुड़ती जा रही हैं और समय की कमी के चलते सब फटाफट चीजें आ रही हैं।

ये ग्रिल की जनरेशन वाले भाड़ की मानसिकता को नहीं समझ पायेंगे और हम लोग भाड़ की जरनेशन वाले ग्रिल का जनरेशन की मानसिकता को नहीं समझ पायेंगे।

कच्चे आम का मौसम और हिन्दू नववर्ष

हर वर्ष मराठी नववर्ष मनाने के लिये गृहणियाँ घर के मुख्य दरवाजे पर एक अलग सा कुछ सजाती हैं, जो कि आम की पत्तियों, नीम की पत्तियों और मिश्री  से बनाया गया होता है। नववर्ष को मनाने के लिये परिवार सबसे पहले इन्हीं चीजों को इकठ्ठा करता है। पर इसके अलावा भी वे बहुत सी चीजें अपना दिनचर्या में करते हैं, वो है दिन का भोजन। और भोजन की मुख्य सामग्री होती है – कच्चा आम।

गुड़ीपड़वा
गुड़ीपड़वा

तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मराठी नववर्ष मार्च या अप्रैल में पड़ता है, जब आम के मौसम की पहली खेप आती है। और इसी कारण से आम को पूरे दिन के भोजन में शुमार किया जाता है। गुड़ीपड़वा उत्सव इस रविवार को मनाया जा रहा है, जो कि मराठियों का नववर्ष है, और प्रांत के लोग स्थानीय बाजार में सबसे बढ़िया आम की खरीददारी करते पाये जा सकते हैं। उत्सव के दिन का विशिष्ट भोजन में मिठाई और स्वादिष्ट कच्चे आम के पन्ना को जरूर शामिल किया जाता है।

कच्चा आम पना
कच्चा आम पना

पना बनाने के लिये कच्चे आम को उबाला जाता है और उसमें इसके गूदे को हाथ से दबाकर निकाल लिया जाता है, फिर इसमें गुड़ और पानी मिलाया जाता है जब तक कि यह शरबत जैसा न हो जाये, और इसे श्रीखंड पूरी, और आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है।

अम्बयाची दाल
अम्बयाची दाल

भीगी और पिसी हुई चना दाल में जीरा और हरी मिर्च से अम्बयाची दाल व्यंजन बनाया जाता है, जिसे कि राई और करी पत्ते का छौंक लगाया जाता है, और साथ ही सबसे जरूरी कसा हुआ कच्चा आम अच्छी मात्रा में मिलाया जाता है। इस व्यंजन को उत्सव पर बधाई देने वालों के लिये नाश्ते के तौर पर परोसा जाता है।

चित्नना
चित्नना

वैसे ही कच्चा आम को उगादी में विविध प्रकार से उपयोग में लाया जाता है, उगादी जो कि कन्नड़ और तेलुगु में नववर्ष के त्यौहार को कहा जाता है। चामराजनगर, कर्नाटक में माविनकायी  चित्रन्ना नाम का विशिष्ट व्यंजन बनाया जाता है, इसमें बहुत से तरह के चावलों का उपयोग होता है, पके हुए चावल, नमक को मिलाकर ठंडा होने रख देते हैं, फिर थोड़ा सा तेल गर्म करके, उसमें राई, चना दाल, मूँगफली, कटी हुई प्याज, अदरक, और कसा हुआ कच्चा आम डालते हैं। यह सब पक जाने के बाद उसे ठंडा होने देते हैं और इसको चावल में मिला दिया जाता है, चित्रन्ना को हमेशा ही सामान्य तापमान पर परोसा जाता है, जैसे कि लेमन राईस को परोसा जाता है।

पाचादि
पाचादि

उगादी पाचादि आंध्रप्रदेश और तेलंगाना का मुख्य व्यंजन है। यह मीठा, तीखा, खट्टा, कड़वी चीजों को मिश्रण होता है, इसके पीछे माना जाता है कि जैसे जीवन में ये सारे रंग होते हैं और हमेशा ही बहुत सी बातें होती हैं, जिनसे हम सम्मत हों या न हों पर हमारा जीवन इन्हीं के मिश्रण से बना है। पाचादि में प्रत्येक का एक कप कसा हुआ कच्चा आम, केला और गुड़ तीनों का डाला जाता है, चौथाई कप इमली का पानी, दो चम्मच नीम के फूल, एक चम्मच हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है। इस व्यंजन को रसेदार रखा जाता है, कच्चा आम और इमली को इसी मौसम का होना चाहिये। यह पहला व्यंजन है जो कि नववर्ष में चखा जाता है।

तमिलनाडु थाली
तमिलनाडु थाली

तमिलनाडु में कच्चे आम की पाचादि नववर्ष के उत्सव में मुख्य व्यंजन होता है, इस व्यंजन को नववर्ष के मौके पर भोजन में केले के पत्ते पर खिलाया जाता है, साथ ही कोट्टू, करी, वाडाई, चावल, पोरुप्पु, साँभर, रसम और पायसम भी होता है।

पाचादि व्यंजन की विधि को अपने परिवार के पुरखों से सीखते आये हैं। कच्चे आम की पाचादि को 6 स्वाद में बनाया जा सकता है।

आप कैसा व्यवहार करते हैं

आप कैसा व्यवहार करते हैं और कैसे दूसरे से बातें करते हैं, यह आपका खुद का आईना होता है। कभी यह परवरिश का नतीजा होता है तो कभी यह हमारे प्रोफेशन में होने वाली कठिनाईयों का नतीजा होता है। हम व्यवहार में सामने वाले से कैसे बातें करते हैं, उसकी कितनी इज्जत करते हैं, Continue reading आप कैसा व्यवहार करते हैं

और दौड़ के लिये समय निकल ही आया

अक्टूबर से दौड़ना बंद था, कभी किसी काम में व्यस्त तो कभी किसी काम में और समय ही नहीं निकल पाया, दरअसल दौड़ हमारी पिछले वर्ष जुलाई से ही कम हो गई थी। पर खैर देर आयद दुरुस्त आये। आज से फिर दौड़ शुरू की है, सबसे बड़ी समस्या समय की है, समय उतना ही है और काम बहुत सारे करने हैं। तो सोचा कि चलो अब नींद के समय में से थोड़ा समय चुराया जाये, अभी 6 बजे उठ रहे थे, अब आज से सुबह 5 बजे उठना शुरु कर दिया, और दौड़ के लिये समय निकल ही आया और साथ ही आधा घंटा बोनस का अपने पढ़ने लिखने के लिये ओर मिल गया।

दौड़
दौड़

सबसे बड़ी समस्या केवल और केवल आलस है। आज जब सुबह तैयार होकर दौड़ने जा रहे थे, तो लग रहा था कि आज किसी बहुत बड़ी समस्या का हल निकल गया है और फिर जब धीरे धीरे दौड़ना शुरू किया तो सारी समस्या ही खत्म हो गई। एक किमी दौड़ने के बाद जब पसीना आना शुरु हुआ तो समझ आया कि यह अहसास कितना अच्छा है। सुबह दौड़ते समय ताजी हवा से फेफड़े भी प्रसन्न हो रहे थे। सुबह कोई शोरगुल नहीं, न कार न स्कूटर, यहाँ तक कि सड़क पर पैदल चलने वाले भी नहीं थे। बस दूध देने वाले, समाचार पत्र देने वाले या कार साफ करने वाले दिख रहे थे। सुरक्षाकर्मियों की सुबह की ड्यूटी बदल रही थी, वे अपने नियत स्थान पर जा रहे थे। हमने देखा कि अब सारे सुरक्षाकर्मी बदले हुए हैं, वो भी 2-4 दिन में हमें पहचान जायेंगे, वैसे भी जब कॉलोनी के गेट से निकलते हैं, तो पहचानते तो होंगे ही।

हर एक राऊँड के बाद में पानी जरूर पी लेता हूँ, मेरा एक राऊँड लगभग 1.5 किमी का होता है, सतीश सक्सेना जी से बात करते हुए हमें भी यह लगा था, कि जब रिक्शे वाला कितने ही किमी बिना कोई एनर्जी ड्रिंक लिये रिक्शा खींच लेता है, तो हम क्यों लें, वैसे ही खेत का मजदूर, या अनाज मंडी का हम्माल। अब हम भी केवल दौड़ते हुए केवल पानी पीते हैं, हाँ जब लंबी दूरी के लिये दौड़ना होगा तब कुछ न कुछ एनर्जी ड्रिंक लेना ही होगा, क्योंकि पसीने के साथ सारा नमक निकल जाता है।

घर आते ही जबरदस्त वाली भूख लगने लगी, तो रिलेक्स करने के बाद सबसे पहले एक केला खाया और फिर 5 मिनिट का आराम करने के बाद नहाने चल दिये। अब अपने रोज के कार्य करने के लिये तैयार हैं, तो सोचा कि उसके पहले 10-15 मिनिट में अपने अनुभव ब्लॉग पर लिखते चलें।

वैसे शेयर बाजार आज अच्छा करने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक बाजारों ने मंदी से उबरने के संकेत दिये हैं। सुबह ही सुना कि हीरो मोटर्स के नतीजे अच्छे आये हैं और उन्होंने 55 रूपये का डिविडेंड दिया है, हीरो मोटर्स के शेयर का भाव लगभग 3500 रूपये है, उस हिसाब से डिविडेंड का प्रतिशत 2 भी नहीं आता है, इससे बेहतर है कि REC के शेयर खरीदे जायें, जहाँ कि डिविडेंड यील्ड़ बहुत अच्छी है।

सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं।

हर रोज हम जो काम करते हैं, वह निरंतर करने की इच्छा कभी कभी नहीं होती है, हम उस क्रम को किसी न किसी बहाने तोड़ना चाहते हैं। सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं। सुबह उठकर कई बार ऐसा लगता है कि आज फिर काम पर जाना है, खाना बनाना है या स्कूल जाना है। मतलब कि जो भी काम हम नियमित रूप से कर रहे हैं, उस क्रम को हम तोड़ना चाहते हैं। इसे आलस कहें या जिद कहें, पर यह होता सबको है। यकीन मानिये कि आपको अगर यह नहीं होता तो आप असाधारण मानव है। Continue reading सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं।

बिटक्वाईन वाले करोड़पति (Millionaire by Bitcoin)

आज शाम के समय की बात है हमारे एक सहकर्मी ने अपने ऑफिशियल चैट प्रोग्राम पर पिंग किया और पूछा कि बिटक्वाईन में निवेश किया या नहीं? हमने रोज वाले अंदाज में ही कहा कि नहीं भई, अपने को बिटक्वाईन नहीं जमता और न ही अभी तक समझे हैं, तो बेहतर है कि ऐसी चीजों के निवेश से दूर ही रहें, जो समझ में न आती हों। तब वे बताने लगे कि एक उनके मित्र ने 8 लाख बिटक्वाईन में लगाये थे जो कि अब लगभग 48 लाख रूपये हो चुके हैं, और उन्होंने भी देखा देखी 4 लाख 3 सप्ताह पहले लगाये हैं जो अब 6.24 लाख रूपये हो चुके हैं। हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जो बंदा म्यूचुअल फंड तक में पैसे लगाने से डरता था, केवल किसी और के पैसे बढ़ गये तो उसने अपने 4 लाख रूपये का रिस्क याने कि जोखिम ले लिया। हमें कहने लगे कि और 2-3 सप्ताह देखते हैं, अगर सब कुछ ठीक रहा तो पैसा दोगुना तो हो ही जायेगा। Continue reading बिटक्वाईन वाले करोड़पति (Millionaire by Bitcoin)

MTR (मवाली टिफिन रूम्स) बैंगलोर

बहुत दिनों से चिकपेट जाने का कार्यक्रम बन रहा था, पर जा ही नहीं पा रहे थे, 2 सप्ताह पहले भी गये थे, पर रास्ता भटकने की वजह से वापिस आ गये। इस बार फिर से कार्यक्रम कल सुबह बना, अपने सारे कार्य निपटाकर चल पड़े, भोजन का समय था MTR(मवाली टिफिन रूम्स) अपने खाने के लिये बहुत प्रसिद्ध है। हम वैसे भी कई बार MTR के भोजन का आनंद ले चुके हैं, परंतु हर मौसम का अपना अलग आनंद होता है। सर्दियों के शुरूआत होने से मीठा अलग हो जाता है।

पार्किंग के लिये MTR के आसपास बहुत से निजी पार्किंग उपलब्ध हैं, सड़क पर गाड़ी न खड़ी करें, एकदम मुस्तैद पुलिस गाड़ी टो करके ले जायेगी। पार्किंग MTR के बिल्कुल सामने ही पार्किंग कर सकते हैं या फिर 3-4 दुकान छोड़कर बिल्कुल कोने पर भी एक पार्किंग बनी है, वहाँ पार्किंग कर सकते हैं।

दोपहर के भोजन का समय 3 बजे तक ही है, इसके बाद ये लोग भोजन याने कि थाली नहीं परोसते, शनिवार और रविवार को रात्रि भोजन भी उपलब्ध रहता है, यह कल मैंनें MTR में पढ़ा था। अगर और किसी समय जा रहे हों तो डोसा, बिसिबेला भात जरूर खायें। खाने के विविध व्यंजन उपलब्ध हैं।

MTR की थाली खाना भी अपने आप में बहुत बड़ी बहादुरी है, हमने तो एक नियम बना रखा है कि कोई भी चीज दोबारा नहीं लेते हैं, तब जाकर सारी चीजें खा पाते हैं। MTR में घुसने के बाद सबसे पहले काऊँटर पर आप अपना बिल पे कर दें, प्रीपैड काऊँटर है। और उसके बाद पहली मंजिल पर चले जायें, जहाँ आपको अपना बिल दिखाना होता है, और वहाँ मौजूद स्टॉफ आपको एक नंबर देगा, क्योंकि इंतजार यहाँ कम से कम 10-20 मिनिट का होता है। हम भी इंतजार कर रहे थे, तब हम बात कर रहे थे कि यह रेस्टोरेंट 92 वर्ष पुराना हो चुका है, और पता नहीं कितने लोग कहते हैं कि विश्व का सबसे अच्छा डोसा यहीं मिलता है।

हमारा नंबर आ चुका था, इस रेस्टोरेंट की खासियत है कि यहाँ गंदगी का नामोनिशान नहीं मिलेगा, सफाई का हर जगह, हर तरफ ध्यान दिया जाता है। सबसे पहले हमें अंगूर का जूस सर्व किया गया और फिर थाली जिसमें कि खुद की ही कटोरियाँ हैं, दी गई और साथ ही चम्मच भी दी गई।

angoor ka juice
angoor ka juice

सबसे पहले नारियल चटनी सर्व की गई, फिर आलू की सब्जी, हलवा (मूँग का हलवा लग रहा था), सलाद (किसा हुआ गाजर और भीगी हुई मूँग दाल), बादाम हलवा, सब्जी (जिसमें हमें लगा कि कच्चे मसाले हैं और थोड़ी तेल स्वाद के लिये मिलाया गया है), मूँग बड़ा औऱ डोसा। यह पहला राऊँड था।

worlds best dosa at MTR
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दूसरा राऊँड – इसके बाद पूरी दी जाती है।

poori at MTR
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तीसरा राऊँड – बिसिबेला भात, रायता, चिप्स और अचार।

bisibela bhat at MTR
bisibela bhat at MTR

चौथा राऊँड – सादा चावल, सांभर।

chawal sambhar at MTR
chawal sambhar at MTR

पाँचवा राऊँड – सादा चावल, रसम।

rasam at MTR
rasam at MTR

छठा राऊँड – दही चावल।

curd rice at MTR
curd rice at MTR

सातवाँ राऊँड – पान।

pan at MTR
pan at MTR

आठवाँ राऊँड – फ्रूट आईसक्रीम।

fruit icecream at MTR
fruit icecream at MTR

खाना अनलिमिटेड है, पान और फ्रूट आईसक्रीम लिमिटेड है।

खाने का भरपूर आनंद उठायें, और अपने पेट का भी ध्यान रखें।

मैं जीवन में बहुत चंचल और वाचाल रहना चाहता था… मेरी कविता

मैं जीवन में बहुत चंचल और वाचाल रहना चाहता था।
मैं मेरे जीवन को मेरे हिसाब से जीन चाहता था।
मैं जी भी रहा था…
पर फिर एक ऐसा मोड़ आया, जहाँ
सब कुछ बदल गया, मेरा जीवन बदल गया।
उस मोड़ के कारण मैं धीर गंभीर हो गया।
मैं जीवन को रफ्तार से हराना चाहता हूँ।
अब मैं कुछ पाना चाहता हूँ।

NDTV बड़ा ही देशद्रोही चैनल है

NDTV बड़ा ही देशद्रोही चैनल है, भले हिंदी वाला हो या अंग्रेजी वाला, आज अभी थोड़ी देर पहले अंग्रेजी वाले चैनल पर झारखंड में भूख से हुई कुछ मौतों पर कार्यक्रम आ रहा था, जिसमें सरकार से जुड़ा हर आदमी बेशर्मी से कह रहा था, कि सब प्राकृतिक मौत हैं। और मरने वाले ने दाल भात भी खाया व परिवार के लोग 2-3 हजार महीना कमाते हैं, लोगों का कहना है कि आधार कार्ड लिंक नहीं हुआ है तो उन्हें राशन की दुकान से राशन नहीं मिल रहा। इस पर भी केंद्र और राज्य के बयान विरोधाभासी हैं।

किसी को कोई क्लिएरिटी नहीं है, गरीब मर रहे हैं, देखकर मन अजीब सा हो रहा है। मानवीयता को शर्मसार करने वाले लोग आज भी हैं।

बेटेलाल साथ बैठकर देख रहे थे, वे ख़ुद ये सब देखकर द्रवित थे, उनको राशन कार्ड के बारे में नहीं पता, तो उनको बताया कि राशन कार्ड से क्या होता है और क्यों जरूरी है। ये भी बताया कि जितने रूपये चॉकलेट और आइस्क्रीम एक महीने में खर्च कर देते हो, उतने में तो एक परिवार का महीने भर का राशन आ जाता है।

वे अवाक रह गये!!

मम्मी जी की असामान्य स्वास्थ्य की बातें (Unusual Health problems)

हर वर्ष अप्रैल या मई में ही घर जाने का कार्यक्रम होता है, हम हमेशा ही कोशिश करते हैं कि लगभग सभी से मिल लें, समय हमेशा ही कम होता है, परंतु फिर भी उसी समय में सब जगह जाना, सबसे मिलना और साथ ही थोड़ा बहुत घूमना भी करना होता है। इस वर्ष भी हम दिल्ली, धौलपुर, उज्जैन और इंदौर गये थे, साथ ही धौलपुर के पास मुरैना में ही चौंसठ योगिनी का मंदिर और बहुत पुराने मंदिरों की श्रंखला पढ़ावली और बटेश्वर भी गये थे। इन मंदिरों के बारे में और यात्रा के बारे में विस्तार से लिखने का सोचा था, बहुत सारे फोटो खींचे थे, जो कि हमने इंस्टाग्राम पर शेयर भी किये थे। अब थोड़ा थोड़ा समय निकाल कर लिखेंगे।

जब इस बार हम उज्जैन पहुँचे तो मम्मी जी और पापा जी अच्छे से चल फिर रहे थे और अपने लगभग सारे कार्य सामान्य रूप से ही कर रहे थे, अपने आप में पूरे आत्मविश्वास से लबरेज थे। जब आप अपने आधारस्तंभों को आत्मविश्वास से लबरेज देखते हैं तो अपने आप ही हमारे अंदर बेहद आश्चर्यजनक रूप से बहुत सी शक्ति, ऊर्जा के संचार होने लगता है। मम्मी जी की तबियत कई दिनों से खराब चल ही रही थी Continue reading मम्मी जी की असामान्य स्वास्थ्य की बातें (Unusual Health problems)