Category Archives: अनुभव

कालू कुत्ते, लंगूर और महिलायें

आज सुबह घूमने निकले तो सबसे पहले अपना ब्लूटूथ कनकव्वा लगाया और ऑडिबल्स पर किताब Do epic shit सुनना शुरू की। अच्छी किताब है, दिमाग के जाले मिटाने के लिये इस तरह की मैनेजमेंट व पर्सनल स्किल वाली किताबें पढ़ना चाहिये, वैसे हमने जिस दिन यह किताब पढ़ना शुरू की थी, उसी दिन बेटेलाल को इन किताबें की हार्डकॉपी ऑर्डर कर दी थी।

सूरज भाई निकल ही रहे थे, गली के 2 कुत्ते दोनों ही कालू हैं, एक के दोनों कान खड़े रहते हैं, दूसरे वाले के एक कान में समस्या है, तो 45 डिग्री पर उसका एक कान मुड़ा रहता है। वो अक्सर किसी ने किसी कार की छत पर बैठा दिखता है। जब हम यहाँ आये थे, तब इन दोनों कालुओं ने हम पर खूब भौंका, पर अब शायद पहचान गये हैं कि ये लोग भी अपने ही भाई बंद लोग हैं। पर अब भी मूड होने पर भौंकते जरूर हैं।

हमारे घूमने वाले रास्ते में कम से कम 15-20 गली के कुत्ते हैं ही और सबके सब जबरस्त भौंकते हैं, पर अभी रोज ही हम घूमने जा रहे हैं तो वे सब भी पहचान गये हैं, तो अब कोई दौड़ाने वाला जैसा कोई दिखता नहीं।

इस रूट पर घूमते हुए काफी दिन हो गये, पर आज जीरो प्वाइंट ब्रिज शुरू होने पर ही सीधे हाथ पर ही एक मजार दिखी, जिस पर एक भाई सुबह सुबह सजदा कर रहे थे, वहीं पास की एक गुमटी में चाय गुटखा बेचने वाले शख्श ने सड़क पर सामने भैरू के मंदिर को हाथ जोड़कर नमस्कार किया और आँखें बंदकर कुछ बुदबुदाया और फिर दोनों कानों को हल्के से पकड़ा और फिर ईसा मसीह के सजदा वाली स्टाइल में माथे को छुआ और फिर दिल की जगह छुआ। इतनी सी देर में इतना सब कुछ देखकर इतना तो विश्वास हो गया कि कोई हमें कितना भी तोड़ने की कोशिश करे, पर आम आदमी अपनी आदतें नहीं छोड़ेगा।

तीन महिलाओं ने हमारे आगे चलने की ठानी थी और ब्रिज पर वे आगे चल रही थीं जब पास पहुंचे तो हमने कहा जरा जगह मिलेगी, पर वे तीनों अपनी बातें में इतनी मशगूल थीं कि शायद हमें सुना नहीं, पर जब एक महिला ने हमें देखा तो आगे जगह घेरकर चल रही महिला को कहा ‘अरे दरी जरा जगो दे दे’, तो उस महिला ने ‘हो’ कहा और साइड हो गईं, हम आगे निकल गये। आगे निकलते ही रेल की पटरी दिखने लगे गईं। जहाँ ब्रिज के नीचे रेल्वे लाईन शुरू होती हैं, तो दोनों और 6 फिट की जाली ब्रिज पर लगा दी गई हैं, बस उसी समय हमने देखा काले मुँह के बंदर जिन्हें लंगूर कहते हैं, अपने पूरे कुनबे के साथ लंगूर घूम रहे थे, थोड़ा डर भी लगा पर वे शायद जंगल के लंगूर थे, उनको हमसे कोई मतलब नहीं था, और वो हम शहरवालों को बिना छेड़े अपने रास्ते पर निकल गये।

ब्रिज के खत्म होते ही ठेलेवाले भिया खड़े थे, जहाँ पोहे जलेबी का कालजयी मालवी नाश्ता मिल रहा था, आज कचोरी, समोसे और आलूबड़ा मिसिंग थे। 5-6 लोग नाश्ता कर रहे थे, सब अपनी मस्ती में मस्त थे। ब्रिज पर आते हुए देखा था कि साबरमती एक्सप्रेस उज्जैन आ रही है, लौटते समय देखा कि साबरमती एक्सप्रेस वापिस चल दी है, पहले भी हमने देखा था कई बार आते जाते दोनों समय साबरमती एक्सप्रेस आउटर पर ही खड़ी दिखी थी। आते आते देखा कई लोग जो रोज ही उस समय आते जाते हैं वे अपनी सोमवार की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं।

हम लौटते हुए देख रहे थे कि सूरज भाई अब आसमान में 40 डिग्री पर आ चुके थे और स्कूल की बसें भी आकर किसी न किसी बच्चे का इंतजार कर रही थीं।

पापाजी मम्मीजी के साथ महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन

जब से उज्जैन आये हैं हम तो कई बार महाकालेश्वर के दर्शन कर चुके हैं, और लगभग रोज ही शिखर दर्शन कर रहे हैं। पापाजी मम्मीजी की भी इच्छा थी कि वे भी महाकालेश्वर के दर्शन करें, परंतु ज्यादा चलना उनके बस का नहीं था। तब हमने महाकालेश्वर में पूछा तो पता चला कि व्हील चेयर मिल जाती है। यह भी देखा कि कार कैसे महाकालेश्वर मंदिर के पास तक जा पाये, जिससे उनको ज्यादा न चलना पड़े।

कार का रास्ता – गोपाल मंदिर से महाकाल घाटी की और जाते हुए, दायीं तरफ चौबिसखम्बा माता का मंदिर के रास्ते में मुड़ें, और फिर बायीं तरफ वाला रास्ता जो कि घाटी जैसा है, उस पर जायें, बस उसके बाद रास्ते पर चलते रहें, आप महाराजबाड़ा स्कूल पहुँच जायेंगे, जगह देखकर कर पार्किंग में लगा दें। अपना मोबाईल और चप्पल जूते कार में ही छोड़ दें।

महाकालेश्वर मंदिर में ₹250 का टिकट वाली विंडो पर जब हम पहुँचे तो उनसे कहा कि 3 टिकट चाहिये और 2 व्हील चेयर चाहिये, तो उन्होंने कहा कि आप गेट नम्बर 5 पर चले जाइये, अटेंडेंट साथ में जा सकते हैं। व्हील चेयर व उनके अटेंडेंट के लिये दर्शन फ्री हैं, कोई टिकट लेने की आवश्यकता नहीं है। हम गेट नम्बर 5 पर गये और हमें अंदर बैठने के लिये कह दिया गया। इस समय सुबह के 6.10 हो रहे थे। 5 मिनिट बाद ही 2 लोग आये और उन्होंने पापाजी मम्मीजी को व्हील चेयर पर बैठाया व दर्शन हेतु महाकालेश्वर मंदिर में चल दिये।

सुबह ₹1500 वाली लाइन भी लंबी थी, जिसमें महिलाओं को साड़ी व पुरुषों को धोती व बनियान पहनना होता है। हमें सीधे नंदी हाल के पीछे लगी रेलिंग के पास ले गये, वहाँ से पैदल जाकर बाबा महाकाल के दर्शन किये, और वापिस उसी रास्ते मंदिर के बाहर आ गए। दर्शन करने में लगा समय लगभग 15 से 20 मिनिट रहा। हम घर से सुबह 6 बजे निकले थे व वापिस 6.45 पर घर पर आ गये थे।

#ujjain

#mahakal

आज की सुबह की सैर

घर से निकलने में ही आज 7.40 हो गये, फिर भी हमने सोचा देर से ही सही पर घूम तो आते ही हैं वरना दिन भर फिर समय ही नहीं मिलेगा। सुबह मौसम ठंडा रहता है पर फिर भी हम हाफ टीशर्ट में घूमने निकल पड़ते हैं और दुनिया अपने बच्चों को छोड़ने स्कूल जा रही होती है वे सब जरकिन पहने हुए होते हैं। घर से निकलते ही थोड़ी दूर के बाद नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर पड़ता है जोकि जैन मंदिर है। और जैन धर्मावलंबी सुबह 6:00 बजे से ही अपना शोला पहनकर दर्शन के लिए जाते हैं। आज जब तक हम पहुंचे तब तक सब दर्शन करके जा चुके थे।

फिर जैसे ही हम पिछले सिंहस्थ पर बने हैं नई सड़क पर घूमने निकले तो सामने ही सूरज भाई ने पूरे 60 डिग्री पर हमें दर्शन दिए, झट से हमने फोटो खींच लिया और फेसबुक पर डाल दिया। पहले कभी यहां पर हीरा मिल हुआ करती थी, जहां पर मजदूरों की साइकिलें लाइन से खड़ी होती थी और हीरा मिल का गेट हुआ करता था। जहां पर कपड़ा बना करता था, आज वहां रोड बनी हुई है तो कोई कितना भी घमंड कर ले, एक ना एक दिन उसका समाप्ति का दिन आ ही जाता है, इसलिए घमंड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

इसी सड़क पर आगे बढ़ते हुए जो उज्जैन की नई इनर रिंग रोड बनाई गई है, वह आ जाती है। उसके पहले सीधे हाथ पर हीरामल की चाल है, जो पहले भी थी और अभी भी है, उनकी बरसों से यही मांग है कि यह घर उनके नाम कर दिया जाए पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। वहीं पर ही सीधे हाथ पर 2-3 मंदिर बना दिए गए हैं उल्टे हाथ पर एक महावीर हनुमान जी का मंदिर है, थोड़ा सा आगे चौराहे पर जाने पर महादेव का मंदिर बना हुआ है, उसी के पास एक तालाब है, जिसमें गणपति विसर्जन होता है।

यहीं से दाई और मुड़ने पर फ्रीगंज जाने के लिए पुल आ जाता है, जो कि पिछले सिंहस्थ में बनाया गया था और पुल में ऐसा लगता है कि आधा ही पैसा लगाया गया। क्योंकि पुल बहुत ही संकरा है, पुल पर चलते रहने पर पुल की दीवाल पर स्वच्छ मध्य प्रदेश और स्वच्छ उज्जैन के नारे लिखे हुए देखे जा सकते हैं, परंतु उसी नारे के नीचे जमी धूल उन नारों का मखौल उड़ाती हुई देखी जा सकती है।

थोड़ा आगे जाने पर रेलवे लाइन का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है जिसमें आज एक मालगाड़ी आते-आते रोक दी गई इसे आउटर कहा जाता है और बहुत ही लंबी मालगाड़ी थी जिसका दूसरा चोर दिखाई नहीं दे रहा था, वहीं आसपास बस्ती में एक बड़ा सा कुआं है जिसमें से एक व्यक्ति कुए से बाल्टी से पानी निकाल रहा था और एक व्यक्ति ही खड़ा होकर मछलियों के लिए कुछ खाने की चीजें भेज रहा था। इंसान में भी कितना मतभेद होता है, परंतु फिर भी कोई लड़ाई नहीं कोई झगड़ा नहीं कोई हाइजीन नहीं, सब अपने तरीके से जी ही रहे हैं। हालांकि उसका कोई छायाचित्र नहीं लिया। पर आप लिखे हुए ऐसे दृश्य को अपनी आंखों में उकेर सकते हैं।

इस पुल के बन जाने से फ्रीगंज का रास्ता अच्छा हो गया है और दूरी कम हो गई है। जब ब्रिज खत्म होने आ जाता है, तो उल्टे हाथ पर दो-तीन बड़े बड़े अस्पताल खुले हुए हैं, और उनके पहले दारु की दुकान है और फर्स्ट फ्लोर पर बढ़िया बैठ कर पीने की जगह भी है वह ब्रिज से ही दिखाई देता है। वहीं पर एक ही होती अपने कुत्ते को लेकर घूम रही थी और स्वच्छ उज्जैन की ऐसी तैसी कर रही थी। पुल खत्म हुआ और वापस जाने के लिए फुल क्रॉस करके दूसरी तरफ आ गए। वहीं पर एक ठेले पर सुबह सुबह नाश्ते की खुशबू आ जाती है वह पोहे जलेबी पकोड़े और चाय बनाता है। थोड़ा आगे आने पर उज्जैन रेलवे स्टेशन की तरफ का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

पुल उतरते ही राजनेताओं के बड़े-बड़े पोस्टर लगे थे, कोई लोकल नेता कांग्रेस कमेटी का मेंबर चुन लिया गया था। तो दुनिया भर के छुटभैया नेता और बड़े नेताओं के फोटो लगे हुए थे, पर सबसे बड़ा फोटो उन्हीं का था जिनको यह सदस्यता हासिल हुई थी। और इस तरह थोड़ी देर में ही हमारी यह सैर खत्म हो गई।

अपने अपने खतरे और iskcon मंदिर

स्वास्थ्य ठीक रखना हम सबका अपने शरीर के प्रति सबसे प्रथम कर्तव्य है, परंतु हम इसमें बहुत लापरवाही बरतते हैं। हम हमेशा ज्ञान तो बहुत देते हैं, लेकिन पिछले 3 सालों से लगातार लापरवाही चल रही है। जिसके चलते वजन ज्यादा बढ़ गया है और बीपी भी अभी कंट्रोल में नहीं है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि मैं हार्ट अटैक के बाद हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती हूँ, और सारे परिवार जन मुझे लेकर चिंतित हैं। उसी समय मेरी निद्रा टूट जाती है और फिर से मैं संकल्प ले लेता हूं कि अब तो ठीक हो कर ही रहूँगा।

अपने ना रह पाने की स्थिति में अपने परिवार जनों के चेहरे देख पाना बहुत मुश्किल लगता है, परंतु जीवन इसी का नाम है यह चलता ही रहता है। वैसे तो अपने आप को वित्तीय क्षेत्र में थोड़ा बहुत समझदार मानते हैं परंतु फिर भी कई बार ऐसा लगता है कि बहुत सारी चीजों से अनजान हैं, पर सब कुछ जान लेना भी संभव नहीं है। इसलिए जितना हो सके इतना तो जान ही लेते हैं और परिवारजनों को भी उसकी जानकारी दे देते हैं। सभी को अपने ऐसेट ओर लायबिलिटी की जानकारी अपने परिवार जनों से शेयर करनी चाहिए, जिससे आकस्मिक परिस्थिति में उनको सहायता हो सके और वह आगे का जीवन ठीक से गुजार सकें

पिछले 3 दिनों से घूमना बंद था काम का लोड ज्यादा था, पर आज फिर यह विचार आते ही वापस से सुबह 3 किलोमीटर घूम आए साथ ही तीन बार एनिमा भी ले लिया। जिससे तत्काल ही बीपी कंट्रोल में आ गया है। अब अपना वजन कम करना है, जिससे कि बीपी कंट्रोल में रहे और वजन कम हो सके। सुबह घूमने के अनुभव पर एक अलग ब्लॉग लिखने का मन है इसलिए यहां पर नहीं लिख रहा हूँ।

एनिमा लेना सुबह और शाम जारी रखेंगे, जिससे एकदम से बीपी में आराम मिलेगा, साथ ही मुँह पर भी टेप चिपकाकर कंट्रोल करेंगे। पर आज भी हो नहीं पाया, सुबह iskcon मंदिर गये थे और दर्शन करने के बाद निकलते समय उनकी केंटीन में गरमा गरम समोसे आये थे, तो अपने आपको कैसे रोकते, और खा लिये। गरम गरम समोसे खाते हुए ग्लानि भी हो रही थी, पर स्वाद बढ़िया था।

सुबह घूमना क्यों चाहिये?

सुबह घूमना क्यों चाहिये?

सुबह घूमने के कई फायदे होते हैं जो हमारी तनाव से मुक्ति दिलाते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य फायदे:

  1. सुबह की सैर से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और एनर्जी लेवल बढ़ता है।
  2. सुबह की सैर तनाव को कम करती है और मन को शांति देती है।
  3. सुबह की सैर शरीर के अक्सर इस्तेमाल होने वाले जोड़ों को स्ट्रेच करती है जिससे जोड़ों के दर्द का निवारण होता है।
  4. सुबह की सैर दिन की शुरुआत में मानसिक तनाव से राहत दिलाती है जिससे दिनभर की दुविधाओं का सामना आसान होता है।
  5. सुबह की सैर से सुबह की शुरुआत में धूप और ताजगी मिलती है जो शरीर को फायदेमंद होता है।
  6. सुबह की सैर नए जगहों का दौरा करने का मौका देती है जिससे व्यक्ति को नए दृश्य देखने का मौका मिलता है।

इसलिए, सुबह घूमना आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।

निफ्टी 50 इंडेक्स क्या होता है?

निफ्टी 50 इंडेक्स क्या होता है?

निफ्टी 50 भारतीय स्टॉक मार्केट में एक प्रमुख शेयर मार्केट इंडेक्स है जिसमें 50 सबसे बड़ी और विश्वसनीय भारतीय कंपनियों के स्टॉक शामिल होते हैं। यह इंडेक्स नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) द्वारा निर्धारित किया जाता है और भारतीय स्टॉक मार्केट की स्थिरता और विकास को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। निफ्टी 50 के स्टॉक मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों का चयन उनके बाजार कैपिटलीजेशन द्वारा किया जाता है, जो उनके वित्तीय आकार और मूल्य की मात्रा है। निफ्टी 50 एक प्रमुख शेयर मार्केट इंडेक्स होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के संकेतक भी माना जाता है।

What is Nifty 50 Index?


Nifty 50 Index Overview.

What is nifty 50 index?

The Nifty 50 is the flagship stock market index of the National Stock Exchange of India (NSE). It is an index comprising of the 50 most actively traded stocks across various sectors of the Indian economy, including finance, technology, healthcare, energy, and more. The Nifty 50 index is widely used as a benchmark for the Indian stock market and is considered as one of the key indicators of the health of the Indian economy.

The index is calculated using a free-float market capitalization weighted methodology, which means that the weightage of each stock in the index is proportional to its free-float market capitalization (i.e., the market capitalization of the company’s shares that are available for trading in the stock market). The Nifty 50 is reviewed and rebalanced every six months to ensure that it remains representative of the Indian stock market.

Which all companies are part of nifty 50?

As of my knowledge cutoff in September 2021, the 50 companies that were part of the Nifty 50 index were:

  1. Adani Ports and Special Economic Zone Ltd.
  2. Asian Paints Ltd.
  3. Axis Bank Ltd.
  4. Bajaj Auto Ltd.
  5. Bajaj Finserv Ltd.
  6. Bajaj Finance Ltd.
  7. Bharat Petroleum Corporation Ltd.
  8. Bharti Airtel Ltd.
  9. Britannia Industries Ltd.
  10. Cipla Ltd.
  11. Coal India Ltd.
  12. Divi’s Laboratories Ltd.
  13. Dr. Reddy’s Laboratories Ltd.
  14. Eicher Motors Ltd.
  15. HDFC Bank Ltd.
  16. HDFC Life Insurance Company Ltd.
  17. Hero MotoCorp Ltd.
  18. Hindalco Industries Ltd.
  19. Hindustan Unilever Ltd.
  20. ICICI Bank Ltd.
  21. Indian Oil Corporation Ltd.
  22. IndusInd Bank Ltd.
  23. Infosys Ltd.
  24. ITC Ltd.
  25. JSW Steel Ltd.
  26. Kotak Mahindra Bank Ltd.
  27. Larsen & Toubro Ltd.
  28. Mahindra & Mahindra Ltd.
  29. Maruti Suzuki India Ltd.
  30. Nestle India Ltd.
  31. NTPC Ltd.
  32. Oil and Natural Gas Corporation Ltd.
  33. Power Grid Corporation of India Ltd.
  34. Reliance Industries Ltd.
  35. SBI Life Insurance Company Ltd.
  36. Shree Cement Ltd.
  37. State Bank of India
  38. Sun Pharmaceutical Industries Ltd.
  39. Tata Consultancy Services Ltd.
  40. Tata Consumer Products Ltd.
  41. Tata Motors Ltd.
  42. Tata Steel Ltd.
  43. Tech Mahindra Ltd.
  44. Titan Company Ltd.
  45. UltraTech Cement Ltd.
  46. United Breweries Ltd.
  47. United Spirits Ltd.
  48. Wipro Ltd.
  49. Adani Enterprises Ltd.
  50. JSW Cement Ltd.

It’s worth noting that the constituents of the Nifty 50 index may change over time, as companies may be added or removed from the index based on various criteria such as market capitalization, liquidity, and sector representation.

परेशानी, शेयर बाजार कमाई और सीखने की चाहत

आज बड़ी परेशानी हुई, ऑफिस का लेपटॉप अचानक ही क्रेश हो गया, मतलब कि लेपटॉप चार्ज ही नहीं हो रहा था और कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट बनाने थे, जिस पर एक बड़ी मीटिंग शेड्यूल थी। डॉक्यूमेंट में आलमोस्ट सारी चीजें अपडेट कर चुके थे, और onedrive पर सिंक हो गई, यह एक बढ़िया बात रही। हमने क्रेश होने के बाद मोबाइल पर onedrive डाऊनलोड करा और अपने सहकर्मियों को शेयर कर दिया। जिससे फायदा यह हुआ कि मीटिंग री शेड्यूल नहीं करना पड़ी। हाँ अपने बॉस को जरूर अपडेट कर दिया था और कंपनी के IS टीम के साथ टिकट खोला और फिर पता चला कि वे कुछ नहीं कर सकते, लेपटॉप अभी वारंटी में है तो लेपटॉप कंपनी से टिकट ओपन किया गया और अब वो हमारे घर पर आकर कुछ पार्ट बदलेगा।

बाद में लेपटॉप कंपनी वालों का फोन आया, और उन्होंने बताया कि हम मोबाईल के सी टाइप चार्जर से भी चार्ज करके देख सकते हैं, हमने मोबाईल के चार्जर से चार्ज करके देखा तो थोड़ा बहुत चार्ज हो गया। पर चार्जिंग बहुत ही धीमी हो रही है। अब लेपटॉप कम्पनी वाला परसों आयेगा और लेपटॉप का चार्जिंग पोर्ट बदलेगा। तब तक मोबाईल के चार्जर से ही काम चलाना पड़ेगा। लेपटॉप का सी टाइप चार्जर मिल जाये, इसका जुगाड़ भी जारी है। वहीं अगर यह काम नहीं हुआ तो कंपनी डॉकिंग स्टेशन भेजेगी।

पर एक छोटी सी चीज खराब होने से बहुत ही समस्या हो जाती है, और दिनभर का शेड्यूल बिगड़ जाता है, बहुत सारा काम था, पर दिमाग में काम की बजाय यही चल रहा था कि अब काम कैसे चलेगा। ऐसी परेशानियों को झेलना मुश्किल होता है।

वहीं परसों मंथली एक्सपायरी है और एक डील गलत होने से अपना 4% का प्रॉफिट चला गया, फिर भी 1% प्रॉफिट इस महीने का रहेगा। अब शेयर बाजार में यह सब तो चलता ही रहता है। अब vix जब थोड़ी ज्यादा होगी तो ऑप्शन की प्रीमियम भी ज्यादा बेचने को मिलेगी। फेसबुक पर एक मित्र ने अपनी पोस्ट में ऑप्शन बेचने का लिखा था, हमने उनकी पोस्ट पर कमेंट किया कि You are on right track, just use 3 months support and resistance and sell strangle for safe side, vix is important factor. No need to learn from anywhere, just do your paper trade. And soon you will be able to earn minimum 3 to 6% monthly on your capital with risk management.

अब उनको सीखने में मदद भी कर रहा हूँ, देखते हैं कि हम कितना सिखा पाते हैं और वे कितना सीख पाते हैं। मुझे ऐसे लोग पसंद आते हैं जो सीखने की कोशिश करते हैं, न कि टिप्स के पीछे भागते हैं। कल ही एक मित्र को कह रहा था कि कोई अगर 10 लाख से यह काम शुरू करे तो 30 हजार रुपये हर महीने के आराम से रिस्क मैनेज करके कमा सकता है, बस सीखना पड़ेगा और बाजार स्व कमाने की जल्दीबाजी न करे। वहीं इससे ज्यादा कमाई का सोचा तो रिस्क मैनेज नहीं कर पायेंगे। साल का 40% रिटर्न अपने कैपिटल पर बहुत बढ़िया होता है। पर पब्लिक को तो रातों रात अमीर बनना होता है, और फिर शेयर बाजार को सट्टा बाजार कहते हैं, उन पर तरस आता है।

निराशा, जीवन और भूल जाना

जीवन में निराशा कभी आ जाये तो जीवन थोड़ा ढीला और धीमा हो जाता है। निराश कदमी को लगता है कि वो ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो कुछ नहीं कर पाता, वरना तो दुनिया उसके आगे ही है। और वह व्यक्ति हमेशा भाग्य को कोसता रहता है। पर भला कोसने से कभी कुछ होता है, जो होना होगा वह तो होकर ही रहेगा। जीवन में सोच ही व्यक्ति के प्रारब्ध का निर्माण करती है। पर कभी सोचता हूँ कि कोई ज्योतिष गुरू मेरी इस विचारधारा को सुनकर कहीं न कहीं मुझे धिक्कार ही देगा। वे हमेशा कहेंगे कि फलाने ग्रह और फलाने योग में यह सब होता है। शायद उनकी बातें सत्य भी होती हों। पर जीवन की निराशा में मौसम का भी बहुत हद तक हाथ होता है और अगर शरीर में निराशा प्रकार के रसायनों का बोलबाला हो तो जीवन चलना जटिल हो जाता है।

कल जब मोबाईल पर स्क्रीन गार्ड लगवाने के लिये एक दुकान के सामने कार रोकी, तो देखा दुकान पर कोई नहीं था, तभी देखा एक बंदा दुकान की ओर दौड़ता आ रहा है जिसके हाथ में मोबाईल है औऱ कान में कनकव्वा लगा हुआ है। दुकान में घुसते ही उसने हमारा स्वागत किया और हमने अपने आने का कारण बताया। बंदे ने सबसे पहले रेडी रेकनर टाइप का पेज निकाला और मोबाईल का मॉडल देखकर उसके स्क्रीन गार्ड का डब्बा निकाला। फिर एक drawer में देखने लगा, इससे यह तो पता चल गया कि इन भाईसाहब को कुछ पता नहीं है। 2 – 4 मिनिट नाटक करने के बाद बोला कि स्टाफ को पता होगा कि कहाँ रखा है, आप बाद में आइयेगा।

केवल इसी चक्कर में अपन पिछले 15 वर्षों से रेस्टोरेंट नहीं खोल पाये। काम अपन वही करना चाहते हैं जो खुद कर पायें, जिस काम में डिपेंडेंसी हो वह काम करना बहुत मुश्किल होता है। अगर स्टाफ गायब हो जाए तो अपनी दुकान बंद, तो ऐसी दुकान खोलने का कोई मतलब नहीं।

कई वर्षों बाद उज्जैन आया हूँ, तो बहुत से चेहरे जाने पहचाने हैं जिनके बाल काले थे, वे अब सफेद दिखने लगे हैं और चेहरे भी बदल गए हैं। मुझे देख कर पहचानने की कोशिश करते हैं और कभी कभार मैं भी पहचानने की कोशिश करता हूँ, पर अब ऐसी कोशिशें कामयाब नहीं हो पाती हैं, शायद उम्र का असर है। मैं अक्सर ही चीजें भूल जाता हूँ, फिर तो यह शक्ल है जिन्हें में 5 साल बाद देख रहा हूँ। हाँ इस बार बहुत दुख हुआ कई लोगों को मिल नहीं पाया, क्योंकि वे अब इस दुनिया में ही नहीं हैं।

महाशिवरात्रि पर उज्जैन का विश्व रिकॉर्ड

18 फरवरी वैसे तो हमेशा ही मेरे लिए बहुत विशेष दिन रहा है, क्योंकि मैं इसी दिन अपने वैवाहिक गठबंधन में बंधा था। कल देखते देखते इस गठबंधन को 21 वर्ष हो गये। जीवन के इस पड़ाव पर आते आते पता ही नहीं चला कि कब हम इतने अच्छे दोस्त बन गए और प्रगाढ़ता बढ़ती ही जा रही है।

राम घाट उज्जैन

हम बचपन से ही महाशिवरात्रि का व्रत रखते आए हैं। व्रत क्या हमारे लिए तो बहुत ही विशेष दिन होता है, क्योंकि इस दिन घर में व्रत की सामग्री से माल बनते हैं क्योंकि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की शादी हुई है। भोले बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रहते हुए महाकाल में आस्था कब इतनी गहरी हो गई पता ही नहीं चला। हालांकि कल महाकालेश्वर में भीड़ के चलते हम दर्शन करने नहीं गए लेकिन पूरे दिन मन वही अटका रहा। यूट्यूब पर महाकाल के लाइव दर्शन करते रहे और महादेव को मन में भजते रहे।

घर के पास ही मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व की छटा देखते ही बनती थी। मंदिरों को बहुत ही बढ़िया सजाया गया था, कुछ मंदिरों में शिव जी का भांग से श्रृंगार किया गया था और दूल्हा स्वरूप बनाया गया था। उज्जैन में दिनभर भक्तों के लिए भंडारे खुले हुए थे, जिसमें साबूदाने की खिचड़ी, ठंडाई, पोहे इत्यादि सड़क पर ही स्टाल लगाकर बांटे जा रहे थे। कई जगह सड़क पर ही स्टेज लगाकर भजन संध्या चल रही थी, जिसमें कई जगह स्टेज पर भगवान शिव को दूल्हा स्वरूप और मां पार्वती को दुल्हन स्वरूप सजाकर बैठाया गया था वही जनता भक्ति में सड़क पर नृत्य कर रही थी। लोगों ने खुद ही ट्रैफिक मैनेजमेंट संभाला हुआ था जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।

हमने दोपहर को घर के पास ही नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन करके साबूदाने की खिचड़ी का प्रसाद प्राप्त किया और वहीं बैठे पंडित जी ने जो कि बालक थे उन्होंने हमारे माथे पर तिलक लगाया।

नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन के बाद
साबूदाने की खिचड़ी का प्रसाद

हम यूट्यूब पर लगातार खबर देख रहे थे और रामघाट का लाइव प्रसारण भी देख रहे थे। जहाँ मध्य प्रदेश शासन ने 21 लाख दिए प्रज्वलित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की चेष्टा की थी। गिनीज बुक में द्रोन के माध्यम से चित्र खींचे व उनकी गणना की तथा 18 लाख 80 हजार दिए प्रज्वलित है इसका विश्व रिकॉर्ड कल उज्जैन के नाम हो गया। इसके पहले यह रिकॉर्ड 15 लाख से कुछ अधिक दियों का अयोध्या के नाम था। शाम को लगभग 9:00 बजे हम घर से निकले और रामघाट पहुंचे व इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी बने। हर तरफ सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे हर तरफ घाट पर दिए ही दिए दिखाई दे रहे थे।

रामघाट से हम मुंबई धर्मशाला होते हुए हरसिद्धि की तरफ पहुंचे और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर दर्शन किये। भक्तों का जोश देखते ही बनता था, कल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए कम से कम 10 लाख लोगों का तांता उज्जैन में लगा हुआ था।

रामघाट और दत्त अखाड़ा क्षेत्र
रील जो बनाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड करी।

करवा चौथ का उपवास

कल करवाचौथ का उपवास था, हमने भी घर के कामों में हाथ बँटाने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले ली। सोचा कि घरवाली को थोड़ा आराम हो जायेगा, वैसे भी अब हम जमा दो लोग ही घर में हैं, इन्हें घर के काम में ज्यादा तकलीफ न हो, क्योंकि ऐसे ही उपवास और ऊपर से अगर रसोई में खाना बनाना भी पड़े तो वाकई भारी दिक्कत है। हमारे लिये उपवास करना बहुत बड़ी बाधा नहीं है, उपवास तो हम गाहे बगाहे करते ही रहते हैं। उपवास अधिकतर हमारे निर्जला ही होते हैं और अब बहुत समय हो चला, इसलिये हमें पता भी नहीं चलता। भारी दिक्कत है रसोई में काम करने की, अब हमारी लाईफस्टाईल के हिसाब से हमें रसोई में कम ही जाना पड़ता है। अगर खाना बनाना भी पड़ता है तो वह भी केवल शाम को, नहीं तो दिनभर ज्यूस, सलाद बस।

रसोई में हमने सहयोग किया कि सब्जी की ग्रेवी के लिये टमाटर पीस दिये, फिर चटनी के लिये समान की तैयारी कर ली और फिर पीस ली।आलू उबाल दिये। और आजकल आलू इतने मिट्टी वाले आ रहे हैं कि उबालने के पहले धोने में दम ही निकल जाता है। हम स्टील के झाबे से बहते पानी में आलुओं को रगड़ देते हैं, जिससे आलू की मिट्टी तो एकदम निकल ही जाती है, और आलू भी अपनी सफेदाई को देखकर इतराने लगता है। हमें भी लगता है कि चलो कम से कम अपने हाथों किसी का तो कायाकल्प हो गया, भले वह आलू ही क्यों न हो।

घरवाली ने करवा चौथ की अपनी पूजा शाम को कर ली, फिर पूरी उतारने के लिये सहयोग के लिये कहा, हमने कहा चलो पूरी उतरवा देते हैं, पर जब तक कढ़ाई का तेल गरम हुआ, तब तक तो हम कुल जमा दो लोगों के लिये गिनती की पूरियाँ बिल चुकी थीं, और हमें कहा गया अब रहने दो, अब तो हम खुद ही पूरी उतार लेंगे। खाना बन चुका था। पूरा घर महक रहा था। अब हम दोनों चुपचाप टीवी पर एक सिरीज लगाकर देख रहे थे। जब देखा कि 9 बज गये हैं, अब बाहर जाकर चंद्रमा देखा जाये, दो दिनों से 9 बजे चंद्रमा बड़ा इतराकर सामने दिख रहा था, हमने भी दो दिनों से चंद्र महाराज को कम्यूनिकेट किया था, देखना महाराज जिस दिन आपकी जरूरत होगी उसी दिन तुम नाटक करोगे और दिखने से परहेज करोगे। वही हुआ, 9 बजना था, और इंद्र महाराज अपने बादलों के रथ पर सवार होकर धड़ाधड़ बरसने लगे, हमने घरवाली से कहा कि अब तुम मान लो कि चंद्र महाराज तो उग ही चुके हैं, बस ये इंद्र महाराज अपने बादलों के साथ आकर परेशान कर रहे हैं।

जब किन्हीं दो लोगों का काम हो, और बीच में कोई आ जाये जिसका हमेशा ही अनुमान रहता है, तो गड़बड़ होना तय ही होता है। यह जीवन का नियम है और बस वैसे ही यह प्रकृति का भी नियम है। इंद्र महाराज तो अपनी टैरीटरी में जम लिये और यहाँ धरती पर हम लोग व आकाश में चंद्रमा के बीच अपने बादलों की दीवार खड़ी कर दिये। इसलिये इन परिस्थितियों में ट्रिगनोमेट्री के चूँकि इसलिये वाले नियम को याद रखते हुए मान लिया कि चंद्र दर्शन हो लिये हैं।

अपने आपस के ही कुछ फोटो लिये और फिर खाना खाने की तैयारी शुरू की, साथ में खाना खाया, थोड़ी देर जगे, और फिर निंद्रालीन होने अपनी शयनगाह में चल दिये।