Category Archives: अर्थ प्रबंधन

अपने निवेशित म्यूचयल फ़ंडों की प्रगति देखते रहें [Tracking your Mutual Funds)

अपने म्यूचयल फ़ंड के परिणामों को देखते रहें –

आपके द्वारा निवेशित म्यूचयल फ़ंड का स्टेटमेंट तो आपको नियमित रूप से मिलता ही होगा, जो कि फ़ंड हाऊस के द्वारा सीधे भेजा जाता है। सभी फ़ंड हाऊस अपने सभी निवेशकों को स्टॆटमेंट नियमित रूप से भेजते हैं, अभी हर फ़ंड हाऊस अपने अपने निवेशकों को स्टेटमेंट भेजते हैं, जल्दी ही नियामक द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सारे म्यूचयल फ़ंड के स्टेटमेंट एक ही साथ मिल जाया करेंगे, मतलब कि अलग अलग म्यूचयल फ़ंड हों तब भी आपको एक ही स्टेटमेंट मिलेगा। जिससे निवेशक को अपने निवेश परिणामों को देखने में और रखने में आसानी होगी।

Track your mutual funds

आप अपने निवेश किये गये म्यूचयल फ़ंडों की एन.ए.वी. AMFI की वेब साईट www.amfindia.com पर देख सकते हैं। आप और भी बहुत सारी वेब साईटों पर एन.ए.वी. देख सकते हैं।

आप एन.ए.वी. और उससे संबंधित जानकारी दो प्रमुख रजिस्ट्रारों की वेबसाईट पर भी देख सकते हैं।

कार्वे – www.karvymfs.com

काम्स – CAMS – www.camsonline.com

सभी फ़ंड हाऊस की अपनी वेबसाईट होती है, जहाँ आप अपने निवेशित फ़ंडों के बारे में तो जानकारी ले ही सकते हैं, साथ ही अपने निवेश को के प्रगति भी देख सकते हैं।

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की (Yes Bank Saving Interest Rate increased to 6%)

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की, भारतीय रिजर्व बैंक ने बचत खातों में ब्याज दरों को नियंत्रण मुक्त किया और अगले ही दिन यस बैंक ने अखबार में २% ब्याज दर बढ़ाने का विज्ञापन भी दे दिया।
जबकि और किसी बैंक ने अभी बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं लिया है, अगर जल्दी ही मुख्य बैंकों ने बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं किया तो उनके पास से कारपोरेट सैलेरी के एकाऊँट तो जाने की संभावना ज्यादा है ही और उस सैलेरी एकाऊँट के कारण जो व्यापार बैंकों को मिलता है वह भी उनसे छिन जायेगा।
क्योंकि आमतौर पर सैलेरी एकाऊँट जहाँ होता है वहीं पर सब अपनी बचत जमा करते हैं, फ़िर भले ही वह एफ़.डी. हो या म्यूचयल फ़ंड और वहीं से ॠण भी लेते हैं, लोग किसी और बैंक जाना पसंद नहीं करते हैं। २% ब्याज दर का बढ़ना मतलब अभी जितना ब्याज मिल रहा है उससे आधा ब्याज ज्यादा मिलेगा।
अब इंतजार है और भी बैंकों के बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का, नहीं तो ग्राहक तो वहीं जायेगा जहाँ पर उसे ज्यादा फ़ायदा होगा।

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ? (Where and how to Invest ? what is the best investment ?)

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ?

इस तरह के बहुत सारे प्रश्न मन में घुमड़ते रहते हैं और हम यही चीज हमेशा ढूँढ़ते रहते हैं।

    निवेश सभी जगह करना चाहिये और कहाँ और कैसे करना चाहिये यह पूर्णतया: व्यक्तिगत होता है, यह निर्भर करता है कि निवेशक की उम्र क्या है, उसकी क्या वित्तीय और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ।

    जैसे हमें भोजन में रोज अलग अलग व्यंजन चाहिये कोई एक व्यंजन जो हमें अच्छा लगता है उसे हम लगातार नहीं खा सकते, अगर खा भी लिया तो एक समय के बाद उसी प्रिय व्यंजन से चिढ़ हो जाती है, इसलिये सभी व्यंजन का उपभोग करते हैं, वैसे ही निवेश है, अगर कोई एक निवेश की जगह पसंद है तो ये हो सकता है कि आपका जोखिम ज्यादा हो और फ़ायदे की जगह नुक्सान ज्यादा हो जाये या फ़िर साधारण फ़ायदा भी न हो। एक अंग्रेजी की कहावत है कि अपनी फ़लों की डलिया में सभी प्रकार के फ़ल रखें।

    उम्र के अनुसार निवेशक को निवेश करना चाहिये, उम्र निवेश के लिये एक बहुत बड़ा कारक है। साधारण सिद्धांत यह है कि जितनी उम्र है उतना प्रतिशत निवेश हमेशा सुरक्षित जमा में करें, जैसे कि पी.पी.एफ़. (PPF), एफ़.डी. (FD), किसान विकास पत्र और इसी प्रकार के अन्य निवेश, इसमॆं अपना पी.एफ़. (PF) भी जोड़ें क्योंकि यह भी एक सुरक्षित निवेश ही है। अपनी उम्र को १०० में से घटा लें, अब जितनी उम्र है उतना निवेश तो सुरक्षित निवेश में ही करना है और बाकी का बचा हुआ अपने जोखिम और जानकारी के अनुसार निवेश करना है, जैसे कि शेयर (Equity), म्य़ूचयल फ़ंड (Mutual Fund), कमोडिटी (Commodity), Metal (सोना, चांदी), जमीन इत्यादि।

    अगर एक २२ वर्षीय युवक / युवती कहे निवेश के लिये तो उसे सलाह होगी कि वे अपनी बचत का २२ % निवेश सुरक्षित जमा में करे । और बाकी का ८८ % बाजार में निवेश करे।

    परंतु ध्यान रखें व्यक्ति खासकर नौकरी पेशा व्यक्ति को जोखिम ४५ वर्ष तक की आयु तक ही लेना चाहिये उसके बाद उसे अपना निवेश सुरक्षित जगह में ही करना चाहिये, क्योंकि जो जोखिम वाले निवेश हैं उनकी समय सीमा कम से कम १० वर्ष माननी चाहिये तभी ये निवेश अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।

आज फ़िर भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है (Today again a Black Monday for Indian Share Market..)

काला सोमवार     आज फ़िर से भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है, आज सेन्सेक्स कितना नीचे जाता है यह तो बाजार खुलने के बाद ही पता चलेगा, मगर शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार सेन्सेक्स १५,००० का लेवल तोड़ सकता है। शनिवार और रविवार यूरोप और भारत के बाजार बंद रहते हैं, परंतु मिडिल ईस्ट के बाजार खुले होते हैं और वहाँ भारी गिरावट देखने को मिली है। मसलन सऊदी अरब, UAE, इस्राइल, कुवैत यहाँ के बाजारों में ७% तक की गिरावट दर्ज की गई है।

काला सोमवार बम     दरअसल शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद स्टैंडर्ड् एन्ड पूअर्स (Standard and Poor’s) ने अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AAA से AA+ कर दी, अमेरिका की रेटिंग कम होने से उन संस्थाओं पर अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दबाब पढ़ने लगा है जो कि केवल AAA रेटिंग वाले देशों में ही निवेश कर सकते हैं, इसका मतलब यह हुआ कि अब अमेरिका से निवेश निकलकर AAA रेटिंग वाले देशों में याने कि जर्मनी, फ़्रांस, कनाडा और ब्रिटेन में जायेगा। यहाँ तक कि स्टैंडर्ड और पूअर्स ने अमेरिका को यह भी चेताया है कि  अगले कुछ दिनों में अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AA+ से घटाकर AA की जा सकती है।

आज के परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक परिस्थितियों का गहन असर पड़ता है। इसलिये आने वाला समय बाजारों के लिये ठीक नहीं है, शेयर बाजार विशेषज्ञों की राय में अभी बाजार में निवेश करने से बचें और निचले लेवलों पर धीरे धीरे निवेश करते रहें, एकसाथ निवेश न करें।

अमेरिका देश की साख दाँव पर लगी है, अब देखते हैं कि ओबामा सरकार इससे कैसे निपटती है या अपने देश की डेब्ट रेटिंग AA या AA- पर आने देती है।

एक बात और स्टैंडर्ड और पूअर्स के चैयरमैन हैं देवेन शर्मा जो कि झारखंड के जमशेदपुर से हैं, और उन्होंने अपनी टीम के साथ ओबामा की छुट्टी कर दी।

स्टैंडर्ड और पूअर्स के बारे में ज्यादा जानने के लिये क्ल्कि करें।

बीमा और निवेश अलग अलग हैं, समझिये..

कल पद्म जी ने फ़ेसबुक पर लिखा –

खुशखबरी…
बजाज एलाइंज मे एक यूलिप की योजना तीन साल पहले ली थी… तीस हज़ार जमा कर चुका हूँ और मेरा पैसा तीन साल बाद 27 हज़ार हो गया है… अब

यूलिप लेने वाले अधिकतर लोगों के साथ यही कहानी होगी, क्यों सही कह रहा हूँ ना, क्योंकि यूलिप में पहले तीन वर्षों में मोर्टेलिटी चार्जेस ज्यादा होते हैं तो आपकी जमा की गई रकम कम जमा होती है, यकीन ना हो तो अपने पिछले तीन वर्षों के स्टेटमेंट पर नजरें दौड़ा लें, और बीमा अभिकर्ता को पहले तीन वर्षों में ज्यादा कमीशन मिलता है, इसीलिये आपने हमेशा बीमा अभिकर्ता को ये कहते सुना होगा कि केवल पहले तीन वर्षों तक ही पैसा भरिये फ़िर कोई नई स्कीम ले लेंगे।

    हम पद्म जी की यूलिप कि बात करते हैं, जैसा कि उन्होंने लिखा है कि पिछले तीन वर्षों में तीस हजार जमा कर चुके हैं परंतु अब पैसा २७ हजार हो गया है, अब तो कुछ किया नहीं जा सकता पर इस यूलिप से होने वाले रिटर्न की गणना कीजिये और देखिये कि इसमें आगे बने रहना क्या लाभदायक है ?

    १० हजार वार्षिक जमा करने के बाद भी बीमा कितना मिला होगा, ज्यादा से ज्यादा २ लाख रूपये का, इससे ज्यादा तो नहीं मिला होगा।

    हमेशा गांठ बांधकर रखें कि बीमा और निवेश दो अलग अलग चीजें हैं, इसलिये बीमा और निवेश को आपस में उलझने ना दें।

    अगर इसी दस हजार वार्षिक को इस तरह से निवेश किया जाता तो पैसा भी ३० हजार से ज्यादा होता और बीमित भी ज्यादा रकम से होते।

    अगले दस वर्षों के लिये अगर देखा जाये तो ५ लाख का टर्म बीमा अगले दस सालों के लिये लगभग २००० रूपये में मिल जाता जिसका कोई रिटर्न उन्हें नहीं मिलता, यह राशि हमने ३६ वर्ष मानकर गणना की है।

    और बाकी का 8000 रूपया अगर 700 रूपया महीने के हिसाब से जुलाई 2008 में HDFC Top 200 Growth में SIP से निवेश किया जाता तो इस जुलाई में यह SIP की रकम लगभग 36,153 रूपये हो गई होती।
निम्न तालिका देखें।

 Date NAV (Rs.) Amount (Rs.) Units Accrued Value (Rs.)
01-07-2008 111.825 700 6.2598 700
01-08-2008 126.743 700 11.7828 1493.39
01-09-2008 129.16 700 17.2024 2221.86
01-10-2008 120.227 700 23.0247 2768.19
03-11-2008 95.928 700 30.3218 2908.71
01-12-2008 84.587 700 38.5973 3264.83
01-01-2009 94.479 700 46.0064 4346.64
02-02-2009 85.752 700 54.1695 4645.14
02-03-2009 82.213 700 62.684 5153.44
01-04-2009 93.541 700 70.1673 6563.52
04-05-2009 113.162 700 76.3531 8640.27
01-06-2009 140.372 700 81.3398 11417.8
01-07-2009 145.276 700 86.1582 12516.7
03-08-2009 158.221 700 90.5824 14332
01-09-2009 157.155 700 95.0366 14935.5
01-10-2009 171.852 700 99.1099 17032.2
03-11-2009 162.803 700 103.41 16835.4
01-12-2009 178.983 700 107.321 19208.6
04-01-2010 181.428 700 111.179 20171
01-02-2010 173.925 700 115.204 20036.8
02-03-2010 176.554 700 119.168 21039.7
01-04-2010 184.923 700 122.954 22737
03-05-2010 186.819 700 126.701 23670.1
01-06-2010 181.953 700 130.548 23753.6
01-07-2010 192.971 700 134.175 25891.9
02-08-2010 201.717 700 137.646 27765.4
01-09-2010 207.327 700 141.022 29237.6
01-10-2010 227.948 700 144.093 32845.6
01-11-2010 229.976 700 147.137 33837.9
01-12-2010 226.017 700 150.234 33955.4
03-01-2011 226.586 700 153.323 34740.8
01-02-2011 202.436 700 156.781 31738.1
01-03-2011 204.031 700 160.212 32688.2
01-04-2011 214.836 700 163.47 35119.2
02-05-2011 213.073 700 166.755 35531.1
01-06-2011 210.437 700 170.082 35791.5
01-07-2011 211.831 700 173.386 36728.6
28-07-2011 208.512 173.386 36153.1

आयकर रिटर्न की ईफ़ाईलिंग और नियोक्ता द्वारा कटा हुआ कर फ़ॉर्म 26A S से देखें। (E-filing of Income Tax Return and Check deducted Tax from employer in form 26A S)

    क्या आपने आयकर रिटर्न भर दिया है, अगर नहीं तो कैसे भरने वाले हैं, हमने इस बार से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भरना शुरू किया है और बहुत ही आसान लगा।
    आयकर की ईफ़ाईलिंग की वेबसाईट पर जाकर अपने पान नंबर से रजिस्टर करें, और अपनी निजी जानकारियाँ भरें। डाऊनलोड में जाकर संबंधित फ़ॉर्म डाऊनलोड कर लें, जैसे अगर आप केवल नौकरी करते हैं तो आपको आई.टी.आर. १ सहज भरना है, सहज की एक्सेल फ़ाईल डाऊनलोड करें, और जब एक्सेल में फ़ाईल खोलें तो मेक्रो को इनेबल करें नहीं तो एक्सेल फ़ाईल के पुश बटन काम नहीं करेंगे।
एक्सेल में अपनी सही जानकारी भरें जो कि फ़ॉर्म १६ में दी गई है, इसमें तीन टैब दिये हैं –
1. Income Details – इस शीट में फ़ॉर्म १६ के अनुसार आय की जानकारियाँ, नाम और   पता भरिये। Valideate  करिये और Next बटन पर क्लिक कीजिये।
2. TDS – इस शीट में नियोक्ता द्वारा काटे गये टैक्स की जानकारी, सैलेरी के अलावा अगर कहीं TDS कटा है और अग्रिम कर की जानकारी Transaction wise दें।
3. Taxes paid and verification – इस शीट पर अपने बैंक का खाता नंबर और माइकर कोड टंकित करें साथ ही यहाँ पर आपका टैक्स के बारे में पता चलता है कि टैक्स सही है या और जमा करना है या रिफ़ंड है। अगर यह नहीं आ रहा है तो पहली शीट Income Details पर जाकर Calculate Tax बटन पर क्ल्कि करें।
    अब तीसरी शीट पर दिये गये Generate बटन को दबायें तो यह आपकी एक्सेल फ़ाईल की .xml फ़ाईल बना देगा। जो कि Submit Return – Select Assessment Year में जाकर अपना वर्ष चुन लें, अपना फ़ॉर्म चुनें और अगर आपके पास डिजिटल सिग्नेचर है तो Yes करें नहीं तो No ही रहने दें। Next पर क्ल्कि करें, अब Choose file पर क्लिक करें और .xml फ़ाईल को चुनें। और अगर डिजिटल सिग्नेचर हैं तो इसके लिये जावा का संस्थापित होना आवश्यक है और अपनी .pfx फ़ाईल का पता दें। अब Upload बटन दबाकर फ़ाईल को Upload कर दें। जैसे ही फ़ाईल upload हो जायेगी, वैसे ही आपको फ़ॉर्म V की PDF लिंक मिल जायेगी, जिसे डाऊनलोड करके उसका प्रिंट निकालकर उसे आयकर बैंगलोर स्थित स्पेशल सैल के पते पर भेज दें। १२० दिनों के अंदर आपको फ़ॉर्म V आयकर विभाग को भेजना होता है जिसकी रसीद आयकर विभाग द्वारा आपके ईमेल पते पर भेज दी जायेगी। और इसका ऑनलाईन स्टेटस भी आयकर की साईट पर देख सकते हैं। अगर रसीद नहीं मिले तो फ़ॉर्म V वापिस से भेजें और ध्यान रखें कि फ़ॉर्म V केवल साधारण डाक या स्पीडपोस्ट से भेजें, रजिस्टर पोस्ट और कूरियर से डाक स्वीकार नहीं करते हैं। ज्यादा जानकारी के लिये आयकर विभाग की साईट पर देखें।
    अगर आपने डिजिटल सिग्नेचर भी अपलोड किये हैं तो फ़ॉर्म V भरकर भेजने की आवश्यकता नहीं है। सबसे सस्ता डिजिटल सिग्नेचर ईमुद्रा द्वारा दिया जाता है, मैंने भी सोचा था कि डिजिटल सिग्नेचर लूँ परंतु जब मात्र २० रूपये खर्च करने से काम चल जाता है तो उसके लिये ४०० रूपये का खर्चा क्यों किया जाये और डिजिटल सिग्नेचर का आयकर रिटर्न भरने के अलावा कहीं ओर व्यावहारिक उपयोग भी नहीं है।
    याद रखें पासवर्ड कभी भी कहीं भी नहीं लिखें, जैसे बैंक का पासवर्ड महत्वपूर्ण है वैसे ही आयकर की साईट का पासवर्ड महत्वपूर्ण है। कोई भी जानकारी अपलोड की जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी केवल उस लॉगिन की ही है।
    अब आपको अपने नियोक्ता द्वारा जमा किये गये आयकर का विवरण देखना है तो आप पिछले वर्षों का भी विवरण यहाँ ऑनलाईन देख सकते हैं, फ़ॉर्म 26AS के द्वारा।
    My Account – View Tax Assessment ( Form 26A S), पूछी गई जानकारियों को भरें और View Form 26A S पर क्ल्कि करें। यह वेबसाईट एन.एस.डी.एल की साईट से कनेक्ट होकर सारी जानकारी आपको मुहैया करवा देता है।
    तो भूल जाईये ऑफ़लाईन आयकर रिटर्न भरना और भरिये ऑनलाईन रिटर्न, हाँ अगले वर्षों में अगर डिजिटल सिग्नेचर अगर सस्ता होता है या फ़िर उसका कहीं और भी व्यवहारिक उपयोग होता है तो डिजिटल सिग्नेचर भी ले लिया जायेगा।

इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में वित्तीय प्रबंधन पर लिखी जाती है ब्लॉगों से चुराई हुई सामग्री ?

    इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) बहुत सारे लोग पढ़ते होंगे। सोमवार को इकोनोमिक टॉइम्स में वेल्थ (Wealth) और ऐसे ही टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में भी आता है, जिसमें वित्तीय प्रबंधन के बारे में बताया जाता है, पिछले दो महीनों से लगातार इन दोनों अखबारों को पढ़ रहा हूँ, तो देखा कि वित्तीय प्रबंधन पर लिखी गई सारी सामग्री वित्तीय ब्लॉगों से उठायी गई है, और ब्लॉगों पर लिखी गई सामग्री को फ़िर से नये रूप से लिखकर पाठकों को परोसा गया है।

    अखबार को सोचना चाहिये कि पाठक वर्ग बहुत समझदार हो गया है, और अगर उनके लेखक अपनी रिसर्च और अपने विश्लेषण के साथ नहीं लिख सकते तो उनकी जगह ब्लॉगरों को ही लेखक के तौर पर रख लेना चाहिये। शायद अखबार के मालिकों और उनके संपादकों को यह बात पता नहीं हो।

    पर यह कितना सही है कि मेहनत किसी और ने की और उसके दम पर इन अखबार के लेखक अपनी रोजीरोटी चलायें। कहानी को थोड़ा बहुत बदल दिया जाता है, पर जो सार होता है वह वही होता है जो कि असली लेख में होता है।

    जो पाठक वित्तीय ब्लॉग पढ़ते होंगे, वे इसे एकदम समझ जायेंगे। इस बारे में मेरी चैटिंग भी हुई एक वित्तीय ब्लॉगर से तो उनका कहना था कि “ब्लॉगर क्या करेगा, ये तो अखबार को सोचना चाहिये, विषय कोई मेरी उत्पत्ति तो है नहीं, कोई भी लिख सकता है, बस मेरी ही पोस्ट को अलग रूप से लिख देया है”।

    कुछ दिन पहले मेरी बात एक वित्तीय विशेषज्ञ और  वित्तीय अंतर्जाल चलाने वाले मित्र से हो रही थी, उनसे भी यही चर्चा हुई तो वो बोले कि उन्होंने मेरे ब्लॉग कल्पतरू पर जो लेख पढ़े थे और जिस तरह से लिखा था, बिल्कुल उसी तरह से अखबार ने लिखा था, और आपकी याद आ गई। तो मैंने उनसे कहा कि ब्लॉगर कर ही क्या सकता है, यह तो इन बेशरम अखबारों को सोचना चाहिये, और उन लेखकों को जो चुराई गई सामग्री से अपनी वाही वाही कर रहे हैं।

    पहले बिल्कुल मन नहीं था इस विषय पर पोस्ट लिखने का परंतु जब मेरी कई लोगों से बात हुई तो लगा कि कहीं से शुरूआत तो करनी ही होगी, नहीं तो न पाठक को पता चलेगा और ना ही अखबारों के मालिकों और संपादकों को, तो यह पोस्ट लिखी गई है उन अखबारों के लिये जो चुराई हुई सामग्री लिख रहे हैं और उनको पता रहना चाहिये कि पाठक प्रबुद्ध है और जागरूक भी।

असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन पर अगर १२ दिन के अंदर रकम न लौटाये तो बैंकों को ग्राहक को १०० रुपये प्रतिदिन से हर्जाना देना होगा… (On every Failed ATM Transactions delay in reimbursement bank must pay Rs.100 a day penalty)

     शीर्षक देखकर चौंक गये ना ! जी हाँ यह रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने यह परिपत्र २००९ में जारी किया था परंतु बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में पता है।

    एटीम असफ़ल ट्रांजेक्शन एटीएम पर कई बार हम रुपये निकालने जाते हैं और कभी कभी रुपये नहीं आते हैं और बैंक खाते में रकम कम हो जाती है, याने के बैंक की किताबों में आपके रुपयों की निकासी दर्ज हो जाती है, फ़िर आप बैंक की हेल्पलाईन पर फ़ोन करके इसकी शिकायत दर्ज करवाते हैं या फ़िर शिकायत पत्र के द्वारा करते हैं या बैंक की शाखा में शिकायत दर्ज करवाते हैं। परंतु कुछ होता नहीं है कई बार तो बैंक सुनते ही नहीं हैं और अपनी मनमर्जी की करते हैं।

    २००९ में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बैंको के लिये एक परिपत्र जारी किया थ कि अगर असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन का निपटान १२ कार्यकारी दिवसों में नहीं किया जाता है तो बैंक को ग्राहक के बिना कहे १०० रुपये प्रतिदिन हर्जाने के रूप में दिना होंगे। परंतु अभी तक कोई बैंक इस बारे में गंभीर नहीं है।

    २ वर्ष पहले जब मैं गहने खरीदने बाजार गया था, तो लगभग २०,००० रुपयों की और जरूरत पड़ी, अब क्रेडिट या डॆबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर २% अतिरिक्त शुल्क उज्जैन में उन दिनों लिया जाता था, क्योंकि बैंक उनसे शुल्क लेता था, अब धीरे धीरे चलन में आ गया है तो अब इतनी दिक्कत नहीं होती है। पहले मैं पास के दो-तीन ए.टी.एम. पर गया तो पता चला कि खराब हैं, और फ़िर जब महाकाल के पास लगे स्टेट बैंक के ए.टी.एम. पर गया तो रुपये निकले नहीं और बैलेन्स कम हो गया (यह हमें बाद में पता चला), खैर फ़िर भी हमने दूसरे ए.टी.एम. से रुपये निकालकर अपनी खरीददारी पूरी करी।

    जब वापिस मुंबई पहुँचे और तो पता चला कि २०,००० रुपये के दो ट्रांजेक्शन दर्ज हैं, हमने तत्काल अपने बैंक के ग्राहक सेवा को फ़ोन किया तो जानकारी मिली की १५ दिन के अंदर आपके रुपये खाते में जमा हो जायेंगे, हमने सात दिन बार फ़िर फ़ोन किया तो कहा गया कि स्टेट बैंक से अभी तक उत्तर नहीं आया है। खैर १० कार्यकारी दिवसों में हमारी रकम हमारे खाते में जमा कर दी गई।

    जब हमने अपने स्तर पर इसकी कार्यप्रणाली की छानबीन की कि आखिर कैसे पता लगाते हैं कि ग्राहक ने सही शिकायत की है या नहीं तो पता चला –

    जब ए.टी.एम. से रुपये निकलते हैं तो कितनी रकम निकाली गई और नोट डिस्पेन्सर से  कितने रुपये के कितने नोट बाहर गये हैं, यह एक अंदर गोपनीय रोल पर प्रिंट होता रहता है और इस तरह की शिकायत में इन रोलों की जाँच की जाती है और फ़िर रुपये वापिस जमा किये जाते हैं, और यह प्रिंट तभी होता है जब कि नोट डिस्पेन्सर से बाहर आते हैं, तो गलती की कोई जगह ही नहीं है। फ़िर जिस बैंक के ए.टी.एम. से ट्रांजेक्शन असफ़ल होता है वह संबंधित बैंक को बताता है कि रुपये नहीं निकले हैं और यह सत्यापित किया जाता है तब आपका बैंक आपके खाते में रूपये जमा करवा देता है, और इसके लिये १२ दिन का समय बहुत होता है।

तो अगली बार अगर आपके साथ ऐसा हो तो हर्जाने को लेना न भूलें।

अक्षय तृतिया सोना चाँदी कैसे खरीद रहे हैं, डीमैट में या ईंट ? (Purchasing Gold Silver in which form dMat or Physical on Akshay Tritiya)

    अक्षय तृतिया आ रही है, और यह सोना खरीदने के लिये जानी जाती है, इसी दिन बड़ी संख्या में विवाह भी होते हैं, इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहुर्त के शूरु किया जा सकता है।

    अक्षय तृतिया आते ही सोने चांदी के व्यापारियों ने अपने विज्ञापन बड़े बड़े होर्डिंग पर लगाने शुरु कर दिये हैं, कोई नकद पर ५% वापसी का लालच दे रहा है तो कोई कार ईनाम में दे रहा है। सोना चांदी खरीदने के लिये  तरह तरह के लुभावने ऑफ़र बाजार में दिये जा रहे हैं। अब क्या खरीदना है वह तो जरूरत पर निर्भर करता है।

    वैसे तो अक्षय तृतिया पर सोना ही खरीदा जाता है, परंतु इस एक वर्ष में चाँदी ने इतनी तेजी दिखाई कि एक वर्ष में १३५ प्रतिशत बढ़ गई और सोना १०-२० प्रतिशत तक ही बढ़ा। जानकारों का कहना है कि अगले वर्ष के लिये सोना खरीदने पर १५-२० प्रतिशत और चाँदी खरीदने पर ३०-४० प्रतिशत तक मुनाफ़ा हो सकता है।

    अगर जरुरत गहने पहनने की है तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं, परंतु अगर गहने की जरूरत नहीं है तो फ़िर इसे डीमैट में खरीदें, इससे गहने बनने की लागत भी बचेगी और बेचने पर सुनार द्वारा काटे जाने वाला प्रतिशत भी बचेगा।

    एन.एस.ई. पर ईसिल्वर और ईगोल्ड दोनों ही मौजूद हैं, ईसिल्वर १०० ग्राम के और ईगोल्ड १ ग्राम के मूल्य वर्ग में उपलब्ध हैं, बस खरीदते और बेचते समय ब्रोकरेज लगेगा।

गोल्ड लोन – चमक असली या नकली

    आजकल टीवी और रेडियो पर कितने ही लुभावने विज्ञापन आते हैं कि जब भी आपको रुपयों की जरुरत हो तो गोल्ड लोन लेना कितना साधारण है और एकदम और कभी भी ले सकते हैं। उतना ही महत्वपूर्ण है कि गोल्ड लोन के पीछे की सच्चाई जानना, क्या वाकई गोल्ड लोन लेना बहुत अच्छा है और सुरक्षित है ?

    “जब घर में पड़ा है सोना तो काहे का रोना” आजकल अक्षय कुमार टीवी और रेडियो के विज्ञापनों में मन्नपुरम फ़ाईनेंस के गोल्ड लोन के लिये कहते हुए नजर आते हैं। जितना साधारण गोल्ड लोन दिखता है कि बस गोल्ड को गिरवी रखा और उसके बदले में आनुपातिक रुप में फ़ाईनेंस कंपनी लोन दे देती है, उतना साधारण भी नहीं है, इसमें बहुत सारे जोखिम और कमियाँ हैं।

    पहले तो गोल्ड लोन केवल सुनारों और साहूकारों की बपौती थी, जो कि लोन का दोगुना तक वसूलते थे। पर अब सरकारी बैंक, निजी बैंक और बहुत सारी निजी फ़ाईनेंस कंपनियाँ गोल्ड दे रही हैं।

    गोल्ड लोन आपके सोने के गहने या शुद्ध सोना जैसे कि ईंट को गिरवी रखकर दिया जाता है। और यह जरुरी नहीं कि जो सोना आप गिरवी रखकर लोन लेने जा रहे हैं वह आपने घोषित किया हो, परंतु अगर सोना ज्यादा मूल्य का हो और लोन भी तो टैक्स विभाग बैंकों और फ़ाईनेंस कंपनियों से जानकारी लेकर आपके पीछे पड़ सकता है।

    गोल्ड लोन एक ऐसा उत्पाद है जो कि बहुत ही जल्दी आपको मिल जाता है। जल्दी से लोन मिलने का एकमात्र कारण है कि लोन आपको सोने को गिरवी रखकर मिलता है। लोन की रकम सोने की मात्रा और शुद्धता के ऊपर निर्धारित किया जाता है। पर यहाँ पर सबसे बड़ी बात यह है कि गोल्ड लोन देने वाली संस्थाएँ इस बात का ध्यान नहीं रखती हैं कि ऋणी ऋण चुका भी पायेगा या नहीं ?

    सोने का मूल्यांकन के पैमाने सभी कंपनियों के अलग अलग होते हैं, अगर आपका सोना हालमार्क है तो आपके सोने की कीमत अच्छी आंकी जायेगी और ज्यादा लोन मिल पायेगा। परंतु अगर सोना हालमार्क नहीं है तो आपको बहुत सतर्क रहने की जरुरत है क्योंकि आपके ज्यादा कीमत वाले सोने का मूल्यांकन बहुत ही कम किया जा सकता है और आपका सोना जो कि कीमत में बहुत ज्यादा है वह संस्था गिरवी रख लेगी। गोल्ड लोन केवल सोने के गहने के बदले ही मिल सकता है। अगर गहने में कोई महँगा पत्थर जड़ा है तो उसकी कीमत नहीं आंकी जाती है, और भार में पत्थर का भार कम कर दिया जाता है। मूल्यांकन केवल सोने का ही किया जाता है।

    लोन में कितनी रकम मिल सकती है यह सोने की मात्रा और शुद्धता पर निर्भर करता है, जो कि गिरवी रखा जाना है। जो कि  सोने के मूल्यांकन का ६० प्रतिशत से १०० प्रतिशत तक हो सकता है। यह सब तो ठीक है, परंतु यहाँ सोने के मूल्य के अनुपात जिस पर लोन दिया जा रहा है उसके लिये बाजार का अपना एक स्वाभाविक जोखिम है। जैसा कि बाजार में पिछले कुछ दिनों में देखने को मिला है कि सोना कभी बहुत ज्यादा ऊपर और फ़िर कम भाव हो जाते हैं। सोने के भाव में कमी होने पर ऋणकर्ता और ऋणदाता दोनों जोखिम में आ जाते हैं। बाजार में आजकल यही सोचा जाता है कि सोने का भाव केवल ऊपर ही जायेगा जो कि बाजार और ऐसी संस्थाओं के लिये बहुत ही बड़ा जोखिम है।

    गोल्ड लोन की अवधि साधारणतया: १ माह से लेकर २ वर्ष तक की होती है, और अगर लोन की अवधि बढ़ानी है तो बढ़ा भी सकते हैं, परंत उसके लिये ये संस्थाएँ कुछ अतिरिक्त शुल्क लेती हैं।

    गोल्ड लोन पर ब्याज दर ११ प्रतिशत से २८ प्रतिशत प्रतिवर्ष तक हैं। ब्याज दर गोल्ड लोन की रकम पर निर्भर करती है, जितना सोना आपने गिरवी रखा है और उसके बदले में मिलने वाली रकम अगर ज्यादा होगी तो ज्यादा ब्याज और कम रकम पर कम ब्याज। साथ ही यह निर्भर करता है गोल्ड लोन के अनुपात पर अगर अनुपात ज्यादा है तो ब्याज ज्यादा होगा और कम अनुपात होगा तो लगभग १२ प्रतिशत ब्याज होगा। ज्यादा समय के लिये ज्यादा ब्याज देय होता है और कम समय के लिये कम ब्याज देय होता है।

   ऋण देने वाली संस्थाओं और बैंकों को सुनिश्चित करना होता है कि सोना शुद्ध है और नकली नहीं है, नहीं तो उनके लिये तो पूरा ऋण ही घाटा है।

  ब्याज दर के अलावा अतिरिक्त शुल्क क्या हैं यह भी पहले पता लगा लेना चाहिये जैसे कि प्रोसेसिंग चार्जेस, समय के पहले ऋण अदा करने पर शुल्क जो कि गोल्ड लोन के ०.५ से १ प्रतिशत तक कुछ भी हो सकता है। फ़िर अगर लोन को रिनिवल करवाना है तो लोन की अवधिक के अनुसार उसका भी अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। और अगर इसी दौरान ऋणकर्ता को कुछ हो जाये तो ऋणदाता उसके लिये बीमा करवाते हैं, जिससे लोन की रकम भरी जा सके और सोना ऋणकर्ता के परिवार को लौटा दिये जाते हैं, बीमा का शुल्क भी अतिरिक्त होता है।

    गोल्ड लोन अधिकतर ईएमआई आधारित नहीं होता है। लोन की अवधि में कभी भी भुगतान किया जा सकता है। जैसे कि अगर एक वर्ष के लिये लोन लिया है तो आप एक वर्ष में  उस लोन का कभी भी भुगतान कर सकते हैं।

     गोल्ड लोन में चूककर्ता बहुत ही कम होते हैं, ३० प्रतिशत ॠणकर्ता तो उसी माह में लोन चुकता कर देते हैं और बाजार में २ प्रतिशत से भी कम ॠणकर्ता गोल्ड लोन में चूककर्ता होते हैं। अगर चूक होती भी है तो ऋणदाता गिरवी में रखा गया सोना या गहना बेचकर अपनी रकम वसूल कर लेते हैं।  पर गिरवी  रखे गये सोने की नीलामी की भी लंबी प्रक्रिया है पहले चूककर्ता को रजिस्टर्ड पत्र भेजा जाता है, साथ ही उनसे बात करके मामले को सुलझाने की कोशिश की जाती है, उन्हें कहा जाता है कि कम से कम ब्याज तो चुकायें तो फ़िर उन्हें और ॠण चुकाने के लिये समय देने की कवायद शुरु की जाती है।

    गोल्ड लोन सस्ता लोन नहीं है, और गोल्ड लोन तभी लेना चाहिये जब आप निश्चित हों कि निश्चित समय के बाद आप रकम वापिस भरकर गोल्ड लोन चुका सकते हैं। हाँ और किसी लोन से यह लोन लेना बहुत ही सरल है और लोन जल्दी भी मिल जाता है। और अगर समय पर लोन नहीं चुकाया जाता है तो आप अपने महँगे सोने के गहनों को कम रकम के लोन के चक्कर में गँवा सकते हैं।