Category Archives: खानपान

MTR (मवाली टिफिन रूम्स) बैंगलोर

बहुत दिनों से चिकपेट जाने का कार्यक्रम बन रहा था, पर जा ही नहीं पा रहे थे, 2 सप्ताह पहले भी गये थे, पर रास्ता भटकने की वजह से वापिस आ गये। इस बार फिर से कार्यक्रम कल सुबह बना, अपने सारे कार्य निपटाकर चल पड़े, भोजन का समय था MTR(मवाली टिफिन रूम्स) अपने खाने के लिये बहुत प्रसिद्ध है। हम वैसे भी कई बार MTR के भोजन का आनंद ले चुके हैं, परंतु हर मौसम का अपना अलग आनंद होता है। सर्दियों के शुरूआत होने से मीठा अलग हो जाता है।

पार्किंग के लिये MTR के आसपास बहुत से निजी पार्किंग उपलब्ध हैं, सड़क पर गाड़ी न खड़ी करें, एकदम मुस्तैद पुलिस गाड़ी टो करके ले जायेगी। पार्किंग MTR के बिल्कुल सामने ही पार्किंग कर सकते हैं या फिर 3-4 दुकान छोड़कर बिल्कुल कोने पर भी एक पार्किंग बनी है, वहाँ पार्किंग कर सकते हैं।

दोपहर के भोजन का समय 3 बजे तक ही है, इसके बाद ये लोग भोजन याने कि थाली नहीं परोसते, शनिवार और रविवार को रात्रि भोजन भी उपलब्ध रहता है, यह कल मैंनें MTR में पढ़ा था। अगर और किसी समय जा रहे हों तो डोसा, बिसिबेला भात जरूर खायें। खाने के विविध व्यंजन उपलब्ध हैं।

MTR की थाली खाना भी अपने आप में बहुत बड़ी बहादुरी है, हमने तो एक नियम बना रखा है कि कोई भी चीज दोबारा नहीं लेते हैं, तब जाकर सारी चीजें खा पाते हैं। MTR में घुसने के बाद सबसे पहले काऊँटर पर आप अपना बिल पे कर दें, प्रीपैड काऊँटर है। और उसके बाद पहली मंजिल पर चले जायें, जहाँ आपको अपना बिल दिखाना होता है, और वहाँ मौजूद स्टॉफ आपको एक नंबर देगा, क्योंकि इंतजार यहाँ कम से कम 10-20 मिनिट का होता है। हम भी इंतजार कर रहे थे, तब हम बात कर रहे थे कि यह रेस्टोरेंट 92 वर्ष पुराना हो चुका है, और पता नहीं कितने लोग कहते हैं कि विश्व का सबसे अच्छा डोसा यहीं मिलता है।

हमारा नंबर आ चुका था, इस रेस्टोरेंट की खासियत है कि यहाँ गंदगी का नामोनिशान नहीं मिलेगा, सफाई का हर जगह, हर तरफ ध्यान दिया जाता है। सबसे पहले हमें अंगूर का जूस सर्व किया गया और फिर थाली जिसमें कि खुद की ही कटोरियाँ हैं, दी गई और साथ ही चम्मच भी दी गई।

angoor ka juice
angoor ka juice

सबसे पहले नारियल चटनी सर्व की गई, फिर आलू की सब्जी, हलवा (मूँग का हलवा लग रहा था), सलाद (किसा हुआ गाजर और भीगी हुई मूँग दाल), बादाम हलवा, सब्जी (जिसमें हमें लगा कि कच्चे मसाले हैं और थोड़ी तेल स्वाद के लिये मिलाया गया है), मूँग बड़ा औऱ डोसा। यह पहला राऊँड था।

worlds best dosa at MTR
worlds best dosa at MTR

दूसरा राऊँड – इसके बाद पूरी दी जाती है।

poori at MTR
poori at MTR

तीसरा राऊँड – बिसिबेला भात, रायता, चिप्स और अचार।

bisibela bhat at MTR
bisibela bhat at MTR

चौथा राऊँड – सादा चावल, सांभर।

chawal sambhar at MTR
chawal sambhar at MTR

पाँचवा राऊँड – सादा चावल, रसम।

rasam at MTR
rasam at MTR

छठा राऊँड – दही चावल।

curd rice at MTR
curd rice at MTR

सातवाँ राऊँड – पान।

pan at MTR
pan at MTR

आठवाँ राऊँड – फ्रूट आईसक्रीम।

fruit icecream at MTR
fruit icecream at MTR

खाना अनलिमिटेड है, पान और फ्रूट आईसक्रीम लिमिटेड है।

खाने का भरपूर आनंद उठायें, और अपने पेट का भी ध्यान रखें।

दौड़ना क्यों (अपने लिये) ?

दौड़ना क्यों (अपने लिये) ?

बहुत अहम सवाल है, आखिर दौड़ना क्यों, सवाल का ऊपर ही जबाब दिया है जी हाँ अपने लिये, और किसी के लिये नहीं केवल अपने लिये। कल रात को हाथ की कलाई और पैर के घुटनों में थोड़ा दर्द था, ये हड्डी वाला दर्द भी हो सकता है, परंतु हमने रात को हाथ पैरों की तेल से मालिश की और सुबह सब ठीक हो गया। रात को ही मन था कि सुबह दौड़ना है भले 4,5,6,7,8,9 या 10 किमी, पर दौड़ना है, लक्ष्य कम से कम 4 किमी का और अधिकतम 10 किमी दौड़ने का निर्धारित किया था ।

दौड़ना क्यों
दौड़ना क्यों

सुबह उठा तो दौड़ने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी परंतु फेसबुक पर एक रनर के द्वारा शेयर किया गया फोटो ध्यान आ गया और उसको ध्यान में रखकर दौड़ने के लिये तैयार हो गया। उस फोटो में संदेश था कि क्यों घर में बैठकर बोर हो रहे हो, चलो थोड़ा प्रकृति में और दौड़कर आयें, जिससे शरीर भी ठीक रहे। दौड़ने के लिये बहुत सारे फेक्टर कार्य करते हैं, अगर आप सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं तो ट्विटर, फेसबुक, स्त्रावा पर रनर्स को अपना दोस्त बनायें, वे सभी अपने अनुभव साझा करते रहते हैं, जिससे आपको दौड़ने के बारे में बहुत कुछ पता चलता रहेगा और दौड़ने के लिये हमेशा ही तैयार रहेंगे।

अकेले दौड़ना वाकई बहुत मुश्किल कार्य होता है, इसके लिये या तो आप अपने साथ किसी और को भी दौड़ायें, परंतु थोड़े दिनों बाद ही ये युक्ति भी काम नहीं आयेगी, क्योंकि दोनों के दौड़ने की रफ्तार कम ज्यादा होगी तो साथ रहेगा जरूर, परंतु दौड़ नहीं पायेंगे। अपने स्मार्ट फोन का उपयोग करें और साथ में कुछ सुनते जायें, गाने सुनने का शौक है तो गाने सुनते जायें, पॉडकॉस्ट भी डाउनलोड करके सुन सकते हैं। मेरी आदत दौड़ते हुए पॉडकॉस्ट सुनने की है, मुझे लगता ही नहीं कि मैं दौड़ भी रहा हूँ, ऐसा लगता है कि कोई मुझसे बात कर रहा है, या मैं किसी और ही चीज में व्यस्त हूँ, और दौड़ना केवल एक प्रक्रियाभर है। गाने सुनते हुए दौड़ना मेरे लिये बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि गाने बदलते रहते हैं और उनके स्वर दौड़ने की प्रक्रिया को बाधित करते हैं। पॉडकॉस्ट अपनी पसंद के डाउनलोड कर सकते हैं, मुझे फाईनेंस, लाईफ स्टाईल, फैक्ट्स, पर्सनलिटी इम्प्रूवमेंट इत्यादि के चैनल बहुत पसंद हैं। मेरा सबसे पसंदीदा चैनल है टैड रेडियो ऑवर।

अपने लिये दौड़ने से आप दिनभर खुश रहते हैं, आपको अपना वजन कम लगने लगता है। भूख खुलकर लगती है, अपने खुद के ऊपर गर्व होने लगता है कि जो अधिकतर जनता नहीं कर सकती वो आप कर सकते हैं। जब किसी कठिन चढ़ाई या घूमने के लिये जाते हैं तो आपका यह स्टेमिना आपके बहुत काम आता है। इस बार मैं घूमने गया तो 4-5 घंटों तक चलने और खड़े होने पर मुझे किसी भी प्रकार से थकान का अनुभव ही नहीं हुआ। रोज कम से कम 35 मिनिट तेज वॉक या दौड़ना चाहिये। चलने की जगह दौड़िये, दौड़ना बहुत आसान है, मेरी पिछली पोस्ट दौड़ना कैसे शुरू करें को पढ़कर समझ सकते हैं कि कैसे दौड़ा जाये। 35 मिनिट इसलिये कि रोज हमें हमारे दिल को जो कि धड़कता है उसकी रफ्तार 140 पल्स तक ले जानी चाहिये, हमारे दिल याने ह्रदय की धड़कने की सामान्य गति 60-100 पल्स प्रति मिनिट होती है। दौड़कर हम कॉर्डियो व्यायाम करते हैं, जिससे दिल अपने भरपूर रफ्तार से धड़कने को परख लेता है, और यह व्यायाम हमें रोज ही करना चाहिये।

दौड़ना शुरू करें, दौड़ना आपके जीवन में खुशियाँ भर देगा।

मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

    हमने अभी तक बात की कि मोटापा कैसे कम किया जाये, खाने का सही तरीका क्या हो और पानी कैसे पिया जाये। अब मैं आपको मोटापा घटाने का घरेलू उपाय के बारे में बताऊँगा, जिसका शायद सबको ही इंतजार है, इस पोस्ट के बाद इस डाईट क्या फायदे आपको होंगे और मेरे अपने अनुभव भी साझा करूँगा, जिससे आप सबको भी बहुत सी बातें पता चलेंगी और आपके लिये वे बातें मददगार साबित होंगी। इस डाईट को शुरू करने के 15 दिनों बाद ही आप अपने डॉक्टर से अपना अवश्य ही मिलें क्योंकि इस डाईट से आपका शरीर बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से शुद्ध होने लगेगा और जो भी दवाईयाँ आप ले रहे हों खासकर कि कोलोस्ट्रॉल, उच्च रक्ताचाप और मधुमेह की तो शायद आपकी दवाईयों के डोज की मात्रा आपके डॉक्टर कम करें। Continue reading मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

मोटापा कम कैसे किया जाये – पानी कैसे पिया जाये

    मोटापा कम कैसे किया जाये पर हमने अभी तक बात की कि मोटापा कम करने के प्रचलित तरीके क्या हैं और खाना कैसे खाना चाहिये, अब हम बात करेंगे कि पानी कैसे पिया जाये या पेय पदार्थों का सेवन कैसे किया जाये। जैसे हमारी पाचन क्रिया में भोजन को बत्तीस बार चबाना बहुत ही महत्वपूर्ण है वैसे ही पानी कैसे पिया जाये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पानी कैसे पिया जाये
पानी कैसे पिया जाये

 

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मोटापा कम कैसे किया जाये – खाने का सही तरीका

वजन कम कैसे करें के लिये अगली मुख्य बात है खान पान के तरीके में बदलाव करना याने कि खाने का सही तरीका सीखना। जब हम सही तरीके से खाना खायेंगे या पेय पदार्थ पियेंगे तभी शरीर को ज्यादा फायदा होगा। मैं यहाँ पर कोई बहुत ही ज्यादा आधुनिक बातों को आपसे साझा नहीं करने वाला हूँ, मैंने जो भी किया है वह सब वैज्ञानिक तरीके से सही है और हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने में सहायता करता है, जिससे हमारा शरीर सही तत्वों को पाता है।

खाने का सही तरीका
खाने का सही तरीका

पहला भाग – (आगे पढ़ने से पहले यह जरूर पढ़ें) –

मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

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कोलगेट का नया 360 डिग्री चारकोल गोल्ड ब्रश

कोलगेट के चारकोल गोल्ड गिफ्ट हैंपर ने वाकई मेरी मार्निंग गोल्ड मार्निंग बना दी, कोलगेट का नया 360 डिग्री चारकोल गोल्ड ब्रश हमें बहुत ही अच्छा लगा। इसके पतले रेशे दाँत के हर हिस्से में पहुँच कर सफाई कर पाने में सक्षम हैं। तो अगर कोई छोटे से छोटा खाने का कण भी दाँत में रह जाता है तो वह सड़ नहीं पायेगा और चारकोल गोल्ड ब्रश के पतले रेशे उनको भी निकाल देंगे जिससे आपके दाँतों को संपूर्ण सुरक्षा मिलेगी। किसी खाने के बारीक कण के कारण मैं कई बार सुबह परेशान होता था जो कि टूथपिक से भी नहीं निकलता था पर अब 360 डिग्री चारकोल गोल्ड ब्रश से वह समस्या भी समाप्त हो गई। Continue reading कोलगेट का नया 360 डिग्री चारकोल गोल्ड ब्रश

केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता

दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते |
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा ||

जैसे दीप का उजाला अँधेरे को खा जाता है, और काजल को उत्पन्न करता है, वैसे ही जिस तरह का भोजन हम ग्रहण करते हैं, वैसे ही हम उसी तरह का व्यवहार करते हैं।

 उपरोक्त श्लोक आज भी पुरातनकाल की बात को सत्य साबित करता है। अगर हम गैस्ट्रिक भोजन खायेंगे तो हमें पेट की समस्या होगी और अगर सात्विक भोजन करेंगे तो हम तन मन से प्रसन्न रहेंगे। हमें अपने दैनिक जीवन में दूध एवं दही का भरपूर उपयोग करना चाहिये, इससे हमारे शरीर की बहुत सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।
केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता बहुत ही प्रसिद्ध है, उनके घर का नाम गट्टू है, घरवाली यानी कि श्रीमती गुप्ता का नाम शालू है, बेटे का नाम रोहन जिसे प्यार से घर में रोहू बुलाते हैं और बेटी का नाम रितिका जिसे प्यार से रितु बुलाते हैं। गट्टू याने कि गुप्ताजी केलोग्स के डिस्ट्रीब्यूटर हैं और आम पति की तरह उनको भी भूलने की बीमारी है, हालांकि उनके भी दिल में पहुँचने का रास्ता एक ही है, वह है पेट जिसका रास्ता जबान के जरिये होता है और उनकी पत्नि शालू उनके ही केलोग्स से विभिन्न तरह के व्यंजन बनाकर उनको खिलाती रहती हैं, जो कि सामान्यत किसी को भी पता नहीं होते हैं। तो उनकी पत्नि शालू गट्टू याने कि अपने पति के दिल में ही रहती हैं।
बेटी रितु हरेक बात को शॉर्ट फॉर्म में ही कहती है, जिससे गट्टू याने कि रितु के पापा हमेशा ही नाराज से होते हैं और बेटा रोहू पापा और दीदी की बात की नकल करते हैं। रोहू तो मम्मी की नकल करने से भी नहीं चूकता है।  शालू याने कि मम्मी भी नकल उतारने में माहिर हैं, और किसी की भी नकल हुबहू उतारती हैं और परिवार हँसी खुशी रहता है।
केलोग्स केनाश्ते का पहले हमें तो केवल दूध में ही भिगोकर खाने का पता था, पर केलोग्स वाले गुप्ता जी के घर की तो बात ही और है, कभी चॉकलेट मिलाकर शेक बना कर परिवार का मूड ठीक रखना तो कभी जल्दी जल्दी अगर बेटे को स्कूल के लिये मिठाई बना कर देना है तो केलोग्स से कैसे लड्डू बनाने हैं या फिर दही मिलाकर भी केलोग्स के व्यंजन बनाये जा सकते हैं।
खैर मुझे तो सबसे बढ़िया बात लगी कि नाश्ते के प्रकारों की जैसे कि पार्सल वाला नाश्ता, नखरे वाला नाश्ता, फर्स्ट क्रश वाला नाश्ता, जगह बनाने वाला नाश्ता, मूवी वाला नाश्ता, होमवर्क वाला नाश्ता, बेस्ट फैमिली वाला नाश्ता, चुप कराने वाला नाश्ता, रिमोट वापिस लेने वाला नाश्ता जब इतने सारे प्रकार के नाश्ते उपलब्ध हों तो कौन केलोग्स वाले गुप्ताजी के यहाँ नाश्ता नहीं करना चाहेगा, सुबह ही अच्छा नाश्ता हो जाये तो दिनभर अच्छा जाये।
So,
Eat good, keep the body and generations healthy.
Be good, keep the mind and generations healthy.
Do good, keep the society and generations healthy.

साप्ताहिक भागमभाग की थकान के बाद कुछ सुकून के पल परिवार के संग

सप्ताह में पाँच दिन के काम के बाद दिमाग को आराम की बहुत ही सख्त जरूरत होती है, आराम करने के भी सबके अपने अपने तरीके होते हैं, कोई केवल दिन भर घर में ही रहना पसंद करता है तो कोई घर पर रहकर दिनभर टीवी देखना तो कोई मोबाईल या लेपटॉप पर गेम्स खेलना पसंद करता है। हम केवल और केवल परिवार के साथ समय व्यतीत करना पसंद करते हैं।
परिवार में हमारी घरवाली और बेटेलाल के साथ हम रहते हैं। सप्ताहांत में अपने दैनिक कार्यों के अलावा जो हमारे कार्य में जुड़ा होता है वह है बेटेलाल को भी साथ में सैर पर बगीचे में ले जाना, साथ में खेलना, बाजार से जरूरत के सामान और सब्जी लाना। घर पर आकर फटाफट तैयार होना और फिर आपस में खेलना, कभी कैरम तो कभी लूडो तो कभी ताश और कभी पहेली। कभी हम बेटेलाल को कहानी सुनाते हैं तो कभी बेटेलाल हमें कहानी सुनाते हैं।
रविवार को बेहतरीन दिन बिताने के लिये हम सुबह से पूरे परिवार के साथ घर के सारे काम निपटाने लगते हैं जिससे साथ में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिता पायें और आपस में और करीब आ
पायें। अभी कुछ सप्ताह पहले ऐसे ही एक रविवार को हमने सुबह पोहा नाश्ते में बनाया जो कि हमारे घर का सबसे ज्यादा पसंदीदा नाश्ता है। तैयारी मैंने और बेटेलाल ने की घरवाली ने फाईनल टच दिया। और फिर साथ में नाश्ता करने के बाद हमने साथ में चाणक्य सीरियल देखा और फिर भारत एक खोज।
अब हमारे बेटेलाल लूडो ला चुके थे और हम दोनों लूडो खेलने बैठ गये साथ ही दाल बाफले की तैयारी चल रही थी, जिसका आटा बहुत ज्यादा पतला नहीं मला जाता है तो कट्ठा आटा हमेशा हम ही मलते हैं, हमने अपने महाविद्यालयीन दिनों में बहुत आटा मला है, जिससे हमें आटा मलने की जबरदस्त प्रेक्टिस हो गई है। बाफले के लिये आटे के लिये गोले बनवाये और फिर इलेक्ट्रॉनिक केतली में पानी उबाल उबाल कर बड़े भगोने में डालने लगे जो कि गैस पर रखा था, उबालने के बाद बाफले को सुखाकर तंदूर में पका लिया, तब तक दाल और चटनी भी लगभग तैयार थी और साथ ही बैंगन का भर्ता भी तैयार था।
जब खाना तैयार हो गया तो हमने छत पर चटाई बिछाई और खाने का सामान छत पर ले चले और खिली धूप में परिवार के साथ आनंद से खाना खाया, खाने के बाद थोड़े बाफलों को कूटकर शक्कर पीसकर उसमें मिलाकर मीठा भी बना लिया गया। अब समय था आराम करने का, तो अपनी किताब शेखर एक जीवनीली और परिवार को सुनाने लगे, इस उपन्यास में पात्रों को इस प्रकार से लिखा गया है कि बड़े तो बड़े, बच्चे भी इससे बँध जाते हैं। तकिया लगा कर लेट गये, भरे पेट थोड़े ही देर में नींद ने आ घेरा, तो छत पर दोपहर की नींद ली गई।
शाम को फिर पैदल ही बगीचे में घूमने गये और साथ में फिल्म देखी। इस तरह से पूरा दिन अपने परिवार के साथ बिताकर पूरे सप्ताह की थकान उतारी गई। परिवार के साथ समय बिताने और उसका अनुभव साझा करने के लिये यह पोस्ट हमने हाऊसिंग.कॉम के लिये लिखी है।

घर पहुँचने की खुशी बयां नहीं की जा सकती है

    हम जीवन मे संघर्ष करते हैं, अपने लिये और अपने परिवार के लिये । सब खुश रहें, सब जीवन के आनंद साथ लें । जब हम संघर्ष करते हैं तब और जब हम संघर्ष कर किसी मुकाम पर पहुँच जाते हैं तब भी घर जाने का अहसास ही तन और मन में स्फूर्ती भर देता है। घर जाने का मतलब कि हम हमारी कामकाजी थकान से रिलेक्स हो जाते हैं और अपने लिये नई ऊर्जा का
संचार करते हैं। घर पर अपने परिवार से मिलने की खुशी हमेशा ही रहती है।
 
    मैंने जब से नौकरी करनी शुरू की तब से ही हमेशा मेरे काम में घूमना शामिल रहा, कभी ज्यादा दिनों को लिये तो कभी कम दिनों के लिये तो कभी सुबह जल्दी जाकर देर रात तक वापिस घर आना। नौकरी के शुरूआती दिनों में जब मेरी शादी नहीं हुई थी तब भी मैं घर जाने पर बहुत खुश होता था। घर जाने का सुकून कुछ और ही होता था, माँ पिताजी को देखकर ही
सारी थकान मिट जाती थी, उनके साथ मिलकर उनकी हँसी, उनकी डाँट, उनका प्यार सबमें अपना अलग ही अपनापन लगता था। घर पहुँचने का इंतजार इसलिये भी रहता था कि बाहर कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई तो सबसे पहले घर पर परिवार के साथ बाँटने में ही मजा आता था। मेरे बगीचे के पौधे और उनके फल फूलों के बीच मैं अपने आप को सातवें आसमान पर पाता था।
    जब शादी हुई तो भी नौकरी में यात्राएँ चलती ही रहीं और अब घर आने के लिये घरवाली जो कि हमारे जीवन में सबसे अच्छी दोस्त भी होती है, उसके साथ ज्यादा समय बिताने के लिये भी और बहुत सी बातें साझा करने के लिये भी मन उतावला रहता था। ऐसा लगता था कि बस अभी पंख लग जायें और अभी मैं घर पहुँच जाऊँ, कई बार मैं बहुत से उपहार लेकर घर जाता था, तो भी ऐसा लगता था कि बस उपहार खरीदते ही घर पहुँच जाऊँ और झट से उपहार घर पर सबको दे दूँ।
    जैसे जैसे जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं अपने कैरियर में भी आगे बड़ते गये, देश के साथ ही विदेश की भी यात्राएँ होने लगीं, अब कुछ हजार किमी की जगह कई हजार किमी दूर हवाईजहाज में बैठकर आना जाना होता था और परिवार के साथ केवल वीडियो चैटिंग पर ही बात किया करते थे, देख सकते थे पर वह अहसास नहीं होता था जो घर पर होता था, जब भी मैं वापिस भारत अपने घर के लिये निकलता था, तो बस ऐसा लगता था कि अब मेरी सारी थकान मेरे बेटे की हँसी से ही मिट जायेगी, मेरा बेटा मेरी गोद में आकर मुझे बहुत सारा प्यार करेगा, और फिर डैडी डैडी आवाज लगाकर बस मेरे आगे पीछे घूमता रहेगा। फिर मेरे साथ अपने गेम्स खेलने की जिद भी करेगा और मैं बेटे के साथ इन सारी बातों को यादकर ही खुश हो लेता था, घर जाने की खबर ही मन में स्फूर्ति भर देती है। आज भी शाम के घर पहुँचने का इंतजार इसलिये ही होता है कि घरवाली और बेटा, मैं दोनों के खिलखिलाते चेहरे देखकर ही सारे दिन की थकान छूमंतर हो जाती है।
यह पोस्ट हमने हाउसिंग.कॉम के लिये लिखी है।

स्वस्थ बच्चा ही खुशियों से भरा घर बना सकता है (A healthy child makes a happy home!)

    मुझे मेरा बचपन की बहुत सारी चीजें याद नहीं, पर मम्मी और पापा मेरा बहुत ही ख्याल रखते थे, शायद दुनिया में कोई ऐसे माता पिता होंगे जो बच्चों का ध्यान नहीं रखते होंगे, टमाटर खाओगे तो खून बढ़ेगा, गाजर भी सेहत के लिये अच्छी होती है, आँवले से आँखों की रोशनी तेज होती है, आँवले की अच्छी बात यह है कि किसी भी तरह से खाओ, उसके गुण कम नहीं होते, और जीभ पर आँवले का मीठा स्वाद हमेशा ही अच्छा लगता है। रोज एक काली मिर्च खाने से कभी बीमारी नहीं घेरती, यह एक घरेलू उपाय है, जो कभी दादी माँ का नुस्खा था।
 
    खाने पीने में हम हमेशा मस्त रहे और हरेक सब्जी और फल खाते रहे, वैसे ही हमने अपने बेटेलाल को आदत डाली है, जिससे रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहे और हमेशा रोगों से दूर बने रहें, हमारे बेटेलाल खाने के बहुत आलसी हैं, केवल मूड होता है तो खाते हैं नहीं तो कुछ नहीं खाते, अभी पिछले महीने ही तकरीबन 15 दिनों तक ढंग से खाना नहीं खाया तो मौसमी वाईरल ने पकड़ लिया, जिससे हम सभी लोग 13 दिन तक परेशान रहे, क्योंकि अगर घर में बच्चा बीमार है तो कुछ भी ठीक नहीं लगता है, बच्चा खेलता रहे, स्वस्थ रहे तो पूरा घर खुश रहता है।
    जैसे हमें पापाजी ने च्यवनप्राश खाने की आदत डाली थी, हमारे बेटेलाल पहले च्यवनप्राश नहीं खाते थे परंतु जब धीरे धीरे रोज मुझे और पापाजी को खाते देखते तो उत्सुकतावश रोज ही थोड़ा थोड़ा खा लेते थे, अब हमारे बेटेलाल ने च्यवनप्राश को अपनी रोज की दिनचर्यो में शुमार कर लिया है, रोज सुबह च्यवनप्राश की एक चम्मच और रात को सोने के पहले हल्दी वाले दूध के साथ एक चम्मच खाते हैं।
    हमने 1-2 आयुर्वेदिक चीजें और शुरू कर दी जो कि स्वास्थ्य के लिये बहुत ही लाभदायक है, रोज सुबह शाम तुलसी का अर्क 10 एम.एल. एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाते हैं, और रोज सुबह उठते ही एक चम्मच शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बादाम, मिश्री और सौंफ को पीसकर बनाया गया चूर्ण चबा चबा कर खाते हैं । इस मिश्रण के खाने से दिमाग को ताकत मिलती है और दिनभर ऊर्जा बनी रहती है, तुलसी के अर्क से तुलसी की प्रतिरोधक क्षमता मिल जाती है, आजकल फ्लेट सिस्टम में तुलसी प्रचुर मात्रा में तो होती नहीं कि रोज सुबह शाम 2 4 पत्ती तोड़कर खा लीं, इसलिये हमें तो तुलसी के अर्क बहुत अच्छा लगा।
    पहले कभी ऐसे ही हमने सोचा था कि च्यवनप्राश घर पर बनाकर खायेंगे पर फिर हमने कभी भी च्यवनप्राश बनाने की मेहनत को देखकर कभी भी बनाने की चेष्टा नहीं करी। बाजार से जाकर च्यवनप्राश खा लेते थे, वही हमें आज भी ठीक लगता है, बेटेलाल को जमकर सलाद और फल  खिलाते हैं और खुद भी खाते हैं, जिससे शरीर में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रहे। और घर में बेटेलाला केवल मस्तियाँ करते नजर आयें, हमेशा उनके हँसने खिलखिलाने की आवाज आये।
       यह पोस्ट इंडीब्लॉगर्स के हैप्पी अवर्स के लिये लिखी गई है, च्यवनप्राश के प्रतिरोधक क्षमता के बारे में यहाँ से ज्यादा जानकारी ले सकते हैं – https://www.liveveda.com/daburchyawanprash/.