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इंजीनियरिंग का नायाब नमूना – बांद्रा वर्ली सी लिंक (Bandra Worli Sea Link, Mumbai)

आज इंजीनियरिंग का नायाब नमूना – बांद्रा वर्ली सी लिंक (Bandra Worli Sea Link, Mumbai) राष्ट्र को समर्पित होगा। और मुंबई के लिये एक और लेंडमार्क, मुंबईवासियों का गौरव।

सर्वोत्तम ३०० फ़्रीवेयर सोफ़्टवेयर (Top 300 Freeware Softwares)

विनएडोनस (winAddons) वेब साइट ने “सर्वोत्तम 300 फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर” की एक व्यापक सूची इकट्ठा की है, इंटरनेट पर. इस सूची में निम्नलिखित वर्ग शामिल हैं:

कार्यालय (Office)
पुरालेख प्रबंधक (Archive Managers)
इंटरनेट (Internet)
P2P (P2P)
चैट (Chat)
सुरक्षा (Security)
नेटवर्क (Network)
सर्वर (Server)
ऑडियो (Audio)
वीडियो (Video)
छवि (Image)
3 डी (3D)
डेवलपर्स (Developers)
सीडी / डीवीडी (CD/DVD)
कोडेक (Codecs)
प्रणाली उपयोगिताएँ (System Utilities)
यूआई संवर्द्धन (UI Enhancements)
हार्डवेयर मॉनिटरिंग (Hardware Monitoring)
खेल (Games)
शिक्षा (Education)
विविध (Miscellaneous)

आप यहाँ पर चटका लगाकर पूरी सूची पतों के साथ देख सकते है।

फ़ोंट्स का अद्भुत खजाना व स्वर्ग – डाफ़ोंट.कोम (dafont.com)

लेखन में फ़ोंट का भी अपना एक महत्व होता है और इसके लिये आपके पास कुछ अच्छे फ़ोंट हों तो लेखन और प्रभावकारी हो जाता है। अगर आप किसी विशेष तरीके के फ़ोंट खोज रहे हों तो आकर देखिये फ़ोंट्स का स्वर्ग डाफ़ोंट.कोम



७००० फ़ोंट डाउनलोड के लिये उपलब्ध हैं विन्डोज एवं मैक के लिये। आप फ़ोन्ट की शैली के आधार पर भी खोज सकते हैं जैसे बुनियादी, तकनीकी इत्यादि। आप टाप १०० फ़ोंट भी देख सकते हैं।

झमाझम बरसात मुंबई में और आखिरी जलप्रदाय नलों के द्वारा उज्जैन में।

अभी तीन-चार दिनों से मुंबई में झमाझम बरसात हो रही है और कल से ज्यादा झमाझम बरसात हो रही है तो इसके कारण ट्रैफ़िक का बुरा हाल है, जगह जगह पानी भरा हुआ है सड़क पर भी और रेल्वे ट्रेक पर भी। चलो मन को तसल्ली हुई कि इस साल का मानसून आखिरकार आ ही गया।

आज सुबह ही उज्जैन अपने घर पर बात हुई, आज मेरे माताजी पिताजी की शादी की ३५ वीं सालगिरह है तो पहले तो हमने उन्हें शुभकामनाएँ दी फ़िर वो बोले कि १ घंटे बाद बात करेंगे क्योंकि आज आखिरी बार नल से जलप्रदाय हो रहा है। नगरनिगम ने कहा है कि पानी खत्म हो गया है और अब केवल टेंकरों के द्वारा जलप्रदाय किया जायेगा। महाकाल की नगरी में जल की भीषण त्रासदी है और यह केवल इस वर्ष नहीं है यह लगभग पिछले ६-७ वर्षों से है।

पानी की समस्या से निपटने के लिये कुछ उपाय भी किये गये हैं और नागरिक जागरुक भी हो गये हैं। सरकार ने ट्य़ूबवेल खोदने पर रोक हटा ली और कहा कि कालोनी के १५-२० घरों के समूह बनाकर आप अपना एक ट्यूबवेल खुदवा लीजिये और पानी को आपस में उपयोग में ले लीजिये, इस तरह पानी की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा तो मिला क्योंकि सबके निजी जलस्त्रोत सूख चुके थे या सूखने की कगार पर थे। लेकिन इन सबके पीछे एक गंभीर बात ओर है कि जलस्तर इतना नीचा जा चुका है उसे वापिस अपने पुराने स्तर पर आने में कितना समय लगेगा कह नहीं सकते। अभी जो ट्यूबवेल खुदा था उसमें जल आया लगभग ९६२ ft. पर। सबने वाटर हारवेस्टिंग अपने घर पर स्थापित करवा लिया है जिससे जलस्तर में सुधार आये। उज्जैन में भी पिछले तीने दिनों से रात को आधे घंटे बरसात हो रही है, महाकाल से विनती है कि इस बार सिंहस्थ जैसा पानी बरसा दें।

हम तो बचपन से ही इस समस्या से निपटते रहे हैं इसलिये हमारी आदत में शामिल हो गया है, कम पानी खर्च करना।

देर से ही सही पर आखिरकार सरकार को समझ में आ ही गया कि विशेष पहचान पत्र का प्रोजेक्ट नंदन नीलकेणि कर पायेंगे।

नंदन नीलकेणि को केबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया गया। उन्हें विशेष पहचान पत्र भारतीय प्राधिकरण का प्रमुख बनाया गया है। चलो आखिरकार सरकार को समझ में आ ही गया कि ये काम पिछले ५-६ सालों से क्यों नहीं हो पा रहा था अब नीलकेणि को भी सरकार का पूरा सपोर्ट मिले बात तो तभी बनेगी कि कोई भी उनके काम में टांग न अड़ाये और स्वतंत्र रुप से कार्य करने दे।

आईटी क्षेत्र के लिये यह एक अच्छी खबर है कि सरकारी लोग भी अब निजी कंपनियों के अधिकारियों का लोहा मान रही हैं और उन्हें राजनीति से परे हटकर भारत के विकास में भागीदार बना रही हैं।

पिछले ९-१० सालों से मोबाईल उपयोग कर रहे थे पर आज पहली बार मोबाईल गिरा है, आखिरकार हमसे भी लापरवाही हो ही गई।

परसों याने कि २३ जून को हमारा मोबाईल फ़ोन कहीं गिर गया और जहां गिरने का अंदेशा था वहां हमने कई बार जाकर ढूंढा पर न मिलना था और न ही मिला। एक रुपये वाले डिब्बे से फ़ोन मिलाया अपने मोबाईल नंबर पर लेकिन आऊट ओफ़ कवरेज ऐरिया का मैसेज आ रहा था। घर आकर सबसे पहले अपने एक मित्र को फ़ोन मिलाया जिनके साथ भी यह सब हो चुका था और उनसे बातचीत करने के बाद हमने अपने मोबाईल की आऊटगोइंग बंद करवाने के लिये काल सेंटर फ़ोन किया और वापिस से नंबर कैसे हमें मिलेगा इसकी जानकारी ली। अब हम परेशान कि क्या करें, वह नंबर तो वापिस नया मिल जायेगा परंतु जो फ़ोन बुक के नंबर गये जो जरुरी एस.एम.एस. थे उसका क्या करें, क्योंकि हमने कभी भी हाई-फ़ाई फ़ोन नहीं लिया । फ़ोन का मतलब हमारे लिये होता है कि आवाज आना जाना, एस.एम.एस. आना जाना। पर अब समस्या कि फ़िर नया फ़ोन खरीदें और फ़िर इतने सारे मोबाईल नंबर वापिस से ढूंढ कर नये मोबाईल में अपडेट करने की हम्माली करना पड़ेगी।

वो तो हमारी अकल चल गयी थी थोड़े दिनों पहले तो हम अपनी फ़ोन बुक एक्सेल शीट में लिख रहे थे और एन तक ही कंपलीट हो पाई थी अब ओ से जेड तक के फ़ोन नं की चुनौती हमारे सामने है। इसलिये अब सोच रहे हैं कि कोई ऐसा फ़ोन लेंगे जिससे अपने लेपटाप पर सीधे बेकअप ले सकें, भले ही उसके लिये नंबर बदलना पड़े, अब तकलीफ़ तो हो ही गई है तो थोड़ी सी और सही क्या फ़र्क पड़्ता है। सीडीएमए में इतने अच्छे मोबाईल नहीं हैं जितने कि जीएसएम में। सीडीएमए मोबाईल महंगे भी है और सुविधाएँ भी कम हैं, जबकि जीएसएम मोबाईल में कम दाम वाले फ़ोन में अच्छी आधुनिक सुविधाएँ हैं।

नंबर बदलने की कठिनाइयां जो हमें नजर आ रही हैं –

  • कुछ लंगोटिया मित्रों के फ़ोन नंबर भी थे जो हमें अब याद नहीं हैं और केवल मोबाईल से ही संपर्क में थे, उनसे संपर्क टूट जायेगा।
  • जहां जहां मोबाईल नंबर दे रखे हैं सब जगह अपडेट करवाना पड़ेगा।
  • तब तक कुछ जरुरी मार्केट संबंधी जो एसएमएस आते थे उनसे महरुम रहना पड़ेगा मतलब रोज नुक्सान, अब ट्रेडिंग ही नहीं कर पायेंगे इसलिये L

वैसे हम लगभग पिछले ९-१० सालों से मोबाईल उपयोग कर रहे थे पर आज पहली बार मोबाईल गिरा है, आखिरकार हमसे भी लापरवाही हो ही गई।

खैर अगर मोबाईल किसी ने चुराया है तो जैसे ही सिम बदलेगा हमारे घर वाले मोबाईल पर मैसेज आ जायेगा क्योंकि उसमें मोबाईल ट्रेकर को हमने चालू कर रखा था। आज भी उम्मीद है कि हमें मोबाईल मिलेगा पर जब भी काल करो फ़ोन इस स्विच्ड ओफ़ सुनने को मिलता है।

नवभारत टाइम्स से (NBT)- दूसरे पैराग्राफ़ में लिखा है “महाराष्ट्र के कोंकण बेल्ट में ७ जून को मौसम ने दस्तखत दे दी, लेकिन उसकी गति थम गई।“ अब आप ही बताईये सही वाक्य क्या होगा।

नवभारत टाइम्स हिन्दी मुम्बई संस्करण के मुख्य पृष्ठ पर हिन्दी की गल्तियां अब रोज ही होने लगी हैं, पता नहीं इसके एडिटर क्या एडिट करते हैं।

अभी हाल ही की गलती देखिये शनिवार २० जून २००९ की, मुख्य पृष्ठ पर एक समाचार छपा था – “सिर्फ़ ३० दिनों के लिये बचा है पानी”। इसमें दूसरे पैराग्राफ़ में लिखा है “महाराष्ट्र के कोंकण बेल्ट में ७ जून को मौसम ने दस्तखत दे दी, लेकिन उसकी गति थम गई।“, अब भला बताईये क्या यह सही है क्या इसे ऐसा नहीं होना चाहिये था – “महाराष्ट्र के कोंकण बेल्ट में ७ जून को मौसम ने दस्तक दे दी, लेकिन उसकी गति थम गई।“

अब ब्लाग पर तो हम भाषा को सही तरीके से लिखने का प्रयत्न करते हैं पर क्या एक जिम्मेदार अखबार की जिम्मेदारी नहीं है सही हिंदी लिखने की।

अगले सप्ताहों के लिये मार्केट टिप्स – सेनसेक्स एवं निफ़्टी के लिये

अगले सप्ताहों के लिये मार्केट टिप्स – सेनसेक्स एवं निफ़्टी के लिये

खरीदें –

GVKPL – BSE CODE – 532708 – रु. 38

IDFC – BSE CODE – 532659 – रु. 135

Federal Bank – BSE CODE – 500469 – रु. 250

GIC Housing – BSE CODE – 511676 – रु. 85

Titan Ind. – BSE CODE – 500114 – रु. 1179

कृपया अपने विवेक से निर्णय लें। हानि या लाभ की स्थिती में ब्लाग की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

कुल्लू मनाली और बर्फ़ के पहाड़ों की सैर – कुल्लू और मनिकर्ण साहिब, गरम पानी के कुंड जिसमें खाना पकाते हैं।





अब आज हम निकल पड़े कुल्लू और मनिकरण की सैर को। मनाली से हम लगभग ११ बजे निकल पाये हम वहीं व्यास नदी के किनारे पर बैठ कर उसके कल कल निर्मल जल को निहार रहे थे और हमारा बेटा उसकी लहरों के साथ अठखेलियां कर रहा था। पर थोड़ी देर बाद हमें निकलना ही पड़ा क्योंकि समय ज्यादा हो चला था और फ़िर एक दिन और था नदी के पानी के साथ खेलने के लिये।
थोड़ी दूर जाने के बाद एक ढाबे पर चाय नाश्ते के लिये टेक्सी रोकी और थोड़ी दूर जाने के बाद ही वैष्णोमाता का मंदिर पड़ा, वहां पर मंदिर तो बहुत ही भव्य बन रहा था, लगभग ४ मंजिला अलग अलग भगवानों के मंदिर बना रखे थे और लंगर भी चल रहा था, कहते हैं कि पार्वती जी ने यहां तपस्या की थी जब उनका नाम उमा था। पर मंदिर का नाम वैष्णोमाता के नाम पर क्यों था हमें पल्ले नहीं पड़ा तो जितने भी पुजारी थे हमने सबसे यही सवाल पूछा कि यहां का महात्म्य क्या है, एक पुजारी तो गुस्सा हो गये कि आपने यह सवाल पूछने की हिमाकत कैसे की, पर बाकी सभी पुजारियों के एक ही रटे रटाये जबाब थे कि एक बाबाजी ने तपस्या की थी और उन्हें वहां पर वैष्णो देवी ने दर्शन दिये थे। पर हमारे मन को और दिल को यह मंदिर बिल्कुल नहीं जमा, ऐसा लगा कि धर्म की दुकान में आ गये हैं।
फ़िर शाल के कारखानों पर टेक्सी रुकी जहां पर हमने पशमीने की शाल देखी, लग अच्छी रही थी पर असली और नकली की पहचान न होने के कारण हमने रिस्क लेना ठीक न समझा। वहीं पर एक कोल्डड्रिंक की दुकान थी जो १० रुपये का कोल्डड्रिंक १५ रुपये में बेच रहा था तो बस हमारा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उससे हड़्का कर पूछने लगे कि भाई ये क्या लगा रखा है क्या यहां भारत का कानून नहीं चलता है क्या जो सीधे इतना मुनाफ़ा कमाने के चक्कर में हो। पर वही एक जबाब लेना है तो लो नहीं तो आगे बड़ लो आखिर टूरिस्ट सीजन है न।
थोड़ी आगे जाने के बाद रिवर राफ़्टिंग पाईंट आने लगे थे। हमें पानी में जाने से डर लगता है इसलिये किनारे से ही दूसरे लोग रिवर राफ़्टिंग कर रहे थे, उन्हें निहार कर ही अपने मन को संतुष्ट कर रहे थे।


फ़िर चल दिये सीधे मनिकरण और साथ में चल रही थी व्यास नदी रास्ता बहुत ही खराब था हम लगभग ३.३० बजे पहुंच गये ये जगह मनाली से ८५ किमी दूर है। यहां पर गुरुद्वारा है और मंदिर हैं, यहां पर गरम पानी के दो स्त्रोत भी हैं जिनका तापमान क्रमश: ८४ एवं ९४ डिग्री है, जिनमें चावल, चने और दाल पकायी जाती हैं, एक कुँड में गुरुद्वारे के लंगर का खाना पकता है। जिसमें भक्त भी अपनी पोटली में अपने चने, चावल या दाल पका सकते हैं हमने भी चने पकाये लगभग ३० मिनिट में कच्चे चने बिल्कुल अच्छी तरह से खाने लायक हो गये थे।

यहां की कहानी शिवजी और पार्वती जी की है उन्होंने यहां पर ११,००० वर्षों तक तपस्या की थी और उसी समय पार्वती जी की अंगूठी वहां गिरकर खो गई, तो शिवजी के सारे गण भी उस अंगूठी को ढूंढने में नाकामयाब रहे तो शिवजी को गुस्सा आ गया और अपना तीसरा नेत्र खोल दिया प्रलय आने लगी, तक्षक ने अपना जहर उगलना शुरु किया जिसकी गर्मी से वहां उथल पुथल मच गयी और बहुत सारे मोती माणिक्य धरती पर आ गये, उसीमें पार्वती जी की अंगूठी भी मिल गई। उसी गर्मी से आज भी वहां ये दो स्त्रोत हैं वहां पर नंगे पैर चलना बहुत मुश्किल है क्योंकि इन गरम कुंडों के कारण पूरा फ़र्श बहुत ही गरम रहता है इसलिये वहां लकड़ी के पटिये लगा रखे है।
जय मनिकर्ण साहिब की। भोले बम कहते हुए हम वापिस मनाली की और लौट पड़े।

अगले २ सप्ताह की मार्केट टिप्स – सेनसेक्स एवं निफ़्टी के लिये

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