एक म्युचुअल फंड हाऊस है क्वांट म्युचुअल फंड, जिनके मालिक है संदीप टंडन, अब इन पर और इनके म्युचुअल फंड पर सेबी को शक हुआ है तो सेबी ने अपनी कार्यवाही शुरू की है।
यह म्युचुअल फंड हाउस भारत का सबसे तेज बढ़ने वाला म्युचुअल फंड हाउस है 2019 में ये 100 करोड़ पर थे, आज 90,000 करोड़ मैनेज करते हैं।
अभी इनके पास अपनी सभी स्कीम्स में बहुत बड़ी मात्रा में nse future और options में पोजीशन ओपन हैं, साथ ही ये 857bn रुपये के शेयर्स की होल्डिंग भी रखते हैं।
अगर कुछ गड़बड़ निकलती है तो यह उन निवेशकों के लिये सबक होगा जिन्होंने अच्छे रिटर्न्स के लिये quant mutual fund में निवेश किया है, खासकर कोविड के बाद। कोई भी निवेशक म्युचुअल फंड की वह स्कीम कैसे काम करती है, समझने की कोशिश नहीं करता।
अब कल देखते हैं कि बाजार इस खबर को कैसे लेता है।
जो फ्रंट रनिंग को नहीं समझते, उनके लिए – it is an illegal activity where fund managers or dealers who know about upcoming large trades, place their own orders first to make a profit.
In this example, because the fund managers know which stock the fund will buy, they can buy the stock in their personal accounts first. When Quant MF then buys the same stock for the fund, the stock price goes up, leading to higher prices for the mutual fund and bigger profits for the managers.
अलका याग्निक की खबर सुन हम चौंके, कि वे सोकर उठीं और उनकी सुनने की क्षमता खत्म हो गई। बहुत क्रूरता है यह शरीर के साथ, भले वह मांसपेशियों ने किया या नसों ने।
कुछ दिनों पहले हम भी सोकर उठे और ऐसा लगा कि हमारे सीधे कान से हमको बहुत कम सुनाई दे रहा है, हम बहुत घबराए, फिर अनुलोमविलोम किया कि कान खुल जाये, पर कुछ नहीं हुआ, जब सुबह 10 बजे ऑफिस की मीटिंग शुरू हुई, तब भी यही हाल था, तब मैंने टीम्स में announce कर दिया कि कहीं कोई मेरे लिये कोई मैसेज हो तो प्लीज मेसेज कर दें, आज कान हड़ताल पर हैं।
अगले दिन डॉक्टर को दिखाने गये, तो फॉर्मेलिटी करने के बाद बोले सब ठीक है, विटामिन C की गोली खाओ।
फिर एक कलीग से बात हुई तो वे बोलीं कि उनके हसबैंड को सेम 2 सेम समस्या हुई थी, पर उन्होंने इग्नोर कर दिया, जब 7 दिन के बाद गये तो पता चला कि उनके एक कान का 50% हियरिंग लॉस हो चुका है। कोई नर्व से यह समस्या होती है।
खैर अब मेरे कान ठीक ठाक हैं, घर पर जब कोई ऐसी बात जो सुनना नहीं होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देता, तो घरवालों को समझ आ जाता है कि ये आदमी सर्टिफाइड बहरा है। वैसे भी बहुत सी बातें मुझे सुनाई नहीं देतीं, पता नहीं यह आदत है या समस्या।
बेटेलाल का लर्निंग लाइसेंस के बाद टेस्ट और परमानेंट लाइसेंस इतनी आसानी से बन गया कि पता ही नहीं चला।
बेटेलाल जैसे ही अप्रैल में घर आये, हमने कहा कि लर्निंग लाइसेंस ले लो, और गाड़ी चलानी शुरू करो, बाईक और कार दोनों। पर वे केवल बाइक के लिये ही राजी थे, कहने लगे कि अभी कार की जरूरत नहीं है, पर बाईक की बहुत जरूरत पड़ती है। बिना गियर वाली बाइक तो हर कोई चला लेता है, पर गियर वाली बाइक की अपनी मुश्किलें होती हैं।
खैर बेटेलाल को बाईक पहले भी चलानी आती थी, पर प्रेक्टिस की जरूरत थी, तो करने लगेज रोज gym भी बाईक से जाने लगे, कल का टेस्ट बुक करवाया था, rto जाकर बस कागज वेलिडेशन करवाया और फोटो खींची गई, फिर सीधे टेस्ट हो गया। हमने पूछा भी कि पास या फेल, वे बोले कि sms आयेगा।
बेटेलाल तो जेब में पैसे रखकर ले गये थे और वहीं खड़े होकर कहने लगे कि इस आदमी ने अभी अभी 500 के 2 नोट कमाने का मौका गँवा दिया, उन्होंने कहीं तो ऑनलाइन पढा था कि रिश्वत देनी पड़ती है, तो हमने भी मना नहीं किया, कि तुम ये भी ट्राय कर लो।
पर गजब हुआ हम घर पहुँचे 2 बजे और 3 बजे sms आ गया कि pass हो गये, क्या ही झूम झूमकर खुश हुए, उनकी दादी जी कहने लगीं कि इतनी खुशी तो 12वीं पास होने की भी नहीं हुई थीं, बेटेलाल बोले ये मेरे कॉन्फिडेंस की exam था। और 10 मिनिट बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस ऑनलाइन वर्शन भी आ गया।
अब बेटेलाल को भी यकीन हो गया कि कुछ काम खुद से करवा लो तो ही ठीक रहता है, हमने भी यही सिखाया की न रिश्वत लो न दो।
कल काशी की एक ग्राउंड रिपोर्ट देख रहा था जिसमें अस्सी कॉलोनी को अवैध बताकर हटाने का नोटिस दिया गया है। रहवासी कह रहे हैं कि सरकार सारे 300 घर और उनमें रह रहे लोगों को वहीं दबा दे, और उनकी समाधि पर कॉरिडोर बनवा दे।
वहीं कुछ बनारसियों को सुनना आनंद देता है, एक बनारसी का कहना था कि बनारस मुक्ति उतपन्न करता है, यहाँ लोग मुक्ति के लिये मरने आते हैं, ये घूमने का नया शौक सरकार ने लगा दिया है, मुक्ति शांति के साथ होती है, ऐसे भीड़भाड़ रहेगी तो मुक्ति कैसे मिलेगी।
क्या मुक्ति को बाबा विश्वनाथ के नाम के विक्क़स के नाम पर आम जनता से छीन लियक जायेगा, काशी में हर घर में 1-2 विग्रह होते थे, ऐसा मैंने उज्जैन के पुराने घरों में भी देखा, कोरिडोर बनाने के नाम पर वे सब विग्रह धराशायी कर दिये गये।
नई चीज बनाने के लिये अपनी पुरानी संस्कृति को इस तरह नष्ट करके हम विश्व को क्या संदेश दे रहे हैं, माँ गङ्गा भी स्वच्छ होने की राह देख रही हैं, खुलेआम नालों का पानी अब भी माँ गङ्गा में बहाया जा रहा है। क्या मुक्ति को भी अब लक्जिरियस चीज बना दिया जायेगा।
जैसे कभी भगवान पर भरोसा कायम हुआ था, वैसे ही अब हिला हुआ है। भगवान पर भरोसा इसलिये हुआ था कि बचपन से मंदिर परिवार ले जाता था, धीरे धीरे लगने लगा कि ये कुछ अच्छी जगह है, मतलब कि मेंटल कंडीशनिंग की गई।
अब हमारे यहाँ भारत में कहीं घूमने चले जाओ, या तो खुदनसे ही या फिर कोई जानने वाला कह ही देगा कि उस फलाने मंदिर में मत्था टेक आना, बहुत प्राचीन व प्रसिद्ध है, पुण्य मिलेगा।
पर इस पुण्य का क्या कभी किसी को फायदा हुआ, क्या कभी किसी ने इसे अपने जीवन में बैरोमीटर से नापा? अब तो पिछले कुछ वर्षों से मंदिर जाओ तो वहाँ हो रहे लूटपाट को देखकर घिन आती है, कैसे भगवान के साथ रहकर लोगों को लूट लेते हैं, क्या उनके पुण्य क्षीण नहीं होते होंगे?
अब यह तो पक्का है कि भगवान है तो केवल पर्यटन के लिये, क्या कभी हम खुद उस मंदिर या उसके आसपास की सफाई करने लगते हैं? कि वहाँ गंदा है, नहीं न! जबकि घर का मंदिर कैसा साफ रखते हैं।
तो यह समझ लो कि ये सब पाखंड है, भगवान से प्यार भक्ति सब दिखावा है। कुछ पुण्य नहीं मिलता, हाँ कुछ गलत काम न करो, आपके दिल दिमाग को सुकून मिले वही पुण्य है। किसी काम को करने आए आप खुद खुश न हो, तो बस वही पाप है।
अपने भारत में हवाईअड्डों पर सुरक्षा जबरदस्त रहती है और रहनी भी चाहिये। अब टर्मिनल 1 2 पर जाने के पहले बकायदा बड़े बड़े स्पीडब्रेकर बनाकर चेकपोस्ट पर ऑटोमेटिक गन्स के साथ सिक्योरिटी रहती है, अगर कोई भी उनको संदिग्ध दिखता है, तो गाड़ी से सवारियाँ उतारकर पूरी गाड़ी की तलाशी ली जाती है, पिछली बार जाते समय 1 परिवार को खड़ा कर रखा था, वे टैक्सी में थे, परिवार परेशान सा लग रहा था।
हम जब जापान जा रहे थे, तो अपने लेपटॉप बैग में इलोक्ट्रानिक आइटम का एक का पाउच अलग से रखते हैं। जब सिक्योरिटी से निकले तो हमारा लेपटॉप बैग को कन्वेयर बेल्ट के दूसरे ट्रेक पर डाल दिया, तो हमें लगा कि अपनी स्टील की बोतल में पानी है, इसलिये खाली करवायेंगे।
जब सिक्योरिटी के पास गए, तो पानी की बोतल का तो पूछा नहीं, केवल इलेक्ट्रॉनिक आइटम वाले पाउच को खाली करके दिखाने को कहा, हमने 8 AA बैटरी रखी हुई थीं, जिसमें 4 खुली हुई थीं और 4 पैक थीं, पूछने लगे कि ये 8 बैटरी क्यों, allow नहीं हैं, हमने कहा कि bp मशीन में 4 बैटरी एक बार में लगती हैं, तो कहने लगे bp मशीन दिखाओ, हमने कहा वो तो चैकइन में है, तो कहने लगे कि bp मशीन भी इसी के साथ लाना चाहिये। फिर 6 बैटरी हाथ में लेकर कहा कि बस 2 बैटरी ही ले जा सकते हैं, हमने कहा बची हुई 2 बैटरी उनके हाथ में रखते हुए कि आप ये भी रख लो, 2 बैटरी मेरे किस काम की, एक बार में 4 लगती हैं, कई बार बैटरी जल्द खत्म हो जाती है तो स्पेयर बैटरी रखकर ले जा रहे हैं, कि नये देश में कहाँ ढूँढते फिरेंगे।
तो उन्होंने कहा ये लो जी आप आठों बैटरी ले जाओ, फिर वे यूनिवर्सल ट्रेवल अडॉप्टर को घुमा घुमाकर देखने लगे, मुझे एक बार लगा कि मैं तो शक्ल से ही पढा लिखा दंगेबाज दिख रहा हूँ इन सिक्योरिटी वालों को, जबकि अच्छी ड्रेसिंग करके ट्रेवल कर रहा था। खैर हमने सारा सामान फिर से पैक किया और चल दिये।
जब जापान से वापिस आ रहे थे, तो वहाँ स्कैनिंग की कुछ अलग ही मशीन थीं, अपने यहाँ जैसे हाथ से स्कैनर से प्लेटफार्म पर खड़े होकर, हाथ साइड में करके स्कैन करते हैं, वहाँ ऐसा नहीं था , वहाँ ऑटोमैटिक स्कैनर लगा हुआ था, जिसमें जैसे हाथ पैर को करने के पॉइंट बने थे, बस वैसे करना था, प्रक्रिया वही थी, बस हैंड हैल्ड स्कैनर की जगह सब कुछ ऑटोमैटिक था।
जब कन्वेयर बेल्ट पर अपना समान रखा तो वहाँ फिर से अपना लेपटॉप बैग कन्वेयर बेल्ट से अलग करके लिया, हमें लगा फिर बैटरी का ही पंगा होगा, इस बार तो साथ में 6 AAA बैटरी भी थीं। पर उन्होंने पानी की बोतल निकाली और कहा पानी नहीं ले जा सकते, औऱ एक केन में कुप्पी लगी हुई थी, उसमें पूरा पानी खाली कर दिया, पलास्टिक की पानी बोतल पहले ही डस्टबीन में फिकवा दी थी। बस फिर हमें जाने दिया।
हमने सोचा बताओ दोनों जगह सुरक्षा की चिंता ही अलग अलग थीं, भारत में बैटरी असुरक्षित लगी, जबकि पानी से उन्हें कोई समस्या नहीं थी, पर जापान में पानी असुरक्षित लगा और बैटरी से उन्हें कोई समस्या नहीं थी।
18 मार्च की रात 9 बजे घर से बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 के लिये निकले और ट्रैफिक होने के बावजूद 10.20 पर पहुँच गये। हवाई अड्डे पर सुरक्षा अधिकारियों ने पासपोर्ट और टिकट देखा, फिर बोले कि फ्लाईट 2.40 की है, हमने कहा हाँ जी, पहले सोचा कि अभी बोलेंगे कि 20 मिनिट बाद आना, पर 4 घन्टे के पहले भी जाने दिया।
फिर अंदर पहुँचकर हवाईअड्डा निहारने लगे। जबरदस्त कलाकारी की गई है। सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें यहीं से जाती हैं, और कुछ अंतर्देशीय उड़ानें भी यहाँ आती जाती हैं। बड़े दिनों बाद उड़ रहे थे, घर से अब 35 दिन बाहर भी रहना मन को थोड़ा अजीब कर रहा था।
फिर सहायता कर्मियों से पूछा कि जापान एयरलाइन्स का कौन सा काउंटर है, तो हमें बताया गया कि F काउंटर है, जहाँ के सारे बोर्डिंग पास काउंटर बंद थे, हम भी वहीं सामने पड़ी कुर्सी पर धरना देकर बैठ गये।
सोने की कोशिश करी, पर नींद उस समय आ ही नहीं रही थी। जब हम पहुँचे थे तब तीसरे यात्री थे, पर धीरे धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी, हमने aisle सीट ली थी, कि हमें किसी को परेशान न करना पड़े। विस्तारा के साथ जापान एयरलाइन्स वालों का गठबंधन है, तो जब काउंटर वाले आ गये, उसके बाद उन्होंने जापानी भाषा में कुछ कहा और सबने 90 डिग्री झुककर सभी यात्रियों का अभिवादन किया।
फिर चेकइन बैगेज लिया,हम 2 बैगेज 23 kg के ले जा सकते थे, पर एक बैग ही भरने में पसीने आ गए, खैर वजन हुआ 23.1 kg, हम घर से ही तोलकर ले गये थे। बोर्डिंग पास दिया, खाने में हमने इंडियन वेज मील लिया था, उसका एक पर्चा दिया कि, क्या क्या मिलेगा। कलर प्रिंट दिया, सोचा ये देखो बर्बादी।
हम चल दिये अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान के लिये, वहाँ पहले बोर्डिंग पास स्कैन करवाया, और उसके बाद इमिग्रेशन, आश्चर्य हुआ कि अब इमिग्रेशन फॉर्म नहीं भरना पड़ता, इमिग्रेशन पर हमारा पासपोर्ट और बोर्डिंग पास लाया, हमसे पूछा कि कितने दिन के लिये और क्यों जा रहे हो, क्या काम करते हो, बस हो गया, पासपोर्ट पर सील लगाकर हमें छोड़ दिया।
अब सिक्योरिटी करनी थी, यह भी आसान थी, हमारे पास AA 8 बैटरी थीं, वे बोले इतनी बैटरी नहीं ले जा सकते, हमने कहा bp मशीन की है, तो बोले bp मशीब दिखाओ, हमने कहा वो तो चेकइन कर दी, तो बोले साथ में रखना चाहिये, वे बोले कि बस 2 बैटरी ले जा सकते हैं, हमने कहा एक बार में 4 लगती हैं, और बैटरी जल्दी खत्म हो जाती हैं, अगर allow नहीं है तो 2 भी क्या ही ले जाना है, सारी रख लो, फिर उसके मन में जाने क्या आया कि बोला, जाइये आप सारी ले जाइये।
फिर पहुँचे ड्यूटी फ्री, दारू की बोतलों को निहारा, रिटर्न के लिये बुक करने लगे तो बोले कि केवल 30 दिन आगे तो की ही बुक कर सकते हैं, आप ऑनलाइन बुक कर लेना। क्योंकि पहले बुक करने पर 10% का डिस्काउंट मिलता है।
टर्मिनल 2 बढ़िया बनाया हुआ है, कुछ फोटो भी लिये, फिर अपने C2 गेट पर आकर लंबी चेयर पर पैर पसारकर 2 घन्टे फ्लाइट उड़ने तक आराम किया। बैंगलोर से टोक्यो के लिये सुबह 3 बजे फ्लाइट उड़ी।
महाशिवपुराण में एक कथा है कि महर्षि अत्रि को प्यास लगती है तो वे अपनी पत्नी अनुसूया को अपना कमंडल देते है बोले कि मुझे प्यास लगी है, अनुसूया कमंडल लेकर जल लेने चल पड़ीं, अत्यंत गर्मी थी, तो आश्रम से निकलने के पहले ही अनुसूया को एक सुंदर स्त्री आती दिखाई दीं।
यह सुंदर स्त्री गङ्गा थीं जो अनुसूया के पतिव्रत धर्म व शिवजी की आराधना से प्रभावित थीं, तो उन्होंने सोचा कि ये अनुसूया कहाँ जा रही है, इसे क्या समस्या है। गङ्गा ने अनुसूया से पूछा कि आओ कहाँ जा रही हैं, अनुसूया ने परिचय पूछा और बताया कि कमंडल में पानी लेने जा रही हूँ।
Time Trading
तब गङ्गा ने बताया कि यहाँ तो कहीं दूर दूर तक पानी नहीं है, मैं एक गड्ढा खोदकर उसमें से तुम्हारे लिये पानी भर देती हूँ, तुम जल लेकर महर्षि अत्रि को पिला दो, तब अनुसूया ने कहा कि आप यहीं रुकें, अनुसूया कमंडल भरकर महर्षि अत्रि के पास गईं कर उन्हें जल पिलाया, तब अत्रि बोले कि बाहर तो गर्मी हो रखी है, कहीं दूर दूर तक जल का निशान नहीं है क्योंकि अभी तक बारिश नहीं हुई, तुम्हें इतना शीतल जल कहाँ से मिला।
तब अनुसूया ने पूरा वृतांत बताया, तब महर्षि अत्रि व अनुसूया बाहर आये व गङ्गा जी की स्तुति की, तब अनुसूया ने गङ्गा से निवेदन किया कि आप इसी गड्ढे में हमेशा हमारे पास रहें, जिससे हमेशा हमारे पास जल रहे, तब गङ्गा जी ने कहा – मैं रह सकती हूँ पर एक शर्त है कि अगर तुम मुझे अपने 1 वर्ष का पतिव्रत धर्म व शिवजी की तपस्या का पुण्य मुझे प्रदान कर दो। अनुसूया मान गईं और गङ्गा जी उस गड्ढे में प्रविष्ट कर गईं।
अनुसूया से 1 वर्ष के तप का पुण्य लेना Time Trading है, और गड्ढे में गङ्गा जी का प्रविष्ट होना Irrigation marvel है। हॉलीवुड वाले हमारे पुराणों से प्लॉट उठाकर फिल्मों की आधुनिक रूप देकर सुपर हिट बनाते हैं। और हमारे यहाँ लोग इन विषयों पर कुछ सोचते ही नहीं।
जब पांडवों ने माता कुंती की साथ पांचाल याने कि द्रुपद राज्य की ओर कूच किया, तो गन्धर्व वाली कथा तो सबको पता ही है, जब अर्जुन ने गंधर्व को हरा दिया तब गंधर्व ने अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहा जिससे अर्जुन ने पूछा कि हे गंधर्व आपने मुझे इन संबोधन से क्यों पुकारा।
तब अर्जुन को गंधर्व ने बताया कि सूर्यदेवता की एक पुत्री थीं और सावित्रीदेवी की छोटी बहन थीं। जिसका नाम तपती था और वह स्त्रियों में अनुपम सुंदरी थी, तब सूर्यदेव को उनके विवाह चिंता हुई, पर भगवान सूर्य ने तीनों लोकों में किसी भी पुरुष को ऐसा नहीं पाया, जो रूप शील गुण और शास्त्रज्ञान की दृष्टि से उसका पति होने योग्य हो।
उन्हीं दिनों महाराज ऋक्ष के पुत्र राजा संवरण कुरुकुल के श्रेष्ठ व बलवान पुरुष थे, और उन्होंने सूर्यदेव की आराधना आरंभ की, अतः राजा संवरण को ही तपती के योग्य पति माना।
अब आगे कहानी बढ़ती है कि राजा संवरण जंगल में शिकार करने जाते हैं व पर्वत पर चले जाते हैं तो राजा का घोड़ा भूख प्यास से पीड़ित होकर मर जाता है और राजा पैदल ही पर्वत शिखर पर घूमने लगते हैं, वहीं उन्होंने एक सुंदर स्त्री को विचरण करते देखा, राजा उस पर मोहित हो गये, राजा ने उससे सुंदर स्त्री अपने नयनों से अभी तक देखी नहीं थी, और कामबाण से पीड़ित हो गये। तब राजा ने लज्जारहित होकर उस लज्जाशील और मनोहारिणी कन्या से पूछा कि तुम कौन हो, राजा ने कन्या की बहुत तारीफ की, पर कन्या ने कोई जबाब नहीं दिया और वह अन्तर्धान हो गई। राजा उन्मत्त होकर इधर उधर भ्रमण करने लगे और विलाप करते हुए मूर्क्षित होकर निश्चेष्ट पड़े रहे।
तब वह तपती ने फिर से राजा संवरण के सामने मुस्कराते हुए अपने आपको प्रकट किया। तब तपती ने कहा आप सम्राट हैं आपको मोह के वशीभूत नहीं होना चाहिये, राजा ने आँखें खोलीं, पर राजा के अन्तःकरण में तो कामजनित अग्नि जल रही थी। और राजा ने कहा कि मैं काम से पीड़ित तुम्हारा सेवक हूँ, तुम मुझे स्वीकार करो अन्यथा मेरे प्राण मुझे छोड़कर चले जायेंगे, हे सुंदरी तुम्हारे लिये कामदेव मुझे अपने तीखे बाणों द्वारा बार बार घायल कर रहे हैं। मुझे कामरूपी महासर्प ने डस लिया है। अब मुझे किसी और स्त्री को देखने में रूचि भी न रही। तुम आत्मदान देकर मेरे उस काम को शांत करो। मुझसे गंधर्व विवाह करो।
तब कन्या कहती है कि मेरे पिता विद्यमान हैं, आपको उनसे मुझे मांगना पड़ेगा। हे राजन जैसे आपके प्राण मेरे अधीन हैं, उसी प्रकार आपने भी दर्शनमात्र से ही मेरे प्राणों को हर लिया है। मैं अपने शरीर की स्वामिनी नहीं हूँ, इसलिये आपके समीप नहीं आ सकती, क्योंकि स्त्रियाँ कभी स्वतंत्र नहीं होतीं। आपको पति बनाने की इच्छा कौन कन्या नहीं करेगी।
आप यथासमय नमस्कार, तपस्या, और नियम से सूर्यदेव को प्रसन्न कर मुझे माँग लीजिये। मैं उन्हीं अखिलभुवनभास्कर भगवान सविता की पुत्री और सावित्री की छोटी बहन तपती हूँ। यह कहकर कन्या चली गई। राजा फिर मूर्छित होकर गिर पड़े। फिर उनके मंत्री सेना के साथ ढूँढते हुए पहुँचे व राजा को को देखकर राजमंत्री व्याकुल हो गये, राजा को देखकर अनुमान लगाया कि वे भूख प्यास से पीड़ित और थके मांदे हैं, मुकुट छिन्न भिन्न नहीं है अतः राजा युद्ध में घायल नहीं हुए हैं। मंत्री ने राजा के मस्तक को कमल के सुगंध से युक्त ठंडे जल से सींचा। राजा को होश आया और मंत्री को रोककर सेना को वापिस लौटा दिया।
राजा संवरण व तपती, कुरु (image generated by AI)
उसके बाद राजा संवरण ने उसी पर्वत पर सूर्य की आराधना की व अपने पुरोहित मुनि वसिष्ठ का मन ही मन स्मरण किया। 12 दिन बाद वसिष्ठ आये, और राजा ने तपती को पाने के लिये सूर्यदेव से मिलने के लिये निवेदन किया, वसिष्ठ गये और सूर्यदेव से तपती को राजा संवरण के लिये ले आये। और राजा ने तपती का पाणिग्रहण किया और वशिष्ठ जी से आज्ञा लेकर उसी पर्वत पर विहार करने लगे। राजा संवरण ने 12 वर्षों तक उसी पर्वत पर विहार किया और कुरू को उत्पन्न किया था। अतः उसी वंश में जन्म लेने के कारण आप लोग तापत्य हुए।
उन्हीं कुरु से उत्पन्न होने के कारण सब लोग कौरव तथा कुरुवंशी कहलाते हैं। इसी प्रकार पुरु से उत्पन्न पौरव और अजमीढ़कुल वाले आजमीढ़ तथा भारतकुल वाले भारत कहलाते हैं।
अब मुझे ऐसा लगता है कि अपने वंश के लोगों के ऐसे कारनामे सुनकर आदमी खुश होगा या दुखी होगा, कि कैसे कामी आदमी लोग हमारे पितामह थे।