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चाँद पूर्ण रूप में

चाँद जब रोटी सा गोल होता है,

पूर्ण श्वेत, अपने पूर्ण रूप में,

उसकी आभा और निखर आती है,

मिलते तो रोज हैं छत पर,

पर देखना तुम्हें केवल इसी दिन होता है,

काश की चाँद हर हफ़्ते पूर्ण हो,

महीने में एक बार तुम्हें देखना,

फ़िर दो पखवाड़े उसी सुरमई तस्वीर को,

सीने से चिपकाकर सोता हूँ,

तुम्हारी यादों में रहता हूँ,

तुम्हारे सपने बुनता हूँ,

तुमसे मिलने के लिये बेताब रहता हूँ,

कभी ऐसा लगता है चाँद,

तुम जल्दी आ जाते हो,

पर एक बात कहूँ,

अब मैं बहुत बैचेनी से इंतजार करता हूँ,

तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा जो बन चुके हो..

रिश्तों की गर्माहट

    जब से मानव सभ्यता इस दुनिया में आई है शायद तभी से रिश्ते भी अस्तित्व में हैं, रिश्ते मतलब कि एक दूसरे से किसी भी प्रकार से जुड़ना, रिश्ता कैसा भी हो, रिश्ते में गर्माहट बहुत जरूरी है। रिश्ते भी कई प्रकार के हैं, खून के रिश्ते याने कि रिश्तेदार, दोस्त जो साथ पढ़ते हैं या काम करते हैं, मानसिक दोस्त जो फ़ेसबुक या ब्लॉग के कारण दोस्त बने।

    जब से घर के बाहर हूँ तो रिश्तेदारी और दोस्ती में जाना वाकई बहुत कम होता है, पर जब भी जाता हूँ तो मिलने में कसर भी नहीं छोड़ते, यथासंभव सभी से मिलकर आते हैं, कभी भी ऐसा नहीं लगता कि हम वर्षों के बाद मिल रहे हैं, बातें में भी कभी इन चीजों का जिक्र नहीं होता।

     हाँ पर जैसे जैसे उम्र के साथ परिपक्व हो रहे हैं, वह परिपक्वता वहाँ नहीं दिखती, क्योंकि हमारी उम्र तो वहाँ ठहरी हुई है, इतनी आत्मीयता से मिलना और बातचीत होना, आज की भागती दौड़ती दुनिया में दिल को बहुत सुकून देता है।

    मानसिक दोस्तों से कभी भी चैटिंग करें या फ़ोन पर बात करें, उनसे बात करके कभी ऐसा लगता ही नहीं है कि हम इनसे कभी मिले नहीं हैं, हमें ऐसा लगता है कि संबंध कुछ ज्यादा ही प्रगाढ़ है, हम उनसे इतने सहजता से बतियाते हैं जैसे हम पता नहीं कितने दिन साथ गुजारे हों।

    इस बार जो कुछ साक्षात अनुभव हुआ वह यह था कि मैं अपनी बहन से लगभग ८ वर्ष बाद मिल पाया और पहले हमारी बातें किसी और विषय पर केंद्रित होती थी, और अब बातों का विषय स्वाभाविक रूप से बदल गया था, हम दोनों को ही आश्चर्य हो रहा था, कि वक्त के साथ साथ हमारी सोच भी बदलती जाती है, परंतु रिश्तों की गर्माहट बरकरार है, इतन वर्षों बाद मिलकर हम अंतरतम तक भीग लिये।

बचपन की परिपक्वता..

    परिवार गर्मी की छुट्टियों में घर गया हुआ है, यही दिन होते हैं जब हम अकेले होते हैं और बेटेलाल अपने दादा दादी और नाना नानी का भरपूर स्नेह पाते हैं। बेटेलाल सुबह से रात तक अपने हमउम्र दोस्तों के साथ खेलने में व्यस्त होते हैं, वहाँ उनकी भरपूर मंडली है, और यहाँ बैंगलोर में गिनेचुने एक या दो और वे भी किसी ना किसी गतिविधि मॆं व्यस्त होते हैं । अभी बेटेलाल का क्रिकेट प्रेम सर चढ़कर बोल रहा है, शाम पाँच बजे से जो गली क्रिकेट शुरू होता है तो अँधेरा होने तक चलता रहता है। बचपन में तो हम इतना खेलने के बाद खाना खाने के बाद स्ट्रीट लाईट की रोशनी में खेलते थे। पर भला हो नगर निगम का कि उसने हमारे घर के आसपास बड़ी स्ट्रीट लाईट नहीं लगाई है।

Harsh Rastogi

क्षिप्रा नदी में शाम के समय नाव के मजे लेते हुए बेटेलाल

    यही दिन होते हैं बच्चों के मजे के जब गर्मी की छुट्टियों में मौज होती है और दोस्तों में कोई भेदभाव नहीं होता कि तू किसका बेटा है, क्या करता है और भी पता नहीं क्या क्या… आजकल बड़े शहरों में हमने देखा है कि  दोस्त भी हैसियत देखकर बनाते हैं, बड़ा अजीब लगता है यह सामाजिक बदलाव, जो कि कहीं ना कहीं बच्चों के लिये खालीपन भरता है।

    बेटेलाल के साथ क्रिकेट खेलने वालों में उनका एक साथी जो कि उनके साथ रोज ही खेलता था, एक शाम एक दुर्घटना में नहीं रहा, मेरे बेटे ने मुझे फ़ोन पर बताया – “डैडी, वह हमारे साथ खेलता था, और रात नौ बजे वो जो बिल्डिंग बन रही है उसकी तीसरी मंजिल से उसका पैर फ़िसल गया और नीचे गिर गया, मेरे दोस्त ने बताया कि जब वह गिरा तो उसके सिर के पास बहुत सारा खून बह रहा था और उसके पापा मम्मी एकदम अस्पताल ले गये, पर डैडी वह नहीं बचा, उसकी डैथ हो गई” और फ़िर वह चुप हो गया ।

    फ़िर थोड़े अंतराल के बाद बोला “डैडी, अब मैं आपकी बातें माना करूँगा, मैं ध्यान से सड़क पार करूँगा, ध्यान से खेलूँगा, आप बिल्कुल चिंता मत करना” उस रात बेटेलाल मम्मी का हाथ पकड़कर सोये और थोड़ी थोड़ी देर में सहम रहे थे, बेटेलाल के मन पर दोस्त की मौत का बहुत असर हुआ था।

    इतनी छोटी उम्र में दोस्त की मौत ने हमारे बेटे को पता नहीं कहाँ से इतनी परिपक्वता दे दी, बेटा एकदम से बड़ा हो गया। बेटे को किसी को खोने का मतलब समझ में आ रहा है, जो कल तक उससे हाथ मिलाकर खेलता था, आज वह उसे कहीं दिखाई नहीं दे रहा और वह अब कभी नहीं आयेगा।

वर्षा ऋतु – बच्चों के लिये निबंध

    भारत में वर्षा ऋतु एक महत्वपूर्ण ऋतु है। यह ऋतु आषाढ़, श्रावण और भादो मास में मुख्य रूप में विराजमान रहती है। वर्षा ऋतु हमें भीषण गर्मी से राहत दिलाती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिये बहुत हितकारी है।    फ़सलों के लिये पानी मिलता है तथा सूख गये कुएँ तालाब नदियाँ आदि फ़िर से भर जाते हैं। इस मौसम में ग्रामवासियों को सुख भी प्राप्त होता है और दुख भी। गाँवों में बरसात का पानी भर जाता है। अधिक वर्षा से फ़सलें खराब हो जाती हैं। बाढ़ आने से शहर और गाँव दोनों में ही बहुत हानि होती है। मच्छर-मक्खियों का प्रकोप बढ़ जाता है।वर्षा ऋतु
इस मौसम में छोटे-छोटे जीव-जंतु जो गर्मी के मारे जमीन के नीचे छिप जाते हैं, बाहर निकल जाते हैं। मेंढ़क की टर्र-टर्र की आवाज सुनाई पड़ने लगती है। आकाश में प्राय: बादल छाये रहते हैं।

वित्तगुरु वित्तीय जानकारियाँ हिन्दी भाषा में

वर्षा ऋतु का आनंद लेने के लिये लोग पिकनिक मनाते हैं। गाँवों में सावन के झूलों पर युवतियाँ झूलती हैं। वर्षा ऋतु में ही रक्षा बंधन, तीज आदि त्योहार आते हैं। इस ऋतु में अनेक बीमारियाँ भी फ़ैल जाती हैं।

आधुनिक श्रम में पिछड़ते कर्मचारी

    प्रदेश की मुख्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) में KYC के कारण जाना हुआ, अब हमारे पिताजी चूँकि बात कर रहे थे, इसलिये हमने आगे रहकर बात करना उचित नहीं समझा। KYC के लिये जब पिताजी बात करके कर्मचारीआये तो उसने साफ़ मना कर दिया और कहा कि अगले महीने आईये, उन्होंने जोर दिया तो उसने मैनेजर के केबिन की ओर इशारा कर दिया । हम चल दिये पिताजी के साथ, उनका भी वही जबाब था, कि अगले महीने आईये अभी KYC नहीं हो पायेगा । अब हम आगे आये और हमने कहा KYC अभी लेने में क्या समस्या है, तो उनका पारा चढ़ गया, फ़िर हम चुप हो गये, क्योंकि पिताजी इस बैंक के बहुत पुराने ग्राहक हैं। फ़िर से हमने कहा अच्छा अभी आप KYC नहीं ले रहे हैं तो कम से कम KYC का फ़ॉर्म तो दे दीजिये, तब जाकर उन्होंने चपरासी को घंटी बजाकर बुलाया और अहसान कर देने वाले अंदाज में कहा कि इन्हें KYC का फ़ॉर्म दे दीजिये । हमारी इच्छा तो हो रही थी कि इन मैनेजर साहब को अच्छे से बैंकिंग के नियम और कानून सिखा दिये जायें, परंतु फ़िर भी चुप रहे.. सोचा हम तो इनको नियम सिखा जायेंगे, फ़िर ये पीछे पिता जी को पता नहीं कौन कौन से नियम बताकर तंग करेंगे।

    वहीं पीछे सारा लिपिक स्टॉफ़ कंप्यूटर से मगजमारी कर रहा था और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, हरेक लिपिक और अधिकारी के साथ एक जवान लड़का बैठा था जो कि उनके बैकअप जैसा काम कर रहा था, क्षमता प्रदर्शनअधिकारी और क्लर्क तो केवल कुर्सी पर बैठे थे और वे स्टूल पर बैठे लड़के उनका काम कर रहे थे और उनको समझाते जा रहे थे कि हो क्या रहा है। आज की इस तरह की स्थिती देखकर उन पढ़े लिखे बेरोजगार नौजवानों की याद आई जो इधर उधर मारे मारे फ़िर रहे हैं, उनमें ये सारे स्किल डेवलप किये जा सकते हैं, परंतु उनको कोई मौका नहीं मिल रहा है क्योंकि इन अधिकारियों और लिपिकों को भी तो नहीं हटाया जा सकता है, संस्थाओं को भी थोड़ा स्ट्रिक्ट बनना होगा, जिससे ऐसे कर्मचारियों के स्किल डेवलप किये जा सकें और उन्हें अच्छी तरह से उपयोग में लिया जा सके । नहीं तो इस तरह के मानवीय श्रम की आवश्यकता वाकई में अब नहीं है, कहने में अच्छा नहीं लगता परंतु बेहतर है कि अगर ये लोग जिस तरह का कार्य करने के लिये रखे गये हैं और नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे लोगों के प्रति संस्था को अच्छे स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम समय समय पर चलाने चाहिये।

    निकालना कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि जो आधारभूत स्किल्स उनके विकासपास हैं वह हम नई पीढ़ी में नहीं मिल सकते, उनसे केवल तकनीकी दक्षता की उम्मीद की जा सकती है, पर जो आधारभूत स्किल्स हैं, वे अनुभव और कठोर परिश्रम से ही प्राप्त किये जा सकते हैं । संस्थाओं को अपने कर्मचारियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम और भी परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

    अब डाकघर की १,५५,००० शाखाएँ कोर बैंकिंग से जुड़ने वाली हैं, यह परियोजना शुरू हो चुकी है, और यह विभिन्न क्षैत्रों में शुरू भी हो चुकी है। अब देखना यह है कि डाकघर स्किल डेवलपमेंट की समस्या से कैसे निपटेगा ।

बैंकों को चूना कौन लगा रहा है.. बड़े बकायेदार या होम लोन और शिक्षा लोन वाले..

    आज एक समाचार देखा निजी बैंक को एक कंपनी ने फ़र्जीवाड़े प्रोजेक्ट में ३३० करोड़ का चूना लगाया, उस कंपनी ने बैंक को एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट दी कि हम बीबीसी के सारे वीडियो २ डी से ३ डी करने वाले हैं तो उसके लिये हमें उपकरण खरीदने हैं । कंपनी वाले बंदे ने एक बीबीसी वाले बंदे से बैंक को मिलवा भी दिया और बैंक इस प्रोजेक्ट के लिये फ़ायनेंस करने को तैयार हो गया। अब बैंक ने पुलिस को रिपोर्ट किया कि फ़लानी कंपनी ने उन्हें ३३० करोड़ का चूना लगा दिया। अब अपने गले तो यह बात उतरी नहीं क्योंकि बैंक जब भी फ़ाईनेंस देता है तो सारी जानकारी कंपनी से संबंधित ले लेता है, और भले ही आदमी कितने फ़र्जी दस्तावेज बना ले पर कहीं न कहीं पकड़ा ही जाता है।

    अगर सरकारी बैंक होता तो शायद यह कह सकते थे कि हाँ  भई इसके समझ में नहीं आया होगा परंतु बैंक के दिये गये टार्गेट पूरे करने के चक्कर में या कहें किसी अधिकारी ने अपनी सक्षमता दिखाने के उद्देश्य से यह सब कर दिया। अब बाद में पुलिस ने जब जाँच की तो पाया कि अरे यह तो एक नजर में देखने पर ही फ़र्जी कार्यक्रम लग रहा है । अब यह समझ में नहीं आता कि यह फ़र्जी बातें बैंक को क्यों समझ में नहीं आयीं। उस समय तो शायद अधिकारी या तो ऊपर से फ़ाइनेंस करने के दबाब में आ गये या फ़िर अपना फ़ायदा भी देख लिया।

    ऐसे ही बड़े बड़े लूट वाले फ़ाइनेंस बहुत हो रहे हैं, अगर आम आदमी फ़ाइनेंस लेने जायेगा तो उसे फ़ाइनेंस लेने में अपने पुरखे याद आ जायेंगे, परंतु ये कंपनी वाले लोग बड़ी आसानी से इनके साथ “सैटिंग” करके सब ले जाते हैं।

    सरकार कहती है कि जिन लोगों ने ऋण नहीं चुकाया है उन पर कार्यवाही होगी, उनके नाम उजागर होंगे, चौराहों पर बोर्ड पर नाम लगवा दिये जायेंगे, मुनादी करवायी जायेगी। ये होते हैं छोटे लोन वाले लगभग १ से १० लाख जिनके ऊपर बकाया है, परंतु जो बड़े बकायेदार हैं उनके ऊपर इस तरह की कार्यवाही करने से हर कोई डरता है, उनको भी तो ऐसे ही बदनाम करना चाहिये, जिससे आम जनता को पता चले कि कितना पैसा कितने बड़े बड़े लोग खाकर बैठे हैं।

    बैंकिग में ऋण बकायेदारी रकम में अगर देखें तो लगभग ९०% ऋण इस तरह के  बड़े बड़े फ़ाइनेंस की हैं और बाकी आम आदमी जो शिक्षा ऋण, गृह ऋण, कार ऋण, निजी ॠण इत्यादि जो बैंक बड़ी मुश्किल से देते हैं, उनका १०% होता है, परंतु बैंक इस १०% के चक्कर में पड़ा रहता है, अगर उतनी ही मेहनत ये ९०% ऋण वालों के साथ की जाये तो वहाँ से बैंक को ज्यादा वसूली हो सकती है।

एक साथ पूरी रकम किधर और कैसे निवेश करूँ ? (How to Invest and where to invest lump sum money)

    अधिकतर निवेशक इस द्वन्द से गुजरते हैं कि एक-मुश्त रकम (Lump sum amount) को कहाँ और कैसे निवेश (How to Invest) करें। जिन निवेशकों ने निवेश के लिये योजना (Planning for Investment) बना रखी है और योजनाबद्ध तरीके से निवेश (Planned Investment) कर रहे हैं उनके लिये कोई परेशानी नहीं है, परंतु परेशानी उन निवेशकों (Hassle for Investors) के लिये है जिनके पास योजनाबद्ध निवेश  की कोई योजना नहीं है। ऐसे निवेशक बाजार की चाल में आकर (Markets up and down), बाजार की परिस्थितियों (Sentiments of Markets) में घिर जाते हैं और अच्छी योजना में निवेश (Investment in Good Plan) नहीं कर पाते हैं एवं आश्चर्य नहीं है कि असावधानीवश किसी गलत निवेश योजना (Wrong Investment Plan) में निवेश कर बैठते हैं, या फ़िर निर्णय ही नहीं ले पाते हैं।
    वहीं अस्थिर एवं घबराये हुए बाजार में निवेशक सुरक्षा के लिहाज से पारम्परिक निवेश उत्पादों में ही निवेश करते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ चढ़े हुए बाजार निवेशक को अपने निवेश में आक्रामक होने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। और ये दोनों ही तरीके निवेशक के लिये लंबे समय में हानिकारक हो सकते हैं। अत्यधिक रूढिवादी तरीके भी निवेशक को  मुद्रास्फ़ीति की मार से नहीं बचा पाते, वहीं आक्रामक निवेश योजना से निवेशक के मूलधन में ही हानि होने की संभावना ज्यादा होती है।
    इसलिये नये निवेशकों को पहले अपने निवेश के लक्ष्य बनाना चाहिये और कितने लंबे समय के लिये निवेश करना है, यह निर्णय लेना चाहिये  और फ़िर  अपनी निवेश योजना बनानी चाहिये। निवेशक को अपने निवेश के प्रारंभिक दौर में पहले उन डाईवर्सीफ़ाईड फ़ंडों पर ध्यान देना चाहिये जो कि लंबे समय से बाजार में अच्छे लाभ दे रहे हैं और बाजार में जम चुके हैं।
    अब बात करें एक मुश्त रकम को कैसे निवेश करें और निवेश की योजना कैसे बनायें तो अगर आप एक साथ एक-मुश्त रकम को निवेश करना चाहते हैं तो सबसे बढ़िया होगा कि आधी रकम एक साथ किसी अच्छे म्यूचयल फ़ंड (Mutual Fund) MF में लगायें और बाकी की आधी रकम सिस्टमेटिक ट्रांसफ़र प्लॉन (Systematic Transfer Plan) [STP] के जरिये निवेश करें।  सिस्टमेटिक ट्रांसफ़र प्लॉन STP में किसी भी अल्पकालिक डेब्ट म्यूचयल फ़ंड में निवेश किया जा सकता है और फ़िर पूर्वनिर्धारित अंतराल याने कि मासिक या त्रैमासिक से पूर्वनिश्चित फ़ंड में ट्रांसफ़र कर सकते हैं। तो इससे निवेशक को फ़ायदा होता है कि बाजार के अलग अलग स्तर पर वह अपनी रकम निवेश कर सकता है। एक साथ बाजार के एक ही स्तर पर उसका निवेश नहीं होता है।
    फ़िर भी अगर आप सोचते हैं कि आप समझदारी से नियमित रूप से नियमित अंतराल पर इक्विटी फ़ंड में निवेश कर सकते हैं तो बाजार के किसी भी स्तर पर बड़ी रकम को भी नियमित अंतराल पर निवेश किया जा सकता है, फ़िर बाजार के स्तरों की फ़िक्र करने की जरूरत नहीं है। वैसे ही अगर आपका इरादा डेब्ट य डेब्ट आधारित फ़ंडों में निवेश करने का है तो आप किसी भी समय बड़ी रकम भी इन फ़ंडों में निवेश कर सकते हैं। नि:सन्देह सफ़लता की कुँजी है सही फ़ंडों का चुनाव जैसे कि अल्ट्रा शॉर्ट, शॉर्ट टर्म या इन्कम फ़ंड, यह आपके निवेश की अवधि पर निर्भर करता है।
    सबसे महत्वपूर्ण बात याद रखें कि आप अपने निवेशित पोर्ट्फ़ोलियो से यथार्थ और कम रिटर्नों की अपेक्षा रखें, इसलिये अपने निवेश में सभी तरह के निवेश उत्पादों का उपयोग करें, जिससे आपके निवेश में जोखिम और लाभ का संतुलन बराबर रहेगा।

म्यूचयल फ़ंड में घाटा हुआ है.. क्यों.. कैसे निवेश करें..

आज की जटिल वित्तीय दुनिया में, निवेश के लिये निर्णय लेना भी बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। दुर्भाग्यवश से एक अच्छा निवेश का विकल्प म्युचयल फ़ंड भी व्यक्तिगत निवेश के जगत में स्थाई जगह नहीं बना पाया है। वस्तुत: म्यूचयल फ़ंड स्कीमों में निवेश के विभिन्न विकल्प विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार उपलब्ध होते हैं । इसलिये यह सही समय है निवेशक के लिये, म्यूचयल फ़ंड के बारे में सोच बदलने का और म्यूचयल फ़ंड को अपने निवेश का अविभाज्य अंग बनाना चाहिये।

अधिकतर जिससे भी बात करो वह यही कहता है कि हमने पहले म्यूचयल फ़ंड में निवेश किया था और उसमें हमें घाटा हुआ, फ़िर से म्यूचयल फ़ंड में निवेश करना चाहिये ?

अगर वाकई आप भी उन निवेशकों में से एक हैं जिन्होंने पूर्व में म्यूचयल फ़ंड में घाटा खाया है और अब म्यूचयल फ़ंड से दूर रहते हैं, तो आपको वापिस से सोचने की जरूरत है। नि:सन्देह बहुत सारे निवेशक पिछले कुछ वर्षों में बाजार से उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले हैं, म्यूचयल फ़ंड के खराब प्रदर्शन से, मिस सैलिंग से, एवं निवेश को बढ़ने के लिये उचित समय नहीं दिये जाने से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं । फ़िर भी वास्तविकता में म्यूचयल फ़ंड के जरिये निवेश करना एक बेहतरीन तरीका है, और खासकर उन निवेशकों के लिये जो सीधे शेयर बाजार / डेब्ट बाजार को नहीं समझते हैं । मुद्दे की बात यह है कि सही म्यूचयल फ़ंडों का चयन किया जाये और अनुशासित तरीके से निवेश किया जाये।

इसके अतिरिक्त भी सभी निवेशित परिसंपत्तियों से अच्छा रिटर्न पाने के लिये विविध तरीके अपनाये जाने चाहिये। उदाहरणार्थ – इक्विटी में निवेश लंबे समय के लिये होता है, और इसके लिये बाजार के अशांत समय में धीरज रखने की आवश्यकता होती है । इक्विटी बाजार को टाईम करना व्यर्थ है। अधिकतर निवेशक जिन्होंने प्रयास भी किया उन्होंने पारम्परिक भूल दोहराई है महँगा खरीदा और सस्ता बेचा। ध्यान रखिये निवेश को लंबे समय अवधि रखने का दृष्टिकोण अपनायें इससे आपकी जिंदगी भी आसान होगी।

तो आगे बढ़िये और आज से ही एस.आई.पी. SIP में निवेश करें और अपना भविष्य सुरक्षित करें।

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स्विप या सिप में क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है ? (Investment should be in 1 fund ?? in SIP or SWP)

जन्मदिन के बहाने.. अनुभव की कीमत..

तीन दिन पहले जन्मदिन था, दुख था कि जीवन का एक वर्ष कम हो गया और खुशी इस बात की कि आने वाला कल सुहाना होगा । कुछ लिखने की इच्छा थी परंतु समयाभाव के कारण लिखना मुमकिन नहीं हुआ, फ़ेसबुक पर जन्मदिन की शुभकामनाओं के इतने मैसेज मिले कि दिल प्रसन्न हो गया, इतने लोगों की शुभकामनाओं से दिल खुशियों से लबरेज हो गया।

आज फ़ेसबुक के जमाने में आमने सामने बधाई देने वाले तुलनात्मक रूप से कम होते हैं, परंतु इस बार ऐसा नहीं रहा, यह भी एक बहुत सुखांत क्षण था कि जितने फ़ेसबुक दोस्तों ने जन्मदिन की बधाई दी उससे ज्यादा हमें परोक्ष रूप से दोस्तों की शुभकामनाएँ मिलीं, बाकी फ़ोन और चैटिंग वाले दोस्त भी शुभकामनाएँ देने वालों में रहे ।

मन में सुबह से ही नई उमंग और जीवन के लिये नई तरंग थी, सोचे हुए तरीके से पूरा दिन व्यतीत हुआ, मन में अजब संतोष भी था कि इस वर्ष की जीवन की बाधाओं को अच्छे से महसूस किया और सही तरीके से चुनौतियों का सामना किया ।

अगले वर्ष की जीवन की बाधाओं से लड़ने के लिये पिछले एक वर्ष का अनुभव बहुत काम आयेगा, पकी उम्र का अनुभव पुराने अनुभवों पर भारी पड़ता है, यह अनुभव भी बीते वर्ष हमने महसूस किया, पकी उम्र के अनुभव की कीमत ज्यादा होती है और इस अनुभव को क्रियान्वयन में लाने के लिये कीमत भी ज्यादा चुकाना होती है।

एक बात और सीखी है कि जो अनुभव या उपयोग में आने वाली छोटी छोटी बातें होती हैं वह हर किसी के लिये उतनी ही छोटी नहीं होतीं, वही छोटी बातें किसी और के लिये बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण होती हैं, तो जीवन की सीख है कि हरेक चुनौती को महत्व देना चाहिये, और उसे जितने अच्छे से सुलझा सकें उतना ही अनुभव का रंग गाढ़ा होने लगता है।

महाकाल और ऑनलाईन में होने वाली साईट की अनियमितता

आज सुबह सोचा कि चलो अगले सप्ताह घर पर होंगे तो भस्मारती में शामिल होने के लिये ऑनलाईन दर्शन का टिकट बुक कर लें, साईट पर पहुँचे तो वहाँ जैसे ही वेबपेज पर कर्सर घुमाया, तो यह निम्न चित्र नजर आया । उस पर हमने क्लिक करके देखा तो उस विज्ञापन से हम एक अश्लील वेबसाईट (Prone Website) पर पहुँच गये|

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मुख्यमंत्री के हाथों १-२ महीने पहले ही इस वेबसाईट का उद्घाटन किया गया था, उसके बाद से पता नहीं यह वेबसाईट काम भी करती है या नहीं ? आज ३० अप्रैल तक की बुक करने की सुविधा उपलब्ध है, परंतु हमने जब ८ अप्रैल के लिये अपनी बुकिंग करवाने की सोची तो पता चला कि बुकिंग “उपलब्ध नहीं है”, फ़िर अगले एक सप्ताह तक का देखा तो पता चला कि अगले सप्ताह में भी बुकिंग उपलब्ध नहीं है, बाद में देखा तो ३० अप्रैल तक बुकिंग उपलब्ध नहीं है ।

बुकिंग के पहले सारी जानकारी भरना पड़ती है, यहाँ तक कि अपना फ़ोटो और आई.डी.कार्ड भी स्कैन करके अपलोड करना पड़ता है, उसके बाद उपलब्धता पता चलती है । यह उपलब्धता पता करने का ऑप्शन पहले होना चाहिये। इस बारे में मुझे माँ वैष्णोदेवी की वेबसाईट बहुत अच्छी लगी, बहुत ही मित्रवत वेबसाईट है ।

काश कि जिम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान दें और इस तरह कि विसंगतियों को दूर करें ।