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स्वर्ग में किसको जाने को मिलेगा ब्राह्मण, डॉक्टर या आईटी (IT) पेशेवर को… [Who will get entry in Swarg..]

स्वर्ग के द्वार पर तीन लोग खड़े थे।

भगवान

सिर्फ़ एक ही अंदर जा सकता है।पहला

मैं ब्राह्मण हूँ, सारी उम्र आपकी सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।दूसरा

मैं डॉक्टर हूँ, सारी उम्र लोगों की सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।तीसरा

मैंने आईटी (IT) में नौकरी की है|

भगवान

बस.. आगे कुछ मत बोल.. रुलायेगा क्या पगले ? अंदर आजातेरे फ़ोर्वर्डेड मेल्स, फ़ोलोअप्स, बेंच पर २ साल, नाईटशिफ़्टस, प्रोजेक्ट मैनेजर से पंगा, सीटीसी (CTC) से ज्यादा डिडक्शन्स, पिकअप ड्रॉप का लफ़ड़ा, लड़की ना मिलने की फ़्रस्ट्रेशन, क्लाईंट मीटिंग्स, डिलिवरी डेट्स, वीकेंड्स में काम, कम उम्र में बालों का झड़नासफ़ेद होना, मोटापे का प्रोब्लम, मेरे को सेन्टी कर दिया यार। आजा जल्दी अंदर आजा।

[एक मित्र का चैट पर मैसेज था, आईटी वालों का दर्द समझाने के लिये अच्छा मैसेज है]

फ़्री में फ़िल्में कैसे डाऊनलोड करें (How to download films ..)

अभी कुछ दिनों से कुछ मित्रों और सहयोगियों ने Download Films फ़िल्म डाऊनलोड संबंधित कुछ सवाल पूछे –

Download Films

– फ़्री में फ़िल्में कैसे डाऊनलोड करें
– टोरंट से फ़िल्म कैसे डाऊनलोड करें
– फ़िल्म कितनी देर में डाऊनलोड होती है
– फ़िल्में कौन अपलोड करता है
और भी बहुत कुछ …. तो मैंने सोचा कि चलो इस पर ही लिख देते हैं।

वित्तगुरु वित्तीय जानकारियाँ हिन्दी भाषा में

    फ़िल्म डाऊनलोड करने के लिये मैं isohunt.com का उपयोग करता हूँ, वैसे यहाँ केवल फ़िल्म ही नहीं बहुत सारी चीजें जैसे किताबें, ऑडियो, टीवी शो, गेम्स, फ़ोटो, एनिमेशन, कॉमिक्स, एप्लिकशन्स और भी बहुत सारी चीजें उपलब्ध हैं। साधारणतया: यहाँ फ़्री और सभी तरह के क्रेक्ड वर्शन्स उपलब्ध होते हैं। जिससे आपको लायसेंस न खरीदना पड़े, हाँ यह सही नहीं है, परंतु अगर फ़्री में अच्छी चीज मिल रही हो तो क्या फ़र्क पड़ता है। डाऊनलोड करने के पहले देख लें कि फ़्री है तो ठीक और अगर क्रेक्ड वर्शन है और अगर आप पायरेटेड सॉफ़्टवेयर नहीं उपयोग करते हैं, तो डाऊनलोड न करें।
    डाऊनलोड करने के लिये टोरंट एपलिकेशन डाऊनलोड कर संस्थापित करना होगी, जो कि यहीं इसी साईट पर फ़्री में उपलब्ध है। या आप इसे फ़ाईलहिप्पो से भी डाऊनलोड कर सकते हैं।
    एक बार टोरंट एपलिकेशन संस्थापित हो जाये, फ़िर आप कुछ भी डाऊनलोड कर सकते हैं जो कि इस साईट पर उपलब्ध है, बस आपको अपना कीवर्ड सर्च में डालना होगा, और सर्च करना होगा, फ़िर एक नया पेज खुलेगा, तो वहाँ एक तालिका बनी आ जायेगी। उसमें कैटेगरी, ऐज, टोरंट टेग नाम, साईज, सीडर्स और लीचर्स होंगे। कैटेगरी में अगर फ़िल्म डाऊनलोड करना हो तो Video/Movies होना चाहिये, इसका प्रिंट अच्छा होगा। टीवी शो ढूँढ़ना हो तो टेलिविजन में ढूँढिये। ऐज (उम्र) वह  फ़ाईल कितने दिन पहले अपलोड की गई थी। साईज फ़ाईल का साईज बताता है, इसके बाद कितने सीडर्स और लीचर्स है।
    अब टोरंट नाम पर क्लिक करके चुन लें तो एक नया पेज खुलेगा, वहाँ पर डाऊनलोड का बटन दिखायी देगा और बड़े फ़ोंट में Download .torrent लिखा होगा, इस पर क्ल्कि करेंगे तो एक छोटी सी फ़ाईल डाऊनलोड होगी जिसका एक्सटेंशन .torrent होगा। अब इस .torrent फ़ाईल को डबल क्लिक करेंगे तो टोरंट प्रोग्राम में खुल जायेगी और डाऊनलोड होने लगेगी। सेटिंग्स में जाकर डाऊनलोड फ़ोल्डर जरुर दे दें नहीं तो साधारणतया: यह My Downloads में आ जाती है।
    ध्यान रखने की बात – यह डाऊनलोड और अपलोड डाटा ज्यादा मात्रा में करता है, अमूमन जो साईज है, इसलिये पहले अपने ब्रॉडबेंड प्लॉन को देख लें, जितनी ज्यादा ब्रॉडबेन्ड की रफ़्तार होगी उतनी ही रफ़्तार से फ़िल्म डाऊनलोड होगी।
750 mb की फ़ाईल डाऊनलोड मॆं लगने वाला समय, यह कम और ज्यादा भी हो सकता है।
128 kbps – 8-12 घंटे
1 mbps – 40 min. – 1 घंटा

भारत का गणतंत्र सिसक सिसक कर रो रहा है… और मैं अंदर बैठकर उसके बारे में लिख रहा हूँ (Republic India !)

आदतन आज सुबह नित्यकर्म के पहले घर का दरवाजा खोला, अखबार के लिये और जैसा कि रोज होता है अखबार नहीं आया। आदत है तब भी रोज देखने की आत्मसंतुष्टि के लिये, तो छज्जे पर थोड़ा सा बाहर निकल कर देख लिया, वहाँ किसी के सिसक सिसक कर रोने की आवाज आ रही थी, थोड़ा ध्यान से देखा तो वहीं बिजली के खंभे के पास तिरंगे में लिपटा गणतंत्र था जो कि शायद कोहरा घना होने का इंतजार कर रहा था।

मैं चुपचाप अंदर अपने घर में आ गया, कि कहीं गणतंत्र मेरे पास आकर मेरे पास आकर रोना ना सुनाना शुरु कर दे, मेरी घिग्घी बँधी हुई है, और गणतंत्र के सिसक सिसक कर रोने के कारणों के बारे में सोच रहा हूँ, अगर आप को पता चले कि भारत का बूढ़ा गणतंत्र क्यों सिसक सिसक कर रो रहा है.. तो मुझे अवश्य बताईये।

भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस बैंगलोर से पूना (Due to corruption Infy moves to pune from bangalore)

    भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से पूना ले जा रहा है, जी हाँ कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान होकर, यह पहली बार नहीं हो रहा है, कि कार्पोरेट कंपनी अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से हटा रहा है, पर जिस आईटी कंपनी के कारण बैंगलोर का नाम विश्व के नक्शे पर जाना जाता है, वही अब बैंगलोर से रवाना हो रही है।
    आज बैंगलोर मिरर में मुख्य पृष्ठ पर समाचार है, टी.मोहनदास पई जो कि इन्फ़ोसिस में मानव संसाधन प्रभाग के प्रमुख हैं, सुनकर जब मुझे इतना बुरा लग रहा है जबकि मैं बैंगलोर या कर्नाटक का निवासी नहीं हूँ, परंतु मेरे भारत में अब ऐसा भी हो रहा है यह तो बस अब हद्द ही हो गई है। क्या इसी दिन के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था, क्या गांधी जी ने आजाद देश का यह सपना देखा था, कि सभी लोग आजादी से भ्रष्टाचार कर सकें और मानवीय मूल्यों का हनन कर सकें।
    आज इन्फ़ोसिस जा रही है कल और भी कंपनियों के जाने के आसार हैं, कहीं भारत के भ्रष्टाचार के कारण ऐसा न हों कि ये सभी कंपनियाँ पास के किसी और देश में चली जायें जैसे कि चीन, भूटान या कहीं ओर.. क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… कुछ है क्या…
    मेरे भारत के महान नागरिकों क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… भ्रष्टाचार केवल बैंगलोर में है मुद्दा यह नहीं है, भ्रष्टाचार तो हर प्रदेश में है भारत देश में है, और इस कदर भारतीय तंत्र में घुलमिल गया है कि इसे अलग करना अब नामुमकिन सा लगता है, जब हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री यह कह सकते हैं कि काले धन वाले लोगों की सूची उजागर नहीं की जा सकती तो ऐसे देश के कर्णधारों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
क्या ब्रिटिश शासन ही ठीक था या ये भ्रष्टाचारी स्वतंत्र भारत देश….

विश्व के महानतम निवेशक वारेन बफ़ेट (World’s Greatest Value investor Warren Buffett)

    थोड़े दिनों पहले रद्दीवाले को अखबार के लिये बोलने गया था, तो वहाँ पुरानी किताबें भी लगी रहती हैं, तो हम एक नजर देख लेते थे, और हर बार एक न एक किताब अच्छी मिल जाती थी इस बार किताब पर नजर पड़ी,

बफ़ेट

Book Name : “How Buffett does it, 24 Simple Investing Strategies from the World’s Greatest Value Investor”

Written by “James Pardoe”

Publication: Tata Mcgraw-Hill

यह एक बहुत ही पतली सी किताब है, लेखन ने वारेन बफ़ेट के सिद्धांतो को २४ कूटनितियों में विभक्त किया है, जो कि सभी निवेशकों को अवश्य पढ़ना चाहिये। अभी कुछ दिन पहले क्रॉसवर्ल्ड गया था तो वहाँ वारेन बफ़ेट की कोई मोटी सी किताब रखी थी, जो कि अभी की बेस्ट सैलर भी है, नाम भूल गया, अब अगली बार जाऊँगा तो अवश्य ही खरीदूँगा, उस समय इसलिये नहीं खरीदी क्योंकि अभी पढ़ने के लिये बहुत सारी किताबों का स्टॉक पड़ा है।

इस किताब को पढ़कर निवेश करने के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला, सोच रहा हूँ कि इसी बारे में आगे कुछ पोस्टें लिखी जायें।

अभी जो अधूरी रखी है –

Cashflow Quadrant

अभी रखी हुई किताबों में हैं जो कि पढ़ना बाकी हैं –

Retire Young Retire Rich

The Black Swan

बोधिपुस्तक पर्व की १० किताबें

In the Wonderland of Investment

General Insurance

Life Insurance

पानीपत

सूचि बहुत लंबी है, परंतु इतनी किताबें अभी पंक्ति में हैं।

बैंगलोर का भारी पानी और बिना मतलब का एक्वागार्ड (Hard Water and Aquaguard Fail…)

बैंगलोर में आकर बहुत सारा सामान्य ज्ञान बढ़ा, जिसमें से एक है हार्ड वाटर याने कि भारी पानी।
    मुंबई से बैंगलोर शिफ़्ट होने के बाद अपना एक्वागार्ड लगवाने का समय नहीं मिल पाया, एक प्लंबर को बुलाकर एक्वागार्ड संस्थापित तो करवा लिया, परंतु मुंबई से परिवहन के दौरान उसमें कुछ समस्या हो गई थी इसलिये वह शुरु ही नहीं हो रहा था। एक्वागार्ड के ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन लगाकर अपनी शिकायत भी दर्ज करवाई, जब ७ दिन तक एक्वागार्ड वाला नहीं आया तो वापिस से उनको फ़ोन करके कहा कि बैंगलोर में क्या सारी कंपनियाँ ऐसी ही हैं, जो कि अपने ग्राहकों का ध्यान नहीं रखती हैं। तो हमें कहा गया कि ठीक करने वाला बंदा २ दिन में पहुँच जायेगा। खैर हम तो एक्वागार्ड की घटिया सेवा से परेशान हो चुके थे।
    इसी दौरान एक सुबह एक्वागार्ड बेचने वाले ने हमारे घर पर दस्तक दी, तो हमने पहले पूछा कि ठीक करने आये हो, उसने जबाब दिया “नहीं”, हम तो बेचने आये हैं, पहले तो हमने जबरदस्त फ़टकार लगाई कि क्या ग्राहकों को सेवाएँ देते हो, ७ दिन पूरे होने के बाबजूद अभी तक कोई ठीक करने नहीं आया, क्या बकबास कंपनी है, और भी बहुत कुछ उसे गरिया दिया।
    पर वह भी पक्का बेचनेवाला था, बोला कि अगर आप इजाजत दें तो मैं आपके यहाँ का पानी जाँच लूँ, मैंने कहा कि चलो भई देख लो, क्योंकि हमने भी सुना था कि यहाँ बैंगलोर का पानी भारी है। उसने जाँच की और हमें बताया कि देखिये ४८५ है और बिसलरी का ७२, पीने लायक पानी होता है ५०-१०० अब क्या मानदण्ड होता है, पता नहीं । उससे हमने पूछा कि भारी पानी पीने से क्या नुक्सान होता है वह हमें बता नहीं पाया पर बोला कि RO वाला मॉडल आपको खरीदना होगा तभी यह भारी पानी पीने लायक होगा, हमने कहा अभी तो हम बिसलरी पी रहे हैं, पर जल्दी ही कुछ तो लेना ही होगा अगर हमारा साधारण एक्वागार्ड काम नहीं आयेगा।
    उस समय हमारे पास इंटरनेट था नहीं, और ऑफ़िस में थोड़ा बहुत पढ़ा तो सब सिर के ऊपर से निकल गया, तो पास के एक मॉल में गये जहाँ Water purifier के सभी कंपनियों के उत्पाद थे, हमने पहले उससे कहा कि पहले हमें जानकारी दीजिये कि भारी पानी से क्या होता है, तो वह भी हमें केवल इतना ही बता पाया कि जब बहुत प्यास लगती है तभी पी पायेंगे, ज्यादा पानी पीने की इच्छा नहीं होगी। नुक्सान कुछ भी नहीं है। हमें वहाँ व्हर्लपूल कंपनी का RO वाला उत्पाद अच्छा लगा, और हम तय कर चुके हैं कि एक्वागार्ड जैसी घटिया ग्राहक सेवा देने वाली कंपनी से तो उनका उत्पाद नहीं खरीदेंगे वह भी कम से कम बैंगलोर में तो बिल्कुल नहीं।
    अगर आप में से किसी के पास इस बारे में जानकारी हो तो लिंक साझा करें या फ़िर टिप्पणी में ज्ञान प्रदान करें, तो हम नया RO Water Purifier ले पायें।
१. भारी पानी के नुक्सान क्या हैं ?
२. RO वाला कौन सा Water purifier लें ?
३. भारी पानी के उपचार के और कौन से तरीके हैं ?

ब्लॉगरी में भी विकृत मानसिकता… (Blogger’s Distorted mindset..)

    विकृत मानसिकता जिसे मैं साधारण शब्दों में कहता हूँ मानसिक दिवालियापन या पागलपन, वैसे विकृत मानसिकता के लिये कोई अधिकृत पैमाना नहीं है, अनपढ़ और पढ़ेलिखे समझदार कोई भी हो जरूरी नहीं है कि उनकी मानसिकता विकृत नहीं हो।

    और ऐसे ही कुछ उदाहरण मैंने हिन्दी ब्लॉगजगत में देखे पोस्ट पढ़कर पहली बार में ही विकृत मानसिकता का दर्जा मैंने दे दिया। अब यहाँ ब्लॉगर भी बहुत पढ़े लिखे हैं, और जिनके पास बड़ी बड़ी डिग्री है, वे हिन्दी ब्लॉगिंग की प्रगति में महति योगदान निभाने में अपनी जीवन ऊर्जा लगा रहे हैं। धन्य हैं वे ब्लॉगवीर और वीरांगनाएँ जो यह सोचते हैं कि वे हिन्दी लिख रहे हैं तो हिन्दी समृद्ध हो रही है, वाह ब्लॉगरी विकृत मानसिकता।

    जितना समय दूसरे ब्लॉगर की टांग खींचने उनकी टिप्पणियों में अनर्गल पोस्ट लिखने में लगा रहे हैं उतना समय अगर किसी अच्छे विषय पर या अपनी दिनचर्या से कोई एक अच्छा सा पल लिखने में लगाते तो शायद उससे पाठक ज्यादा आकर्षित होते। परंतु कैसे स्टॉर ब्लॉगर बनें और कैसे ब्लॉगरों की टाँग खींचे ये सब प्रपंच कोई इन विकृत मानसिकता वाले ब्लॉगर्स से सीखें।

    अपन तो अपने में ही मगन हैं, किसी की दो और दो चार में अपना कोई योगदान नहीं है, फ़िर भले ही वे दो और दो पाँच ही क्यों हो रहे हों, पर फ़िर भी पढ़े लिखों की विकृत मानसिकता नहीं देखते बनती। इससे अच्छा है कि … (अब भला मैं ये क्यों लिखूँ, वे खुद ही समझ लें।)

क्या फ़िर से इस भारत को आजाद करवाना होगा ? (Freedom of India… ?)

    वैसे मैं फ़िल्म वगैराह देखने में अपना समय नष्ट करना उचित नहीं समझता हूँ परंतु “खेलें हम जी जान से” की इतनी चर्चा सुनी थी, कि फ़टाफ़ट से टोरन्ट से डाऊनलोड किया और देखने लगे। ये फ़िल्म भी हम कल रात को ३ दिन में पूरी कर पाये हैं, एक साथ इतना समय निकालना और इतना ध्यान से देखना शायद अपने बस की बात नहीं है।

    फ़िल्म इतनी अच्छी लगी कि शायद ही इसके पहले स्वतंत्रता की पृष्ठभूमि पर इस अंदाज में फ़िल्मांकन किया होगा। यह फ़िल्म बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है, हमें आजादी दिलाने वाले नौजवानों ने अपना खून बहाया है (पानी या पसीना नहीं)।

आजादी     हम इस आजादी का नाजायज लाभ उठा रहे हैं, क्या इसी आजादी के लिये क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत दी थी, अगर उन्हें पता होता कि आजादी के बाद ये सब होगा तो शायद ही उनके मन में भारत माता के आत्मसम्मान को जागृत करने की बात आती। शहीदों को नमन जिन्होंने हम भारतवासियों को इतनी गुंडागर्दी, भ्रष्टाचारी और भी न जाने क्या क्या वाली सरकार दी, दिल रो रहा है यह सब लिखते हुए, क्या फ़िर से इस भारत को आजाद करवाना होगा ?

    क्या भारत माता का आत्मसम्मान खो गया है, क्या हम क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत का बदला इतने बड़े बड़े कांड़ों को झेलकर और करके चुका रहे हैं।

    क्यों न वापिस से ऐसी ही एक क्रांति का जन्म हो जिसमें इन कांडों को करने वाले हरेक शख्स को खत्म कर दिया जाये और फ़िर से भारत माता के सम्मान को वापिस लाया जाये। अगर वाकई हमें अपना देश बचाना है तो ऐसी ही किसी क्रांति की जरुरत है, सजा तो इनको देनी ही होगी। क्योंकि अब ये लोग इतने बेशरम हो गये हैं कि ये न कलम की तलवार से डरते हैं और न ही भारत माता के सपूतों से ।

    बताईये क्या करना चाहिये ….. क्या क्रांति की बात गलत है… फ़िर से हमें भारतमाता के आत्मसम्मान को पाने के लिये क्रांति की अलख जगानी होगी।

वन्दे मातरम !! जय हिन्द !!

१ रुपये की ओवर बिलिंग याने कि बेस्ट को कितना फ़ायदा ? (The profit of BEST by 1 Rupee over billing)

    आज किसी काम से बाहर गया था, तो बस नंबर २०४ से देना बैंक, कांदिवली से डीमार्ट कांदिवली तक का हमने टिकिट लिया, मास्टर को भी टिकिट कितने का है पता नहीं था, उसने अपना चार्ट देखा और ७ रुपये का टिकिट पकड़ा दिया। हमने भी छुट्टे ७ रुपये दे दिये।
    जगह खाली हुई तो हम सीट पर ठस लिये, फ़िर मास्टर पीछे से चिल्लाते हुए आया किसने टिकिट नहीं लिया है, हमारे आगे की सीट वाला १० का नोट दिखाते हुए बोला, हमें एक टिकिट दीजिये कांदिवली स्टेशन से राजन पाड़ा, मास्टर ने ३ रुपये वापिस दिये तो वह व्यक्ति बोला कि ६ रुपये लगते हैं, मास्टर ने फ़िर से अपने चार्ट में देखा और चुपचाप १ रुपया वापिस कर दिया और ६ रुपये का टिकिट दे दिया। जबकि उस व्यक्ति की यात्रा हमसे ज्यादा बस स्टॉपों की थी, पर हम फ़िर भी चुपचाप रहे कि छोड़ो १ रुपये में क्या होता है, फ़ालतू चिकचिक होगी और दिमाग का भाजीपाला होएंगा।
    हम तो उस व्यक्ति को जागरुक उपभोक्ता ही कहेंगे कि उसने अपना १ रुपया बचाया और चूँकि हमें इस रुट का पता ही नहीं था, इसलिये उसने हमसे १ रुपया ज्यादा ले लिया, पर बेस्ट की बसों में ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं कि आप अपना किराया जान सकें, जैसे कि रेल्वे स्टेशन पर पूरा चार्ट लगा होता है, यात्री किराये की राशि देख सकता है।
    भले ही वह १ रुपया उस मास्टर की जेब में नहीं जा रहा हो, परंतु बेस्ट की जेब में तो जा ही रहा था। ऐसा कई बार होता है जब नया मास्टर नये रुट की बस में चलता है, परंतु इस सबमें यात्री की क्या गलती है। अगर मास्टर नया है तो पहले उसे प्रशिक्षण देना चाहिये तभी बस के नये रुट में भेजना चाहिये, नहीं तो ऐसे ही नये मास्टर लोगों की जेब से १ रुपया ज्यादा निकालते रहेंगे और बेस्ट को फ़ायदा होता रहेगा।

कौन से मूवर्स पैकर्स की सेवायें ली जायें, मुझे अब मुंबई से १२०० किमी दूर जाना है। (Movers n packers services)

   मुझे अगले महीने के मध्य में मुंबई से १२०० कि.मी. दूर अपना समान स्थानांतरण करना है, और इतने सारे मूवर्स एन्ड पैकर्स से पूछा और गूगल के जरिये खोज भी की, तो और भी सांसत में आ गये।

    हमने तकरीबन ५ मूवर्स एन्ड पैकर्स से बात की और कोटेशन लिया पर सबकी शिकायतें हैं, अब समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें और किस की सेवा का उपयोग करें।

अभी तक जिनको बुलाया है वे इस प्रकार हैं –

1. Safe Movers & Packers

2. Sahara Movers & Packers

3. Agarwal Movers & Packers, Hyderabad

4. Agarwal Movers & Packers Pvt. Ltd., (Delhi)

सबसे सस्ता पहला वाला है और सबसे महँगा आखिरी चौथा वाला है।

    और किस तरह से समान को स्थानांतरित किया जा सकता है, यह भी बताईयेगा। बस जरा जल्दी ….।