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आज के परिपेक्ष्य में गोवर्धन पर्वत प्रसंग..

    आज श्रीमदभागवत कथा सुन रहे थे, तो उसमें एक प्रसंग था जब कृष्णजी इन्द्र के प्रकोप की बारिश से बचाने के लिये गोकुलवासियों के लिये गोवर्धन पर्वत को अपनी चींटी ऊँगली याने कि सबसे छोटी ऊँगली से तीन दिनों तक उठा लेते हैं, तो गोकुलवासी भी पर्वत को उठाने में अपने सामर्थ्य अनुसार योगदान करते हैं, कोई अपने हाथों से पर्वत को थामता है तो कोई अपनी लाठी पर्वत के नीचे टिका देता है। इस तरह से तीन दिन बीत जाते हैं, तो गोकुल वासी कृष्णजी से पूछते हैं “लल्ला तुमने तीन दिन तक कैसे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया ?” अब कृष्णजी कहते कि मैं भगवान हूँ कुछ भी कर सकता हूँ तो गोकुलवासी मानते नहीं, इसलिये उन्होंने कहा कि “आप सब जब पर्वत के नीचे खड़े थे और सब मेरी तरफ़ देख रहे थे, तो मेरे शरीर को शक्ति मिल रही थी और उस शक्ति को मैंने अपनी चीटी यानी कि छोटी ऊँगली को देकर इस पर्वत को उठा रखा था” तो भोले भाले गोकुल वासी बोले “अरे ! लल्ला तबही हम सोच रहे हैं कि हम सभी को कमजोरी क्यों लग रही है ।”

    अब यह तो हुआ कृष्णजी के जमाने का प्रसंग अब अगर यही आज के जमाने में हुआ होता तो सबसे पहले तो उनको अस्पताल ले जाया जाता और पता लगाया जाता कि “लल्ला” में इतनी ताकत कैसे आई और इतना बड़ा पर्वत उठाने पर भी एक फ़्रेक्चर भी नहीं आया। फ़िर विरोधी पक्ष सदन में हल्ला मचाता कि इतनी मुश्किल से इंद्र देवता ने बारिश की थी और ई लल्ला ने ऊ सब पानी बहा दिया फ़िर सबही चिल्लाते हैं कि पानी की प्रचंड कमी है।

    और जो जबाब कृष्ण जी ने गोकुलवासियों को दिया था वही जबाब आज देते तो सब उनके पीछे पड़ जाते कि ई लल्ला ने किया ही क्या है, हमारी सबकी थोड़ी थोड़ी ताकत का उपयोग करके ई छॊटा सा पराक्रम कर दिया अब इस ताकत के बदले में हम सबको अनुदान दिया जाये और इस लल्ला के विरुद्ध एक जाँच कमेटी बनायी जाये कि इस लल्ला ने कौन कौन से पराक्रम किस किस की ताकत का उपयोग करके किये हैं।

वाकई भगवान श्रीकृष्ण अपना माथा ठोक लेते ….. ।

नींद के आलस में “ऐ लेडी, हैप्पी वूमन्स डे”…

    नींद से उठने के बाद, आँख मूँदे बिस्तर पर ही पड़ा हुआ था, बाहर कमरे से जोर जोर से आवाजें आ रही थीं, कुछ अंग्रेजी की स्पेलिंग याद करवाती हुई मम्मी बेटे को। सुनाई तो स्पष्ट दे सकता था, परंतु सुनने की वाकई इच्छा नहीं थी, इसलिये बिना रूई की फ़ाह डाले भी काम हो रहा था। बात कितनी सही है कि अगर किसी काम को करने की इच्छा नहीं हो तो उसके लिये कुछ करना नहीं पड़ता कितना आलस्य छिपा है इन बातों में.. यहीं सोच रहा था कि तकिये के पास रखे मोबाईल से गाना बजने लगा.. जो कि दरअसल मोबाईल की ट्यून है.. स्लमडॉग मिलिनियर की “जय हो”, और देखा तो अपने लंगोटिया यार का दोस्त था, सोचा था कि किसी का भी फ़ोन होगा उठाऊँगा नहीं, भरपूर आलसभाव में था, परंतु सामने स्क्रीन पर विनोद का नाम देखकर बात करने से रोक न सका।

    फ़ोन उठाते ही उधर से आवाज आई “अच्छा तू है क्या ?, अरे तेरा ये नया नंबर है क्या, नंबर बदल लिया ?” इधर से मैंने कहा “अबे ! जब नया नंबर लिया था तब सबको एस.एम.एस. किया तो था” उधर से वह बोला “आया भी होगा तो पता नहीं, मैंने ही ध्यान नहीं दिया होगा, चल और बता क्या चल रहा है, सो रहा था क्या ?” इधर से मैंने कहा “हाँ यार, सो रहा था, बस अब उठने की तैयारी है और अब ऑफ़िस जाना है ?” उधर से उसने कहा “क्यों ? क्या आजकल रात्रि पाली में है क्या ?” इधर से मैंने कहा “हाँ यार” और भी बहुत सारी बातें हुईं, आलस तो अब भी आवाज में था, परंतु अपना पुराना दोस्त था फ़ोन पर तो सब आलस फ़ुर कर दिया।

    बात करते करते बालकनी में घूम रहा था, तो बेटेजी जोर जोर से स्पेलिंग याद कर रहे थे, और हम उनको उनकी भावी सफ़लताओं के लिये देख रहे थे। कि इतने में हमें कमरे में आते देख बेटे जी पलट पड़े अब मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है, मैं पता नहीं किन ख्यालों में ऐसे ही मुस्करा पड़ा। तो वैसे ही एक आवाज कान में आई “मैं तुम दोनों को बेबकूफ़ नजर आती हूँ, क्या ?”, यह थी बेटे की मम्मी जी की आवाज।

    “पढ़ लो बेटा नहीं तो तुम ही नुक्सान में रहोगे हमारा कोई नुक्सान नहीं होने वाला”, अब जरा सी औलाद को कहाँ फ़ायदे और नुक्सान का गणित समझ में आने वाला था, मैंने पूछा बेटे से कि क्या हुआ तो बोला “आई डोन्न नो !”

    अभी यही सोच रहा हूँ कि पढ़ाई न करने से क्या क्या नुक्सान होते हैं ? क्या पढ़ाई करने से ही जिंदगी अच्छे से कटती है? पैसे कमाये जा सकते हैं ? क्या जिंदगी का ध्येय केवल पैसे कमाना और फ़ायदे, नुक्सान का गणित है ? क्या हमारा मकसद आज के नौजवानों को पढ़ा लिखा कर नौकर बनाने का है? मेरा तो नहीं है, मैं चाहता हूँ कि उसे कम इतना पता होना चाहिये कि पैसे कैसे कमाये जाते हैं, क्योंकि दुनिया में यही एक ऐसा काम है जो कि सबसे सरल भी है और सबसे कठिन भी है।

इतने में बेटे जी मम्मी के पास गये  और बोले “ऐ लेडी, हैप्पी वूमन्स डे” ।

टिप बख्शीश का गणित.. (What about Tip..)

    अभी हाल ही में फ़िल्म “शहंशाह” देखी, जिसमें जे.के. याने के अमरीश पुरी और प्रेम चोपड़ा का एक सीन जहन में अटक गया, दोनों एक होटल में जाते हैं, और शक्ल से ही अमीर लगते tips हैं, जैसे ही रेस्टारेंट में प्रवेश करते हैं, एक वेटर आकर अभिवादन करता है और अमरीश पुरी अपनी जेब से बटुआ निकालकर एक सौ रुपये का नोट उसे वेटर को टिप देते हैं। प्रेम चोपड़ा बहुत ही अजीब तरीके से और आश्चर्यचकित तरीके से अमरीशपुरी को देखते हैं। जब  वे अपनी टेबल पर आते हैं, तो प्रेम चोपड़ा पूछ ही लेते हैं –

    “लोग बिल के बाद टिप देते हैं, और तुम हो कि पहले से ही टिप दिये जा रहे हो !, क्या अजीब आदमी हो, क्यों ?”

अमरीश पुरी जबाब देते हैं –

“बिल के बाद टिप देना तो रिवाज है, हम टिप पहले देते हैं जो कि  अच्छी सर्विस की गारंटी  है।”

    बात तो छोटी सी है पर अमरीश पुरी की बातों में दम लगा, वाकई बिल के बाद टिप देना रिवाज है, सर्विस अच्छी मिले या नहीं परंतु आप टिप दे ही देते हैं। पर अगर जिस जगह पर आप जा रहे हैं और वहाँ आप अक्सर जाते रहते हैं तो शायद पहले टिप देने से अच्छी सर्विस मिल सकती है।

    अब आते हैं अपनी बात पर तो पहले तो हम टिप देने में यकीन ही नहीं रखते, क्योंकि रेस्टोरेंट में खाना ही इतना महँगा होता है कि ऐसा लगता है कि होटल के मालिक के टिप भी इसमें ही जुड़ी रहती है, खैर फ़िर धीरे धीरे कुछ टिप देने का रिवाज समझ में आने लगा और कुछ रुपये टिप देने लगे। टिप को लेकर मुंबई में कई खट्टे मीठे अनुभव हुए, फ़िर धीरे धीरे यह सीख लिया कि अगर खाना अच्छा हो तो ही टिप दो, और सर्विस भी, क्योंकि खाना अच्छा होना न होना तो बनाने वाले शेरिफ़ पर निर्भर करता है, परंतु अगर आप शिकायत करते हैं या कुछ अन्य चीज आप मंगवाते हैं तो उसे कितनी प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाता है।

    ऐसी बहुत सारी वस्तुस्थितियाँ होती हैं जो कि यह सुनिश्चित करती हैं कि आप कितनी टिप देते हैं, और वह भी अच्छे मन से या खराब मन से।

    हमने मुंबई में सुना है कि कुछ जगहों पर टिप भी बिल में लगाकर दे दिया जाता है, खैर आजतक तो हमें ऐसा कोई होटल नहीं मिला या यूँ कह सकते हैं कि हम इस तरह के होटल में गये नहीं ! 🙂

    टिप न मिलने पर वेटर की मुखमुद्रा बता देती है कि वह खुश है या नहीं, और तो और जब आप खाना खा रहे होते हैं, तभी वेटर समझ जाता है कि टिप मिलने वाली है या नहीं।

    कुछ वेटर ऐसे भी होते हैं, जब देखते हैं कि कोई टिप नहीं मिल रही है और बिल अदा करके निकले जा रहे हैं, तो भुनभुनाते हैं, या फ़िर इतनी आवाज में बोलते हैं कि कम से कम आपको तो सुनाई ही दे जाये, “क्या कंगले हैं, टिप के पैसे भी जेब से नहीं निकलते हैं”, और कुछ होते हैं जो सीधे पूछ लेते हैं कि “आपने टिप नहीं दी।”

    हमारे एक मित्र हैं उनकी फ़िलोसॉफ़ी है कि बिल का १०% टिप देना चाहिये, हमने कहा कि भई अपने बस की बात नहीं कि १०% टिप अपन अफ़ोर्ड कर पायें, जितनी अपनी जेब इजाजत देती है, अपन तो उतनी ही टिप पूर्ण श्रद्धा भक्ति से दे देते हैं।

कैसे हैं आपके अनुभव टिप के बारे में…

आम व्यक्ति के लिये निवेश के कुछ नुस्खे (Some tips for Investment for All)

    आज सबसे बड़ी समस्या है कि कैसे बेहतर तरीके से अपने धन का निवेश करें, और मेहनत से कमाये गये धन का उपयोग करें। धन अर्जन तो सभी करते हैं, परंतु उस धन को अपने भविष्य के लिये निवेशित करना भी अपने आप में चुनौती है। साथ ही अपने लक्ष्य को कैसे निर्धारित करें, परिवार को आर्थिक रुप से कैसे सुरक्षित रखें, यह सब भी बहुत जरूरी है।

    धन को निवेश करने के कुछ नुस्खे जो दिखने में छोटे हैं परंतु भविष्य की योजनाओं के लिये उतने ही कारागार भी हैं –

१. ८० सी आयकर अधिनियम के तहत पूरी बचत करें।

२. ८० डी आयकर अधिनियम के तहत बचत करें (मेडिक्लेम अगर उपयोक्ता ने ना दिया हो या फ़िर कम राशि का हो)

३. २०,००० रुपयों का इन्फ़्रास्ट्रक्चर बांड निवेश जो कि पिछले वित्तीय वर्ष से ही शुरु हुआ है।

४. अपनी बचत को अपनी जोखिम के अनुसार निवेश करें, अगर ज्यादा जोखिम ले सकते हैं तो शेयर बाजार में और कम जोखिम के लिये म्यूचुअल फ़ंड एस.आई.पी. में निवेश करें, बिल्कुल जोखिम न लेना चाहें तो फ़िर बैंक में सावधि जमा का उपयोग कर सकते हैं, साथ ही एम.आई.पी. डेब्ट फ़ंड भी बहुत सुरक्षित है, बस यहाँ ब्याज दर निश्चित नहीं होती।

५. ८० सी के तहत आयकर बचाने के लिये परंपरागत बीमा में निवेश करने से बचें, टर्म इन्श्योरेन्स लें (अपनी सालाना आय का २० गुना तक ले सकते हैं), परिवार को आर्थिक सुरक्षा दें, और बाकी का बचा हुआ धन ई.एल.एस.एस. म्यूचयल फ़ंड एस.आई.पी. के जरिये निवेश करें।

६. जब भी एस.आई.पी. म्यूचयल फ़ंड शुरु करें चाहें वह ई.एल.एस.एस. हो या किसी ओर स्कीम का जिस पर आयकर की छूट नहीं मिलती हो, आपकी निवेश समय सीमा कम से कम १० वर्ष के लिये होना चाहिये, तभी अच्छे रिटर्न की उम्मीद करें।

७. व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा लें, जो कि आपको और आपके परिवार को अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

८. आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने के लिये अपने मासिक खर्च का कम से कम तीन गुना धन ऐसे निवेश करें जहाँ से आप एकदम से आहरण कर पायें, जैसे कि सावधि जमा जो कि बचत बैंक खातों से लिंक होती है, जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिती में आप धन को ए.टी.एम. से आहरित कर सकते हैं।

९. अपने मासिक खर्च के बराबर का धन ही केवल अपने बचत खाते में रखें बाकी धन सावधि जमा में रखें या फ़िर कहीं और निवेश करें, जैसे कि म्यूचुअल फ़ंड, शेयर बाजार इत्यादि।

१०. क्रेडिट कार्ड का उपयोग करें, सबसे बड़ा फ़ायदा कि आपको महीने भर की खरीदारी का भुगतान एकमुश्त करना होता है, और जब क्रेडिट कार्ड का बिल आता है तब आप देख सकते हैं कि कौन सी गैर जरूरी चीज में आप खर्च कर रहे हैं। परंतु क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि अभी भले ही आपको भुगतान न करना पड़ रहा हो, परंतु एक दिन तो आपको इसका भुगतान करना ही होगा, इसलिये संयम से खरीदारी करें।

११. भविष्य के आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करें जैसे कि बच्चों की पढ़ाई, विवाह, कार, घर इत्यादि। और आर्थिक लक्ष्यों के अनुसार अपने निवेश की शुरुआत करें।

१२. निवेश करना जितनी जल्दी शुरु करेंगे उतनी जल्दी आप अपने भविष्य के आर्थिक लक्ष्यों समयबद्ध तरीके से प्राप्त कर पायेंगे।

बचत में हमेशा व्यक्ति को अनुशासित होना चाहिये, तभी आप बचत कर पायेंगे।

बीमा आर्थिक सुरक्षा के लिये होता है ना कि निवेश के लिये, अपनी सोच बदलें और व्यक्तिगत वित्त विषयों के बारे में पढ़कर अपना धन बेहतर तरीके से निवेशित करें।

शंकर शर्मा की बजट चर्चा और बाजार पर रुख… (Shankar Sharma on Budget and Market)

    ऐसे ही समाचारों के चैनल बदल कर देख रहे थे कि किसी एक चैनल पर शंकर शर्मा दिखे जो कि न्यूज ऐंकर बात कर रहे थे बस अपना रिमोट वहीं रुक गया । यह बजट के पहले का विशेष साक्षात्कार था। शंकर शर्मा जो कि फ़र्स्ट ग्लोबल के प्रमुख हैं और हम वर्षों से उनके बहुत बड़े पंखे हैं। बाजार के गुरु हैं, जो कहते हैं हमने हमेशा होते हुए देखा है। और भारत सरकार के खराब अनुभव और सेबी के भी उन्हें हैं, उनके अनुभव पढ़ने के लिये तहलका.कॉम पर जायें। जब बंगारु लक्ष्मण वाला मुद्दा तहलका कांड के रुप में उछला था, तब तहलका.कॉम में थोड़ी सी हिस्सेदारी शंकर शर्मा की भी थी, और उन्हें जो परिणाम इसके लिये भुगतना पड़े थे, वह सरकार की कार्यनीति पर सवाल हैं। पर हाँ एक बात तो है कि सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है फ़िर भले ही तरीका संवैधानिक हो या असंवैधानिक ।

    शंकर शर्मा ने बाजार की नब्ज पकड़ते हुए कहा कि बाजार निफ़्टी ४५०० का स्तर छू सकता है और आज के स्तर से १५% तक का करेक्शन अभी भी वे बाजार में देखते हैं।

शंकर शर्मा ने कहा कि आज के स्तर पर सोने को बेचना चाहिये, और प्राफ़िट बुक करना चाहिये।

    एग्री कमोडिटिज पर भी शंकर शर्मा बुलिश हैं और खासकर शक्कर पर, जिसमें उन्होंने श्री रेनुका शुगर का नाम दिया है।

    घोटालों पर शंकर शर्मा ने मीडिया को आड़े हाथों लिया कि हम खुद ही अपने राष्ट्र की छबि धूमिल कर रहे हैं, ठीक है कि मीडिया स्टिंग ऑपरेशन करे और फ़िर जाँच एजेंसियों को काम करने दें परंतु मीडिया जाँच एजेंसीयों का काम न करें। उन्होंने इसके लिये अमेरिका का उदाहरण दिया कि कैसे घोटालों से वहाँ निपटा जाता है।

    २ जी घोटाले पर भी उन्होंने सभी सरकारों को आड़े हाथों लिया, केवल तत्कालीन केन्द्र सरकार ही नहीं उसके पहले वाली केन्द्र सरकार के मंत्री (प्रमोद महाजन) भी उतने ही जिम्मेदार हैं। और २ जी घोटाले पर साफ़ साफ़ कहा कि यह तो व्यापार है, और मेरी नजर में तो यह घोटाला नहीं है, और अगर है तो जाँच एजेंसियाँ काम कर ही रही हैं।

    पर ऐसे घोटालों से विदेशी निवेशकों का विश्वास देश में निवेश करने से डगमगाने लगता है, तो घोटालों पर होने वाली कार्यप्रणाली पर ही प्रश्नचिह्न है। सरकार को अपनी कार्यप्रणाली पर भी ध्यान देना चाहिये।

    टेलीकॉम सेक्टर पर शंकर शर्मा बेरिश हैं और दूर रहने की सलाह है। वैसे वे हमेशा ही टेलीकॉम और इन्फ़्रास्ट्रक्चर और कमोडिटिज वाले शेयरों से दूर रहने की सलाह देते हैं। इस बार जब एग्रो कमोडिटिज पर वे बुलिश दिखाई दिये तो बहुत आश्चर्य हुआ।

    जब शंकर शर्मा से पूछा गया कि बाजार की आज की परिस्थितियों को देखते हुए कहाँ निवेश करना चाहिये, जबकि आज अंतर्राष्ट्रीय जगत में राजनीति में तेज हलचल हो रही है। शंकर शर्मा ने कहा कि आज बैंकों के सावधि जमा के जो ब्याज दर हैं वे बहुत ही अच्छे हैं और जितना बैंक ब्याज दर (१०.५०%) आज दे रहे हैं, निश्चित तौर पर इतना रिटर्न बाजार तो नहीं दे सकते हैं।

बाजार में निवेशकों को रुकना चाहिये, अभी बाजार में जाने का सहीं समय नहीं है।

स्वर्ग में किसको जाने को मिलेगा ब्राह्मण, डॉक्टर या आईटी (IT) पेशेवर को… [Who will get entry in Swarg..]

स्वर्ग के द्वार पर तीन लोग खड़े थे।

भगवान

सिर्फ़ एक ही अंदर जा सकता है।पहला

मैं ब्राह्मण हूँ, सारी उम्र आपकी सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।दूसरा

मैं डॉक्टर हूँ, सारी उम्र लोगों की सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।तीसरा

मैंने आईटी (IT) में नौकरी की है|

भगवान

बस.. आगे कुछ मत बोल.. रुलायेगा क्या पगले ? अंदर आजातेरे फ़ोर्वर्डेड मेल्स, फ़ोलोअप्स, बेंच पर २ साल, नाईटशिफ़्टस, प्रोजेक्ट मैनेजर से पंगा, सीटीसी (CTC) से ज्यादा डिडक्शन्स, पिकअप ड्रॉप का लफ़ड़ा, लड़की ना मिलने की फ़्रस्ट्रेशन, क्लाईंट मीटिंग्स, डिलिवरी डेट्स, वीकेंड्स में काम, कम उम्र में बालों का झड़नासफ़ेद होना, मोटापे का प्रोब्लम, मेरे को सेन्टी कर दिया यार। आजा जल्दी अंदर आजा।

[एक मित्र का चैट पर मैसेज था, आईटी वालों का दर्द समझाने के लिये अच्छा मैसेज है]

फ़्री में फ़िल्में कैसे डाऊनलोड करें (How to download films ..)

अभी कुछ दिनों से कुछ मित्रों और सहयोगियों ने Download Films फ़िल्म डाऊनलोड संबंधित कुछ सवाल पूछे –

Download Films

– फ़्री में फ़िल्में कैसे डाऊनलोड करें
– टोरंट से फ़िल्म कैसे डाऊनलोड करें
– फ़िल्म कितनी देर में डाऊनलोड होती है
– फ़िल्में कौन अपलोड करता है
और भी बहुत कुछ …. तो मैंने सोचा कि चलो इस पर ही लिख देते हैं।

वित्तगुरु वित्तीय जानकारियाँ हिन्दी भाषा में

    फ़िल्म डाऊनलोड करने के लिये मैं isohunt.com का उपयोग करता हूँ, वैसे यहाँ केवल फ़िल्म ही नहीं बहुत सारी चीजें जैसे किताबें, ऑडियो, टीवी शो, गेम्स, फ़ोटो, एनिमेशन, कॉमिक्स, एप्लिकशन्स और भी बहुत सारी चीजें उपलब्ध हैं। साधारणतया: यहाँ फ़्री और सभी तरह के क्रेक्ड वर्शन्स उपलब्ध होते हैं। जिससे आपको लायसेंस न खरीदना पड़े, हाँ यह सही नहीं है, परंतु अगर फ़्री में अच्छी चीज मिल रही हो तो क्या फ़र्क पड़ता है। डाऊनलोड करने के पहले देख लें कि फ़्री है तो ठीक और अगर क्रेक्ड वर्शन है और अगर आप पायरेटेड सॉफ़्टवेयर नहीं उपयोग करते हैं, तो डाऊनलोड न करें।
    डाऊनलोड करने के लिये टोरंट एपलिकेशन डाऊनलोड कर संस्थापित करना होगी, जो कि यहीं इसी साईट पर फ़्री में उपलब्ध है। या आप इसे फ़ाईलहिप्पो से भी डाऊनलोड कर सकते हैं।
    एक बार टोरंट एपलिकेशन संस्थापित हो जाये, फ़िर आप कुछ भी डाऊनलोड कर सकते हैं जो कि इस साईट पर उपलब्ध है, बस आपको अपना कीवर्ड सर्च में डालना होगा, और सर्च करना होगा, फ़िर एक नया पेज खुलेगा, तो वहाँ एक तालिका बनी आ जायेगी। उसमें कैटेगरी, ऐज, टोरंट टेग नाम, साईज, सीडर्स और लीचर्स होंगे। कैटेगरी में अगर फ़िल्म डाऊनलोड करना हो तो Video/Movies होना चाहिये, इसका प्रिंट अच्छा होगा। टीवी शो ढूँढ़ना हो तो टेलिविजन में ढूँढिये। ऐज (उम्र) वह  फ़ाईल कितने दिन पहले अपलोड की गई थी। साईज फ़ाईल का साईज बताता है, इसके बाद कितने सीडर्स और लीचर्स है।
    अब टोरंट नाम पर क्लिक करके चुन लें तो एक नया पेज खुलेगा, वहाँ पर डाऊनलोड का बटन दिखायी देगा और बड़े फ़ोंट में Download .torrent लिखा होगा, इस पर क्ल्कि करेंगे तो एक छोटी सी फ़ाईल डाऊनलोड होगी जिसका एक्सटेंशन .torrent होगा। अब इस .torrent फ़ाईल को डबल क्लिक करेंगे तो टोरंट प्रोग्राम में खुल जायेगी और डाऊनलोड होने लगेगी। सेटिंग्स में जाकर डाऊनलोड फ़ोल्डर जरुर दे दें नहीं तो साधारणतया: यह My Downloads में आ जाती है।
    ध्यान रखने की बात – यह डाऊनलोड और अपलोड डाटा ज्यादा मात्रा में करता है, अमूमन जो साईज है, इसलिये पहले अपने ब्रॉडबेंड प्लॉन को देख लें, जितनी ज्यादा ब्रॉडबेन्ड की रफ़्तार होगी उतनी ही रफ़्तार से फ़िल्म डाऊनलोड होगी।
750 mb की फ़ाईल डाऊनलोड मॆं लगने वाला समय, यह कम और ज्यादा भी हो सकता है।
128 kbps – 8-12 घंटे
1 mbps – 40 min. – 1 घंटा

भारत का गणतंत्र सिसक सिसक कर रो रहा है… और मैं अंदर बैठकर उसके बारे में लिख रहा हूँ (Republic India !)

आदतन आज सुबह नित्यकर्म के पहले घर का दरवाजा खोला, अखबार के लिये और जैसा कि रोज होता है अखबार नहीं आया। आदत है तब भी रोज देखने की आत्मसंतुष्टि के लिये, तो छज्जे पर थोड़ा सा बाहर निकल कर देख लिया, वहाँ किसी के सिसक सिसक कर रोने की आवाज आ रही थी, थोड़ा ध्यान से देखा तो वहीं बिजली के खंभे के पास तिरंगे में लिपटा गणतंत्र था जो कि शायद कोहरा घना होने का इंतजार कर रहा था।

मैं चुपचाप अंदर अपने घर में आ गया, कि कहीं गणतंत्र मेरे पास आकर मेरे पास आकर रोना ना सुनाना शुरु कर दे, मेरी घिग्घी बँधी हुई है, और गणतंत्र के सिसक सिसक कर रोने के कारणों के बारे में सोच रहा हूँ, अगर आप को पता चले कि भारत का बूढ़ा गणतंत्र क्यों सिसक सिसक कर रो रहा है.. तो मुझे अवश्य बताईये।

भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस बैंगलोर से पूना (Due to corruption Infy moves to pune from bangalore)

    भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से पूना ले जा रहा है, जी हाँ कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान होकर, यह पहली बार नहीं हो रहा है, कि कार्पोरेट कंपनी अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से हटा रहा है, पर जिस आईटी कंपनी के कारण बैंगलोर का नाम विश्व के नक्शे पर जाना जाता है, वही अब बैंगलोर से रवाना हो रही है।
    आज बैंगलोर मिरर में मुख्य पृष्ठ पर समाचार है, टी.मोहनदास पई जो कि इन्फ़ोसिस में मानव संसाधन प्रभाग के प्रमुख हैं, सुनकर जब मुझे इतना बुरा लग रहा है जबकि मैं बैंगलोर या कर्नाटक का निवासी नहीं हूँ, परंतु मेरे भारत में अब ऐसा भी हो रहा है यह तो बस अब हद्द ही हो गई है। क्या इसी दिन के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था, क्या गांधी जी ने आजाद देश का यह सपना देखा था, कि सभी लोग आजादी से भ्रष्टाचार कर सकें और मानवीय मूल्यों का हनन कर सकें।
    आज इन्फ़ोसिस जा रही है कल और भी कंपनियों के जाने के आसार हैं, कहीं भारत के भ्रष्टाचार के कारण ऐसा न हों कि ये सभी कंपनियाँ पास के किसी और देश में चली जायें जैसे कि चीन, भूटान या कहीं ओर.. क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… कुछ है क्या…
    मेरे भारत के महान नागरिकों क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… भ्रष्टाचार केवल बैंगलोर में है मुद्दा यह नहीं है, भ्रष्टाचार तो हर प्रदेश में है भारत देश में है, और इस कदर भारतीय तंत्र में घुलमिल गया है कि इसे अलग करना अब नामुमकिन सा लगता है, जब हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री यह कह सकते हैं कि काले धन वाले लोगों की सूची उजागर नहीं की जा सकती तो ऐसे देश के कर्णधारों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
क्या ब्रिटिश शासन ही ठीक था या ये भ्रष्टाचारी स्वतंत्र भारत देश….

विश्व के महानतम निवेशक वारेन बफ़ेट (World’s Greatest Value investor Warren Buffett)

    थोड़े दिनों पहले रद्दीवाले को अखबार के लिये बोलने गया था, तो वहाँ पुरानी किताबें भी लगी रहती हैं, तो हम एक नजर देख लेते थे, और हर बार एक न एक किताब अच्छी मिल जाती थी इस बार किताब पर नजर पड़ी,

बफ़ेट

Book Name : “How Buffett does it, 24 Simple Investing Strategies from the World’s Greatest Value Investor”

Written by “James Pardoe”

Publication: Tata Mcgraw-Hill

यह एक बहुत ही पतली सी किताब है, लेखन ने वारेन बफ़ेट के सिद्धांतो को २४ कूटनितियों में विभक्त किया है, जो कि सभी निवेशकों को अवश्य पढ़ना चाहिये। अभी कुछ दिन पहले क्रॉसवर्ल्ड गया था तो वहाँ वारेन बफ़ेट की कोई मोटी सी किताब रखी थी, जो कि अभी की बेस्ट सैलर भी है, नाम भूल गया, अब अगली बार जाऊँगा तो अवश्य ही खरीदूँगा, उस समय इसलिये नहीं खरीदी क्योंकि अभी पढ़ने के लिये बहुत सारी किताबों का स्टॉक पड़ा है।

इस किताब को पढ़कर निवेश करने के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला, सोच रहा हूँ कि इसी बारे में आगे कुछ पोस्टें लिखी जायें।

अभी जो अधूरी रखी है –

Cashflow Quadrant

अभी रखी हुई किताबों में हैं जो कि पढ़ना बाकी हैं –

Retire Young Retire Rich

The Black Swan

बोधिपुस्तक पर्व की १० किताबें

In the Wonderland of Investment

General Insurance

Life Insurance

पानीपत

सूचि बहुत लंबी है, परंतु इतनी किताबें अभी पंक्ति में हैं।