आज हम सुबह अपने मकान के दलाल के साथ पंजीयक कार्यालय गये थे, जहाँ हमारे मकान मालिक भी थे, यहाँ मुंबई में ११ महीने का किराये का करारनामा होता है जो कि पंजीयन कार्यालय से पंजीकृत भी होना चाहिये। यह पूर्णतया: कानूनी कार्यवाही होती है।
जब हम पंजीयक कार्यालय पहुँचे तो वहाँ लिखा था तहसिलदार भूमापन बोरिवली कार्यालय, और भी ४-५ कुछ और नाम लिखे थे, जो कि हमें याद नहीं है, वहीं पास में झंडे को फ़हराने के लिये लोहे का पाईप भी लगा था, वह देखकर मन में आया कि मुंबई महानगरी में सरकारी कार्यालय में इतने सारे भ्रष्टाचारी लोगों के बीच में अपने तिरंगे को फ़हराने का क्या काम, इसलिये इस लोहे के डंडे को यहाँ होना ही नहीं चाहिये। मन में यह बात लिये हम पहले माले पर चल दिये।
जहाँ हमारे मकान के दलाल ने पहले से ही सब “सैटिंग” की हुई थी, हमारा १२ बजे का नंबर लिया हुआ था, हम पहुँचे १२.४५ बजे पर अगले ने फ़िर “सैटिंग” की फ़टाफ़ट और हमारी फ़ाईल नीचे से ऊपर करवाई और बस हम पंजीयन अधिकारी के कार्यालय में पहुँच गये। मुख्य कुर्सी पर एक महिला काबिज थी जो कि बहुत ही महंगी सी साड़ी पहनी हुई बैठी थीं, और चेहरा बिल्कुल रुखा कि कहीं कोई फ़ोकट में काम न करवा ले।
जहाँ बैठने के लिये दो कुर्सियाँ और एक स्टूल था, स्टूल पर पहले मकान मालिक को बैठाया गया और उनके कुछ हस्ताक्षर वगैरह लिये गये फ़िर “वैब कैम” से फ़ोटो खींचे गये और उल्टे हाथ का अंगूठे का स्कैनिंग किया गया। इसके बाद हमारा नंबर आया और यही सब हमारे साथ किया गया, इसी बीच पंजीयन कार्यालय के दलाल द्वारा एक हस्ताक्षर लिया गया। हमने अपने दलाल पर भरोसा करके उसपर हस्ताक्षर कर दिये (इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं था)।
फ़िर हम उस कक्ष के बाहर आये और वहाँ फ़िर वही दलाल कुछ कागज लाया और हमसे और मकान मालिक से हस्ताक्षर करवाये। हमने अपने अगले ११ महीने के चैक मकान मालिक को सुपुर्द किये और बस अगले ११ महीने के लिये हमारा पंजीयन हो गया, हम केवल १० मिनिट में स्वतंत्र हो गये।
कार्यालय में हमने दो चीजें पढ़ी थीं कि पंजीकरण के लिये नंबर ऑनलाईन किये जा सकते हैं, और ईस्टाम्प। हम हमारे मकान मालिक के साथ बात कर रहे थे कि अगर सभी चीज ऑनलाईन कर दी जाये तभी भ्रष्टाचार का खात्मा संभव है, नहीं तो हम और आप तो कुछ भी नहीं कर सकते इस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ़।
कार्यालय से बाहर निकलते ही हमने अपने दलाल से प्रश्न किया कि अगर बिना भ्रष्टाचार के पंजीयन करवाना हो तो कितना समय लग जाता है। हमारे दलाल का जबाब था कि “हो ही नहीं सकता।” वहीं पर एक अस्थायी पटिये पर बैठे हुए बंदे ने कहा कि अंकल जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। वह भी शायद दलाल ही था। हमने कहा कि वहाँ तो लिखा है कि ऑनलाईन नंबर और ईस्टाम्प सरकार ने शुरु किया है। तो दोनों ठहाके मारकर हँसने लगे और बोले नंबर तो अगले एक महीने का शुरु के दो दिन में ही दर्ज हो जाते हैं, तो हम बोले फ़िर आपको कैसे ऐसे नंबर मिल जाता है, वे बोले पैसे में बहुत ताकत है, और वही ताकत यह सब करवाती है।
जारी…