जो भी अभी तक बर्तन धोता था वो उन्हे धोता रहे।
जो भी कपड़े धोता था वो ही धोता रहे।
जो भी खना पकाता था कृपया मेरे लिये रुके नहीं, और जो भी सफ़ाई करते है वे अपना काम करते रहें।
जो भी अभी तक बर्तन धोता था वो उन्हे धोता रहे।
जो भी कपड़े धोता था वो ही धोता रहे।
जो भी खना पकाता था कृपया मेरे लिये रुके नहीं, और जो भी सफ़ाई करते है वे अपना काम करते रहें।
नई बहू को थोड़े दिन ससुराल में रुकना चाहिये और नई व्यवस्था समझना चाहिये। ससुराल में साथ में रहने से नये परिवार के प्रति अपनापन भी आयेगा और उनकी व्यवस्थाएं भी समझ में आयेंगी।
ज्यादातर ब्लागर्स इस बात से सहमत हैं कि नई बहू को ससुराल में कुछ वक्त गुजारना चाहिये और कुछ का कहना है कि आजकल नई बहू से सास ससुर ने कुछ उम्मीद लगाना ही छोड़ दिया है।
आपकी महत्वपूर्ण राय की प्रतीक्षा है इस पोस्ट पर –
जब कोई भी माता पिता अपने लड़के की शादी करते हैं तो मन में कहीं न कहीं ये आस होती है कि नई बहू आयेगी और हमारी सेवा करेगी और हम उसे बेटी मानकर प्यार देंगे।
अक्सर लड़का घर से दूर होता है तो शादी के तुरंत बाद ही वह उनकी नई बहू को अपने साथ ले जाता है और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करता है। परंतु छोटी छोटी बातों पर झगड़ा या मनमुटाव होता है या फ़िर दोनों में से किसी एक को दूसरे की आदतों के साथ समझौता करना पड़ता है। हमेशा आशा ये की जाती है कि बहू घर में आयी है तो घर सम्भालेगी, और अपने नये घरवालों की हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखेगी
ससुराल में बहू को कुछ समय इसीलिये ही बिताना चाहिये कि वह सभी घरवालों को भली भांति समझ लें और घरवाले अपनी नई बहू को जान लें और अपने अनुकूल ढाल लें, जो संस्कार और जिन नियमों में उन्होंने अपने लड़के को पाला है बहू उन नियमों से भली प्रकार परिचित हो जाये जिससे नई दंपत्ति को असुविधा न हो। लड़के को क्या क्या चीजें खाने में पसंद हैं क्या नापसंद हैं। कैसे मूड में उससे कैसा व्यवहार करना है यह तो केवल ससुरालवाले ही बता सकते हैं। ससुराल में रहने से उसका घरवालों के प्रति अपनापन पैदा होता है, नहीं तो अगर वो कुछ दिनों के लिये ही ससुराल जायेगी तो केवल मेहमान बनकर मेजबानी करवाकर आ जायेगी, अपनेपन से सेवा नहीं कर पायेगी।
आप अपनी राय से जरुर अवगत करायें।