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बीमा पॉलिसी के लिये केवल नामांकन ही नहीं वसीयत भी जरूरी है [Will is equally important with Nomination for Insurance Policy]

    क्या आपने कभी सोचा है कि बीमा दावा राशि का कानूनी रुप से लाभार्थी कौन है ? या उस राशि पर कौन कौन दावा कर सकता है ?

बीमा पॉलिसी के लिये केवल नामांकन ही नहीं वसीयत भी जरूरी है

    अधिकांश लोगों को लगता है कि बीमा दावा का पैसा उनके पति/पत्नी या बच्चे को मिल जायेगा और वे जीवन में आने वाली काठिनाईयों से बच पायेंगे । बहरहाल, यह थोड़ा सा सच है, या कहें आंशिक रुप से सही है । कानून के अनुसार हर संबंधित व्यक्ति जो कि आर्थिक रुप से बीमित व्यक्ति पर आश्रित है, बीमा दावा से मिलने वाले धन पर पर दावा कर सकता है।

    लगभग सभी लोग बीमा लेते समय पति/पत्नि को बीमा दावा के लिये नामित करते हैं, और यही समझते हैं कि अगर दुर्भाग्य से मृत्यु हो भी गई तो बीमाधन उनके पति/पत्नि को मिल जायेगा। यह भी आंशिक रुप से सही है, नामांकन का मतलब होता है कि वह नामित व्यक्ति बीमा धन का दावा कर सकता है, पर उसका उपयोग नहीं कर सकता । वह बीमा धन कानूनीतौर पर सभी आश्रितों में बांटी जानी चाहिये।

    तो अगर आप चाहते हैं कि बीमा धन किसी एक व्यक्ति विशेष के पास ही जाना चाहिये तो बीमा कागजातों पर नामांकन काफ़ी नहीं है। आपको एक वसीयत तैयार करवाना चाहिये जिस पर साफ़ शब्दों में लिखा हो कि बीमा धन से प्राप्त होने वाला धन नामित व्यक्ति/विशिष्ट व्यक्ति को ही दिया जाये, और कोई इस धन का अधिकारी नहीं है। कानूनी रुप से मान्य होने के लिये यह वसीयत पंजीकृत होनी चाहिये।

    इसलिये अगर आप ने अभी तक यह नहीं किया है, तो जल्दी से पहले अपने वकील के पास जाईये और सलाह लीजिये और वसीयत तैयार कीजिये।

    क्योंकि इसका सबसे बड़ा एक कारण तो ये है कि आप जिंदगी की परेशानियों से अपने परिवार को  बचाने के लिये  जैसे तैसे अपनी बीमा किश्त का भुगतान कर रहे हैं, कि जब अगर आप न हों उनके साथ, तो वे आर्थिक रुप से सक्षम हों, दुखी न हों। वसीयत करिये यह बहुत जरुरी है।

DNA मुंबई में छपा यह आलेख भी पढ़िये ।

वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिये ७ महत्वपूर्ण विशेष बातें [Important things to get financial freedom…]

क्या आपने कभी सोचा है कि “अगर मैं वित्तीय स्वतंत्र हो जाऊँ तो ?” अगर ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा हो…

१) बुनियादी जरुरतों के लिये काम ना करना पड़े, केवल अपने मासिक बिलों और ऋण के  भुगतान के लिये कमाना पड़े, बाकी के अपने बचे हुए कैरियर में… नहीं !!

२) और् नहीं !! वो अंतहीन काम करने का समय !! केवल अपने आपको इस अंतहीन चूहा दौड़ में श्रेष्ठ साबित करने के लिये, क्योंकि अगर आप जीत् भी गये तब भी आप है तो चूहे ही ना ….

३) जीवन को भरपूर आन्ंद से जीने की इच्छा और् क्षमता, अपने परिवार के साथ और ज्यादा वक्त गुजारना, अपने परिवार को छुट्टियों पर ले जाना या फ़िर किसी अच्छे रेस्त्रां में कभी भी ले जाना जब आपकी इच्छा हो …

४) आप जो भी अपने मन का नहीं कर पा रहे थे, उसे अपने पूरे मन से कर पायें ..

अच्छे विचार, लेकिन आप शायद सोच रहे होंगे कि मैं दिन् मैं भी सपने देखता हूँ ?  तो कह सकते हैं हाँ भी और ना भी …

हाँ – क्योंकि दिन के सपने मुझे अच्छे विचारों की और् प्रेरित करते हैं, कि मैं कैसे और अच्छे से अपनी जिंदगी में र्ंग भरूँ । आखिरकार हमें एक बार ही जीवन मिला है, तो हम् इसे और सार्थक बनाते हैं।

नहीं – क्योंकि नय विचारों के साथ, हम नये मिलने वाले अवसरों का विश्लेषण कर सकते हैं, और् सबसे प्रभावी दृष्टिकोण को अपना सकते हैं। विचारों के साथ ही अवसर आते हैं, अवसर के साथ कार्य और कार्य के होने से परिणाम आता है !!

तो मैं आपको जो कुछ आगे बताने वाला हूँ उससे आपको अपने वित्तीय स्वतंत्रता को पाने के लिये आप अभी जहाँ अभी खड़े हैं उससे एक् कदम आगे होंगे।

७ जरुरी वित्तीय बातें, जो कि सभी लोगों को पता होना चाहिये –
१) धन का महत्व् समझना
२) धन पर् नियंत्रण रखना
३) धन को बचाना
४) धन को निवेश करना
५) धन कमाना
६) धन को बचाना
७) धन को बांटना सीखना

१) धन का महत्व् समझना – क्या आप धन का महत्व् समझते हैं और् उसकी इज्जत करते हैं ? अगर आज आपको वित्तीय हानि होती है तो क्या आप उसका बर्तमान और भविष्य में होने वाले परिणाम को जानते हैं।

क्या आप अपनी पूरी मासिक आय खर्च कर देते हैं, और् कुछ भी बचा नहीं पा रहे हैं, शर्मिन्दा होने की क्या बात् है, केवल आप अकेले ही ऐसे नहीं हैं, ऐसे बहुत् से लोग् हैं ।

जब तक हम धन का महत्व समझना शुरू नहीं करेंगे, तब तक हम अपने कार्य के महत्व को, बचत की जरुरतों को, और अपनी जबाबदेही को भी नहीं समझ पायेंगे ।

आप कितना खर्चा कर रहे हैं, कितना कमा रहे हैं, अपना धन कहाँ और् कैसे रख रहे हैं, यह सबसे जरूरी है, तो इससे आपको पता चल जायेगा कि केवल अपनी जीवन की आवश्यकताओं को ही पूरा कर रहे हैं या फ़िर् कुछ अपने  लिये अतिरिक्त धन बचा भी सकते हैं।

२) धन पर् नियंत्रण रखना – मुझे लगता है कि अधिकतर लोगों की कमाई का केवल एक ही जरिया होता है नौकरी । इसी से आपके और आपके परिवार के जरुरी खर्चे चलते हैं, और यहीं इसी एक कमाई के सधन के लिये आप दिनरात काम करते हैं, । अगर आप ल्ंबे समय के लिये बीमार पड़् जायेंगे तो ??  घरखर्चा कैसे चलेगा ।

इस परेशानी से बचने का एकमात्र उपाय है कि आपकी नौकरी के साथ साथ आपकी विविध तरह से  दूसरी कमाई भी हो, केवल जब आप ये लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तभी आप अपने आप को वित्तीय स्वत्ंत्र बना सकते हैं, और मस्ती में जिंदगी निकाल सकते हैं।

३) धन को बचाना – अगर आपके पास बहुत सारा धन है, और आप उसे बचाते नहीं हैं, आपके पास उससे ज्यादा धन नही आयेगा, आप और धन नहीं जोड़् पायेंगे। इसे “नकदी प्रवाह प्रब्ंधन” कहा जाता है। आपको अपनी आमदनी बढ़ाकर् खर्चों में कटौटी करना होगी, यही धन वृद्धि का मूल म्ंत्र है। अगर आपके पास अतिरिक्त धन होगा, तो बाजार में बहुत सारे नये वित्तीय उत्पाद हैं निवेश करने के लिये, जिनसे आपके धन में अच्छी वृद्धि हो सकती है।

४) धन का निवेश करना – कुछ आम उत्पाद जो कि आजकल बाजार में उपलब्ध हैं, शेयर, म्यूचयल फ़्ंड्, बांडस, मकान इत्यादि। इतनी सारे विकल्पों के होने के कारण, किसी अनुभवी वित्तीय प्रब्ंधक के साथ सलाह करके उस वित्तीय उत्पाद का विवरण प्राप्त करके निवेश करना उचित होगा, और आप अपने धन को समझदारी से अच्छी जगह निवेश कर पायेंगे। ऐसे वित्तीय उत्पाद बेचने वालों से बच कर रहें जो कि ज्यादा कमीशन वाले उत्पाद बेचने के लिये उत्साहित करते हैं, जो कि आपके ल्ंबी अवधि के योजना के लिये अच्छे न हों ।

५) धन कमाना – एक् बार आपने अपने धन को निवेशित करने के लिये अच्छा रास्ता चुन लिया, फ़िर स्ंयम के साथ अपने धन को बढ़्ते हुए देखें।  “धन स्ंयम के पेड़ पर बड़ा होता है”।

६) धन को बचाना – जब आपके पास धन होता है, तो आपको पता होता है कि धन आसानी से नही आया है, तो अगला कदम है मेहनत से कमाये हुए धन को बचाना। बुरे समय से निपटने के लिये अपने धन को सुरक्षित रखें या फ़िर् वापिस निवेश कर दें। आपको हमेशा अपने पास किसी भी आपात स्थिती से निपटने के लिये कम से कम ६ महीने का खर्चा नकद (बैंक् एकाऊँट) में रखना चहिये।

७) धन को बांटना सीखना – ज्यादा धन आपके पास होने पर्, आप वो सब कर सकते हैं जो करना चहते हैं, जिन सबका मैंने शूरु में उल्लेख किया है। अपने परिवार को सुख सुविधाओं के साथ ज्यादा समय दे सकते हैं, परिवार को छुट्टियों पर घुमाने ले जा सकते हैं, या जब भी आप चाहें किसी अच्छे रेस्त्रां में ले जा सकते हैं। आप अपने परिवार को ज्यादा लाड़ प्यार, सम्मान, समय दे सकते हैं जो पहले नहीं दे पा रहे थे। आप अपनी नौकरी छोड़कर कुछ अपने मन का, जो आपको पसंद है, कर सकते हैं। सही नहीं है क्या ये कि मैं और शायद आप भी हमेशा यही सोचते हैं कि कब अपना मनपसंदीदा काम करने को मिलेगा।

मुझे विश्वास है कि आप भी मेरी तरह वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिये रास्ता खोज रहे होंगे। “समय और ज्वार-भाटा किसी का इंतजार नहीं करते हैं” इसलिये यह बहुत जरुरी और महत्वपूर्ण है कि वित्तीय योजना आज से ही बनायी जाये और उस पर अमल भी किया जाये। और इन ७ महत्वपूर्ण विशेष बातों को रोज ध्यान में रखें।

शिक्षा में निवेश और धन के महत्व को शामिल होना ही चाहिये ? [ Investment and importance of money should be part of our education system]

    लगभग सभी लोग अपने जीवन के महत्वपूर्ण १६-२० वर्ष शिक्षा ग्रहण करते हैं, परंतु उस शिक्षा में कहीं भी यह नहीं सिखाया जाता है कि धन कैसे कमाया जाता है, धन कितना महत्वपूर्ण है, धन को सही तरीके से कैसे निवेश किया जाये इत्यादि।

    शिक्षा में हम ग्रहण करते हैं, विषयगत ज्ञान, जो कि इतिहास, भौतिक विज्ञान, वनपस्पति विज्ञान, हिन्दी इत्यादि होते हैं। जिनसे हम उन विषयों में पारंगत तो हो जाते हैं, पर धन की महत्वपूर्णता को समझ नहीं पाते हैं, और न ही ये सीख पाते हैं कि अगर निवेश किया जाये तो कहाँ।

जब कमाने लगते हैं तो रिश्तेदारों के, दोस्तों के या माता पिता के कहने पर उनके अनुभव से धन को निवेश करने लगते हैं। परंतु क्या कभी आपने सोचा है कि जब २० वर्ष शिक्षा ग्रहण अपने बलबूते पर की, उन विषयों में पारंगत हुए तो फ़िर धन के निवेश में क्यों नहीं, जबकि हमने शिक्षा ग्रहण इसलिये की है कि हम अपना भविष्य सामाजिक और आर्थिक रुप से सुदृढ़ रख पायें।

जब नौकरी लगती है और निवेश की बारी आती है तो अच्छे अच्छे लोगों के दिमाग हिल जाते हैं, भले ही वे अपने विषयों में पारंगत हो, परंतु निवेश में कतई नहीं। निवेश में पारंगत होना केवल और केवल व्यक्तिगत रुचि है। निवेश भी अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है और इसमें पारंगत होना सभी के लिये अनिवार्य होना चाहिये परंतु हमारी शिक्षा में निवेश विषय नहीं है।

नौकरी के बाद पहली बार आयकर रिटर्न भरना होता है तो पसीने छूटने लगते हैं, जबकि आयकर विभाग ने अपने रिटर्न बहुत ही आसान कर दिये हैं, हम जब से नौकरी कर रहे हैं, तब से हम खुद ही अपना रिटर्न भर रहे हैं, आप बताईये क्या आप भी खुद ही आयकर रिटर्न भरते हैं या फ़िर इसे भरना बहुत बड़ा सरदर्द मानकर कुछ फ़ीस देकर बाजार से भरवा लेते हैं।

तो बताईये शिक्षा में निवेश और धन के महत्व को शामिल होना चाहिये या नहीं ?

ऑटो की हड़ताल , किराये में बढ़ौत्तरी और हम आम आदमी… मुंबई में विवेक रस्तोगी

    सुबह ९ बजे तक सब ठीक था, परंतु एकाएक सीएनबीसी आवाज पर एक न्यूज फ़्लेश देखा कि मुंबई में ऑटो की हड़ताल, फ़िर हम दूसरे न्यूज चैनलों पर गये परंतु कहीं भी कुछ नहीं आ रहा था।  अपने सहकर्मी के साथ रोज ऑटो में जाते थे उसका फ़ोन आया कि आ जाओ हम घर से निकले तो वो अपनी मोटर साईकिल पर आया हुआ था, हम उसकी मोटर साईकिल पर लद लिये। सड़कों पर दूर दूर तक ऑटो और टेक्सियाँ कहीं दिखाई नहीं दे रही थीं।

    पर आज कमाल की बात हुई कि हम केवल १० मिनिट में ही ऑफ़िस पहुँच गये जो कि रोज से लगभग आधा है, और तो और बसें भी अपनी पूरी स्पीड से चल रही थीं, ऐसा लगा कि ये ऑटो और टेक्सी वाले ही ट्राफ़िक न्यूसेंस करते होंगे, तभी तो कहीं भी कोई ट्राफ़िक नहीं, ऐसा लग रहा था कि हम मुंबई नहीं कहीं ओर हैं, और इस शहर में ऑटो और टेक्सियों की पाबंदी है।

    सी.एन.जी. गैस की कीमत ३३% बढ़ायी गई है, और ऑटो यूनियनों की मांग थी कि बेस फ़ेयर १.६ किमी के लिये ९ रुपये से बढ़ाकर १५ रुपये कर दिया जाये और उसके बाद प्रति किमी ५ से बढ़ाकर ६.५० रुपये कर दिया जाये। तो मांग मान ली गई और बेस फ़ेयर ९ रुपये से बढ़ाकर ११ रुपये कर दिया गया और उसके बाद प्रति किमी. ५ से बढ़ाकर ६.५० रुपये कर दिया गया है। सीधे सीधे २५% की ऑटो किराये में बढ़ौत्तरी कर दी गई है। अभी तक हमें एक तरफ़ के ४० रुपये लगते थे अब ५० रुपये लगेंगे, याने कि महीने के ५०० रुपये ज्यादा खर्च होंगे।

    अब सरकार को कन्वेन्स एलाऊँस ८०० से बढ़ाकर २००० रुपये कर देना चाहिये जिससे आयकर में ही कुछ राहत मिले।

    पूरा मुंबई बिना ऑटो और टेक्सी के बहुत ही अच्छा लग रहा था, अगर इनको हटा दिया जाये और बेस्ट अपनी बसें बड़ा दे तो ज्यादा अच्छा है।

    शाम को ऑफ़िस से निकले तो फ़िर ऑटो की तलाश शुरु की, क्योंकि हमारे सहकर्मी को कुछ काम था तो पहले आधे घंटे तक तो ऑटो ही नहीं मिला फ़िर सोचा कि चलो बस से बोरिवली जाते हैं और फ़िर वहाँ से अपने घर तक की बस मिल जाती है, तो थोड़े इंतजार के बाद ही सीधे घर के ओर की ही बस मिल गई। बस के पिछले दरवाजे पर लटकते हुए अगले स्टॉप पर अंदर हो पाये। फ़िर थोड़ी देर में ही बस लगभग खाली जैसी थी, तो हमने कंडक्टर से पूछा ये रोज ऐसी ही खाली आती है क्या ? वो बोला कि आज खाली है ऑटो के हड़ताल के कारण लोग ऑफ़िस नहीं जा पाये।

    खैर हम घर पहुँचे तो टीवी पर खबर देखी कि दिल्ली में तो लूट ही मच गई है, पहले २ किमी के लिये २० रुपये और फ़िर २ किमी. के बाद ६.५० रुपये कर दिया गया है। शायद अब दिल्ली में ऑटो वाले मीटर से चलें।

    खैर अपन तो आम जनता है और हमेशा से अपनी ही जेब कटती है और हम कुछ बोलते नहीं हैं, बोल भी नहीं पाते हैं। बस हमेशा लुटने को तैयार होते हैं, और हम कर भी क्या सकते हैं।

आपके डेस्कटॉप पर क्या है ? कहीं कोई आपकी फ़ाईलों से फ़ायदा तो नहीं उठा रहा है ? [What’s on Desktop ? Anyone is using your infromation ?]

    आपके डेस्कटॉप पर कितना कचरा है और कितनी काम की फ़ाईले हैं, उसमें कितनी सार्वजनिक हैं, कितनी निजी हैं, कितनी गोपनीय और कितनी अतिगोपनीय हैं। क्या कभी सोचा है ?
    सोचा भी है तो कभी ध्यान नहीं दिया, कभी अपना परीक्षा का एन्ट्री टिकट की पी.डी.एफ़. फ़ाईल छोड़ दी, कभी कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज काम करते करते डेस्कटॉप पर छोड़ दिया, अपने वित्तीय आंकड़ों को छोड़ दिया। अपने कुछ निजी चित्र जो कि शायद किसी से भी शेयर नहीं करना थे, वे डेस्कटॉप पर ही कॉपी करके छोड़ दिये हैं।
    हम बहुत ही ज्यादा आलसी नहीं हैं ? अपने काम के महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संभालने में ? सोचिये अगर ढंग से जमाया जाये तो कितना समय लगेगा। अरे १ मिनिट ज्यादा लगेगा, परंतु हम इधर से उधर घूमना, गप्पें मारने में वो एक मिनिट गंवाना उचित समझते हैं। परंतु दस्तावेजीकरण में नहीं।
    डेस्कटॉप पर कई बार कुछ फ़ाईलें ऐसी होती हैं, जो किसी एक आदमी को न बतानी हो और वो ही आपके कम्प्य़ूटर पर आकर बैठ जाये और गलती से उसकी नजर उस फ़ाईल पर पढ़ जाये, और वो खोल ले तो !!! आप तो संकोच के मारे मरे ही जा रहे हैं, तो ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिये १ मिनिट बहुत जरुरी है।
    अगर कोई जरुरी फ़ाईल ढ़ूँढ़नी है, तो नहीं मिलेगी क्योंकि आपको याद ही नहीं है कि वह फ़ाईल कहाँ सेव कर दी है, फ़िर ढूँढते रहेंगे और अपना कीमती वक्त बर्बाद करते रहेंगे। नहीं !!!
    अगर सभी श्रेणियों के फ़ोल्डर एक फ़ोल्डर के अंदर बनाकर अच्छे से दस्तावेजीकरण कर दिया जाये तो वक्त की बचत भी होगी और एक तरह के दस्तावेज एकदम मिलेंगे।
    जैसे ओफ़िस का एक फ़ोल्डर बना लिया – फ़िर अलग अलग प्रोजेक्ट के फ़ोल्डर, और निजी नाम से एक और भी जरुरत के अनुसार और फ़िर प्रोजेक्ट फ़ोल्डर में जरुरत अनुसार फ़ोल्डर बना सकते हैं, जिससे जब किसी प्रोजेक्ट की फ़ाईल की जरुरत हो तो एकदम से उस फ़ोल्डर में जाकर मिल पाये।
    थोड़े से आत्मअनुशासन से अपने गोपनीय दस्तावेजों की गोपनीयता बचा सकते हैं। अब खुद देखिये कि आपके डेस्कटॉप पर कोई ओर बैठ जाये तो कौन कौन सी फ़ाईलें नहीं दिखना चाहिये, तो शुरु हो जाईये अपना डेस्कटॉप की फ़ाईलों को करीने से लगाने में, बात मानिये पहली बार १० मिनिट से ज्यादा नहीं लगेंगे। और ज्यादा सुखी और खुशी महसूस करेंगे।

टेलिकॉलर्स, टेलिवार्ता, ३७ लाख के लिये बीमा और रिलायंस फ़ार्मा फ़ंड का विश्लेषण [Telecallers, Call, Insurance for 37 lacs, Reliance Farma Fund ]

    आजकल लगभग हर रोज कहीं न कहीं से टेलीकालर्स के कॉल से परेशान हैं, DND चालू है तब भी लगता है कि इन लोगों पर सरकार का कोई डर नहीं है और बेधड़क फ़ोन खटका रहे हैं, फ़ोन आते हैं २ प्रकार की कंपनियों के, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेन्स कंपनी। और दोनों से कैसे निपटना है वो हमने सीख लिया है – आप भी देखिये।

१. क्रेडिट कार्ड –

कॉलर – “सर, मैं स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से बोल रही हूँ”

मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”

कॉलर – “सर यह फ़ोन क्रेडिट कार्ड के लिये किया गया है, क्या आप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का कार्ड उपयोग करते हैं”

मैं – “ जी हाँ करते हैं” [बिल्कुल नहीं करते हैं, और दूसरी तरफ़ से खुद ही फ़ोन कट हो जाता है :D]

२. इंश्योरेन्स कंपनी –

कॉलर – “सर, मैं टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेन्स कंपनी से बोल रही हूँ”

मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”

कॉलर – “सर एक इन्वेस्टमेन्ट सेविंग स्कीम है जो कि आपको समझाना है, जो आपके लिये बहुत अच्छी है”

मैं – “नहीं समझना है, टाईम नहीं है”

कॉलर – [हावी होते हुए] “आप एक बार समझिये तो सही, केवल हर महीने २ हजार रुपये जमा करने हैं और २५ वर्ष के बाद आपको ३७ लाख रुपये मिलेंगे, कंपनी १% और २% का बोनस भी देती है” [ फ़िर कुछ गणना बताती है]

मैं – “३७ लाख रुपये !!! आप दे ही नहीं सकते हैं, झूठ बोल रही हैं आप, क्यों लोगों को गुमराह कर रही हैं”

कॉलर – “नहीं सर, ३७ लाख आपको मिलेंगे और साथ ही मिलेगा ५ लाख का बीमा और मेडीक्लेम भी”

मैं – “नहीं नहीं सब है मेरे पास”

कॉलर – “सर इतनी सुविधाएँ और किसी प्रोडक्ट में नहीं है और रिटर्न भी”

मैं – “चलिये अच्छा मैं आपकी पॉलिसी ले लेता हूँ,बशर्ते कंपनी मुझे यह लिख कर दे कि ३७ लाख रुपया मिलेगा, २५ वर्ष के बाद”

कॉलर – “नहीं सर, कोई भी कंपनी यह लिखकर नहीं दे सकती कि ३७ लाख मिलेगा, वैसे अगर ज्यादा मिला तो ?”

मैं – “अगर लिखकर नहीं दे सकते तो दावा क्यों करते हो, और अगर ज्यादा मिले तो कंपनी रख ले मुझे तो केवल ३७ लाख से मतलब है”

कॉलर – “नहीं सर कंपनी ऐसा नहीं कर सकती”

मैं – “नहीं फ़िर मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है, अगर आप लिखकर दें कि ३७ लाख मिलेगा तो मेरा नंबर आपके पास है ही, आप फ़ोन करके अपना एजेन्ट मेरे पास भेज दीजियेगा, मैं हाथों हाथ पॉलिसी ले लूँगा”

कॉलर – [हताश होकर] “नहीं सर लिखकर नहीं दे सकते !” और फ़ोन काट देती है।

    यहाँ पर एक बात रखना चाहूँगा, अगर इश्योरेन्स कंपनियाँ जानती हैं कि अगले २५ वर्षों में इतना रिटर्न मिलेगा पर IRDA के नियम से वे लिखकर कुछ नहीं दे सकती हैं, तो क्यों हम ULIP और जमा वाले इश्योरेन्स उत्पाद लेते हैं, सीधे म्यूचयल फ़ंड में क्यों नहीं बचत करें।

    मैंने एक SIP शुरु की है रिलायंस फ़ार्मा बहुत ही अच्छा म्यूचयल फ़ंड है, और इसका प्रदर्शन बहुत ही जोरदार रहा है, और मेरा मानना है कि आने वाले समय में फ़ार्मा क्षैत्र की बिक्री बड़ने ही वाली है, तो मोनोपॉली जैसा सेक्टर है, सेक्टर फ़ंड में इससे अच्छा और कोई फ़ंड नहीं लगता। अगले ५ वर्षों में इसमें बहुत अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद है और लंबी अवधि में तो और भी ज्यादा।

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इन्श्योरेन्स के लिये पढें [चटका लगायें]

कुछ खरीदारी मैगी मसाला पास्ता, सी.एफ़.एल., पेस्ट्री, पढ़ने के लिये बच्चों को रिश्वत ? [एक सवाल]

   कल ऐसे ही घर से दोपहर के वक्त सामान लेने के लिये निकला अब हँसिये मत घर के लिये समान तो सब ही लाते हैं, बस एक दूसरे को बताते हुए शर्म खाते हैं, नहीं लाओ तो वीकेंड बर्बाद और पूरा वीक भी वीकेंड जैसा ही रहता है।

    सबसे पहले गये किराना दुकान पर, हमें बोला गया था कि मैगी का पास्ता मसाला मैनिया लाना है, हमने दुकानदार को वही बोला तो जबाब मिला कि मसाला मैनिया कुछ नहीं आता, मसाला  और कुछ अजीब सा नाम बोला तो हमने कहा कि यही दे दो २ पैकिट, ऐसा लग रहा था कि हमें ये सब चीजें पता न होने से यह लग रहा है कि हम आऊटडेटेड होते जा रहे हैं। फ़िर जेब से एकॉर के फ़ूड कूपन निकाले और कुछ चिल्लर निकालकर पेमेन्ट किया। वैसे तो और भी किराना स्टोर हैं परंतु यह सुपरबाजार जैसा है और अपने कस्बे के जैसा भी है, अगर ऑर्डर दो तो समान निकाल भी देता है, नहीं तो खुद नये जमाने के हिसाब से शॉपिंग कर लो अपनी बास्केट उठाकर।

    वहाँ से निकले तो हमें सी.एफ़.एल. लेनी थी, किराना पर पूछा तो बोला नहीं पास की दुकान पर मिलेगी, हम चल दिये अपना झोला उठाये, जी हाँ अपना झोला क्योंकि मुंबई में प्लास्टिक की पोलिथीन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

————— सी.एफ़.एल. के लिये हार्डवेयर की दुकान पर ———————————–

भैया, एक सी.एफ़.एल. देना,

“कितने वोल्ट की दूँ ?”,

हम बोले दे दो १२ वोल्ट की, पर ये बताईये कि इस पर कितनी गारंटी है,

“छ: महीने की”,

फ़िर हम बोले ओह मतलब जो फ़्यूज हुई है हम उसका आलरेडी ९ महीने ज्यादा इस्तेमाल कर चुके थे, मतलब १५०% का फ़ायदा।

“नहीं सा..ब वैसे तो यह ३००० घंटे चलती है और कई बार ३-४ साल भी चल जाती है, पर गारंटी छ: महीने की ही है”

ओह, अब हम याद करने लगे कि ये ३००० घंटे क्या हमारा परिवार पिछले १५ महीने में नहाता ही रहा होगा क्या ?

“वैसे आपको बाथरुम में लगानी है तो १२ वोल्ट की जगह ८ वोल्ट की लीजिये, लोग तो ५ वोल्ट की भी लगाते हैं”

हमने कहा चलो ८ वोल्ट की ही दे दो।

“टेस्ट कर देता हूँ”

फ़िर उसने सी.एफ़.एल. के ऊपर ही आज की तिथि और गारंटी खत्म होने की तिथि दोनों ही अंकित कर दीं।

——————————— मोजिनीज पर ———————————————-

    वहाँ से निकले किसी ओर दुकान के लिये परंतु वहीं मोजिनीज पेस्ट्री की दुकान दिख गई तो सोचा चलो कोई चॉकलेट वाली पेस्ट्री बेटेलाल के लिये ले लेता हूँ, क्योंकि कई दिनों से हमने पेस्ट्री नहीं खिलाई है, एक चॉकलेट फ़ुल्ली लोडेड वाली पेस्ट्री घर के लिये पैक करवा ली।

——————————स्टेशनरी की दुकान पर —————————————–

    मुंबई में लगभग सभी दुकानें मल्टी टास्किंग करती हैं, अपने नाम के अन्रुरुप तो समान मिलता ही है परंतु और भी समान मिल जायेगा, मसलन स्टेशनरी की दुकान पर प्लास्टिक का समान, फ़ोटोकॉपी, गेम्स सीडी और भी बहुत कुछ…

    हमारे बेटेलाल के एग्जामस शुरु होने वाले हैं सोमवार से और स्कूल में फ़ाईल को फ़्लोरोसेंट रेड कलर में कवर करके मंगाया गया है, तो कवर लेना था, खुद के लिये एक फ़ाईल लेनी थी, और जिलेटिन लेनी थी बेटेलाल की किताबों के लिये, स्कोर शीट में किताबें मैंटेन करने के भी ५ नंबर जो हैं।

    सड़क से ही एक लड़के ने दुकानदार से कुछ पूछा, दुकानदार ने कहा “है आ जाओ”, तो लड़के की मम्मी ने वहीं से कहा कि बेटा नहीं मिलेगा चलो कल देखेंगे । लड़का बोला नहीं मम्मी है चलो …. और वो जबरदस्ती खींचता हुआ मम्मी को दुकान में ले आया । लड़्के को गेम्स की सीडी चाहिये थी।

    दुकानदार ने ४-५ सीडी निकालकर दे दी और बोला कि सील मत खोलना, अगर सील खुल गई तो आपने खरीद ली है यह मान लिया जायेगा, हमने सोचा वाकई यहाँ पर सभी लोग कितने प्रोफ़ेशनल हैं, नहीं तो खरीददार का क्या है वो तो खोलकर देख ही लेगा । साथ में दुकानदार चेता भी रहा था, एक एक सीडी महँगी है, जिस गेम की लेनी हो वही लेना, ऐसा नहीं हो कि दूसरे गेम की ले जाओ और आपके पैसे फ़ालतू में खर्च हो जायें।

बात तो एकदम सही कह रहा था।

एक गेम की सीडी खरीद ली गई, और दुकानदार ने ३८० रुपये दाम बताया तो वे बोलीं कि इस पर तो ३९० लिखा है आपने बस इतना ही कम किया।

“नहीं मैंने कुछ कम नहीं किया है, देखिये ३८० रुपये ही लिखा है”

कुछ तो कम कीजिये ना अपनी तरफ़ से कुछ तो डिस्काऊँट दीजिये ??

“मैडम ये डिस्काऊँटेड प्राईस ही है”

तो वे अपने पर्स में खुल्ले तलाशने लगीं।

“५०० का नोट दे दीजिये मैं पूरी ईमानदारी से बाकी पैसे लौटाता हूँ”

उसका इतना बोलते ही हमें भी हँसी छूट गई।

    साथ में वे बोलती भी जा रही थीं – आज इसने पूरे ४ घंटे पढ़ाई की है, परसों से एग्जाम है, फ़िर अपने बेटे से भाव कर रही थीं कि यू गेट वन गेम सी.डी. एस आई प्रामिस्ड, नाऊ यू हैव टू रीड २ होवर्स मोर, ओनली ऑफ़्टर देट यू विल प्ले गेम  ओन कम्पयूटर ।

बेटा भी कुछ आरग्यूमेंट करता जा रहा था।

और वे माँ बेटे चले गये।

    फ़िर मैं दुकानदार से मुखतिब हुआ कि बताओ आजकल बच्चों को पढ़ाने के लिये भी रिश्वत देना पड़ती है, और हमारे जमाने में पूरा पढ़ लो तब भी जूते ही पढ़ते थे, ऐसे पढ़ाई करते हैं, याद तो पूरा है नहीं, ये सब करने से क्या फ़र्क पड़्ता है और भी बहुत कुछ [ मैं याद नहीं करना चाहता ..]

और आजकल बस कैसे भी करके पढ़ लें सिलेबस पूरा कर लें, याद है या नहीं, क्वालिटी है या नहीं उससे किसी को कोई मतलब नहीं है।

हमने भी अपना पेमेन्ट किया और घर चल दिये।

    सोच रहे थे कि हमारे बेटे ने भी तो आज जितना पढ़ाया उतना पढ़ लिया और ये पेस्ट्री कहीं हम भी रिश्वत के लिये ही तो नहीं ले जा रहे हैं, या फ़िर ये केवल पिता का प्यार है कि बेटेलाल ने बहुत दिनों से पेस्ट्री नहीं खाई है, पेस्ट्री देखकर ही खुश हो जायेगा, और बोलेगा –

“अरे वा डैडी, आप तो बहुत ही प्यारे हो, मैंने तो बहुत दिनों से पेस्ट्री नहीं खाई थी, मजा आ गया डैडी…”

सोच रहा हूँ…

शीघ्र सेवानिवृत्ति कैसे ? भाग ४ [सेवानिवृत्ति से प्राप्त होने वाले धन का कैसे प्रयोग करें] [Early Retirement How ? Part 4]

    सेवानिवृत्ति धन को कैसे निवेश करें, यह सबसे बड़ी सरदर्दी है, और इस बारें में कोई भी खुलकर बात नहीं करना चाहता है।
    यह तो तय है कि इस धन को जोखिम वाले वित्तीय उत्पादों में नहीं लगा सकते हैं जैसे कि शेयर बाजार।
    मुद्रास्फ़ीति से मुकाबले के लिये सबसे अच्छा वित्तीय उत्पाद है, स्विप (SWP – Systematic Withdraw plan), सिप का बिल्कुल उल्टा जैसे सिप में हम पैसे जमा करते हैं, वैसे ही स्विप में जमा रकम से कुछ निर्धारित रकम हम निकालते हैं। इस वित्तीय उत्पाद को कम ही लोग उपयोग करते हैं, क्योंकि लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है, इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है।
    आप अपने स्विप विभिन्न म्यूचयल फ़ंड में लगा सकते हैं, जिससे अगर कोई एक फ़ंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा हो तो आप उसे किसी दूसरे फ़ंड में स्विच कर सकें।
स्विप के फ़ायदे –
स्विप में आप निर्धारित रकम तो निकालते ही हैं तथा साथ ही यह रकम बाजार के प्रदर्शन के आधार पर बदलती रहती है, लंबी अवधि के लिये देखेंगे तो शायद ही इससे अच्छा किसी और वित्तीय उत्पाद का प्रदर्शन होगा।
कितना निकालें –
अपने निवेश का १ % निकालें यह मानक के अनुरुप है। अगर ज्यादा निकालेंगे तो ठीक नहीं रहेगा।
उदाहरण – अगर ५ लाख रुपये जमा कर रहे हैं तो मासिक ५,००० रुपये निकालना चाहिये।
लंबी अवधि के लिये स्विप का परिणाम देखें –
    ५ लाख रुपये १७ जून २००४ को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ में स्विप के लिये निवेश किया और ५,००० रुपये मासिक निकासी किये। तो उसने ६ वर्षों में ३,६०,००० रुपये तो निकासी किये ही और साथ में मूलराशि २४,७१,६१० रुपये हो गई। जी हाँ यह असल के आँकड़े हैं, इसके लिये आप गूगल पर SWP calculator search कर गणना कर सकते हैं।
    ५ लाख रुपये १७ जून २००९ को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ में स्विप के लिये निवेश किये और ५००० रुपये मासिक निकास किये।  तो इन १२ महीनों में निकासी रकम हुई ६०,००० रुपये और साथ में मूलराशि हो गई ६,११,९१५ रुपये।
    इस तरह से अपने रुपयों को ४-५ म्यूचयल फ़ंडों में निवेश करें और बाकी का ५ लाख रुपये जो कि आपने अपने बच्चे की पढ़ाई के लिये रखा है उसे लंबी अवधि के लिये अच्छे म्यूचयल फ़ंडों में निवेश करें। जिससे जरुरत के समय आपके पास जरुरत से कहीं ज्यादा रकम होगी।
आपको भविष्य में कभी भी धन के लिये किसी को देखना ही नहीं पड़ेगा।
    मैं तो अपनी शीघ्र सेवानिवृत्ति की योजना बना चुका हूँ, अगर आप भी बना रहे हैं और कोई सवाल हो तो जरुर पूछिये, टिप्पणी में नहीं तो ईमेल में कैसे भी। मैं आपके सवालों का उत्तर जल्दी से जल्दी देने की कोशिश करूँगा।

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शीघ्र सेवानिवृत्ति कैसे ? भाग ३ [वित्तीय लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें, १५ लाख या १५ करोड़ ?] [Early Retirement How ? Part 3]

वित्तीय लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें –
    वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने से कुछ नहीं होता, उन्हें प्राप्त करना भी एक चुनौती है। सबसे बड़ा प्रश्न है कि वित्तीय लक्ष्य कैसे प्राप्त करें ?
    इसके लिये हमें विभिन्न वित्तीय उत्पादों को समझना होगा, जो कि हमें वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करते हैं।
२. पोस्ट ऑफ़िस की सावधि जमा (Fixed Deposit) , आवर्ती जमा (Recurring Deposit), पी.पी. एफ़. इत्यादि
३. सीधे शेयर बाजार में निवेश करना
४. म्यूचयल फ़ंड के द्वारा बाजार में निवेश करना
    उपरोक्त दिये गये उत्पादों में १ और २ नंबर वाले उत्पाद हमारे परंपरागत उत्पाद हैं, और उनमें ब्याज कम मिलता है, पर निवेश सुरक्षित है।
    ३ और ४ नंबर के उत्पाद में वही निवेशित कर सकता है जो कि जोखिम लेने की क्षमता रखता हो। शीघ्र सेवानिवृत्ति के लिये उम्र कम होती है इसलिये जोखिम लिया जा सकता है। पर यह नहीं कहते कि पूरा पैसा आप बाजार में लगायें, उसका सूत्र होता है १०० में से अपनी उम्र घटा लें उतना आपको शेयर बाजार में निवेश करना चाहिये और जितनी उम्र है उतना १ व २ नंबर वाले उत्पादों में निवेश करना चाहिये।
उदाहरण के लिये – उम्र है ३० वर्ष तो १०० में से ३० कम किया, ७० प्रतिशत निवेश शेयर बाजार में और ३०% प्रतिशत सुरक्षित निवेश में होना चाहिये।
सावधि जमा (Fixed Deposit) , आवर्ती जमा (Recurring Deposit) में जमा करने पर एक तय ब्याज दर से ही परिपक्वता पर भुगतान होता है।
    जबकि शेयर बाजार में सीधे निवेश और म्यूचयल फ़ंड के द्वारा निवेश करने पर  जोखिम ज्यादा है पर लंबी अवधी में परिपक्वता पर भुगतान भी कई गुना ज्यादा होता है। इस विकल्प में थोड़े समय २-३ वर्ष के लिये निवेश की तो बिल्कुल ही नहीं सोचें।
    शेयर बाजार में निवेश करने के लिये अच्छी कंपनियों का चुनाव करें और बेहतर मार्गदर्शन के लिये अपने शेयर ब्रोकर या  वित्तीय योजनाकार (Certified Financial Planner) की सेवा ली जा सकती है।
    म्यूचयल फ़ंड में निवेश हमेशा सिप (Systematic Investment Plan) के द्वारा ही करें, और लंबी अवधि के लिये विविध क्षैत्र (Diversified Sector) में निवेश करने वाले फ़ंड का चुनाव बेहतर है। क्षैत्रिय फ़ंडों (Sector Funds)  का भी चुनाव कर सकते हैं जैसे कि फ़ार्मा फ़ंड, बैंकिंग सेक्टर फ़ंड इत्यादि। क्षैत्रिय फ़ंडों चुनाव करने के पहले अपने वित्तीय योजनाकार (Certified Financial Planner) से जरुर मशवरा कर लें।
    सिप (Systematic Investment Plan) में किये गये निवेश की वापसी पिछले १० वर्षों की लगभग १५-२० % है, और विगत ५ वर्षों की ३५%  तक वापसी है।
उदाहरण –
    अगर १८ जून २००० को २००० रुपये की सिप में आज तक निवेश किया जाता तो उसकी कितना निवेश होता याने कि १८ जून २०१० तक –
१८,२२,४०२ रुपये याने कि ६७९.४३ % तक वापसी
    यह गणना मैंने रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ प्लान के लिये की है, आप भी यह गणना यहाँ पर चटका लगाकर कर सकते हैं
    लंबी अवधि में निवेश करने के लिये शेयर बाजार में सीधे निवेश और म्यूचयल फ़ंड सबसे अच्छी जगह हैं।

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शीघ्र सेवानिवृत्ति कैसे ? भाग २ [कितना वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें] [Early Retirement How ? Part 2]

    वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करते समय मुद्रास्फ़ीति का भी ध्यान रखें । लगभग ६% प्रतिवर्ष से मुद्रास्फ़ीति की गणना करें।
कितना वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें –

१. बच्चे की शिक्षा – शीघ्र सेवानिवृत्ति लक्ष्य को प्राप्त करते समय यह माना गया है कि मासिक खर्चों में १२ वीं कक्षा तक का शिक्षा खर्च आपने जोड़ लिया है। उच्च शिक्षा के लिये अभी से निवेश करके रखें जैसे अगर अभी ५ लाख रुपये उच्चशिक्षा में लगते हैं तो ११ वर्ष बाद लगभग १५ लाख रुपये होने चाहिये।

२. सेवानिवृत्ति धन – सेवानिवृत्ति धन इतना होना चाहिये कि आपका मासिक खर्च भी चलता रहे और हो सके तो उसमें से कुछ बचत भी हो सके, अगर आप अपने मन माफ़िक कुछ ओर कार्य शुरु कर रहे हैं, जिससे आमदनी हो रही है तो फ़िर यह तो सोने पर सुहागा है। मूल प्रश्न कितना वित्तीय लक्ष्य होना चाहिये, यह आपको खुद ही गणना करना होगी, आज के जरुरी खर्चे और बच्चे की शिक्षा जोड़कर जो भी रकम आती हो, वह है आपकी पेन्शन तो उसका १०० गुना ज्यादा आपको सेवानिवृत्ति धन के मद में रखना होगा।

उदाहरण – आज के मासिक खर्च २०,००० रुपये होते हैं, तो २० लाख रुपये चाहिये सेवानिवृत्ति के लिये। आकस्मिक खर्च ६ महीने के मासिक खर्च के बराबर मतलब १,२०,००० रुपये।
तो सेवानिवृत्ति धन हो गया २१,२०,००० रुपये।
शिक्षा खर्च और शीघ्र सेवानिवृत्ति धन मिलाकर हो गया लगभग २६ लाख रुपये।

रिटायरमेंट केलकुलेटर के लिये गूगल में सर्च कर गणना कर सकते हैं।
    मेरा मानना है कि सेवानिवृत्ति संतुष्ट जीवन होता है और सेवानिवृत्ति वही ले सकता है जिसका मन संतुष्ट हो चुका हो, नहीं तो मरते दम तक कार्य करके पैसा कमाना ही व्यक्ति का एकमात्र उद्देश्य होता है, और वह पैसा ही उसके काम नहीं आता है और तो और साथ में भी ले जा नहीं सकते, सब यहीं पर छोड़कर जाना पड़ता है।
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